1.2.12

गर्दन की मोच

यह तो निश्चित और सिद्ध था कि गर्दन की मोच नहाते समय ही आयी थी, क्योंकि पहले के गतिशील और बाद के गतिहीन जीवन के बीच वही एक स्पष्ट बिन्दु था। यह तो अच्छा हुआ कि मोच घर में ही आयी, नहीं तो क्या पता शारीरिक पीड़ा के साथ साथ ही मानसिक पीड़ा भी झेल रहे होते, अनावश्यक इधर उधर देखने के आक्षेप की। कारण वह शीघ्रता थी जिसकी आवश्यकता ही नहीं थी, निष्कर्ष वह जो पिछले ७ दिन झेला। एक समय में एक कार्य न करने का दण्ड अब ईश्वर कैसे दे या कैसे बताये कि बेटा जो भी कार्य करो मन लगा कर करो। आधे घंटे में प्रारम्भ होने वाले निरीक्षण के बारे में चार विचार मन में, समय कम, स्नान करने के लिये हाथ बाल्टी में, ललक यह देखने की, कि तौलिया रखा है कि नहीं। गर्दन बेचारी घूमती है, कोमल है, इतनी घनघोरता सह नहीं पाती है, दर्द की एक हूक सी उठती है, तुरन्त समझ में आ जाता है कि बेटा गये काम से।

राणा सांगा के संस्कार सीख में थे, पैर और हाथ चल रहे थे, गर्दन में एक दर्दनिवारक स्प्रे किया 'वोलिनी'। पूरे निरीक्षण के समय सर और कन्धे एक साथ ही घूमते थे, धीरे धीरे, सामने वाले को भी लगता था कि ध्यान पूरा दिया जा रहा है। येन केन प्रकारेण निरीक्षण समाप्त हुआ तो घर के कुछ आवश्यक कार्य निकल आये। मुख्यालय में होने वाली एक अत्यन्त महत्वपूर्ण बैठक की सूचना सायं मिली। आने जाने में दो रातों की ट्रेन यात्रा और मुख्यालय में दिन भर की व्यस्तता, जब वापस बंगलुरु आया, गर्दन की पीड़ा विकराल रूप ले चुकी थी, जरा भी हिलने से सारा शरीर पीड़ा से थरथरा जाता था।

कभी सोचा नहीं था कि एक छोटी सी मोच इतना बड़ा प्रभाव डालेगी। पहले भी मोच आयीं हैं, एक या दो दिन रह कर चली गयीं, पर यह मोच कुछ विशेष थी, मानो बहुत कुछ सिखाने आयी हो। यह पूरा दैनिक क्रम बिगाड़ कर रख सकती है, इसका अनुभव पहली बार हुआ जीवन में। रात की नींद टूटी रहने लगी, करवट बदलते ही दर्द की हूक सी उठती, सहसा याद आता कि इस पीड़ा ने करवट बदलने का अधिकार भी छीन लिया है, सहज होने में समय लगता, अगली करवट तक नींद बनी रहती। करवटें बड़ी पुरानी हैं, वे तो बनी रहेंगी, गर्दन की पीड़ा के लिये वे अपना स्थान छोड़ने वाली नहीं, पुराना नये को नहीं आने देता है, दोनों ही नहीं माने, करवटें भी रहीं, मोच भी रही, रात भी हमारी आहों से जीवन्त रही।

रात की थकान आगत दिवस को भी आहत किये रहती है, दिन में चैतन्यता बिना बताये ही कभी भी सरक लेती, सामने वाले को लगता कि साहब की ऊर्जा या तो बहुत कम है या मूड उतरा हुआ है, उत्साह की बातें या अत्यन्त आवश्यक कार्य पीछे रह जाते हैं। साथ रहने वाले पर्यवेक्षक को भी ज्ञात है कि जब साहब की ऊर्जा का स्तर कम हो तब उनका आगन्तुकों और अधीनस्थ कर्मचारियों से भेंट कराना ठीक नहीं, निर्णय उतने प्रभावी नहीं रहते हैं जैसे समान्यतया होते हैं। एकाकीपन पीड़ा को और गहरा देता है। दर्दनिवारक दवाई न खाने का हठ मेरा ही था, अपने शरीर और अपने बीच कोई अल्पकालीन झूलता तन्तु नहीं चाहता था मैं।

