5.2.11

मन का बच्चा बचा रहे

मैं न कभी उद्वेगों को समझा पाया,
मैं न कभी एक निश्चित चाह बना पाया,
जब देखा जीवन को जलते, बस पानी लेकर दौड़ गया,
था जितना बचता साध लिया, और शेष प्रज्जवलित छोड़ गया,
जीवन को संचय का कोरा घट, नहीं बना मैं सकता हूँ,
सज्जनता से जीवित होता, झूठे भावों से थकता हूँ।

पर एक प्रार्थना ईश्वर से कर लेता होकर द्वन्दरहित,
जीवन की रचना स्वस्थ रहे, यद्यपि हो जाये रंगरहित,

जो था अच्छा बचा रहे,
जो था सच्चा बचा रहे,
जीवन की यह आपाधापी,
मन का बच्चा बचा रहे 

103 comments:

  1. अच्छे और सच्चे के बचने के लिये मन के बच्चे का बचना जरूरी है।

    ReplyDelete
  2. मन की मासूमियत ,सहजता ,उछाह उजास ही तो जीवन की जीवन्तता है ... जीवन भर यह भाव स्पंदित रहे -कवि अभिलाषा से तादात्म्य है !

    ReplyDelete
  3. Anonymous5/2/11 07:03

    जो था अच्छा बचा रहे,
    जो था सच्चा बचा रहे,
    जीवन की आपाधापी में,
    मन का बच्चा बचा रहे।
    --
    सभी को यही अर्चना करनी चाहिए!

    ReplyDelete
  4. ----मन बच्चा बना रहे...सारे द्वन्द्व ही समाप्त हो जांय...
    वो कागज़ की कश्ती
    वो नदिया का पानी...

    ReplyDelete
  5. जीवन की यह आपाधापी,
    मन का बच्चा बचा रहे ।

    मन में विशुद्ध भाव रखने के लिए बच्चा बनना ही उचित है.

    ReplyDelete
  6. जो था अच्छा बचा रहे,
    जो था सच्चा बचा रहे,
    जीवन की यह आपाधापी,
    मन का बच्चा बचा रहे ...

    आमीन !

    .

    ReplyDelete
  7. बहुत सही मांग है....
    बच्चे मन के सच्चे.....

    ReplyDelete
  8. ''जीवन की रचना स्वस्थ रहे, यद्यपि हो जाये रंगरहित'' ऐसा कैसे हो सकता है, रंग तो बच्‍चे की आंखें भर लेंगी फिर क्‍यों न जीवन को रंगीन मानें, झूठा ही सही.

    ReplyDelete
  9. जो था अच्छा बचा रहे,
    जो था सच्चा बचा रहे,
    जीवन की यह आपाधापी,
    मन का बच्चा बचा रहे ।

    हाँ सही कहा आपने क्योकि बच्चे मन के सच्चे ....
    ज्यों-ज्यों इनकी उम्र बढे मन पर पाप का मैल चढ़े......
    बहुत ही सुन्दर अभिव्यक्ति मन के द्वन्द को काबू में रखकर संतुलित रखने की प्रेरणा देती हुयी....

    ReplyDelete
  10. जीवन की रचना स्वस्थ रहे ...यद्यपि हो जाये रंगहीन ...
    जो था अच्छा बचा रहे,जो था सच्चा बचा रहे,जीवन की यह आपाधापी,मन का बच्चा बचा रहे ।

    शुभ विचार .. आमीन !

    ReplyDelete
  11. जो था अच्छा बचा रहे,
    जो था सच्चा बचा रहे,
    जीवन की यह आपाधापी,
    मन का बच्चा बचा रहे ।
    bahut zaruri hai...

    ReplyDelete
  12. हमेशा ही मन में एक बच्चा रहता है बस इसका बचना ज़रूरी है ...आमीन

    ReplyDelete
  13. सच्चे जीवन का तिलक,
    हर माथे पर रचा रहे !
    मानवता बच जाए ग़र,
    मन का बच्चा बचा रहे!

