16.2.11

नोकिया और माइक्रोसॉफ्ट

बहुत अन्तर नहीं पड़ता किसी को, यदि मोबाइल का उपयोग मात्र बात करने के लिये ही किया जाता, पर न जाने क्या ललक है मानव मन की, जो हथेली के आकार के मोबाइल फोन से सब कुछ कर डालना चाहता है। श्रेष्ठतम पा लेने का यह उपक्रम, न केवल वातावरण को जिज्ञासु बनाये रखता है वरन मोबाइल बाजार में भी जीवन्तता बरसाये रहता है।

ऐसी ही एक हलचल हुयी पाँच दिन पहले जब नोकिया और माइक्रोसॉफ्ट ने हाथ मिला लिया और निश्चय किया कि आगे आने वाले नोकिया के सारे स्मार्टफोन विण्डो फोन 7 पर चलेंगे।

आप अपने मोबाइल से केवल बात ही करते हैं तो हजार रुपये से अधिक न व्यय करें उस पर। पर यदि आपके लिये मोबाइल का उपयोग अधिक है तो इस हलचल का मन्तव्य समझना होगा। उनके लिये महत्व और बढ़ जाता है जो अपने लैपटॉप या डेस्कटॉप और अपने मोबाइल के बीच नियमित समन्वय बनाये रखते हैं। इण्टरनेटीय क्लॉउड में अपनी सूचनायें और सामग्री रखने वालों के लिये इसे और भी गहनता से समझना चाहिये। मोबाइल, लैपटॉप और इण्टरनेट के त्रिभुज के बीच छिपा है आपके डिजिटल जीवन का रहस्य। यदि आप इन तीनों को भिन्नता में देखते हैं तो आप इस विकासीय त्रिभुज की परिधि से बाहर हैं।

मैं जब से विण्डो फोन उपयोग में ला रहा हूँ, मेरे लिये इस त्रिभुज में बने रहना बड़ा सरल हो चला है। सभी संपर्क, कार्य, समयबद्धता, नोट्स, लेखन और सूचना उपलब्धता, इन सभी क्षेत्रों में मोबाइल, लैपटॉप या इण्टरनेट पर किया हुआ कोई भी संपादन स्वमेव अन्य में पहुँच जाता है। कुछ सूझा, मोबाइल पर फ्रीहैण्ड से लिख लिया, लैपटॉप पर बैठे और उसमें कुछ जोड़ दिया। लेख और अनुसंधान एक दिन में अवतरित नहीं होते हैं, उस दृष्टि से इस प्रकार निर्बाध निर्माण होता है विचार-प्रवाह का। अन्य जनों की भागीदारी भी इण्टरनेट के माध्यम से समन्वय पा जाती है।

इस युद्ध में अब तीन योद्धा हैं, एप्पल जो अपना सॉफ्टवेयर और मोबाइल स्वयं बनाता है, गूगल जो एक ओपन सोर्स मंच तैयार कर रहा है और तीसरा यह गठबंधन नोकिया और माइक्रोसॉफ्ट का।

हर देश के लिये इस संघर्ष के संदर्भ अलग हो सकते हैं पर भारत के लिये इसका विशेष महत्व है। देश के लगभग 95 प्रतिशत से अधिक कम्प्यूटर माइक्रोसॉप्ट के सॉफ्टवेयर उपयोग में ला रहे हैं। नोकिया के मोबाइल लगभग 54 प्रतिशत लोगों के हाथों में हैं। जहाँ एक ओर माइक्रोसॉफ्ट मोबाइल क्षेत्र में अपनी पहुँच बढ़ाने के लिये प्रयासरत है, वहीं दूसरी ओर सुदृढ़ मोबाइल सॉफ्टवेयर के आभाव में नोकिया के हाथ से मोबाइल का बाजार खिसकता जा रहा है। यह गठबंधन जहाँ इन दोनों के लिये लाभप्रद है, वहीं हम उपयोगकर्ताओं के लिये समन्वय की दृष्टि से सरल है।

नोकिया की क्षमता मोबाइल सेटों के दमखम में है। बनावट, भाषा समर्थन, जनसाधारण तक पहुँच, मानचित्र और ओवी स्टोर का लाभ विण्डो फोन 7 के फोनों को मिलेगा। माइक्रोसॉफ्ट की क्षमता सॉफ्टवेयर में है। बिंग खोज, प्रचारतंत्र, एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर, विण्डो लाइव और ऑफिस डॉकुमेन्ट्स नोकिया के फोनों को और स्मार्ट बना देंगे। बहुत संभावना है कि हिन्दी कीबोर्ड उसमें आ जाये क्योंकि नोकिया सी5 में हिन्दी कीबोर्ड को लाया जा चुका है।