दो दिन बाद ही सही, अन्ततः पर्यवेक्षक ने मुझे गर्दन की सिकाई करने के लिये मना लिया, ५ दिन, नित्य आधा घंटे के लिये, रेलवे अस्पताल में। फिजियोथेरेपिस्ट श्री जॉयस योग्य थे, दो विधियाँ चुनी गयीं उनके द्वारा, इंटरफेरेन्स थेरेपी और इलेक्ट्रानिक डाइथर्मी, दोनों ही पीड़ा का क्षेत्र और प्रभाव सीमित करने के लिये। सिकाई के समय अपने आईफोन पर यह पोस्ट लिखता रहा साथ ही साथ बीच बीच में श्री जॉयस से बातचीत भी होती रही, उन्होने तकिया लगाने और पेट के बल लेटकर टाइप करने को तात्कालिक प्रभाव से मना कर दिया। जब उन्हें पता लगा कि हमारा अधिक समय कम्प्यूटर पर बीतता है तो समुचित बैठने और हर आधे घंटे में एक बार उठकर टहलने की सलाह भी हम पर थोप दी गयी। नयी जीवनशैली की गहरी समझ थी श्री जॉयस को, उनके साथ बातचीत करना अत्यन्त लाभकारी और रोचक अनुभव रहा मेरे लिये।

आज धीरे धीरे पीड़ा घट रही है और जीवन सामान्य हो रहा है, पर यह ७ दिन का समय कई अपरिवर्तनीय परिवर्तन लेकर आया। पहला तो इसके कारण सीधे रहकर चलना सीख लिया, बिना किसी विकर्षण के, पूर्ण एकाग्रमना हो। दूसरा बलात ही सही पर सुबह शीघ्र उठना होने लगा क्योंकि लेटने में होनी वाली पीड़ा से अच्छा था कुछ सार्थक कर लेना। तीसरा लाभ जीवनशैली के सम्बन्ध में श्री जॉयस की सलाह का अनुपालन, लम्बे समय ब्लॉगिंग करने वालों के लिये रामबाण। दो और परिवर्तन जो तत्काल तजना चाहूँगा, कुछ न खेलने से बढ़े वजन को और सुबह ठंड से बचने के लिये स्वेटर पहना कर बबुआ बना दिये गये स्वरूप को।

अब कहीं जाकर अंग्रेजी के इस प्रचलित मुहावरे(Pain in the neck) का व्यवहारिक अर्थ समझ में आया और साथ ही समझ आया अर्थ हिन्दी के एक गीत का, करवटें बदलते रहे सारी रात हम...आपकी कसम....

67 comments:

  1. यह एक अति अल्पकालिक फेज है चला जायेगा -शीघ्र स्वस्थ होने की शुभकामना और यह सुझाव भी कि कुशल चिकित्सक के परामर्श में रहिये....

    ReplyDelete
  2. लम्बे समय ब्लॉगिंग करने वालों के लिये श्री जॉयस की सलाह एक पोस्ट के माध्यम से अन्य ब्लोगर्स को भी बताएं पर गर्दन का दर्द पूरी तरह ठीक होने के बाद|
    आगे से ध्यान रखियेगा गर्दन की मोच निकालने में नाई बहुत माहिर होते है|

    ReplyDelete
  3. सर आधुनिक जीवन शैली ,अत्यधिक व्यस्तता हमारा सुकून कम कर रही है |आप शीघ्र स्वस्थ हों |शुभकामनाएं |

    ReplyDelete
  4. दर्द निवारक गोली से क्या दुश्मनी है? डॉक्टर की सलाह लेकर खा सकते थे. अप्प जल्द ही पूर्ण चैतन्यता प्राप्त करें यही प्रार्थना है.

    ReplyDelete
  5. सर जी इस दर्द से तो हम भी परेशान हैं, सभी ब्लोगर्स को पहेले ही सचेत हो जाना चाहिए... रोज़ सुबह गर्दन और कन्धों के व्यायाम करना आवश्यक है... साथ कम्प्यूटर या लैपटॉप की स्क्रीन भी नीची नहीं होनी चाहिए कि गर्दन झुका कर पढना या लिखना पड़े. स्क्रीन गर्दन के हिसाब से ऊपर होनी चाहिए, इससे इस तरह की परेशानी उत्पन्न नहीं होगी.