    ReplyDelete
  14. tabhi to ye balak bara nahi hona chahta.......

    pranam.

    ReplyDelete
  15. मन का बच्चा बचा रहे ।
    बस यही सबसे ज़रूरी है

    ReplyDelete
  16. सभी को यही अर्चना करनी चाहिए!
    अच्छे और सच्चे के बचने के लिये मन के बच्चे का बचना जरूरी है।

    ReplyDelete
  17. अच्छे लगे सच्चे मन के उदगार.

    ReplyDelete
  18. जो था अच्छा बचा रहे,
    जो था सच्चा बचा रहे,
    जीवन की यह आपाधापी,
    मन का बच्चा बचा रहे ।


    जीवन इसी का नाम है ...हम बच्चे बने रहें ..और दूसरों के लिए ख़ुशी का कारण बनते रहें ...आपका आभार

    ReplyDelete
  19. जीवन को संचय का कोरा घट, नहीं बना मैं सकता हूँ,
    सज्जनता से जीवित होता, झूठे भावों से थकता हूँ।

    कितने सुन्दर शब्द दिये हैं आपने…………भाव प्रधान रहे हैं।

    ReplyDelete
  20. बेहतरीन। उम्मीद करता हूं कि बचा रहेगा।

    ReplyDelete
  21. dil toh baccha hai ji! haha

    ReplyDelete
  22. मन का बच्चा बचा रहे ।
    बस यही सबसे ज़रूरी है

    ReplyDelete
  23. जो था अच्छा बचा रहे,
    जो था सच्चा बचा रहे,
    जीवन की यह आपाधापी,
    मन का बच्चा बचा रहे ।

    बहुत खूब कहा है आपने इन पंक्तियों में ...।

    ReplyDelete
  24. बच्चे ही सच्चे होते है , रामकृष्ण परम हंस भी जीवन भर बचपना लेकर जीते रहे . उसी में सरलता है

    ReplyDelete
  25. मन के बचने के लिए बच्चे का बचना जरूरी है :)

    ReplyDelete
  26. जो था अच्छा बचा रहे,
    जो था सच्चा बचा रहे,
    जीवन की यह आपाधापी,
    मन का बच्चा बचा रहे

    आमीन ......

    ReplyDelete
  27. dil to bachcha hai jee...:)
    yaad aa gaya...!!

    kash hamari soch bhi aisee hi bani rahe..!

    ReplyDelete
  28. जो था अच्छा बचा रहे,
    जो था सच्चा बचा रहे,
    जीवन की यह आपाधापी,
    मन का बच्चा बचा रहे ।ाज की दुनिया मे यही तो बचना मुश्किल है\ फिर भी कोशिश जारी रहनी चाहिये। सुन्दर रचना। बधाई।

    ReplyDelete
  29. जब देखा जीवन को जलते, बस पानी लेकर दौड़ गया,
    था जितना बचता साध लिया, और शेष प्रज्जवलित छोड़ गया,
    जीवन को संचय का कोरा घट, नहीं बना मैं सकता हूँ,
    सज्जनता से जीवित होता, झूठे भावों से थकता हूँ।

    यानी कि आज के युग के हिसाब से आपने सारे काम उलटे किये :) बेहद ह्रदय स्पर्शी पंक्तियाँ

    ReplyDelete
  30. जब देखा जीवन को जलते, बस पानी लेकर दौड़ गया,
    था जितना बचता साध लिया, और शेष प्रज्जवलित छोड़ गया,...

    बहुत मर्मस्पर्शी पंक्तियाँ...भाव और ओज का बहुत सुन्दर सामंजस्य..अगर मन का बच्चा बचा रहे तो फिर जीवन में खुशी के लिए और क्या चाहिए..

