11.5.11

व्यस्त रहो या मस्त रहो

कितना रखना, कितना तजना,
नैसर्गिक या विधिवत सजना,
संचय कर लूँ या त्याग करूँ,
अनुशासन या अनुराग रखूँ,
कुछ कह दूँ या सहता जाऊँ,
तट रहूँ या संग बहता जाऊँ,

द्वन्द, दिशायें तोड़ सघन होता जाता,
अभिलाषायें, जीवन यह खोता जाता,
किन्तु हृदय में कोई कहता, सुन साथी,
व्यर्थ व्यग्रता जीवन को भरती जाती,
हाथ लिया जो कार्य, उसे निपटा डालो,
स्वप्नों के उपक्रम जीवन में मत पालो,
भय छोड़ो, आश्वस्त रहो,
व्यस्त रहो या मस्त रहो।1।

लम्बा जीवन, विश्राम यहीं,
राहों में भी, संग्राम यहीं,
अतिशय आश्वासन पाकर भी,
शंकायें मन किसने भर दी,
आगत दुख से घबराने का,
जो बीत गया, पछताने का,

निर्माण किये अपने भवनों में खो जाता,
बहुधा प्रात हुयी, मै थककर सो जाता,
प्रकृति-विषम जीवन हमने चुन ही डाला,
व्यर्थ अकारण धधक रही उर में ज्वाला,
तन, मन, जीवन तिक्त रहे, अवसाद रहे,
क्यों खण्डयुक्त जीवन का प्रखर विषाद रहे,
तन-मन साधन है, स्वस्थ रहो,
व्यस्त रहो या मस्त रहो।2।

निर्वात बने पर रुके नहीं,
देखो अब ऊर्जा चुके नहीं,
भरती जाये, बढ़ती जाये,
अधिकारों को लड़ती जाये,
वह स्रोत कहीं से आना है,
हमको ही पता लगाना,

जीवन अपना कुछ दुष्कर है कुछ रुचिकर है,
सुख दुख खींच रहे, जो भी मन अन्तर है,
दशा आत्म की, दिशा पंथ की मायावी,
कहने को, सुख भर लायेंगे, क्षण भावी,
चाह हमारी वर्तमान को प्रस्तुत हों,
क्षितिज ओर हों, पैर धरा से ना च्युत हों
जगते स्वप्नों में व्यक्त रहो,
व्यस्त रहो या मस्त रहो।3।

81 comments:

  1. एक आशावादी जीवन दर्शन!
    कविता कवि के स्वर में ज्यादा आनन्दित करती है !

    ReplyDelete
  2. निर्वात बने पर रुके नहीं,
    देखो अब ऊर्जा चुके नहीं,
    भरती जाये, बढ़ती जाये,
    अधिकारों को लड़ती जाये,
    वह स्रोत कहीं से आना है,
    हमको ही पता लगाना,
    ati uttam ,raaste to hame hi talashne hai sach kaha ......

    ReplyDelete
  3. सुंदर कविता,
    मस्त रहने की इस व्यस्तता में पेट का बहुत बड़ा रोल है।
    यह प्रतिमा जापानी चेहरा ले कर आई है. इस का मूल भारतीय रूप देखना हो तो मथुरा के संग्रहालय में कुबेर की प्राचीन प्रतिमा देखें।

    ReplyDelete
  4. सुंदर कविता,
    मस्त रहने की इस व्यस्तता में पेट का बहुत बड़ा रोल है।
    यह प्रतिमा जापानी चेहरा ले कर आई है. इस का मूल भारतीय रूप देखना हो तो मथुरा के संग्रहालय में कुबेर की प्राचीन प्रतिमा देखें।

    ReplyDelete
  5. मस्‍ती, कभी व्‍यस्‍तता की कभी फुरसत की.

