13.9.14

हृदय को तुम भा रही हो

प्रणय की और प्रेरणा की
मूर्ति बनती जा रही हो ।
पंथ की छाया बनी हो,
हृदय को तुम भा रही हो ।।

कोई आकर पूछ ले परिचय तुम्हारा,
जीवनी में पिरोकर अस्तित्व सारा । 
प्रेम की अभिव्यक्ति को, तुम कर्म-सुर में गा रही हो ।
हृदय को तुम भा रही हो ।।१।।

ओट में मन-कल्पना की, और सिमटकर,
रही अब तक स्वप्न-महलों से निकल कर ।
पास आकर, स्वप्न-जल-तल में डुबोती जा रही हो ।
हृदय को तुम भा रही हो ।।२।।

बिसारे अस्तित्व का क्रन्दन भुलाने,
प्रेम-पूरित राग फिर से गुनगुनाने ।
प्रतीक्षित थी, आस-पूरित, जीवनी बन आ रही हो ।
हृदय को तुम भा रही हो ।।३।।

छेड़ती उन्माद से मन की तहों को,
सरसता बिन बीत जाती जीवनी को ।
मधुर सी कविता बनाकर, बाँचती तुम जा रही हो ।
हृदय को तुम भा रही हो ।।४।।

स्वार्थ-पूरित पंक और तुम कमल-दल सी,
खिल रही निश्चिन्त, जीवन में उमड़ती ।
मुस्कराती,प्रेम की, आकृति बनाती जा रही हो ।
हृदय को तुम भा रही हो ।।५।।

सहजता चहुँ ओर डूबी प्रचुर मद में,
आत्म-केन्द्रित जनों से परिपूर्ण जग में ।
अहम्‌ तजकर, प्रेम के, अनुरूप ढलती जा रही हो ।
हृदय को तुम भा रही हो ।।६।।

उमंगों से रिक्त, सूने उपवनों में,
चेतना यदि सुप्त, एकाकी क्षणों में ।
चहकती तुम, प्रेम-पोषित, हृदय को बहका रही हो ।
हृदय को तुम भा रही हो ।।७।।

सोचता हूँ, और मेरा क्या अभीप्सित,
प्रश्न का विस्तार यदि होता असीमित ।
उत्तरों की डोर पकड़े, क्षितिज तक ले जा रही हो ।
हृदय को तुम भा रही हो ।।८।।

दूत बनकर आयी कष्टों को मिटाने,
किन्तु उपजे विरह का संकट हटाने ।
अब सनातन-संगिनी बन, साथ चलती जा रही हो ।
हृदय को तुम भा रही हो ।।९।।

11 comments:

  1. बहुत खूब...

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  2. अकथ काब्य सौन्दर्य समाहित है इस कवितामें ----- "हृदय को तुम भा रही हो। " चित्रण अनूठा यह अलौकिक बोध की / साहित्य तो समृद्ध काब्यानन्द भी / डूब उतराता हृदय उल्लास में / भाव - रस -सम्पृक्त सर्वानन्द भी ।

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  3. बहुत सुन्दर प्रस्तुति।
    --
    आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल रविवार (14-09-2014) को "मास सितम्बर-हिन्दी भाषा की याद" (चर्चा मंच 1736) पर भी होगी।
    --
    चर्चा मंच के सभी पाठकों को
    हिन्दी दिवस की
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  4. अरे कविते ! तुम बहकती जा रही हो ....
    शब्दों में उलझी, भाव उलझा रही हो |

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  5. वाह...सुन्दर और सार्थक पोस्ट...
    समस्त ब्लॉगर मित्रों को हिन्दी दिवस की शुभकामनाएं...
    नयी पोस्ट@हिन्दी
    और@जब भी सोचूँ अच्छा सोचूँ

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  6. man ko pad kr ek sukun sa mila

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  7. बस यूँ ही प्रेम की गंगा बहते चलो.

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  8. सुंदर। आप निरंतर सक्रीय हैं ब्लाग पर यह देखकर अच्छा लगा।

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  9. As usual... very beautiful... AApka blog one of the famous hindi blog ki khabar sunke ke hume bahut garlog ke zariyr he sahi jaante toh hai :)

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  10. खूबसूरत और कोमल भावों से रची बसी कविता ।

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