    ReplyDelete
  31. मेरे दिल के किसी कोने में इक मासूम सा बच्चा,
    बड़ों की देखकर दुनिया, बड़ा होने से डरता है!

    ReplyDelete
  32. सहमत हे जी आप की इस सुंदर कविता से, धन्यवाद

    ReplyDelete
  33. बहुत ही खुबसूरत ख्याल है..........

    ReplyDelete
  34. जो था अच्छा बचा रहे,
    जो था सच्चा बचा रहे,
    जीवन की यह आपाधापी,
    मन का बच्चा बचा रहे ।

    ईश्वर करे, ऐसा ही हो...

    ReplyDelete
  35. जीवन की आपाधापी में,
    मन का बच्चा बचा रहे।

    bahut achchhi baat kahi aapne
    these two lines are saying too many things .
    i wish we all will remain child by heart always

    ReplyDelete
  36. मन का बच्चा बचा रहे ......!
    इस लाइन पर एक पूरा किताब लिखी जा सकती है ! आप मर्मज्ञ हैं इश्वर आपके मन को ऐसा ही बनाये रखे ! शुभकामनायें !

    ReplyDelete
  37. बहुत खूब,

    बच्चों के छोटे हाथों को चाँद सितारे छूने दो
    चार किताबें पढ़कर ये भी हम जैसे हो जायेंगे...

    ReplyDelete
  38. जाहिर है, बच्‍चा बना रहना सम्‍भव नहीं। बच्‍चा बना रह ही नहीं सकता। प्रकृति ने ही व्‍यवस्‍था कर दी है। यदि मन बच्‍चा बना रहे और बच्‍चा ही बना रहे तो सारे संकट दूर हो जाऍं। बच्‍चा ही कह सकता है - राजा नंगा है।

    आपकी मनोकामना हम सबको फलीभूत हो। आमीन।

    ReplyDelete
  39. The loss of one's innocence is a turning point in our life.
    भोलापन, न केवल मन का बल्कि दिल का और आतमा का, जब हम खोते हैं, तब हम अपना बचपन खोते हैं

    G Vishwanath

    ReplyDelete
  40. जीवन की आपाधापी में ..मन का बच्चा बचा रहे ... कितना सुन्दर वर्णन है एक सुन्दर सरल जीवन के लिए... बहुत खूब... सुन्दर रचना ..

    ReplyDelete
  41. जीवन की रचना स्वस्थ रहे, यद्यपि हो जाये रंगरहित
    >
    >
    आपकी प्रार्थना में मैं भी शरीक हूं:)

    ReplyDelete
  42. मन का बच्चा बचा रहे बस और कुछ नहीं ....

    ReplyDelete
  43. मुझे लगता है मेरे अन्दर अभी मन का बच्चा बचा है ............कब तक पता नही

    ReplyDelete
  44. कविता अभिधेयात्मक एवं व्यंजनात्मक शक्तियों को लिए हुए है।

    ReplyDelete
  45. जब महात्माजी अपने शिष्यों के साथ वापिस जा रहे थे शिष्यों के मन में उथल पुथल थी की गुरूजी ने ऐसा आशीर्वाद क्यों दिया ?तब उन्होंने बड़ी विनम्रता दे पूछा ?गुरुवर जिन्होंने अच्छा आचारण किया छिन्न भिन्न का और जिन्होंने खराब आचरण किया उन्हें स्थायी रहने का आशीर्वाद क्यों ?
    तब महात्माजी ने कहा -
    जो लोग अच्छे है वो जहाँ भी जायेगे अपनी सच्चरित्रता फैलायेंगे और सुन्दर संसार बनायेगे |इसलिए छिन्न भिन्न होना है |और जो लड़ाई झगड़ा करते है वो एक ही जगह रहे वही कटे मरे तो ठीक है |अपनी बुराइयाँ आगे न फैलाये |

    जो था अच्छा बचा रहे,जो था सच्चा बचा रह

    आपकी प्रार्थना पढ़कर मुझे यः बोध कथा स्मरण हो आई |

    ReplyDelete
  46. जो था अच्छा बचा रहे,
    जो था सच्चा बचा रहे,
    जीवन की यह आपाधापी,
    मन का बच्चा बचा रहे ...