    ReplyDelete
  6. पीड़ा से भी कईं अधिक चैन छीन लेता है गर्दन का दर्द!! आशा है अब राहत होगी। डॉ जॉयस की सलाह मानने योग्य है। इस पोस्ट के बहाले ध्यान दिलाने का शुक्रिया!!

    ReplyDelete
  7. पीड़ा आती तो कितना कुछ सिखा जाती है...... वैसे आपकी पोस्ट्स में हर स्थिति में सकारात्मक बने रहने का सन्देश ज़रूर मिल जाता है....ख्याल रखिये

    ReplyDelete
  8. " यह तो अच्छा हुआ कि मोच घर में ही आयी, नहीं तो क्या पता शारीरिक पीड़ा के साथ साथ ही मानसिक पीड़ा भी झेल रहे होते, अनावश्यक इधर उधर देखने के आक्षेप की।"
    भले इंसानों में यही तो कमी होती है कि जाने-अनजाने सच्चाई उगल ही देते है :)

    ReplyDelete
  9. बिना मांगे सलाह आज आपको खूब मिलने वाली है ...अति सर्वत्र वर्जयेत ....
    बहुत अच्छा लिखा है ..
    ईश्वर आपको जल्दी स्वस्थ करें ...

    ReplyDelete
  10. दर्द ना जाने कब किसके पास आ जाये और उसे अहसास करवा दे की में भी हूँ .....!

    ReplyDelete
  11. शुभकामनायें आपको ...

    ReplyDelete
  12. यह पीड़ा "अपरिवर्तनीय परिवर्तन" सा करके जो सीखा गयी... वह 'एकाग्रमना' होने की सीख तो बड़ी प्रभावी है...!
    Get well soon!
    Regards,

    ReplyDelete
  13. चलिये अच्छा हुया आपके दर्द की दवा हो गयी और कोई बहुत ज्यादा तकलीफ़ नहीं हुयी।
    गर्दन की मोच की समस्या से पिछले साल हमारा सामना हुआ था और इसने हमसे हाथ जुडवा लिये थे। भला हो हमारी एक मित्र का जो पेशे से Chiropractor हैं। उन्होने अगले दिन मुफ़्त में क्लीनिक बुलाकर चार छोटे इलेक्ट्रोड पैड गर्दन के बांयी और चार दांयी तरफ़ चिपका कर, एक मशीन की घुंडी उमेठकर कहा कि अब आधा घंटा मजा लो। मजा क्या, हर पंद्रहवें सेकेंड्स के अन्तराल से १० सेकेंड की अवधि के लिये इलेक्ट्रोड गर्दन को झनझना रहे थे। उसके बाद उन्होनें कहा कि जब तनकर अकडी हुयी मांसपेशियां इलिक्ट्रिक शाक के बाद अपने नियत स्थान पर लौटेंगी तो दर्द खत्म होने से पहले एक बार जोर से बढेगा।
    ईश्वर साक्षी है कि शाम के विकट टैफ़िक में उनके क्लीनिक से जो घर आने में ४५ मिनट कार चलानी पडी थी कि पूछिये मत, आखिरी के पन्द्रह मिनट में तो सांस लेते भी गर्दन हिल जाये तो तौबा तौबा...घर आकर चादर तान कर ४ घंटे सो गये। सोकर उठे तो सब कुछ अपनी जगह दुरुस्त ।

    वैसे हमारी गर्दन दौडते समय विपरीत दिशा में तेजी से भागती एक सुन्दरी के सौन्दर्य में मोहित होने के कारण अपने आप घूम गयी थी, जिसके चलते तीन दिन तकलीफ़ में रहे :)