    ReplyDelete
  6. अतिशय आश्वासन पाकर भी,
    शंकायें मन किसने भर दी,
    आगत दुख से घबराने का,
    जो बीत गया, पछताने का,

    इस जद्दोज़हद से निकलें तो शायद वर्तमान को ज्यादा जी सकें ..... हर पंक्ति सधी सी है ...कैसे बाँध लेते है विचारों को इस तरह ...... बधाई

    ReplyDelete
  7. कहने को, सुख भर लायेंगे, क्षण भावी,
    चाह हमारी वर्तमान को प्रस्तुत हों,
    क्षितिज ओर हों, पैर धरा से ना च्युत हों
    जगते स्वप्नों में व्यक्त रहो,
    व्यस्त रहो या मस्त रहो।3

    बहुत अच्छा लिखा है आपने-
    मन का द्वंद्व हटाती ..वर्तमान में जीने की शिक्षा दे रही है आपकी रचना ..
    जो है उसे अपनाओ -
    उसी में जुट कर -
    उसी से सुख पाओ -
    अगर आम आदमी इतनी सी बात समझ ले तो ये जीवन सुखपूर्वक बीते ....
    पर दुःख है यही बात तो समझ में नहीं आती ...!!

    ReplyDelete
  8. भय छोड़ो, आश्वस्त रहो,
    व्यस्त रहो या मस्त रहो।1।
    --------------

    भय छोड़ो, आश्वस्त रहो,
    व्यस्त रहो और मस्त रहो।1।

    ReplyDelete
  9. क्षितिज ओर हों, पैर धरा से ना च्युत हों...
    इस तरह व्यस्त और मस्त रहने की बात ही क्या ...
    सुन्दर कविता ...

    ReplyDelete
  10. मस्त कविता

    ReplyDelete
  11. संपूर्ण दर्शन...वाह!!!

    बहुत उम्दा!!

    ReplyDelete
  12. संवेदशील व्यक्ति के लिए आज व्यस्त रहने के लाखों कारण हैं क्योकि चारो तरफ दुःख बिखरा परा है मानवता त्राहिमाम कर रही है ऐसे में अगर इन सबसे मुक्त होकर मस्त रहना चाहे तो बरा मुश्किल है....कभी कभार सोचने पर लगता है की हम जो जीवन जी रहें हैं ..क्या यही जीवन है...?

    ReplyDelete
  13. प्रेरणादायी रचना जिसमें आशा का नवसंचार निहित है और निहितार्थ भी।

    ReplyDelete
  14. जीवन अपना कुछ दुष्कर है कुछ रुचिकर है,
    सुख दुख खींच रहे, जो भी मन अन्तर है,
    दशा आत्म की, दिशा पंथ की मायावी,
    कहने को, सुख भर लायेंगे, क्षण भावी,

    यही तो जीवन के सत्य हैं जिन्हें समझना आवश्यक है ...पूरे जीवन को सकारात्मक दर्शन में समेट दिया आपने ..आपका आभार

    ReplyDelete
  15. न दुखी करो न ही त्रस्त रहो
    व्यस्त रहो या मस्त रहो ॥

    ReplyDelete
  16. व्यस्त रहो तभी मस्त भी रह सकते हो !
    हर व्यक्ति अपने शौक और रूचि के अनुसार व्यस्त रहता है,यह अलग बात है कि सबकी व्यस्तता मस्त नहीं करती !

    ReplyDelete
  17. जीने की कला के सही प्रयोग से ही जीवन की गुणवत्ता निर्धारित होती है . मस्त कविता .

    ReplyDelete
  18. व्‍यस्‍त रहो या मस्‍त रहो, मेरा मानना है कि व्‍यस्‍त रहो और मस्‍त रहो।

    ReplyDelete
  19. किन्तु हृदय में कोई कहता, सुन साथी,
    व्यर्थ व्यग्रता जीवन को भरती जाती,
    हाथ लिया जो कार्य, उसे निपटा डालो,
    स्वप्नों के उपक्रम जीवन में मत पालो,
    भय छोड़ो, आश्वस्त रहो,
    व्यस्त रहो या मस्त रहो।1।
    कविता का एक एक शब्द जीवन की ऊर्जा बनाये रखने के लिये सक्षम है\ तभी तो हम कमेन्ट मे व्यस्त रहते हैं और मस्त रहते हैं आप जैसों को पढ कर प्रसन्नता से सराबोर। बधाई सुन्दर रचना के लिये।

    ReplyDelete
  20. जीवन अपना कुछ दुष्कर है कुछ रुचिकर है,
    सुख दुख खींच रहे, जो भी मन अन्तर है,
    दशा आत्म की, दिशा पंथ की मायावी,
    कहने को, सुख भर लायेंगे, क्षण भावी,
    चाह हमारी वर्तमान को प्रस्तुत हों,
    क्षितिज ओर हों, पैर धरा से ना च्युत हों
    जगते स्वप्नों में व्यक्त रहो,
    व्यस्त रहो या मस्त रहो।3।
    mast rahna zaruri hai ...