    आमीन....
    सादर,
    डोरोथी.

    ReplyDelete
  47. दिल को छू लेने और बस जाने वाली कविता.इसे पढ़ते हुए एक दुआ होठो पर आती है क़ि सृजन इतना अच्छा, बचा रहे.

    ReplyDelete
  48. मन की निश्चलता के लिए बच्चा बनना ही उचित है.

    ReplyDelete
  49. बचपनके बारे में क्या कहना जी.....मेरी एक रचना का एक अंश है.....
    "जब फिरते थे इठलाते से,माटी,कचरे को अंग लगाये,सारी चिंताएं लेकर,जाने क्यूँ आया ये यौवन?
    भूले नहीं हैं बचपन के दिन !"

    बचपन अनमोल विरासत है,अफ़सोस उसे हम बचाकर रख नहीं सकते ,याद रखने के सिवा !

    ReplyDelete
  50. अगर मन का बच्चा बचा रहे तो फिर जीवन में खुशी के लिए और क्या चाहिए|
    बहुत ही सुन्दर अभिव्यक्ति|

    ReplyDelete
  51. बहुत पहले बीबीसी पर ‘बाल-सभा’ में एक कविता सुनी थी जो यह पोस्ट पढ़ने के बाद मन गुनगुनाने लगा

    अच्छा होना अच्छा है
    लगता इसमें दाम नही
    अच्छा बनते जाने से
    अच्छा कोई काम नहीं

    :)

    ReplyDelete
  52. जीवन की यह आपाधापी,
    मन का बच्चा बचा रहे ।

    बस यही कामना है....सुन्दर अभिव्यक्ति

    ReplyDelete
  53. जब देखा जीवन को जलते, बस पानी लेकर दौड़ गया,

    आपके हाथों में पानी है इतना क्या कम है .....

    ReplyDelete
  54. 'मन का बच्चा बचा रहे .'
    आमीन !

    ReplyDelete
  55. आमीन, बहुत ही सुन्दर व सही कविता.
    दिक्कत यही है की हम जैसे जैसे बड़े होते जाते हैं, वैसे वैसे हमारे अन्दर का बच्चा मरने लगता है या हम खुद ही उसे मरने लगते हैं, लेकिन सच यही है कि

    "जो था अच्छा बचा रहे,
    जो था सच्चा बचा रहे,
    जीवन की आपाधापी में,
    मन का बच्चा बचा रहे।"

    एकदम सच्ची पंक्ति है यह.

    ReplyDelete
  56. अपने साथ ही दूसरो का मन भी बच्चा बना रहे यही सच्चापन है ।
    सबके मन का बच्चा चिरायु हो ....

    ReplyDelete
  57. जब तक बच्चा है, बचा है..

    ReplyDelete
  58. अब सभी ब्लागों का लेखा जोखा BLOG WORLD.COM पर आरम्भ हो
    चुका है । यदि आपका ब्लाग अभी तक नही जुङा । तो कृपया ब्लाग एड्रेस
    या URL और ब्लाग का नाम कमेट में पोस्ट करें ।
    http://blogworld-rajeev.blogspot.com
    SEARCHOFTRUTH-RAJEEV.blogspot.com

    ReplyDelete
  59. man mein satyanishta ka mangal prabhat
    prarthna ke liye uthe sarthak
    shabd haath
    bahdaee

    ReplyDelete
  60. praveen ji
    baht hi badhiya avam sarthak post .bilkul sach kaha aapne-