एप्पल के मोबाइल निसन्देह तकनीक के कई पक्षों में अग्रणी हैं पर उनकी कारागारीय मानसिकता में बँध कर रहना भारतीयों को भाता नहीं है। गूगल को विकास के लिये खुला मंच प्राप्त है पर अपना ओ एस न होने से लैपटॉप से समन्वय में उनकी सक्षमता बहुत कम है क्योंकि इण्टरनेट पर सतत निर्भरता भारत में अधिक संभव नहीं है। दोनों ही हिन्दी के क्षेत्र में अपने अपने उपेक्षा स्वर व्यक्त कर रहे हैं। इन स्थितियों में यह गठबंधन सशक्त लगता है और भारत के लिये अधिक संभावनाये लिये हुये है। भारत में पूर्ववर्णित त्रिभुज की समग्रता से देखें तो यही घोड़ा आगे निकलेगा।

मेरे विण्डो फोन को साढ़े तीन साल हो चुके हैं, हम दोनों एक दूसरे से प्रसन्न और संतुष्ट हैं। नोकिया के विण्डो फोन 7 की प्रतीक्षा करने को तैयार हूँ, अगले एक वर्ष तक, संभव है उसके पहले ही मुझे नया मोबाइल मिल जायेगा।  

85 comments:

  1. नोकियो का फ़ोन ही भाता है।
    और इससे काम करने की आदत पड़ गयी है।

    चलिए इंतजार करते हैं नोकिया के विण्डो फोन 7 की।

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  2. अच्छी जानकारी. फिलहाल मेरा नोकिया x-2 हिन्दी की-बोर्ड और मिनी आपेरा साफ्टवेअर के कारण लेपटाप के 20-25% तक कार्य तो संचालित करवा ही देता है । शायद आगे और भी नया कुछ हाथ में आ पावे ।

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  3. नोकिया और माइक्रोसॉफ्ट का तालमेल वास्तव में एक अद्भुत और उल्लेखनीय घटना है.आपने सही कहा है की भारतीय परिस्थितियां नोकिया के काफी अनुकूल पड़ती हैं.नोकिया के बेसिक फ़ोन निःसंदेह अच्छे हैं,पर स्मार्टफोन के फीचर,लुक के मामले में वह अभी तक फिसड्डी ही रहा है.उसके फ़ोन हैंग या वाइरस की भी बीमारी से ज्यादा ट्रस्ट रहते हैं.कुछ इन्हीं कारणों से अपन सैमसंग की और मुख़ातिब हुए जिसमें गूगल बाबा का असीमित संसार android os के रूप में काफ़ी विकल्प देता है.documentation का भी भरपूर इंतज़ाम है.

    आपकी प्रतीक्षा सुखद हो,नए अनुभवों से हमें नवाजें और हिंदी का की-बोर्ड हो,हमारी यही शुभकामनाएँ हैं !

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  4. मेरे पास मेरे मोबाईल का इतना अधिक सीमित उपयोग है कि कभी तो खुद डायल कर लेता हूँ कि बज भी रहा है कि नहीं..महीने के १५० मिनट का प्लान है..१४५ मिनट वेस्ट ही जाते हैं..५ मिनट भी पत्नी वाले..वरना पूरे १५० बेकार हो जाते. लेपटॉप वाई फाई से लगभग हर जगह जुड़ा ही है तो चोटी स्क्रीन का युवाओं की तरह मोह नहीं जागता बेवजह!!


    भारत की परिपेक्ष में बात निश्चित ही दूसरी है!!

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  5. मुझे भी एक नया फ़ोन खरीदना है जल्दी ही ,लेकिन एक साल इन्तजार नही हो पायेगा . तब तक कौन सा खरीदु जिसमे नेट , वाईफ़ाई,अच्छा कैमरा, ३ जी जैसी सुविधाये हो और ज्यादा मंहगा भी ना हो . मुझे सुझाये . नोकिया हो तो बेहतर रहेगा क्योकि मुझे वह उधार मिल जायेगा और शायद रु. भी ना देना पडे

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  6. फ़िलहाल तो अपने लिये हजार वाला फ़ार्मूला ही ठीक है :)

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  7. निश्चय ही आने वाला वक्त दुनिया मेरी मुट्ठी में है या मेरे मोबाईल में है का होने वाला है........ये स्थिति संचार क्रांति के शक्ति का सवाधिक शक्तिशाली रूप होगा .......लेकिन आप जैसे अधिकारी जहाँ इस साधन का उपयोग अपने पदों और अधिकारों का प्रयोग कर देश और व्यवस्था को ज्यादा से ज्यादा जनउपयोगी और पारदर्शी बनाने के लिए कर रहें हैं ...वहीँ दूसरी ओर इस साधन का उपयोग कर देश का जिला प्रशासन जहाँ इस देश के गांवों के लोगों को एक बेहतर प्रशासन दे सकता था की ओर से इसे अप्रभावी तथा आम लोगों के लिए अनुपयोगी बनाने का षड्यंत्र किया जा रहा है.......हजारों करोड़ के बजट के बाबजूद ज्यादातर मंत्री,सांसद,विधायक,IAS व IPS अधिकारी के इ.मेल ID तक नहीं हैं......और है भी तो वो उसे सालों देखते या प्रयोग तक नहीं करते है........वहीँ दूसरी ओर मेरे कई ऐसे पत्रकार मित्र हैं जो बरे ब्रांड के मिडिया हाउसों की नौकरी छोड़कर इसी साधन का प्रयोग कर अपने जिले के लाखों लोगों तक रोज जनउपयोगी समाचार भी पहुंचाकर उन्हें जागरूक बना रहें हैं..........इतना तो तय है की सरकार में बैठे जिम्मेवार मंत्री अगर ईमानदारी से इस साधन का गंभीरता से प्रयोग करे तो इस देश के गांवों के लोगों के हाथों में सरकार की बागडोर होगी और वह दिन असल प्रजातंत्र का सबसे सुखद दिन होगा.....और इन मोबाईल के असल ताकत का भी....

