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कम्प्यूटर के लिये इन्स्क्रिप्ट कीबोर्ड |
मोबाइल और टैबलेट के पदार्पण से राह और सुगम हो चली। अब यथारूप टाइप करने के लिये कीबोर्ड स्क्रीन पर ही उपस्थित है, इन्स्क्रिप्ट टाइपिंग के लिये अक्षरों की स्थिति जानने की कोई समस्या नहीं। फिर भी पता नहीं क्यों मोबाइल बनाने वाले नये नये कीपैडों के प्रयोग में क्यों लगे हुये हैं, जो न मानक हैं, जिनका न सिर पैर है, जिनका न टाइप करने वालों में अभ्यास है, जिसके पीछे न कोई तर्क या वैज्ञानिकता ही है? यदि इस तरह के प्रयोग वैकल्पिक होते तो बात अलग थी, लोग श्रेष्ठ को चुनते, शेष को छोड़ देते। पर इन विचित्र कीबोर्डों का एकमात्र की बोर्ड होना और मानक इन्स्क्रिप्ट कीबोर्डों की अनुपस्थिति हिन्दीजनों के धैर्य को सतत टटोलने जैसे विचित्र कार्य हैं।
वर्तमान में एप्पल और एण्ड्रॉयड में इन्स्क्रिप्ट कीबोर्ड को मानक मान लिया गया है। विण्डो फोन अभी भी अधर में अटके हैं, सारी वर्णमाला एक ओर से लिख कर उसे कीबोर्ड का नाम दे दिया। आश्चर्य तब और होता है कि आज से ६ वर्ष पहले विण्डो के एचटीसी फोन पर इन्स्क्रिप्ट कीबोर्ड उपयोग में लाते थे और ३ वर्ष पहले नोकिया के सी३ फोन पर भी उसी कीबोर्ड का उपयोग किया था। अब दोनों कम्पनी एक हो गयीं और मानक इन्स्क्रिप्ट कीबोर्ड को भूल गयीं। पर्याप्त समय हो चुका है और अब तक सबको यह समझ जाना चाहिये कि हिन्दी का मानक कीबोर्ड क्या है। प्रयोग भी बहुत हो चुके हैं, अब ये प्रयोग बन्द कर मानक कीबोर्ड के संवर्धन पर ध्यान दिया जाये।
स्क्रीन कीबोर्डों के लिये संवर्धन के क्या और होना चाहिये, इस पर अपेक्षाओं की सूची लम्बी है। इनमें से कई आंशिक रूप से उपस्थित भी हैं, पर उनको पूरी तरह से उपयोग करने के लिये पूरी सूची का क्रमवार होना आवश्यक है।
मोबाइल का परिवर्धित इन्स्क्रिप्ट कीबोर्ड |
जब कीपैड आये तो स्क्रीन में शेष स्थान यथासंभव खाली रहना चाहिये, जिससे लिखा हुया अधिक और स्पष्ट दिखायी पड़े। साथ ही साथ कीपैड और कर्सर के बीच बहुत अधिक दूरी होगी तो लेखन में असुविधा बढ़ती है। यदि कीपैड आने के पश्चात नोटपैड में कम स्थान यदि बचता भी हो तो कर्सर कीपैड के यथासंभव निकट होने से टाइप होने की असुविधा कम की जा सकती है।
बिना शिफ्ट की के टाइपिंग |