    ReplyDelete
  14. चलिये अच्छा हुया आपके दर्द की दवा हो गयी और कोई बहुत ज्यादा तकलीफ़ नहीं हुयी।
    गर्दन की मोच की समस्या से पिछले साल हमारा सामना हुआ था और इसने हमसे हाथ जुडवा लिये थे। भला हो हमारी एक मित्र का जो पेशे से Chiropractor हैं। उन्होने अगले दिन मुफ़्त में क्लीनिक बुलाकर चार छोटे इलेक्ट्रोड पैड गर्दन के बांयी और चार दांयी तरफ़ चिपका कर, एक मशीन की घुंडी उमेठकर कहा कि अब आधा घंटा मजा लो। मजा क्या, हर पंद्रहवें सेकेंड्स के अन्तराल से १० सेकेंड की अवधि के लिये इलेक्ट्रोड गर्दन को झनझना रहे थे। उसके बाद उन्होनें कहा कि जब तनकर अकडी हुयी मांसपेशियां इलिक्ट्रिक शाक के बाद अपने नियत स्थान पर लौटेंगी तो दर्द खत्म होने से पहले एक बार जोर से बढेगा।
    ईश्वर साक्षी है कि शाम के विकट टैफ़िक में उनके क्लीनिक से जो घर आने में ४५ मिनट कार चलानी पडी थी कि पूछिये मत, आखिरी के पन्द्रह मिनट में तो सांस लेते भी गर्दन हिल जाये तो तौबा तौबा...घर आकर चादर तान कर ४ घंटे सो गये। सोकर उठे तो सब कुछ अपनी जगह दुरुस्त ।

    वैसे हमारी गर्दन दौडते समय विपरीत दिशा में तेजी से भागती एक सुन्दरी के सौन्दर्य में मोहित होने के कारण अपने आप घूम गयी थी, जिसके चलते तीन दिन तकलीफ़ में रहे :)

    ReplyDelete
    Replies
    1. जो १५ सेकेन्ड में झटका देती है, वही इन्टरफेरेन्स थेरेपी है, हमको तो 18 MA पर इलेक्ट्रोड लगाये।

      Delete
  15. हमें तो आदत बन गयी है गर्दन दर्द, पीठ का दर्द, हाँ अब एक नया दर्द दायें हाथ की कंधे से जुड़े हिस्से पर , लगभग ६ महीने हो गए, न करवट, न दवाई , सिर्फ व्यायाम से राहत मिलती है.

    ReplyDelete
  16. अहले दिल यूं भी निभा लेते हैं, दर्द सीने में छुपा लेते हैं...​
    ​​
    ​जय हिंद...

    ReplyDelete
  17. आशा है अब दर्द से छुटकारा मिल गया होगा ..

    अपनी व्यथा को कहते हुए भी पते की बात बता दी है --

    पुराना नये को नहीं आने देता है, दोनों ही नहीं माने, करवटें भी रहीं, मोच भी रही, रात भी हमारी आहों से जीवन्त रही।

    ReplyDelete
  18. अपना ख्याल रखें ... आप से मिली जानकारी हमारे भी काम आएगी !

    ReplyDelete
  19. चलिए इस भयानक तकलीफ ने कुछ टिप्स दिए

    ReplyDelete
  20. ये समस्या हमारे साथ तो होती ही रहती है …………बस थोडा सा एहतियात बरतने से ही संभल सकती है………उम्मीद है अब आप स्वस्थ होंगे।

    ReplyDelete
  21. आधुनिक जीवन शैली कई दर्द भी दे जाती है ...
    घर में बुजुर्ग महिला होती तो निश्चित रूप से किसी ने किसी के चरण गर्दन पर पड़े ही होते , एक लोकप्रिय टोटका है :)

    ReplyDelete
  22. शारीरिक अंगों की नाज़ो अदा ही जुदा है ..

    ReplyDelete
  23. चलिए देर आए दुरुस्त आए ... ख्याल रखें अपना ... गर्दन का मामला कई परेशानियां खड़ी कर सकता है ...

    ReplyDelete
  24. इस पोस्‍ट के माध्‍यम से कई बातों पर आपने ध्‍यान केन्द्रित किया है आपने .. बहुत ही अच्‍छी प्रस्‍तुति आपके लिये शुभकामनाऍं

    ReplyDelete
  25. यही है भैया खुद को निस्पृह द्रष्टा भाव से देखना ,दर्द से फोकस हटाकर ध्यान कहीं और लगाना यानी दर्द के संकेत को भटकाना माने "दर्दनाशी".अलबता बॉडी सिग्नल्स की अनदेखी करने और मल्टी-टास्किंग के परिणाम आगे पीछे भुगतने ही पडतें हैं .चारा क्या है ?

