14.9.16

चीन यात्रा - १४

यदि चेन्दू को अंतरिक्ष से देखा जाये तो एक ओर पर्वतमालायें, समतल पर नदियों का नीला जाल और हरे रंग से आच्छादित शेष धरती। पश्चिमी चीन का महत्वपूर्ण नगर चेन्दू सदा से ही प्रचुरता का स्थान माना गया है, व्यापारिक गतिविधियों का स्वाभाविक केन्द्र। कहते हैं कि कागज के नोटों का प्रचलन यहीं से प्रारम्भ हुआ था। चाय, मसाले और खाद्यान्न की प्रचुर उपलब्धता और सम वातावरण के कारण यहाँ पर लोग बसते रहे। संस्कृति, विज्ञान और इतिहास के कई अध्यायों से पटे इस नगर में पर्यटकों को देखने के लिये बहुत कुछ है। 

विज्ञान संग्रहालय के सम्मुख देवी प्रतिमा
जूते पहने श्वान
टियान्फू चौक और चुन्क्सी रोड, दोनों ही आसपास हैं और एक साथ ही देखे जा सकते हैं। टियान्फू चौक आधुनिक नगर का केन्द्र है और चुन्क्सी रोड पुरातन काल से ही चेन्दू का वाणिज्यिक केन्द्र रहा है, सदियों से सारा व्यापार यहीं से ही संचालित होता रहा है। यद्यपि पुराने हाटों का स्थान नये और आधुनिक निर्माणों ने ले लिया है पर कुछ गलियों को उनके मौलिक स्वरूप में संरक्षित करके रखा गया है। आप देखकर कल्पना कर सकते हैं कि किस प्रकार क्रय विक्रय योग्य वस्तुओं का यहाँ जमावड़ा लगता होगा, भीड़ और उत्सुकता भरी चहल पहल बनी रहती होगी। वर्तमान में भी कुछ नहीं बदला है। सायं होते होते लगता है कि सारा चेन्दू यहीं पर ही आ गया हो। हम लोग बस से वहाँ के लिये चले थे पर त्रुटिवश लगभग एक किमी पहले ही उतर गये। जहाँ पर उतरे थे वहाँ से पैदल चलने में स्टेडियम और विज्ञान संग्रहालय देखने को मिले। सर्वाधिक रोचक दृश्य चार जूते पहने एक छोटे कुत्ते का था। देखकर लग रहा था कि वह कष्ट में है, पर पता नहीं हम लोग जानवरों को मनुष्य की तरह ढालने में क्यों लगे रहते हैं।   

टियान्फू चौक
लिपटे ड्रैगन
कहते हैं कि जिस स्थान पर अभी टियान्फू चौक है वहाँ पर कभी राजमहल होता था। सांस्कृतिक विद्रोह के समय उसे ढहा दिया गया। राजशाही के सारे संकेत मिटाकर संस्कृति और आधुनिकता को एक साथ पिरोकर इस स्थान की परिकल्पना की गयी है। टियान्फू चौक नगर के मध्य में एक बहुत बड़ा समतल स्थान है और इसका क्षेत्रफल लगभग अठ्ठासी हजार वर्गमीटर है। इस परिसर में कोई ऊँचा निर्माण नहीं, बस कांक्रीट का सपाट समलत। इसके एक ओर विज्ञान संग्रहालय है जिसके सम्मुख विशाल झण्डे के साथ माओ की बड़ी प्रतिमा लगी है। अन्य दिशाओं में ऊँची अट्टालिकाओं में स्थित व्यापारिक प्रतिष्ठान हैं। वर्गाकार चौक के अन्दर एक वृत्ताकार आकृति है। यह टाओ का प्रतीक चिन्ह है, दो भागों में बराबर बटा, यिन और यांग, पुरुष और प्रकृति के प्रतिरूप, नर और नारी के प्रतीक। बस थोड़ा सा अन्तर केन्द्र का लघु वृत्त है जिसमें चीन के पुरातन संस्कृति के प्रतीक सुनहरे सूर्य पक्षी का प्रतिरूप लगाया गया है। यिन और यांग आकृतियों के केन्द्र में लिपटे ड्रैगन के आकार के दो फव्वारे लगे हैं। पूर्वी भाग एक तल नीचे है और इस खुले हुये भाग के चारों ओर दुकाने हैं। संस्कृति और आधुनिकता के सम्मिलित रूप का बड़े ही सुन्दर ढंग से समन्वय किया गया है। विशेषकर रात्रि में इस परिसर की शोभा और भी बढ़ जाती है, हर ओर जगमगाहट, खुला स्थान और मानवीय चहल पहल।