    ReplyDelete
  21. निर्वात बने पर रुके नहीं,
    देखो अब ऊर्जा चुके नहीं,

    बहुत खूब ....आपको शुभकामनायें !!

    ReplyDelete
  22. हाथ लिया जो कार्य, उसे निपटा डालो--सुन्दर ...
    ---व्यस्त रहो और (तभी) मस्त रहो....

    ReplyDelete
  23. तन-मन साधन है, स्वस्थ रहो,
    व्यस्त रहो या मस्त रहो

    सुन्दर अभिव्यक्ति ,शानदार विचार
    आपने बखूबी प्रस्तुत किया है जीवन का सार.
    बहुत बहुत आभार.

    ReplyDelete
  24. बिल्कुल सत्य...
    न दुःखी करो ना त्रस्त रहो
    व्यस्त रहो और मस्त रहो.

    ReplyDelete
  25. चलो दिल्ली दोस्तों अब वक्त अग्या हे कुछ करने का भारत के लिए अपनी मात्र भूमि के लिए दोस्तों 4 जून से बाबा रामदेव दिल्ली के रामलीला मैदान में अनशन पर बैठ रहे हें हम सभी को उनका साथ देना चाहिए में तो 4 जून को दिल्ली जा रहा हु आप भी उनका साथ दें अधिक जानकारी के लिए इस लिंक को देखें
    http://www.bharatyogi.net/2011/04/4-2011.html

    ReplyDelete
  26. 'जीने कला' एक निबंध पढ़ा था महादेवी वर्मा का . आपने bhi जीने की कला सिखा दी " व्यस्त रहो या मस्त रहो " के सन्देश से . सत्यम सुंदरम .

    ReplyDelete
  27. लम्बा जीवन, विश्राम यहीं,
    राहों में भी, संग्राम यहीं,
    अतिशय आश्वासन पाकर भी,
    शंकायें मन किसने भर दी,
    आगत दुख से घबराने का,
    जो बीत गया, पछताने का,

    Awesome !

    .

    ReplyDelete
  28. व्यस्त रहो या मस्त रहो

    बेहतरीन प्रस्‍तुति ।

    ReplyDelete
  29. बढिया कविता ठेल दी आपने... बिलकुल फुरसतिया इशटाइल....लगता है फ़ुरसतिया जी को चौकन्ना रहना पडेगा :)

    ReplyDelete
  30. apan to vyast bhi hain aur mast bhi !:-)

    ReplyDelete
  31. जीवन में नव उर्जा का संचार करती कविता.

    ReplyDelete
  32. किन्तु हृदय में कोई कहता, सुन साथी,
    व्यर्थ व्यग्रता जीवन को भरती जाती,
    हाथ लिया जो कार्य, उसे निपटा डालो,
    स्वप्नों के उपक्रम जीवन में मत पालो,
    भय छोड़ो, आश्वस्त रहो,
    व्यस्त रहो या मस्त रहो ...
    सच है हाथ के काम निपटा कर मस्त रहना चहाइए ... जीवन् में मस्ती के पल चुराने पढ़ते हैं ... मिलते कभी नही ... मज़ा आ गया पढ़ के ....

    ReplyDelete
  33. निर्वात ही तो प्रबल प्रवाह का कारक होता है । जबर्दस्त जीवन दर्शन ।

    ReplyDelete
  34. जीवन अपना कुछ दुष्कर है कुछ रुचिकर है,
    सुख दुख खींच रहे, जो भी मन अन्तर है,
    दशा आत्म की, दिशा पंथ की मायावी,
    कहने को, सुख भर लायेंगे, क्षण भावी,
    चाह हमारी वर्तमान को प्रस्तुत हों,
    क्षितिज ओर हों, पैर धरा से ना च्युत हों
    जगते स्वप्नों में व्यक्त रहो,
    व्यस्त रहो या मस्त रहो

    बहुत ही सुंदर

    विवेक जैन vivj2000.blogspot.com

    ReplyDelete
  35. सकारात्मक सोच का दर्शन्।

    आपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी
    प्रस्तुति भी कल के चर्चा मंच का आकर्षण बनी है
    कल (12-5-2011) के चर्चा मंच पर अपनी पोस्ट
    देखियेगा और अपने विचारों से चर्चामंच पर आकर
    अवगत कराइयेगा और हमारा हौसला बढाइयेगा।

    http://charchamanch.blogspot.com/

    ReplyDelete
  36. मै तो हमेशा मस्त ही रहता हू |

    ReplyDelete
  37. जिस कलात्मक,मनोहारी और प्रभावशाली ढंग से सकारात्मक उर्जा को हमारे ह्रदय तक इस अप्रतिम रचना के द्वारा पहुँचाया है आपने, कि जितना भी आभार दे, प्रशंसा करें,कम है....