हिन्दी टाइपिंग में अगली सुविधा है, शब्दकोष के अनुसार शब्दों का विकल्प देना। एण्ड्रॉयड फ़ोनों में जैसे ही आप टाइप करना प्रारम्भ करते हैं, कीपैड के ऊपर संभावित शब्दों के विकल्प आ जाते हैं, उनमें से एक को चुनने से टाइपिंग में लगा शेष श्रम बच जाता है। वहीं दूसरी ओर एप्पल में टाइप करते समय केवल एक ही विकल्प आता है जो कर्सर के साथ ही रहता है। यदि उस समय आपने स्पेस दबा दिया तो वह विकल्प चुन लिया जाता है। तुलनात्मक दृष्टि से यह सुविधा कम लगती है पर इसका एक विशेष पक्ष इसे अत्यधिक उपयोगी बना देता है। एप्पल का विकल्प देने वाला तन्त्र आपसे सतत ही सीखता रहता है और उसी के अनुसार विकल्प देता है। कहने का अर्थ है कि आप जितना अधिक टाइप करेंगे, विकल्प प्रस्तुत करने का तन्त्र उतना ही प्रभावी और सटीक होगा। यही नहीं, छोटी मोटी टाइपिंग की भूलें तो वह स्वतः ही ठीक कर देता है, जिससे आप चाह कर भी कोई भूल नहीं कर सकते हैं। एण्ड्रायड में ऊपर की पंक्ति में विकल्प होने से कीपैड की ऊँचाई बढ़ जाती है, जिससे टाइप करने में तनिक असुविधा होने लगती है। साथ ही साथ अधिक विकल्प की स्थिति न केवल भ्रमित करती है वरन गति भी कम कर देती है।
कीपैड को न केवल मानक शब्दकोष का ज्ञान हो, वरन आपके उपयोग के बारे में जानकारी हो। यही विस्तार व्याकरण के क्षेत्र में भी किया जा सकता है। व्याकरण के नियमों को सीखकर वह अगला संभावित शब्द या शब्द श्रंखला भी सुझा सकता है। यही नहीं स्त्रीलिंग-पुल्लिंग, एकवचन-बहुवचन आदि की वाक्य रचनाओं में की गयी सामान्य भूलों को भी पहचान कर सुधारने में वह आपकी सहायता कर सकता है। इस पक्ष पर अधिक शोध नहीं हुआ है, पर इस पर किया गया श्रम हिन्दी टाइपिंग के लिये एक मील का पत्थर सिद्ध होगा।
अगली सुविधा है, लिखा हुआ पढ़ना। कभी कभी लम्बा लेख लिखने के बाद पढ़ने की इच्छा न हो तो उसे सुन पाने की सुविधा होनी चाहिये। यद्यपि एप्पल में बोलने वाली उतनी स्पष्टता से हिन्दी नहीं बोल पाती है, पर सब समझ में आ जाता है और संपादन भी किया जा सकता है। इस सुविधा को विकसित करने के लिये वर्तनी के नियम, उच्चारण और संयुक्ताक्षर प्रमुख हो जाते है। बहुधा लम्बी कहानियों को भी इसी सुविधा का उपयोग कर मैंने सुना है। यही नहीं सुनने के क्रम में अर्धविराम और पूर्णविराम के महत्व को समझने की शक्ति विकसित हो जाती है, जो कि संवाद के लिये अत्यावश्यक है।
इसी सुविधा से सीधे जुड़ी हुयी सुविधा है, बोला हुआ लिखना। कई भाषाओं में यह सुविधा अत्यधिक विकसित है पर हिन्दी में यह अपने विकास की प्रतीक्षा कर रही है। यदि यह पूरी तरह से संभव हो सका, मोबाइल आधुनिक गणेश का अवतार धर लेंगे। इसी प्रकार हाथ का लिखा पढ़ना भी एक क्षेत्र है जिसमें अधिक कार्य की आवश्यकता है। विण्डो में अंग्रेजी भाषा के लिये इस सुविधा के उपयोग के पश्चात हिन्दी में वह अपेक्षा होना स्वाभाविक ही है। इसके अतिरिक्त एक वृहद शब्दकोष और दूसरी भाषाओं में अनुवाद की सुविधा हिन्दी के लिये आगामी और मूलभूत आवश्यकतायें हैं। हमें मानकीकरण की स्वेच्छा से वांछित अपेक्षाओं तक की लम्बी यात्रा अपने ही पैरों पर चलनी है।