15.5.21

मैं उत्कट आशावादी हूँ

मैं उत्कट आशावादी हूँ।

मत छोड़ समस्या बीच बढ़ो,

रुक जाओ तो, थोड़ा ठहरो,

माना प्रयत्न करने पर भी,

श्रम, साधन का निष्कर्ष नहीं,

यदि है कठोर तम, व्याप्त निशा,

कुछ नहीं सूझती पंथ दिशा ।

बन कर अंगद-पद डटा हुआ, मैं सृष्टि-कर्म प्रतिभागी हूँ।

मैं उत्कट आशावादी हूँ।।१।।

 

सूखे राखों के ढेरों से,

पा ऊष्मा और अँधेरों से,

पाता व्यापकता, बढ़ जाता,

दिनकर सम्मुख भी जलने का,

आवेश नहीं छोड़ा मन ने,

आँखों में ध्येय लगा रमने,

है कर्म-आग, फिर कहाँ त्याग, मैं निष्कर्षों का आदी हूँ।

मैं उत्कट आशावादी हूँ।।२।।

 

पत्ते टूटेंगे पेड़ों से,

निश्चय द्रुतवेग थपेड़ों से,

आहत भी आज किनारे हैं,

सब कालचक्र के मारे हैं,

क्यों चित्र यही मन में आता,

जीवन गति को ठहरा जाता,

व्यवधानों में जलता रहता, मैं दिशा-दीप का वादी हूँ।

मैं उत्कट आशावादी हूँ।।३।।

 

कर लो हिसाब अब, इस जग में,

क्या खोया, क्या पाया हमने,

जीवन पाया, संसाधन सब,

जल, खिली धूप, विस्तार वृहद,

यदि खोयी, कुछ मन की तृष्णा,

श्रम, समय और कोई स्वप्न घना,

हर दिन लाये जीवन-अंकुर, मैं नित प्रभात-अनुरागी हूँ।

मैं उत्कट आशावादी हूँ।।४।।

 

भ्रम धीरे-धीरे खा लेगा,

थकता है मन, बहका देगा,

मन-आच्छादित, नैराश्य तजो,

उठ जोर, जरा हुंकार भरो,

धरती, अम्बर के मध्य व्यक्त,

कर गये देव तुझको प्रदत्त,

मैं लगा सदा अपनी धुन में, प्रेरित छन्दों का रागी हूँ।

मैं उत्कट आशावादी हूँ।।५।।

 

जब किया जलधि-मंथन-प्रयत्न,

तब निकले गर्भित सभी रत्न,

हाथों में सुख की खान लिये,

अन्तरतम का सम्मान लिये,

स्वेदयुक्त सुत के आने की,

विजय-माल फिर पहनाने की,

आस मही को, क्यों न हो, मैं शाश्वत कर्म-प्रमादी हूँ।

मैं उत्कट आशावादी हूँ।।६।।

 

जीवन के इस चिन्तन-पथ को,

मत ठहराओ, गति रहने दो,

चलने तो दो, संवाद सतत,

यदि निकले भी निष्कर्ष पृथक,

नित चरैवेति जो कहता है,

अपने ही हृद में रहता है,

वह दीनबन्धु, संग चला झूमता, मैं बहका बैरागी हूँ।

मैं उत्कट आशावादी हूँ।।७।।


(बहुत पहले लिखी थी, मन हो आया पुनः कहने का, मन के विश्वास को पुनः स्थापित करने का)


10 comments:

  1. गतिशील उत्कट आशावादिता, उत्कृष्ट अभिव्यक्ति!!

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  2. गतिशील उत्कट आशावादिता, उत्कृष्ट अभिव्यक्ति!!

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  3. गतिशील उत्कट आशावादिता, उत्कृष्ट अभिव्यक्ति!!

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    1. बहुत आभार आपका अनुपमाजी

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  4. कुछ नहीं सूझती पंथ दिशा ।

    बन कर अंगद-पद डटा हुआ, मैं सृष्टि-कर्म प्रतिभागी हूँ।

    मैं उत्कट आशावादी हूँ

    एक थके-हारे मन में भी आशा और हिम्मत का संचार करती बहुत ही लाज़बाब सृजन ,
    आपके ब्लॉग को फॉलो कैसे कर सकते है सर,ताकि आपकी रचनाओं तक सहज पहुंचा जा सकें।
    सादर नमन आपको

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    1. https://support.google.com/blogger/answer/99761?hl=en
      संभवतः इससे कार्य हो जायेगा।

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    2. ये ईमेल खुल नहीं रहा है सर,आप यदि फोल्लोवेर्स विजेट लगा दे तो सम्भव हो।

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    3. जी प्रयास करता हूँ।

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    4. जी, फालोअर का विजेट लगा दिया है।

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  5. आपका बहुत आभार। संभवतः नीचे दिये ईमेल मे अपना ईमेल डालने से या ब्लागर में किसी विजेट पर लगाने से पोस्ट स्वतः ही आ जाती है।

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