    जो था अच्छा बचा रहे,
    जो था सच्चा बचा रहे,
    जीवन की यह आपाधापी,
    मन का बच्चा बचा रहे
    bachhe to nishhl man ke bhole v pyaare hote hain .agar aaj insaan man se bachh hi bana rahe to shayad duniya ka naksha kuchh aur hi hoga..
    bahut hi sundar prastuti====
    poonam

    ReplyDelete
  61. जीवन की यह आपाधापी,
    मन का बच्चा बचा रहे ।

    बस यही कामना है....सुन्दर अभिव्यक्ति

    ReplyDelete
  62. वसंत पंचमी की ढेरो शुभकामनाए

    कुछ दिनों से बाहर होने के कारण ब्लॉग पर नहीं आ सका
    माफ़ी चाहता हूँ

    ReplyDelete
  63. very true...innocence and nascency must be preserved..

    ReplyDelete
  64. दिल तो बच्चा है जी...

    ReplyDelete
  65. जो था अच्छा बचा रहे,
    जो था सच्चा बचा रहे,
    जीवन की यह आपाधापी,
    मन का बच्चा बचा रहे ।



    sunder rachna k liye badhai

    ReplyDelete
  66. इस बात को आजतक न जाने कितने लोगों ने कही होगी,पर आपके कहने का अंदाज और असर निराला है...सीधे मन तक पहुँचता है और इसका अंग बन जाता है...

    ReplyDelete
  67. ईश्वर आपकी अभिलाषा पूर्ण करें...

    ReplyDelete
  68. इस प्रकार की प्रार्थना कभी कभी ही पढ़ने को मिलती है |

    ReplyDelete
  69. पर एक प्रार्थना ईश्वर से कर लेता होकर द्वन्दरहित,
    जीवन की रचना स्वस्थ रहे, यद्यपि हो जाये रंगरहित

    द्वन्द्वरहित प्रार्थना फलीभूत हो।

    ReplyDelete
  70. @ संजय @ मो सम कौन ?
    मन के बच्चे को खटकता रहता है कुछ भी गलत होना, यही आधार रहेगा जिससे अच्छाई बची रहेगी।

    @ Arvind Mishra
    आस है जो मन में बचे रहने की, मेरे और आप सबके, उसी से विश्व में कोमल भावों का संचार संभव है।

    @ डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक"
    यही अर्चना करेंगे सब तो न जाने कितना अच्छापन बच जायेगा सबके हृदय में, एक दूसरे के प्रति।

    @ Dr. shyam gupta
    बच्चा द्वन्द में सच्चाई देखता हैं, हम वयस्क चतुराई।

    @ रचना दीक्षित
    मन की निर्मलता बनाये रखने के लिये बालक सा उत्साह आवश्यक होता है, बस वही बचा रहे।

    ReplyDelete
  71. @ ZEAL
    बहुत धन्यवाद आपका।

    @ Rajesh Kumar 'Nachiketa'
    काश वह कोमलपन जीवनपर्यन्त बना रहे।

    @ Rahul Singh
    बच्चों को तो सब रंगीन लगता है, पर जब स्वास्थ्य और रंग की बात आयेगी, स्वास्थ्य पहले चुना जायेगा।

    @ honesty project democracy
    उम्र के साथ साथ स्वार्थ का न जाने कितना मैल चढ़ जाता है, पर उसे हटाकर अन्दर देखें तो अभी भी एक भोला बच्चा छिपा होगा।

    @ वाणी गीत
    बहुत धन्यवाद आपका, काश जीवन सरल हो जाये।

    ReplyDelete
  72. @ रश्मि प्रभा...
    बहुत धन्यवाद आपका।

    @ संगीता स्वरुप ( गीत )
    वही हमको टोकता रहता है, अपने बच्चों की तरह।

    @ ज्ञानचंद मर्मज्ञ
    बहुत सुन्दर पंक्तियाँ, मानवता का प्रश्न है।

    @ सञ्जय झा
    तथाकथित बड़े होने में हमें भी डर ही लगता है।

    @ Kajal Kumar
    काश आप सबकी प्रार्थना सुन ली जाये।

    ReplyDelete
  73. @ Deepak Saini
    बहुत धन्यवाद आपका।

    @ ashish
    बहुत धन्यवाद आपका।

    @ : केवल राम :
    बच्चे सबको प्रसन्नता देते हैं, मन का बच्चा निसन्देह प्रसन्नता ही देगा।

