11.12.13

मिलकर जुटें

यदि कहीं अन्याय लक्षित जगत में,
जूझना था शेष, निश्चय विगत में,
स्वर उठें, निश्चय उठे, अधिकार बन,
सुप्त कर्णों पर टनक हुंकार सम,
पथ तकेंगे, कभी न लंका जलेगी,
बद्ध सीता, कमी हनुमत की खलेगी,
राम की होगी प्रतीक्षा, मर्म क्यों क्षत,
सेतु सागर पर बनाना, कर्म विस्तृत, 
हो अभी प्रस्तावना, हम सब जुटें,
प्रबल है संभावना, मिल कर डटें। 

27 comments:

  1. हो अभी प्रस्तावना, हम सब जुटें,
    प्रबल है संभावना, मिल कर डटें। ...ये भाव सभी में जगे ......

    ReplyDelete
  2. चोरी करती तोंदों को
    नेताओं के धन्धों को
    नियम बेचते,दल्लों को
    देश के रिश्वतखोरों को
    पुलिस में बेईमानों को, संसद के गद्दारों को !
    सीधी जेल जरूरी है !
    अब विद्रोह जरूरी है !

    ReplyDelete
  3. मानव रूपी, कुत्तों से
    रात में जगे,भेड़ियों से
    राजनीति के दल्लों से
    खादी की, पोशाकों से
    बदन के भूखे मालिक से, सम्पादकी तराजू से !
    अब संघर्ष जरूरी है !

    ReplyDelete
  4. साधू बने , डकैतों को
    नफरत के हरकारों को
    बेसिर की अफवाहों को
    धर्म के ठेकेदारों को !
    नक़ल मारते लड़कों को, जमाखोर गद्दारों को !
    थप्पड़ एक जरूरी है !

    ReplyDelete
  5. भीष्म पितामह चुप बैठे रहे इसलिए चीर-हरण हुआ ।

    ReplyDelete
  6. प्रेरणादायी..... सार्थक आव्हान लिए हैं भाव

    ReplyDelete
  7. हो अभी प्रस्तावना, हम सब जुटें,
    प्रबल है संभावना, मिल कर डटें।

    सार्थक आह्वान ....!!
    समय पर किया गया प्रयत्न सफलता देता ही है .........कर्म करने को प्ररित करती रचना ...

    ReplyDelete
  8. होचुकी प्रस्तावना ,
    अब क्या डटें |
    अब तो बस मिलकर-
    उठें आगे बढ़ें |

    ReplyDelete
  9. सुन्दर प्रस्ताव- हम सब जुटे , सुन्दर रचना .

    ReplyDelete
  10. कल 12/12/2013 को आपकी पोस्ट का लिंक होगा http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर
    धन्यवाद!

    ReplyDelete
  11. मिल कर डटें।..हम ड्टे है..प्रेरणादायी..... सार्थक आव्हान

    ReplyDelete
  12. काश !!
    सार्थक आह्वान का अनुसरण हो .........

    ReplyDelete
  13. शब्दों, अभिव्यक्ति और भावों की सम्मिलित प्रेरणादायी अभिव्यक्ति!!

    ReplyDelete
  14. संभावनाएं तो अनेक हैं ... पर डटे ही नहीं रहते हम ...
    भावपूर्ण अभिव्यक्ति ....

    ReplyDelete
  15. ॐ शान्ति: शान्ति: शान्ति:

    ReplyDelete
  16. प्रेरक अभिव्यक्ति ....

    ReplyDelete
  17. बहुत खूब ,उत्तम भावों की सुन्दर अभिव्यक्ति...!
    RECENT POST -: मजबूरी गाती है.

    ReplyDelete
  18. वाह ! भाई साहब बेहतरीन अंदाज़ की रचना है। रूपक है सशक्त भावनाओं का। शुक्रिया आपकी टिपण्णी का।

    राम की होगी प्रतीक्षा, मर्म क्यों क्षत,
    सेतु सागर पर बनाना, कर्म विस्तृत,

    सुन्दर मनोहर निश्चय।

    ReplyDelete
  19. बहुत ही बढ़िया प्रेरक अभिव्यक्ति...

    ReplyDelete
  20. प्रेरक सार्थक आह्वान !

    ReplyDelete
  21. डट तो जाते हैं फिर हौसला खो देते हैं ..... संभावनाओं को क्रियान्वित करने का आह्वान करती सार्थक रचना

    ReplyDelete
  22. राम की होगी प्रतीक्षा, मर्म क्यों क्षत,
    सेतु सागर पर बनाना, कर्म विस्तृत,
    हो अभी प्रस्तावना, हम सब जुटें,
    प्रबल है संभावना, मिल कर डटें।

    rom rom ko aahwan karati nihshabd

    ReplyDelete
  23. रचना में भाषा का आवेग और शब्द विधान ,रूप विधान बहुत सुन्दर बन पड़ा है रूपक तत्व भी अप्रतिम है।

    ReplyDelete