14.12.13

लुटे जुटे से

लुटे तभी थे, 
और आज भी, 
लुटे जा रहे।

जो जीते थे, 
अब रीते हैं,
जीत रहे जो,
वे भी भर भर,
मन में, मनभर,
अधिकारों को,
घुटे जा रहे।

दूल्हा, दुल्हन,
अपनी धुन में,
हम सब दर्शक,
बेगाने से,
बने बराती, 
जुटे जा रहे।

31 comments:

  1. इसमें मुझे तो दिल्ली नज़र आ रही है ।

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  2. सटीक .....सुन्दर .....

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  3. बढियां है :-)

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  4. कर्म-मात्र हम किए जा रहे....

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  5. हम सब दर्शक,
    बेगाने से,
    बने बराती,
    जुटे जा रहे।

    वाकई !!

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  6. जब दर्शक ही रहना है तो देखें..आगे आगे होता है क्या...

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  7. सुन्दर प्रस्तुति
    नई पोस्ट विरोध
    new post हाइगा -जानवर

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  8. very creative Praveen ji.

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  9. Sundar vichar sundar prastuti....

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    1. मोहरे सभी आजमाए हैं,
      बारी बारी पिटे जा रहे।

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  10. जुटे हैं और पता नहीं कब तक जुटे रहेंगे।

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  11. बिलकुल सही है, जुटे जा रहे हैं और पिटे भी जा रहे हैं मगर सिलसिला रुकता नहीं है.

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  12. जुट रहे है लुट रहे है,,कुछ बचा नही है बाकी....

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  13. जुट रहे हैं ....लुट रहे हैं ...फिर भी कर्म तो करते ही चलना है ....गहन अभिव्यक्ति ....!!

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  14. ek achchha sutra aapne kheench nikala hai is chhoti si kavita se !

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  15. यही मज़ा है ज़िन्दगी का...बेगानी शादी में अब्दुल्ला वाला हाल...

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  16. आपकी इस प्रस्तुति को आज की बुलेटिन राज कपूर, शैलेन्द्र और ब्लॉग बुलेटिन में शामिल किया गया है।कृपया एक बार आकर हमारा मान ज़रूर बढ़ाएं,,, सादर .... आभार।।

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  17. जो जीते थे,
    अब रीते हैं,
    जीत रहे जो,
    वे भी भर भर,
    मन में, मनभर,
    अधिकारों को,
    घुटे जा रहे।

    एकदम यथार्थ...

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  18. अनवरत एक तमाशे के तमाशाई बने जा रहे ,

    अपनी ही धुन

    में जिए जा रहे। सुन्दर रचना है। काल चक्र को खंगालती।

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  19. बेगानी शादी में दीवाने जैसे !
    बढ़िया !

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  20. विकल्प भी क्या है ?

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  21. गजब की सार्थकता लिए मन कि दौड़

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  22. राजनीति सब पर बढ़-चढ़ कर बोल रहा है.. :)

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  23. चलो दिल्ली :)

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  24. ये जीवन है ... जुटना बस और जुटना ... कभी न खत्म होने वाला सफर ...

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  25. sadar pranam,Very nice sir.very creative.

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