    @ वन्दना
    भावों में शरीर को प्रभावित करने की क्षमता होती है।

    @ satyendra
    बहुत धन्यवाद आपका।

    ReplyDelete
  74. @ SEPO
    उसे बचाये रखना होगा।

    @ neelima sukhija arora
    वह बचा रहे तो मानवता बची रहेगी।

    @ सदा
    बहुत धन्यवाद आपका।

    @ गिरधारी खंकरियाल
    सरलता बच्चों का गुण, मानसिक प्रदूषण से कोसों दूर।

    @ डॉ महेश सिन्हा
    मन का बच्चा बचा रहे, तभी हम छोटे छोटे सुखों का आनन्द ले पायेंगे।

    ReplyDelete
  75. @ shikha varshney
    बहुत धन्यवाद आपका।

    @ Mukesh Kumar Sinha
    सरलता का आनन्द बच्चा बने रहने में है।

    @ निर्मला कपिला
    जीवन में यह सरलता दुर्लभ रहनी चाहिये।

    @ पी.सी.गोदियाल "परचेत"
    काम उल्टे कर रहे हैं पर फल सीधा साधा मिल रहा है।

    @ Kailash C Sharma
    छोटी बातों की खुशी केवल बच्चा ही उठा पाता है।

    ReplyDelete
  76. @ सम्वेदना के स्वर
    सच में बड़ा होने से डर लगता है।

    @ राज भाटिय़ा
    बहुत धन्यवाद आपका।

    @ उपेन्द्र ' उपेन '
    बहुत धन्यवाद आपका।

    @ सुशील बाकलीवाल
    हम सबकी अर्चना स्वीकार हो जाये।

    @ "पलाश"
    वही जीवन की उपलब्धि होगी।

    ReplyDelete
  77. @ सतीश सक्सेना
    आप ही वह पुस्तक लिखने के सर्वाधिक योग्य हैं। आप ही लिखें, आपका अनुभव हम सबके काम आयेगा।

    @ सोमेश सक्सेना
    यही डर लगता है कि यदि ये हम जैसे हो गये तो कितना अहित हो जायेगा।

    @ विष्णु बैरागी
    सच कहा आपने, बच्चा सरल भी होता है, साहसी भी। वही कह सकता है कि राजा नंगा है।

    @ G Vishwanath
    अब उस सरलता में लौट पाना रह रह कर कठिन होता जा रहा है, प्रयास करता हूँ तो अपना वर्तमान देखकर आँखे नम हो जाती हैं।

    @ डॉ. नूतन डिमरी गैरोला- नीति
    जीवन जितना सरल हो उतना अच्छा होता है।

    ReplyDelete
  78. @ cmpershad
    समवेत स्वर और भी शक्ति लिये होंगे।

    @ Sunil Kumar
    यही सरलता साध्य हो, बस।

    @ dhiru singh {धीरू सिंह}
    बचाये रखिये, सबको उसकी दृष्टि चाहिये, घटनाओं को समझने के लिये।

    @ मनोज कुमार
    बहुत धन्यवाद आपका। मेरे तो मन से बह गयी यह प्रार्थना।

    @ शोभना चौरे
    बहुत धन्यवाद आपका, यह कथा बाटने के लिये।

    ReplyDelete
  79. @ Dorothy
    बहुत धन्यवाद आपका।

    @ Gopal Mishra
    बहुत धन्यवाद आपका।

    @ संतोष पाण्डेय
    मन का बच्चा बचा रहेगा तो सृजन में सरलता बनी रहेगी नहीं तो शब्दजाल में उलझ जाने का क्रम निकल ही आता है।