    ReplyDelete
  26. करवटें बड़ी पुरानी हैं, वे तो बनी रहेंगी, गर्दन की पीड़ा के लिये वे अपना स्थान छोड़ने वाली नहीं, पुराना नये को नहीं आने देता है, दोनों ही नहीं माने, करवटें भी रहीं, मोच भी रही, रात भी हमारी आहों से जीवन्त रही।
    पहले मामूली गर्दन थी .सहानुभूति प्राप्त बन्ने से आपने रोक लिया .आराम करते तो सहानुभूति मिलती .
    द्रष्टा आपका दर्द को साक्षी भाव से देखता रहा .यही है योग .

    ReplyDelete
  27. किसी हिस्से का मूल्य उसके कष्ट देने से पता चलता है मैं पीठ के साथ ये तकलीफ झेल चुकी हूँ... आप जैसी आशावादी बनने की प्रेरणा भी मिल गई कुछ बुरे में भी अच्छा छिपा होता है

    ReplyDelete
  28. मोच चलिये ठीक हो जायेगी !! ऊपर वाले की मेहरबानी है कि यह उन मेरुदण्दीय समस्याओं में नहीं शुमार है जो लाइलाज हैं -- मुझे जून 2008 के बाद से सर्वाइकल स्पोंडोलाइटिस c-6 का सामना करना पड़ा कारण स्पष्ट: यही हैं -- ज़िन्दगी में हर जगह झुकना - घर में ऑफिस में और कम्प्यूटर पर -- लेकिन जो पीड़ा भुगतनी पड़ती है वो असहनीय होती है और वहाँ समझ आया कि क्यों मनमोहन देसाई जैसे व्यक्ति ने रीढ के दर्द के करण खुदकुशी कर ली थी - कुछ precautions जो सुझाये गये थे उनका अनुपालन आपको भी प्रस्तावित कर रहा हूँ --
    Do not sit for prolonged period of time in stressful postures

    Do use firm collars while traveling

    Do not lift heavy weights on head or back

    Do not turn from your body but turn your body moving your feet first

    Do turn to one side while getting up from lying down

    Do the exercises prescribed regularly

    Do use firm mattress, thin pillow or butterfly shaped pillow

    Do not lie flat on your stomach.

    शुभकामनाओं सहित ---मयंक

    ReplyDelete
  29. मोच चलिये ठीक हो जायेगी !! ऊपर वाले की मेहरबानी है कि यह उन मेरुदण्दीय समस्याओं में नहीं शुमार है जो लाइलाज हैं -- मुझे जून 2008 के बाद से सर्वाइकल स्पोंडोलाइटिस c-6 का सामना करना पड़ा कारण स्पष्ट: यही हैं -- ज़िन्दगी में हर जगह झुकना - घर में ऑफिस में और कम्प्यूटर पर -- लेकिन जो पीड़ा भुगतनी पड़ती है वो असहनीय होती है और वहाँ समझ आया कि क्यों मनमोहन देसाई जैसे व्यक्ति ने रीढ के दर्द के करण खुदकुशी कर ली थी - कुछ precautions जो सुझाये गये थे उनका अनुपालन आपको भी प्रस्तावित कर रहा हूँ --
    Do not sit for prolonged period of time in stressful postures

    Do use firm collars while traveling

    Do not lift heavy weights on head or back

    Do not turn from your body but turn your body moving your feet first

    Do turn to one side while getting up from lying down

    Do the exercises prescribed regularly

    Do use firm mattress, thin pillow or butterfly shaped pillow

    Do not lie flat on your stomach.

    शुभकामनाओं सहित ---मयंक

    ReplyDelete
  30. उफ़ हाल फिलहाल इसी दौर से गुजरे हैं हम भी....हमें भी यही कहा गया .ब्लॉग्गिंग बंद करो :(.आपकी पोस्ट से मुझे भी वो जानलेवा गर्दन का दर्द याद हो आया...