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  8. माइक्रोमेक्स के फोन में भी विंडो वर्जन वाला फोन उपलब्ध है जो इन सबसे से सस्ता है |

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  9. नोकिया और माइक्रोसॉफ्ट का तालमेल वास्तव में एक अद्भुत और उल्लेखनीय
    मोबाईल संचार क्रांति का सवाधिक शक्तिशाली रूप है
    ...बहुत ही उपयोगी जानकारी

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  10. बढ़िया जानकारी दी आपने आने वाले आधुनिक मोबाईल के बारे में । देखते हैं । वैसे मैं तो अपने डेस्कटाप से ही सारे खेल खेलने की प्रयास करता हूं । धीरे धीरे मोबाईल को ये कंपनियां सुपर कंप्यूटर बना देंगी । जानकारी लेख के लिये आभार ।

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  11. बढ़िया जानकारी दी है आपने मगर मुझे जो आनंद डेस्कटॉप में आता है वह कहीं नहीं ! शायद प्रैक्टिस की कमी है ! ट्राई करता हूँ !

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  12. माइक्रोसॉफ्ट और नोकिया का मिलन मजबूरी के साथ साथ पूरक होने का परिचय है जैसे लंगड़े और अंधे का मिलन!


    ....देखने वाली बात है कि बाजार कैसे इसे लेता है|हाँ ...हमारी शुभकामनाएं केवल आपके लिए !
    ....क्योंकि हम तो आने वाले समय में एनड्राएड के खेमे में जाने को तैयार बैठे हैं|

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  13. मेरे पास आठ वर्ष पुराना सोनी का मोबाइल है... बढ़िया चल रहा है... जब कभी आवश्यकता पड़ती है इससे इन्टरनेट चला लेता हूं.. बाकी गैलेक्सी टैब के दाम आधे हो जायें तो खरीदने की हिम्मत जुटा पाऊंगा..

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  14. विंडो based मोबाइल पर काम करना बहुत भाता है ..HTC पर सालो काम किया है पर पास एक ही कमी थी ... मोबाइल वाटर प्रूफ नहीं था

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  15. hazari ka samuchit up-bhog nahi kar
    pa raha hoon.....bakiya.....aapke
    tribhuj wali formula....agar hum jaise karne lage.....to trishanku banne me der na lagegi....

    pranam.

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  16. बढ़िया जानकारी भरा आलेख . मै तो पिछले ८ महीने से एप्पल का आइ फ़ोन प्रयोग कर रहा हूँ . शायद नोकिया का विंडो ७ वाला स्मार्ट फ़ोन जेब पर बहुत भारी हो?

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  17. achchi research hai mobile pe...sundar prastuti!!!!

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  18. मेरे पास तो डेस्कटॉप पर भी अभी विंडो ९७ ही चल रहा है देखते है भविष्य ऊंट किस करवट बैठता है

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  19. अच्छी जानकारी दी आपने, मैने भी इसी रविवार को नोकिया 5233 लिया है जिसमे ओपेरा मिनी के सहारे ब्लाग पढ लेता हूँ और फिर कम्पयूटर से हिन्दी मे कमंेट करता हूँ, आपकी पोस्ट भी सुबह मोबाईल पर ही पढी थी
    कमेन्ट अब कम्पयूटर से।

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  20. माइक्रोसॉफ्ट अब नोकिया को भी ले डूबेगा :)

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  21. आपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी
    प्रस्तुति भी कल के चर्चा मंच का आकर्षण बनी है
    कल (17-2-2011) के चर्चा मंच पर अपनी पोस्ट
    देखियेगा और अपने विचारों से चर्चामंच पर आकर
    अवगत कराइयेगा और हमारा हौसला बढाइयेगा।

    http://charchamanch.blogspot.com/

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  22. maine kal hi Spice ka cell liya quarty pad ke saath..akhir nokia ke layak budget nahi tha..! but uske through blog open karne par hindi nahi padhi jaati...iske liye kya karna parega..ye koi bata deta to meri lottery lag jaati..:)

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  23. हम तो थाली-कटोरे वाले लोग हैं, रोटी अलग और सब्‍जी अलग। पीजा की तरह सबकुछ एक में ही नहीं। इसलिए मोबाइल अलग और कम्‍प्‍यूटर अलग। काहे को सारा दिन खट-खट करना। वैसे मुझे भी नया मोबाइल खरीदना है लेकिन सीधा-सादा सा।

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  24. rochak jankari
    bahut sunder
    aapka aabhar

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  25. बहुत टेकनीकल बात है, समझ में आना ही कठिन है ...सादा फ़ोन ही ठीक है....