    @ डॉ॰ मोनिका शर्मा
    निश्छल मन, सरल जीवन, लक्ष्य पर प्रतिबद्धता, और क्या चाहिये।

    @ संतोष त्रिवेदी
    बहुत सुन्दर रचना, न जाने क्यों आया यौवन।

    ReplyDelete
  80. @ Patali-The-Village
    तभी खुशी बनी रहेगी निश्छल निर्मल।

    @ सिद्धार्थ शंकर त्रिपाठी
    अच्छे बनते रहना होगा
    बच्चा बनते रहना होगा।

    @ rashmi ravija
    बहुत धन्यवाद आपका।

    @ हरकीरत ' हीर'
    हाथों का पानी कितनी अग्नि बुझा सकता है?

    @ प्रतिभा सक्सेना
    बहुत धन्यवाद आपका।

    ReplyDelete
  81. @ Sanjeet Tripathi
    बच्चा तो सदा ही सच बोलता है, हम ही उसे चुप करा कर बैठा देते हैं, बार बार।

    @ nivedita
    मन का बच्चा उम्रभर साथ रहे, यही प्रार्थना है।

    @ चला बिहारी ब्लॉगर बनने
    बच्चा ही बचे बस।

    @ भारतीय नागरिक - Indian Citizen
    बहुत धन्यवाद आपका।

    @ RAJEEV KUMAR KULSHRESTHA
    बहुत धन्यवाद आपका।

    ReplyDelete
  82. @ Ashok Vyas
    बहुत धन्यवाद आपका, सबकी प्रार्थना बल पाये।


    @ JHAROKHA
    जब घर में बच्चे आता है, माहौल हल्का और आनन्दमय हो जाता है, वही हाल मन के बच्चे के साथ भी होता है।

    @ संजय भास्कर
    बहुत धन्यवाद आपका।

    @ amit-nivedita
    वही हम सबका प्रयास हो, चतुराई से कुछ नहीं मिलेगा।

    @ Akanksha~आकांक्षा
    दिल तो बच्चा है जी...
    बस वही बच्चा बचा रहे।

    ReplyDelete
  83. @ amrendra "amar"
    बहुत धन्यवाद आपका।

    @ रंजना
    सरल बात तो सरलता से ही मन से निकली है, बच्चे बने रहने की वाणी जटिल कैसे हो।

    @ नरेश सिह राठौड़
    पर मन सदा ही करता रहता है जब निर्मलता में होता है।

    @ mahendra verma
    जीवन चिन्तन दूषित न हो स्वार्थतिक्तता से।

    ReplyDelete
  84. बहुत ही निर्मल और सशक्त प्रार्थना, शायद ऐसी ही प्रार्थनाएं ईश्वर सुनता है जो बाल मन से की गई हों, शुभकामनाएं.

    रामराम.

    ReplyDelete
  85. पर एक प्रार्थना ईश्वर से कर लेता होकर द्वन्दरहित,जीवन की रचना स्वस्थ रहे, यद्यपि हो जाये रंगरहित,
    जो था अच्छा बचा रहे,जो था सच्चा बचा रहे,जीवन की यह आपाधापी,मन का बच्चा बचा रहे ।.......

    मनोभावों को खूबसूरती से पिरोया है। बधाई।

    ReplyDelete
  86. @ ताऊ रामपुरिया
    सरलता की प्रार्थना सरल मन से न की जाये तो उसका कोई अर्थ नहीं। बच्चों की तो भगवान सुनता ही है।

    @ Dr Varsha Singh
    बहुत धन्यवाद प्रोत्साहन का।

    ReplyDelete
  87. जो था अच्छा बचा रहे,
    जो था सच्चा बचा रहे,
    जीवन की यह आपाधापी,
    मन का बच्चा बचा रहे ।
    ....aaj isi kee samaj ko shakht jarurat hai.... bahut sundar

    ReplyDelete
  88. @ कविता रावत
    समाज के हर स्तर पर जो विष घुल गया है, उसे केवल मन का बच्चा ही बचा सकता है, निर्मल और निश्छल।

    ReplyDelete
  89. आज बस यही दुआ, आमीन!