    बहुत बहुत बहुत ही सुन्दर रचना...

    मन आनंद से भर गया पढ़कर...बहुत बहुत आभार...

    ReplyDelete
  38. भय छोड़ो, आश्वस्त रहो,
    व्यस्त रहो या मस्त रहो

    बेहतरीन प्रस्‍तुति

    ReplyDelete
  39. Anonymous11/5/11 16:53

    bahut acchi poem hai sir!!
    .
    .
    .
    shilpa

    ReplyDelete
  40. निर्वात बने पर रुके नहीं,
    देखो अब ऊर्जा चुके नहीं,
    भरती जाये, बढ़ती जाये,
    अधिकारों को लड़ती जाये,
    वह स्रोत कहीं से आना है,
    हमको ही पता लगाना है,

    ये पंक्तियाँ धरती पर आए प्रत्येक जीव का संघर्ष व्यक्त करती है. बहुत ही अच्छी रचना है प्रवीण जी.

    ReplyDelete
  41. सकारात्मक विचारों को प्रवाहमान करती शब्द सरिता ........
    एक सुझाव-कविताओं के प्रकाशन की गति भी ऐसी ही अविरल रहनी चाहिये :)

    ReplyDelete
  42. व्यस्त रहो तभी मस्त भी रह सकते हो !
    बहुत अच्छा लिखा है आपने

    ReplyDelete
  43. तन, मन, जीवन तिक्त रहे, अवसाद रहे,
    क्यों खण्डयुक्त जीवन का प्रखर विषाद रहे,
    तन-मन साधन है, स्वस्थ रहो,
    व्यस्त रहो या मस्त रहो ।

    अवसाद और विषाद को परे रखने के लिए व्यस्त और मस्त रहना ही होगा।
    उत्तम रचना।

    ReplyDelete
  44. "हाथ लिया जो कार्य, उसे निपटा डालो,
    स्वप्नों के उपक्रम जीवन में मत पालो,
    भय छोड़ो, आश्वस्त रहो,
    व्यस्त रहो या मस्त रहो।1।"

    बस व्यस्त रहो और मस्त रहो !!
    आशावादी जीवन-दर्शन ...!!

    ReplyDelete
  45. .
    .
    .
    मस्त, एकदम मस्त!



    ...

    ReplyDelete
  46. संपूर्ण दर्शन,सुंदर भावाव्यक्ति,शब्दों का चयन बहुत अच्छा बधाई .....

    ReplyDelete
  47. बहुत सुंदर कविता, हम तो व्यस्त रहने वाले हे, ओर इसी व्यस्ताता मे मस्त हे

    ReplyDelete
  48. मस्त रहने का सरल तरीका..व्यस्त रहो।
    ..मूल मंत्र गांठ बांध लिया।

    ReplyDelete
  49. Praveen bhai...bole to jakas...Ekk jadu ki jhappi dene ka mood kar raha hain..:-)...Keep writing!!!

    ReplyDelete
  50. काफी कुछ सोचने को मजबूर कर गयी आपकी यह कविता...

    ReplyDelete
  51. लम्बा जीवन, विश्राम यहीं,
    राहों में भी, संग्राम यहीं,
    अतिशय आश्वासन पाकर भी,
    शंकायें मन किसने भर दी,
    आगत दुख से घबराने का,
    जो बीत गया, पछताने का

    बहुत खूबसूरती से ज़िंदगी के फलसफे को बताया ..