    ReplyDelete
  31. आप से पूरी सहानुभूति है .
    एक पोस्ट लिखी थी कभी '-दर्द की दवा '(गर्दन के दर्द की ही है ).अपने हिसाब से डो़ज़ तय कर लें,प्रवीण जी आपके लिये व्यक्तियोचित परिवर्तन के साथ उपयोगी रहे शायद .
    हो सकता है वैसी स्थिति में किसी को लाभ हो ,जिसे लाभ हो सूचना ज़रूर दे दे- चाहे बिना धन्यवाद के ही .
    उसका पता है -http://lambikavitayen5.blogspot.in/2010/06/blog-post_30.html

    ReplyDelete
    Replies
    1. रोचक है, प्रयोग कर के देखते हैं।

      Delete
  32. चलिये कोई बात नही इस से कम से यह आभास तो हो जाता है हमें की शरीर रूपी मशीन का हर पार्ट कितना उपयोगी एवं महत्वपूर्ण भी तो अब आगे से ख्याल रखिये अपना...शुभकामनायें

    ReplyDelete
  33. बहुत पीड़ादायक स्थिति होती है.. झेला है मैंने भी! जल्द ही स्वस्थ हों!!

    ReplyDelete
  34. छोटी पीडा में बडा जीवन दर्शन। छोटी घटनाओं के बडे सबक।

    ReplyDelete
  35. सच है दर्द तो दर्द ही होता है पीड़ादायक ..लेकिन जाते -जाते बहुत कुछ दे भी जाती है जैसे अनुभव.. और बहुत कुछ सीखा भी जाती है.. अपना ख्याल रखिये...शुभकामनायें..

    ReplyDelete
  36. गर्दन की मोच क्या होती है वो ही समझ सकता है जिसने इसे भोग हो...मैं भी भोगने वालों में से एक हूँ...पढ़ते हुए लगा जैसे आप मेरी ही दास्ताँ लिख रहे हैं...जल्दी आराम पाईये..और एक नयी मोच के लिए तैयार हो जाईये...क्यूँ की ज़िन्दगी है तो मोच है...कभी भी कहीं भी चली आएगी...:-)

    नीरज

    ReplyDelete
  37. संतोष त्रिवेदी जी की ईमेल से प्राप्त टिप्पणी

    हम भी इधर नासाज़ हैं,
    तुम भी हो खाये चोट,
    यह वक्त भी गुज़र जायेगा
    फिर से खिलेंगे होंठ

    ReplyDelete
  38. सुन कर अफ़सोस हुआ,प्रवीन जी.... अपना ध्यान रखिये ,डॉ. की सलाह और अहतियात का पूरा ध्यान रखिये .नीरज जी ने बिलकुल ठीक कहा भुक्तभोगी ही समझ सकता है ,मैं भी काफी सालों से इस तकलीफ से guzar रही हूँ,२ साल बिस्तर पर गुजारे है इस तकलीफ के कारण,और अब भी हर दस पन्द्रह दिन में १,२, दिन बिस्तर पर ही लेटे हुए निकलता है,आप को डरना मेरा आशय नहीं ,सिर्फ ये कहना चाहती हूँ के बीमारी को गम्भीरता से ना लेने के परिणाम क्या होते है.......डॉ. की दी सलाह पर अमल कीजिये, और पूर्ण स्वस्थ हो कर अपने जीवन को बेहतर तरीके से गुजारिये ये ही शुभकामनाये ........

    ReplyDelete
  39. जल्दी आराम मिल सके यही कामना है,टिप्स हमारे भी काम आएँगे। दो दिनों से यही पीड़ा साथ लिये हैं।

    ReplyDelete
  40. Wish you a speedy recovery Praveen ji. I can totally understand the state you must be in! This must be causing you a lot of discomfort, especially at night! Hope you are healthy and kicking soon!

    ReplyDelete
  41. samajh sakti hun bahut peedadayak sthiti hai ye...lekin chalo nijat paayi jo zindgi k kuchh falasfe bhi sikha gayi. sath me ham jaison ko bhi sachet kar gayi apki ye post.

    ReplyDelete
  42. इसमें ब्‍लागिंग को कितना श्रेय दिया जा सकता है?

    ReplyDelete
  43. आपकी रचना में भाषा का ऐसा रूप मिलता है कि वह हृदयगम्य हो गई है।
    शीघ्र स्वस्थ हों, ईश्वर से कामना है।

    ReplyDelete
  44. किसी अंग के ना काम करने पर ही उसकी उपयोगिता का अंदाज़ा होता है। शीघ्र स्वास्थ लाभ की कामना के साथ

    ReplyDelete
  45. waah praveenji....
    kya badiya likh diya aapne apne dard ko...
    ab aadha dard to isi se khatm ho jaana chahiye kyun ki dard baantne se bant jaata hai....aur bachkhucha kaam doctor ne kar hi diya....khair jo bhi ho is dard se jaldi nizaat mil jayegi...