    ReplyDelete
  90. मासूम अभिव्यक्ति...माँ सरस्वती का आशीर्वाद आप पर बना रहे.

    ReplyDelete
  91. @ Avinash Chandra
    आपका स्वर भी इसी प्रार्थना को मिले।

    @ शब्द-साहित्य
    बहुत बहुत धन्यवाद आपका।

    ReplyDelete
  92. बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति .अच्छा लगा....

    ReplyDelete
  93. जीवन को जीवटता से जीने में सतत अभ्यासरत होने की झलक मिलती है,इस रचना में |

    ReplyDelete
  94. जो था अच्छा बचा रहे,
    जो था सच्चा बचा रहे,
    जीवन की यह आपाधापी,
    मन का बच्चा बचा रहे ।

    बहुत ही सुन्दर भाव.

    ReplyDelete
  95. @ वर्ज्य नारी स्वर
    बहुत धन्यवाद आपका।

    @ sunil purohit
    जब मन को बचाये रखने का प्रयास होगा, आनन्द और सततता बनी रहेगी जीवन में।

    @ अभिषेक मिश्र
    बहुत धन्यवाद आपका।

    ReplyDelete
  96. रिचर्ड फिलिप्स फाइनमेन भौतिक शास्त्र में नोबेल पुरुस्कार विजेता हैं। वे २०वीं शताब्दि के दूसरे भाग में सबसे जाने माने वैज्ञानिक रहे हैं। उनकी गोद ली पुत्री ने कुछ समय पहले Don’t you have time to think नाम से उन्हें भेजे पत्र एवं उनके जवाबों का संकलन निकाला है। यह एक बेहतरीन पुस्तक है। पढ़ने से लगता है वे इतना कुछ कर पाये क्योंकि जीवन भर बच्चों की उत्सुकता को रख पाये।

    ReplyDelete
  97. बहुत खुबसूरत बात कही आपने सच मै दोस्त अपने अन्दर के बच्चे को हमेशा जिन्दा रखना चाहिए वही तो हर वक़्त आगे बड़ते रहने और हमे जीने का होंसला देती है !
    बहुत खुबसूरत बात खुबसुरत अंदाज़ मै सुनना अच्छा लगा !

    ReplyDelete
  98. @ उन्मुक्त
    बिना बच्चों सी उत्सुकता रखे जीवन में कुछ नया नहीं दिख पाता है। मन का यह रूप बचा रहे।

    @ Minakshi Pant
    जीवन को गम्भीर बना देने से जीवन का आनन्द चला जाता है, बालकों सा अल्हड़पन बना रहे।

    ReplyDelete
  99. पर एक प्रार्थना ईश्वर से कर लेता होकर द्वन्दरहित,जीवन की रचना स्वस्थ रहे, यद्यपि हो जाये रंगरहित,
    जो था अच्छा बचा रहे,जो था सच्चा बचा रहे,जीवन की यह आपाधापी,मन का बच्चा बचा रहे ।

    आपके इतने कोमल और शुद्ध भाव बहुत अच्छे लगे -
    बहुत सुंदर रचना है .

    ReplyDelete
  100. कविताओं पर टिप्पणी करना मेरे लिए सबसे कठिन है...केवल खूबसूरत बोल के निकलना भी नहीं चाहता :)

    ReplyDelete
  101. @ anupama's sukrity !
    भावों की कोमलता शीघ्र ही बह निकलती है यदि बाहर का वातावरण देख नयन द्रवित होने लगें।

    @ abhi
    मन का बच्चा बचा रहे तब तो।

    ReplyDelete