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  26. बहुत महत्वपूर्ण सूचना दी है आपने...मैं भी नया मोबाईल फोन खरीदने की सोच रहा था लेकिन अब साल भर इंतज़ार करूँगा...

    नीरज

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  27. आपने मोबाईल फ़ोनों के तकनीकी पक्ष को अच्छे से रखा है ...
    मैं ७ वर्ष तक नोकिया प्रयोग करने के बाद पिछले २ वर्षों से एप्पल प्रयोग कने लगा हूँ ... और युसर की तरह बोलूँ तो जो मजा एप्पल के इस्तेमाल में है ... नोकिया उससे बहुत बहुत पीछे है ....

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  28. sir ..good information with ads...Thankyou.

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  29. "मेरे विण्डो फोन को साढ़े तीन साल हो चुके हैं, हम दोनों एक दूसरे से प्रसन्न और संतुष्ट हैं। "

    आधुनिक तकनीकी का कमाल है , मगर एक बात जरूर कहूँगा कि जो लोग मोबाईल को कंप्यूटर के स्थान पर अधिक उपयोग में ला रहे है, अपनी आँखों के प्रति सचेत रहें ! ४५-५० के बाद ये आंखे कष्ट देना शुरू कर देती है !

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  30. नोकिया अपना भी फेवरेट है ..इंडिया के परिपेक्ष में वाकई उपयोगी होगा.

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  31. बहुत ही बढ़िया एनालिसिस किया है आपने तो....

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  32. अपनी तो कोई पसंद ही नही बच्चो के पुराने मोबाईल हम ले लेते हे, जिस मे सब कुछ होता हे, लेकिन हमे तो कुछ भी नही चाहिये, फ़ोन भी नही करते, ना ही कोई हमे मोबाईल पर फ़ोन करता हे, जब कि मुझे मेरे मोबाईल मे अनलिम्टिड फ़ोन की सुबिधा हे, लेकिन किस का दिमाग खाये? किसी के पास समय नही, ओर हमारे पास भी इतना समय नही ....लेकिन अच्छी जानकारी दी आप ने धन्यवाद

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  33. अच्छी जानकारी ...लेकिन सबको इतना तकनीकि होने की क्या ज़रूरत ...अलग अलग ही खटराग अच्छा है ...

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  34. बहुत अच्छा लगता है जब आप कुछ हट कर लिखते है | आपके द्वारा किया गया विश्लेषण बहुत लोगो के काम आएगा |धन्यवाद |

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  35. नोकिया विण्डो फोन 7 के आगमन एवं एप्पल के जटिलताओं पर अच्छा आलेख.........बहुत ललित...........

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  36. tab तो नया mobile लेने की yojnaa abhi sthagit ही rakhna uchit rahega...

    आभार आपका...

    waise mujhe bhi nokia hi sahi lagta hai..

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  37. आपकी तकनीक की भी दक्षता स्पृहणीय है ,अच्छी जानकारी !

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  38. ",,,पर अपना ओ एस न होने से लैपटॉप से समन्वय में उनकी सक्षमता बहुत कम है..."
    यह स्टेटमेंट थोड़ा सा त्रुटिपूर्ण है.
    और, प्रसंगवश, एन्ड्रायड प्लेटफ़ॉर्म ने पिछले वर्ष 900 प्रतिशत से अधिक प्रगति दिखाई थी. इस वर्ष इसके और कई-कई गुना होने के अनुमान हैं.
    मोबाइल फ़ोनों के मामले में माइक्रोसॉफ़्ट तो अभी साफ तौर पर पिछड़ा हुआ ही लगता है. देखें आगे क्या होता है.

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  39. सुंदर जानकारी मिली, पर हम तो मोबाईल से बहुत दूर रहते हैं.:)

    रामराम.

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  40. अच्छा हुआ कि हम बच गए.... हम सेल ही नहीं रखत्ते :)

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  41. mere pass toh nokia ka wo phone hai jisse main pichle 5 saalon se chala rhe hu!!

    ab iss post pe main kya aur likhu :P

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  42. बहुत अच्छी और काम की जानकारी मिली।
    कभी कभी सोचता हूं ये तकनीक हमें कुछ दे रहे हैं या हमारा बहुत कुछ ले रहे हैं। पता नहीं।

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  43. विन्डो बिन सब सून।

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  44. दोनों ही अपने-अपने क्षेत्र के दिग्गज...... इनका तालमेल वाकई एक क्रांति का सूचक है.

    आपका विश्लेषण भी बहुत सही है.

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  45. Anonymous16/2/11 23:50

    koi blackberry ki baat kyon nahin karta ? phone main kya chahiye jo blackberry main nahin hai .