    ReplyDelete
  46. प्रवीण जी,....दर्द कही भी कष्ट तो होता है,..आपके दर्द को मै भी कर महसूस कर सकता हूँ,मैंने तो इस गर्दन के दर्द कई बार झेला है,सावधान रहें...
    लाजबाब प्रस्तुतीकरण..

    ...40,वीं वैवाहिक वर्षगाँठ-पर...

    ReplyDelete
  47. aapne apne dard ka vivran is rochak andaaj me likha ki aapki gardan ke prati sahanubhooti aur padhte hue maja dono ek saath aa rahe the aksar esa kam hi hota hai ki kisi post me do-do bhavnayen ek saath umde maaf karna jo mahsoos kiya likh diya main to blog par itni der se pahuchi ki ab tak to aapki gardan theek bhi ho gai hogi chalo aage ke liye aapko dhyaan rakhne ki hi hidayat de deti hoon.apna dhyaan rakhen.

    ReplyDelete
  48. आशा है अब पुर्ण स्‍वस्‍थ होंगे। कुछ दिनों के लिए पुणे जा रही हूँ अत: अनियमितता रहेगी, आपकी आगामी पोस्‍ट आने के बाद ही पढना सम्‍भव हो सकेगा।

    ReplyDelete
  49. पीड़ादायक होती है गर्दन की मोच क्या उम्मीद है अब आप स्वस्थ होंगे।

    ReplyDelete
  50. hamari shubkamnaye aapke saath hai ...........aapka shubchintak

    ReplyDelete
  51. भाई प्रवीण पाण्देय जी हिन्दी ब्लाग की भीड़ में बहुत कुछ सार्थक भी लिखा जा रहा है । उस सार्थक लेखन में आपका पूरा लेखन विचारणिय एवं पठनीय है । मेरी बधाई !

    ReplyDelete
  52. आपकी पोस्ट आज के चर्चा मंच पर प्रस्तुत की गई है
    कृपया पधारें
    http://charchamanch.blogspot.in/2012/02/777.html
    चर्चा मंच-777-:चर्चाकार-दिलबाग विर्क

    ReplyDelete
  53. ब्लोगिंग के साथ व्यायाम का समन्वय जरूरी है....वरना ब्लोगिंग कम कर देना या इस से विदा लेना ही श्रेयस्कर है.

    ReplyDelete
  54. 1.change your sitting orientation in the office.
    2.change your side on the bed.
    3.change your side in the car (on the rear seat) ,if you are not driving.
    4.try to use left hand more often to hold glass or tea-cup.
    finally do take care and get well soon.

    ReplyDelete
  55. आशा है आप जल्द स्वस्थ हो जायेंगे..
    kalamdaan.blogspot.in

    ReplyDelete
  56. लगता है मन्ने भी दरद सुरू हो गया भाया :)

    ReplyDelete
  57. जल्द स्वस्थ होवें ऐसी प्रार्थना है ईश्वर से।

    ReplyDelete
  58. praveen ji
    shayad isi liye kaha gaya hai
    ekee saadhai sab sadhai sab sadhai sab jaaye
    kaam bigaarrou
    aapno-------;)
    poonam

    ReplyDelete
  59. दर्द अब तो आधुनिक जीवन शैली का एक साथी बन् गया है. शीघ्र स्वास्थ लाभ की कामना.

    ReplyDelete
  60. App sheeghra dard se mukt ho aisi kamna hai.
    agar dard 1 week se jyada bana rahta hai ya arms/ hathon me koi symptoms hai to MRI karwane ki jaroorat ho sakti hai.
    aapke bataye se lagta hai ki isne aapko kaphi pareshan kiya hai, bhawishya me sawdhani barten- get well soon

    ReplyDelete
  61. सोचिए प्रवीण जी ये सब लोग अगर आपकी गर्दन में मोच की खबर सुनकर घर आ जाते तो आपकी गर्दन का क्‍या हाल होता।

    ReplyDelete
  62. दर्द ठीक हो ही गया होगा..मेरे पैर में भी मोच आ गई थी..अब आराम लगा....


    चलिये, इस बहाने नहाना तो हो ही गया,. :)

    ReplyDelete