    ReplyDelete
  52. @अनूप शुक्ल
    बहुत धन्यवाद आपका।

    @डॉ॰ मोनिका शर्मा
    यह पशोपेश सदा ही रहता है, शंकायें हमारा रास्ता रोक कर खड़ी हो जाती हैं।

    @anupama's sukrity !
    सच कहा, वर्तमान में जी लेने को ही हमें अपने जीवन का आधार बनाना होगा।

    @Gyandutt Pandey
    समस्या तो तभी आती है जब व्यस्तता नहीं होती है।

    ReplyDelete
  53. @Arvind Mishra
    गीत नहीं गा पा रहा हूँ, कारण भी लिखूँगा और प्रसंग भी।

    @ज्योति सिंह
    बहुधा मन खाली हो जाता है, यदि उसे ऊर्जा से न भरा गया तो नैराश्य से भर जाता है।

    @दिनेशराय द्विवेदी
    मन स्थिर रहेगा तो प्रसन्न भी रहेगा। कुबेर की प्रतिमा देखी, संतुष्टि पूरी दिखी पर मस्ती नहीं।

    @Rahul Singh
    पर सदा ही प्रसन्नता बनी रहे।

    ReplyDelete
  54. @वाणी गीत
    नकारात्मकता को समय ही न दिया जाये तनिक भी।

    @Kajal Kumar
    बहुत धन्यवाद आपका।

    @Ratan Singh Shekhawat
    बहुत धन्यवाद आपका।

    @Udan Tashtari
    सदा कुछ न कुछ करते रहना चाहिये।

    @honesty project democracy
    जब व्यस्तता न हो तो मस्त ही रहा जाये।

    ReplyDelete
  55. @मनोज कुमार
    बहुत धन्यवाद आपका।

    @: केवल राम :
    इसी द्वन्द को भरते भरते हमारा जीवन निकल जाता है।

    @Smart Indian - स्मार्ट इंडियन
    सच बात है, मस्त रहा जाये।

    @संतोष त्रिवेदी
    व्यस्तता मस्त नहीं करती है, मस्ती अलग से हो।

    @ashish
    जीवन की गुणवत्ता बनी रहे।

    ReplyDelete
  56. ये पोस्ट बड़ी है मस्त मस्त

    ReplyDelete
  57. @सदा
    बहुत धन्यवाद आपका।

    @चंद्रमौलेश्वर प्रसाद
    फुरसतिया जी से सीख रहे हैं मस्त रहना।

    @बाबुषा
    उसी में आनन्द है।

    @shikha varshney
    बहुत धन्यवाद आपका।

    @दिगम्बर नासवा
    सच कहा आपने, जीवन में ऐसे पल चुराकर ही मस्त रहा जा सकता है।

    ReplyDelete
  58. @ajit gupta
    हर व्यस्तता में मस्त रहना संभव नहीं हो पाता है।

    @निर्मला कपिला
    बहुत धन्यवाद आपका। व्यस्तता के साथ मस्त रहने की भी राह बनाये रहनी होगी।

    @रश्मि प्रभा...
    सच कहा आपने, जीवन के लिये बहुत आवश्यक है यह।

    @सतीश सक्सेना
    बहुत धन्यवाद आपका।

    @Dr. shyam gupta
    सदा ही व्यस्त रहना भी आनन्द नहीं देता है, दुख से ध्यान अवश्य हटा देता है।

    ReplyDelete
  59. @Rakesh Kumar
    बहुत धन्यवाद आपका।

    @सुशील बाकलीवाल
    सच यही है।

    @अमीत तोमर
    बहुत धन्यवाद आपका।

    @गिरधारी खंकरियाल
    पता नहीं पर अपने ऊपर लागू करता रहता हूँ।

    @ZEAL
    बहुत धन्यवाद आपका।

    ReplyDelete
  60. @mahendra srivastava
    बहुत धन्यवाद आपका।

    @Abhishek Ojha 
    बहुत धन्यवाद आपका।

    @संजय भास्कर
    बहुत धन्यवाद आपका।

    @mahendra verma
    द्वन्द से ऊपर उठना होगा।

    @***Punam***
    बहुत धन्यवाद आपका।

    ReplyDelete
  61. @प्रवीण शाह
    बहुत धन्यवाद आपका।

    @Sunil Kumar
    बहुत धन्यवाद आपका।

    @राज भाटिय़ा
    व्यस्तता में भी मस्ती रहे तो क्या बात है।

    @देवेन्द्र पाण्डेय
    व्यस्त रहते रहते भी मन अकुला जाता है।

    @Rahul Kumar Paliwal
    बहुत धन्यवाद आपका, इस उत्साहवर्धन के लिये।

    ReplyDelete
  62. @रंजना
    व्यस्त और मस्त छोरों के बीच जीवन समेटने का प्रयास करता हूँ।