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  46. मेरे लिए कई सारी नई जानकारियां थीं पोस्ट में...... अच्छा रहा यह विश्लेषण

    मेरे विण्डो फोन को साढ़े तीन साल हो चुके हैं, हम दोनों एक दूसरे से प्रसन्न और संतुष्ट हैं।

    यह बात तो बड़ी अच्छी लगी..... :) आजकल तो गेजेट का कुछ ऐसा क्रेज़ है की कुछ महीने में उकता जाते हैं लोग..... कभी कभी ज़रुरत नहीं होती तो भी बदल भी डालते हैं.....

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  47. टिप्पणियाँ भी वैसी ही गज़ब की हैं जैसा गज़ब नोकिया और माइक्रोसोफ्ट जैसे दो महारथी मोबाइल बाज़ार में ढाने वाले हैं। यह समझौता न भी होता तो भी गूगल के बाजे तो और भी कई दिशाओं से बजने वाले हैं।

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  48. तकनीक से सूचना और संचार में होती क्रांति- खुद को तैयार करते तक अगला धमाका हो जाता है.

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  49. यदि मुक्त सॉफ्टवेयर अपनाया होता तो बेहतर था।

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  50. Gazab Praveenjee
    Takneekee vishay par
    itna saral, suljha hua, soch aur
    soochna se bhara lekh likh kar
    hamara gyanvardhan karne ke liye
    dhanyawaad. New York mein abhi tak
    is tribhuj ke baare mein meree jaankaaree aapkee tulna mein badee kam hai.

    ReplyDelete
  51. Gazab Praveenjee
    Takneekee vishay par
    itna saral, suljha hua, soch aur
    soochna se bhara lekh likh kar
    hamara gyanvardhan karne ke liye
    dhanyawaad. New York mein abhi tak
    is tribhuj ke baare mein meree jaankaaree aapkee tulna mein badee kam hai.

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  52. बहुत ही अच्‍छी जानकारी ...आभार ।

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  53. अच्छी जानकारी शेयर करने के लिए आभार. हिंदी की-बोर्ड आने से निश्चय ही लोकप्रियता बढ़ेगी.

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  54. अच्छी जानकारी शेयर करने के लिए आभार. हिंदी की-बोर्ड आने से निश्चय ही लोकप्रियता बढ़ेगी.

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  55. अच्छी जानकारी|
    आपने बहुत ही बढ़िया एनालिसिस किया है|

    ReplyDelete
  56. achchi jankari k liye aabhar

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  57. क्यूँ पढूं जी आपका ये पोस्ट???
    मेरे पास तो नहीं है विंडो मोबाइल..हाँ, नोकिया जरूर है...n73...
    हाँ अगर आप मुझे नोकिया विंडो ७ फोन दिलाने की बात सोच रहे हैं तो बस इशारा कीजिये, कमेन्ट क्या, एक पोस्ट लिख दूँगा जवाब में :) :)

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  58. बहुत ही बढ़िया जानकारी दी है आपने.
    शुभ कामनाएं

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  59. hmmmmmmmmm..........मतलब जानकारी के बहाने आपने पता ही दिया कि आप विंडो मोबाइल इस्तेमाल कर रहे हैं....:):)

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  60. मैने ताव में आकर नोकिया का N-86 खरीद लिया। लेकिन उपयोग केवल फोनबुक सहेजने और काल करने के लिए हो पाता है। एक उंगली से नेट सर्फ़िंग करना आसान नहीं है। वैसे भी घर और ऑफिस में कंप्यूटर और नेट उपलब्ध हो तो मोबाइल को क्या कष्ट देना। फील्ड में काम करने वालों के लिए यह सुविधा उपयोगी होगी।

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  61. लगता है, मैं तो अठारहवीं शताब्‍दी में जी रहा हूँ। लेप टॉप से की बोर्ड जोड रखा है और कुंजी पटल पर हिन्‍दी वाले स्‍टीकर चिपका रखे हैं। दो अंगुलियों से टाइप करता हूँ - देख देख कर।

    भला बताइए, जो कुछ आपने लिखा है, वह मेरे पल्‍ले कितना पडा होगा।

    अपन को तो हजारवाला मामला भी ज्‍यादा लगता है।

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  62. पाण्डेय जी सर्वदा की तरह अतीव सुन्दर शब्द चित्रण व कौशलपूर्ण व्याख्या । साधुवाद ।
    नोकिया का मोबाइल फोन के उपयोग तक तो अच्छा सुख दे रहा है किन्तु सामान्य विन्डो सेवा की उसकी वर्तमान असमर्थता निराशा उत्पन्न करती है । अब तो आतुरता से वर्ष के अंत में आने वाले नोकिया के विण्डो फोन की प्रतीक्षा है ।

    ReplyDelete
  63. अच्छी जानकारी मिली....
    ______________________________
    'पाखी की दुनिया' : इण्डिया के पहले 'सी-प्लेन' से पाखी की यात्रा !

