22.10.14

मेरा भगवन

वह सुन्दर से भी सुन्दरतम,
वह ज्ञान सिन्धु का गर्भ-गहन,
वह विस्तृत जग का द्रव्य-सदन,
वह यशो-ज्योति का उद्दीपन,

वह वन्दनीय, वह आराधन,
वह साध्य और वह संसाधन,
वह रत, नभ नत सा अभिवादन,
वह मुक्त, शेष का मर्यादन,

वह महातेज, वह कृपाहस्त,
वह ज्योति जगत, अनवरत स्वस्थ,
वह शान्त प्रान्त, वह सतत व्यस्त,
वह सुखद स्रोत, दुख सहज अस्त,

वह अनुशासन से पूर्ण मुक्ति,
वह द्वन्द्व परे, परिशुद्ध युक्ति,
वह मन तरंग, एकाग्र शक्ति, 
वह प्रथम चरण, संपन्न भक्ति,

वह आदि, अन्त का वर्तमान,
सब कण राजे, फिर भी प्रधान,
वह प्रश्न, स्वयं ही समाधान,
वह आकर्षण शासित विधान,

वह प्रथम शब्द, वह प्रथम अज्ञ,
वह प्रथम नाद, वह प्रथम यज्ञ,


गुंजायमान प्रतिक्षण वन्दन,
है आनन्दित मेरा भगवन।

5 comments:

  1. वाह प्रातः पठनीय पोएम -मन आनंदित हो गया -प्रफुल्लता से भर गया

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  2. उस वरद - हस्त का करें नमन ।

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  3. Very fine creation - well webbed words. Regards.

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  4. ati sundar. aanandit bhagwan ko satat naman

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