    @कुश्वंश
    बहुत धन्यवाद आपका।

    @Shilpa
    बहुत धन्यवाद आपका।

    @Bhushan
    जब हमारी ऊर्जा का स्रोत अनवरत हो जायेगा, निर्वात नहीं आयेगा।

    @निवेदिता
    आप सबके कहने से कविता लेखन में और ध्यान देना प्रारम्भ किया है।

    ReplyDelete
  63. @ज़ाकिर अली ‘रजनीश’
    व्यस्त रहना मस्ती दे न दे, मस्त रहना तो होगा ही।

    @अमित श्रीवास्तव
    निर्वात होने पर ही विचारधारायें घेरने का प्रयास करती हैं।

    @Vivek Jain
    बहुत धन्यवाद आपका।

    @वन्दना
    बहुत धन्यवाद आपका, इस सम्मान के लिये।

    @नरेश सिह राठौड़
    और रहना भी चाहिये।

    ReplyDelete
  64. @Shah Nawaz
    बहुत अधिक सोचने से द्वन्द गहरा जाता है।

    @संगीता स्वरुप ( गीत )
    बहुत धन्यवाद आपका।

    @ Navin C. Chaturvedi
    व्यस्त मस्त का चक्र है यह।

    ReplyDelete
  65. पहली बार आपके ब्लॉग पर कविता पढ़ी..मस्त.


    _____________________________
    पाखी की दुनिया : आकाशवाणी पर भी गूंजेगी पाखी की मासूम बातें

    ReplyDelete
  66. लम्बा जीवन, विश्राम यहीं,
    राहों में भी, संग्राम यहीं,
    अतिशय आश्वासन पाकर भी,
    शंकायें मन किसने भर दी,
    आगत दुख से घबराने का,
    जो बीत गया, पछताने का,

    saahityik rachna/.....

    ReplyDelete
  67. प्रेरणादायी रचना जिसमें आशा का नवसंचार निहित है| धन्यवाद|

    ReplyDelete
  68. @ Akshita (Pakhi)
    पाखीजी अब तो कविता लिखते रहेंगे।

    @ CS Devendra K Sharma "Man without Brain"
    बहुत धन्यवाद आपका।

    @ Patali-The-Village
    व्यस्तता और मस्ती में ही प्रेरणा पल्लवित होती है।

    @ mridula pradhan
    बहुत धन्यवाद आपका।
    @

    ReplyDelete
  69. जगते स्वप्नों में व्यक्त रहो,
    व्यस्त रहो या मस्त रहो।
    बहुत सुन्दर रचना |

    ReplyDelete
  70. beautiful positive
    poem

    ReplyDelete
  71. मस्‍त रहो मस्‍ती में,
    आग लगे बस्‍ती में।

    ReplyDelete
  72. kuchh maitri kuchh apnapan hai.
    inmen jivan hai, darshan hai.
    kya baat hai.

    ReplyDelete
  73. मीनाक्षी जी की ईमेल से प्राप्त टिप्पणी

    जगते स्वप्नों में व्यक्त रहो,
    व्यस्त रहो या मस्त रहो। --
    जाने क्यों आजकल पोस्ट पढ़ने के बाद टिप्पणी नहीं कर पाते.... पेज खुलता ही नहीं...
    अब इतनी मस्त कविता पढ़ कर बिना टिप्पणी किए कैसे रह पाते.... सो मेल कर रहे हैं...
    बहुत खूबसूरती और सहजता से जीने की कला समझा दी ..
    मीनाक्षी

    ReplyDelete
  74. प्रवीण पाण्डेय जी सुन्दर रचना व्यस्त रहो मस्त रहो शीर्षक ही सब कुछ कह गया हम अपने जीवन को क्लिस्ट बना जलते रहते हैं -काश ये रचना सब का ध्यान खींचे -
    प्रकृति-विषम जीवन हमने चुन ही डाला,
    व्यर्थ अकारण धधक रही उर में ज्वाला,
    तन, मन, जीवन तिक्त रहे, अवसाद रहे,
    क्यों खण्डयुक्त जीवन का प्रखर विषाद रहे,

    शुक्ल भ्रमर ५

    ReplyDelete
  75. very nice article you write this article in the meaningful way thanks for sharing this.
    plz visit my website

    ReplyDelete