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  64. नोकिया और माइक्रोसॉफ्ट का तालमेल वास्तव में एक अद्भुत और उल्लेखनीय घटना है । आप ने कितनी जानकारी भरी पोस्ट लिखी है पर हम तो त्रिकोण से बाहर ही हैं क्यूंकि मोबाइल पर टाइप करना अपने बसका नही । फोन ही कर लेते हैं उतना काफी है हाँ मेरे पति इन सब बातों में बहुत रुचुि लेते हैं और कल ही बता भी रहैथे कि कैसे वे अपने लैपटॉप पर मोबाइल से डाटा ट्रांसफर कर सकते हैं ।

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  65. kahte hai nokia se adhik majboot koi aur nahi ,magar nai nai taknikiyo ke pechhe log bhag rahe hai ,bahut kaam ki jaankari rahi .net ke khrab hone par, nahi aa saki waqt par .maaf kijiyega .

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  66. android फोन्स की लोकप्रियता बढती जा रही है और developers काफी applications दिन-ब-दिन जोड़ते जा रहें हैं, मुझे लगता है android विंडोस़ से बेहतर विकल्प है, वैसे पसंद अपनी अपनी.

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  67. आपकी भावनायें समझ रहे हैं, हमने भी बरसों स्मार्टफोन की चाहत दिल में पाली। अब तो इन्तजार है कि ऍण्ड्रॉइड में हिन्दी आये तो उसके पाले में हो लें।

    इस समय ऍण्ड्रॉइड सबसे लोकप्रिय मोबाइल ओऍस के तौर पर उभर रहा है। सबसे ज्यादा ऍप्लिकेशन इसको ध्यान में रखकर बन रही हैं, शीघ्र ही यह इस मामले में आइफोन को भी मात दे देगा। इसके लिये इतनी बढ़िया-बढ़िया ऍप्स हैं कि क्या कहनें।

    नोकिया सी५ में हिन्दी है क्या, हरिराम जी ने लिया था वे तो कह रहे थे नहीं है।

    @प्रवीण त्रिवेदी,
    क्या खूब कहा।

    "माइक्रोसॉफ्ट और नोकिया का मिलन मजबूरी के साथ साथ पूरक होने का परिचय है जैसे लंगड़े और अंधे का मिलन!"

    @सुशील बाकलीवाल,
    नोकिया ऍक्स२ के कीबोर्ड पर हिन्दी वर्ण भी अंकित हैं क्या?

    @Deepak Saini,
    ५२३३ पर ऑपेरा मोबाइल इंस्टाल कीजिये, हिन्दी एकदम सही दिखेगी और हिन्दी टाइप करने के लिये हमारा टचनागरी इस्तेमाल कीजिये।
    http://bit.ly/TouchNagari

    @विष्णु बैरागी,
    रविरतलामी जी ने तो एक बार कहा था कि आप रेमिंगटन पर बढिया पकड़ रखते हैं फिर दो अंगुलियों से?

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  68. @ ललित शर्मा
    अधिकतर के हाथों नोकिया का ही फोन दिखायी पड़ता है, मेरी मजबूरी है विण्डो फोन अतः नये फोन की व्यग्रता से प्रतीक्षा है।

    @ सुशील बाकलीवाल
    स्मार्टफोन को तो लैपटॉप का लगभग 80 प्रतिशत कार्य कर देना चाहिये। हिन्दी की बोर्ड आ जाने से सम्भवतः वह हो जाये।

    @ संतोष त्रिवेदी
    एण्ड्रायड निश्चय ही एक सुदृढ़ फोन है पर हिन्दी की व्यवस्था न होने से सके बारे में राय नहीं बन पा रही है। विण्डो के मजबूत बिन्दुओं को छूने का प्रयास भी किया गया है पर अभी बहुत कुछ करना है। मेरे लिये उसे अपनाना एक नये तन्त्र में प्रवेश करने जैसा होगा।

    @ Udan Tashtari
    मैंने बहुत से एप्लीकेशन डाले और उपयोग के आधार पर धीरे धीरे उन्हे निकाल भी दिया। जिस जगह मोबाइल के मूलतन्त्र द्वारा पहुँचा जा सकता है सके लिये कुछ और लोड करना व्यर्थ लगा मुझे।

    @ dhiru singh {धीरू सिंह}
    नोकिया के महारथी तो बहुत हैं, मेरा अनुभव विण्डोफोन के साथ बहुत अच्छा रहा है, मैं वही ही लूँगा।

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  69. @ संजय @ मो सम कौन ?
    कभी कभी तो लगता है कि हजारवाले से ही काम चलायें। 80 प्रतिशत समय वही करते भी हैं।

    @ honesty project democracy
    लोकतन्त्र ने मोबाइल व इण्टरनेट की ताकत का पूरा लाभ उठाया ही नहीं।

    @ ZEAL
    बहुत धन्यवाद आपका।

    @ Ratan Singh Shekhawat
    वह फोन देखा, बड़ा प्रभावित किया पर हिन्दी कीबोर्ड नहीं है उस संस्करण में।

    @ संजय भास्कर
    इसके निष्कर्षों की व्यग्रता से प्रतीक्षा है।

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  70. @ K M Mishra
    मोबाइल तकनीकी दृष्टि से कुछ वर्ष पहले तक के लैपटॉपों से भी आगे निकल गये हैं। आगे आगे देखिये होता है क्या?

    @ सतीश सक्सेना
    लैपटॉप पर कार्य बहुत तेजी से होता है, इस बात पर कोई सन्देह नहीं है पर हर समय लैपटॉप को साथ रखना सम्भव भी नहीं है।

    @ प्रवीण त्रिवेदी ╬ PRAVEEN TRIVEDI
    यदि एण्ड्रायड हिन्दी के क्षेत्र में खरा उतरता है और नया नोकिया कुछ नहीं कर पाता है तो मेरे लिये भी कोई और विकल्प न रहेगा।

    @ भारतीय नागरिक - Indian Citizen
    मेरा पुराना सोनी 7 वर्ष का हो चला है और पिताजी के हाथों में है पर उससे बहुत अधिक कार्य सम्भव नहीं है। नये फोन निश्चय ही बड़े दमदार हैं।

    @ Sonal Rastogi
    बहुत से मोबाइल पानी पड़ने पर दम तोड़ देते हैं। हमारा भी फोन एक दो बार बीमार हो चुका है।

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  71. @ सञ्जय झा
    हमने भी त्रिभुज का विकास धीरे धीरे किया है और इतने दिनों बाद कुछ आत्मविश्वास आ रहा है प्रगति का।

    @ ashish
    विवेचना करने पर लगता है कि नया फोन उतना मँहगा नहीं होगा क्योंकि नोकिया के पास बहुत अधिक तकनीक है इस तरह के फोन देने के लिये।

    @ Ankur jain
    बहुत धन्यवाद आपका।

    @ गिरधारी खंकरियाल
    अब आप कम्प्यूटर पर विण्डो 7 तो डाल ही लें।

    @ Deepak Saini
    पूर्ण आनन्द ब्लॉग पढ़ने में नहीं, पढ़कर उसी से टिप्पणी करने में है। बहुत समय बचेगा ऐसे हम सबका।

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  72. @ Kajal Kumar
    पता नहीं पर भारत तो उनके लिये बहुत मजबूत बाजार सिद्ध होने वाला है।

    @ वन्दना
    बहुत धन्यवाद आपका।

    @ Mukesh Kumar Sinha
    मैंने तो निश्चय किया है कि नया मोबाइल बिना हिन्दी कीबोर्ड के लेना ही नहीं है।

    @ ajit gupta
    कभी कभी आपका दर्शन बहुत सही लगता है पर कई बार खाली समय का समुचित उपयोग करने के लिये अच्छा फोन लेना आवश्यक हो जाता है।

    @ Ravi Rajbhar
    बहुत धन्यवाद आपका।

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  73. @ OM KASHYAP
    बहुत धन्यवाद आपका।

    @ डा. श्याम गुप्त
    यदि कार्य सीमित हो और एक ही जगह हो तो सादा फोन लेना ही ठीक है।

    @ नीरज गोस्वामी
    आशा करता हूँ कि कुछ न कुछ सार्थक निष्कर्ष निकलेगा।

    @ दिगम्बर नासवा
    एप्पल का इण्टरफेस बहुत ही दमदार है, नये एमार्टफोन उसी का अनुकरण कर रहे हैं।

    @ G.N.SHAW
    बहुत धन्यवाद आपका।

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  74. @ पी.सी.गोदियाल "परचेत"
    आपकी बात में दम है, आँखों पर जोर तो पड़ता है, इसीलिये फोण्ट बहुत बड़े कर रखे हैं और स्थिर रहने पर ही उपयोग में लाता हूँ उन्हें।

    @ shikha varshney
    अब आशायें तो बहुत हैं नोकिया से।

    @ महफूज़ अली
    मोबाइल के उपयोग में रम जाने के बाद श्रेष्ठतम की चाह तो हो ही जाती है।

    @ राज भाटिय़ा
    कई लोग घर आकर मोबाइल बन्द कर देते हैं और कुछ 24 घंटे इसे साथ रखते हैं। मेरा प्रयास इसके अधिकतम उपयोग का रहता है।

    @ संगीता स्वरुप ( गीत )
    तकनीकी क्षमताओं को टटोलना अब आदतों में शुमार हो गया है।

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  75. @ नरेश सिह राठौड़
    मैंने तो अपनी आवश्यकतानुसार ही विश्लेषण कर के लिखा है, औरों के काम आ जाये तो बहुत ही अच्छा लगेगा मुझे।

    @ ममता त्रिपाठी
    एप्पल ने बहुत ही जटिल तन्त्र बना रखा है, यही कारण है कि ज्लब्रेक करने पर लोग आमादा हैं।

    @ रंजना
    अगले 6 माह बड़ा परिवर्तन लिये आने वाले हैं, ये तीनों घोड़े भरसक प्रयास करेंगे आगे निकलने का।

    @ Arvind Mishra
    तकनीक सहयोग करती है तो उससे निकटता रखना स्वाभाविक है।

    @ Raviratlami
    मैंने लैपटॉप ओ एस क्रोमियम का उल्लेख किया है। लैपटॉप पर जब तक वह नहीं आता एण्ड्रायड फोन अकेलेपन में विकास करेंगे।

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  76. @ ताऊ रामपुरिया
    हम मोबाइल 24 घंटे साथ में रखते हैं, अतः हमें रुचि बनाये रखना सुहाता है।

    @ cmpershad
    आपसे बड़ा परमहंस मिलना कठिन है तब, मोबाइल से बचे रहना तो बहुत ही कठिन है।

    @ SEPO
    एक फोन को पाँच साल से चलाते रहना उसके संग प्रेम में डूबने जैसा है।

    @ मनोज कुमार
    तकनीकी बहुधा सहायता ही करती है पर कभी कभी अहित कर जाती है।

    @ mahendra verma
    हमें भी यही लगता है।

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  77. @ Saba Akbar
    क्रान्ति का निष्कर्ष तो उसके उत्पादों पर निर्भर करेगा।

    @ बेनामी
    ब्लैकबेरी को भी कई दिन देखा, ईमेल से उसका समन्वय अद्भुत है पर हिन्दी के मामले में और लैपटॉप से समन्वय में थोड़ा कमजोर लगा।

    @ डॉ॰ मोनिका शर्मा
    कई बार तो बदलते बदलते रह गये, यदि उनमें हिन्दी होता तो संभवतः नया ले लिया होता।

    @ Smart Indian - स्मार्ट इंडियन
    गूगल का सशक्त बिन्दु लगातार कुछ न कुछ करते रहना है, यही उसे नवनवीन बनाये रखता है। पता नहीं हिन्दी से इतनी बेरुखी क्यों है उसमें।

    @ राहुल सिंह
    यदि अपनी आवश्यकतानुसार तकनीक का सशक्त पक्ष लेकर पहले से ही चलेंगे तो धमाके का असर न्यूनतम होगा।

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  78. @ उन्मुक्त
    एण्ड्रायड का सॉफ्टवेयर मुक्त है।

    @ Ashok Vyas
    हम तो स्वयं ही अपना ज्ञान बढ़ाने के प्रयास में लगे रहते हैं, उसी से रुचि बनी रहती है।

    @ सदा
    बहुत धन्यवाद आपका।

    @ मेरे भाव
    हिन्दी कीबोर्ड आ पाने पर ही सही अवमूल्यन हो पायेगा तीनों का।

    @ Patali-The-Village
    बहुत धन्यवाद आपका।

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  79. @ Harsh
    बहुत धन्यवाद आपका।

    @ abhi
    यदि मन का फोन आ गया तो दिलाया जा भी सकता है।

    @ sagebob
    बहुत धन्यवाद आपका।

    @ वन्दना अवस्थी दुबे
    रुचि उसी में है और आगे भी वही लेना है।

    @ सिद्धार्थ शंकर त्रिपाठी
    हिन्दी की कीबोर्ड हो और बड़े हिन्दी फोण्ट भी हों।

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  80. @ विष्णु बैरागी
    यदि केवल फोन ही करना हो तो अठारहवीं शताब्दी का फोन भी बुरा नहीं है। हमारी उत्सुकता हर जगह पर बैठकर हर कुछ करने की है, उसी का ही मूल्य चुका रहे हैं।

    @ देवेन्द्र
    उसी की ही उत्सुकता हमें भी है।

    @ Akshita (Pakhi)
    आप भी अभी से रुचि बनाइये और सर्वोत्तम फोन लीजियेगा पिताजी से।

    @ Mrs. Asha Joglekar
    मेरे लिये भी आउटलुक व वननोट के माध्यम से सदा ही यह समन्वय बना रहता है। यही कारण है कि और भी स्मार्टफोन की आवश्यकता पड़ने लगती है।

    @ ज्योति सिंह
    नोकिया के फोनों में गज़ब का दमखम है पर उसे किसी सुदृढ़ ओ एस की आवश्यकता है।

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  81. @ Manoj K
    एण्ड्रायड जो बदलाव पिछले 5 वरषों से कर रहा है, विण्डो ने वह गति अभी पकड़ी है, देखिये कितनी भरपायी कर पाते हैं।

    @ ePandit
    मैंने सी-5 में टाइप किया है, असली हिन्दी कीबोर्ड से। मोबाइल पर ओपेरा का कोई विकल्प नहीं है। भविष्य बड़ा ही रोचक होने वाला है।

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  82. Great writeup. I appreciate your in depth knowledge on such subjects.

    Just want to bring to your notice that due to this venture thousands of Indians are being sent to India from Helsinki.I am still continuing here as mine is a different client.

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  83. @ Gopal Mishra
    आपका यह कहना इन संदर्भों में बहुत मायने रखता है। मेरी भी यही आशा है कि नोकिया निश्चय ही बहुत उन्नत मोबाइल सेट लेकर आने वाला है।

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