इस चौक के भूमिगत एक पूरा का पूरा बाजार बसा है, दो भूमिगत मेट्रो लाइनें यहीं पर आकर मिलती हैं। नगरीय सेवाओं की बसें परिसर के चारों ओर से मिल जाती हैं। किसी भरे पूरे पुराने बसे नगर के केन्द्र में, जहाँ भूमि की भाव सातवें आसमान पर होते हैं, इतना सपाट मैदान निकाल पाना अपने आप में उपलब्धि है। यहाँ से दो किमी की परिधि में चुन्क्सी रोड, पीपुल्स पार्क, विज्ञान, कला और ऐतिहासिक संग्रहालय, स्टेडियम, सिचुआन पुस्तकालय सहित कई परिसर स्थित हैं। सभी के सभी भवन भव्य हैं और स्थापत्य वैशिष्ट्य परिलक्षित करते हैं। यही कारण है कि यहाँ पर आने के बाद सब कुछ देखने में पूरा दिन निकाला जा सकता है। हम लोगों के पास समयाभाव था अतः हम लोग यहाँ से पैदल टहलते हुये चुन्क्सी रोड पहुँच गये।

चुन्कसी रोड
मन में तो कल्पना थी कि यह पुरानी दिल्ली की व्यस्त और भीड़ भरी गलियों के जैसी ही होगी। भूमिगत बाजार के मार्ग से होते हुये जैसे ही हम खुले भाग में पहुँचे, हमारी बद्ध कल्पना हमें छोड़कर जा चुकी थी और जो सामने था वह हमें आश्चर्यचकित करने के लिये पर्याप्त था। चुन्क्सी रोड एक चौड़ी सी सड़क है। इसका निर्माण चेन्दू के दो व्यापारिक केन्द्रों को जोड़ने के लिये १९२४ कराया गया था। इसका क्षेत्रफल लगभग दो लाख वर्गमीटर है। अपने चारों ओर यह अन्य वाणिज्यिक रोडों से जुड़ी हुयी है। इसके दोनों ओर दुकाने हैं जिसमें पारम्परिक वस्तुओं से लेकर अत्याधुनिक समान तक मिलता है, मोलभाव भी बहुत होता है। साथ ही चीन भर के खाने पीने की विविधता यहाँ देखने को मिल जाती है, हर तरह का खाद्य, ठेले से लेकर पाँच सितारा तक। चौड़ी सड़क होने के कारण यहाँ पर खरीददारी के अतिरिक्त और सामाजिक और सांस्कृतिक गतिविधियाँ चलती रहती हैं, बिना किसी व्यवधान के । लोग अपने परिवार के साथ बैठे बतियाते मिलेंगे, युवावर्ग अपने आधुनिकतम और न्यूनतम फैशन के परिधानों से आपको हतप्रभ कर देंगे। कुछ नहीं तो लोग सेल्फी खींचने में व्यस्त दिख जायेंगे। यहाँ पर आने का कोई न कोई कारण निकाला जा सकता है क्योंकि यहाँ पर कुछ न कुछ होता रहता है। आसपास भी घूमने के कई स्थान हैं और सायं होते होते सब लोग यहीं सिमट आते हैं। करने को कुछ नहीं भी हो तो बस समय बिताने भी यहाँ आया जा सकता है। पूरा परिदृश्य एक चलचित्र की तरह सामने घूमता सा दिखता है। 

ऐश्वर्यकृत बाथरूम
मित्रों ने बताया कि यहाँ पर हर बड़ी और मँहगी ब्राण्ड की वस्तुयें मिल जाती हैं। बड़े बड़े मॉल देखकर लगा कि विश्व का ऐश्वर्य इन्हीं दुकानों में आकर सिमट गया हो। ऐसे ही एक मँहगे मॉल (IFS) में एलेवेटर सीधे दूसरे खण्ड में ले गया। चमचमाती दुकानों के बीच में बना एक बाथरूम भी स्वर्ग से ही अवतरित लग रहा था। कुछ मित्रों को वह इतना अच्छा लगा कि उन्होंने वहाँ अपने चित्र भी खिंचवाये। वहाँ से जब बाहर निकले तब कहीं जाकर अपने विश्व में होने का बोध हुआ। अपने संबंधियों और मित्रों के लिये भेंट करने की कई वस्तुयें सबने बाहर आकर ही लीं। बाहर विज्ञापनों की बड़ी स्क्रीनें ही इतना प्रकाश उत्पन्न कर रही थीं कि चुन्क्सी रोड में दिन सा वातावरण लग रहा था।

चुन्क्सी रोड से अन्य वाणिज्यिक रोडों को जोड़ने वाली गलियों को पारम्परिक स्वरूप दिया गया है। पुरानी गलियों को संरक्षित कर शताब्दियों पहले क्या वातावरण रहता होगा, उसे दर्शाने की चेष्टा की है। यहाँ से दस मिनट की दूरी पर डाची का बौद्धमठ है। १६०० वर्ष पहले स्थापित यह मठ चीन का प्राचीनतम और विशालतम मठ है। यह बौद्ध संस्कृति का बड़ा संग्रहालय है। सायं को यह मठ बंद हो जाने के कारण हम लोग यहाँ जा नहीं पाये।


जिनली रोड और पीपुल्स पार्क अगले ब्लॉग में।

9 comments:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शुक्रवार (16-09-2016) को "शब्द दिन और शब्द" (चर्चा अंक-2467) पर भी होगी।
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    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    हिन्दी दिवस की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  2. अद्भुत शब्दचित्र भाई साहब..!

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  3. अद्भुत शब्दचित्र भाई साहब..!

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  4. ये साहब बाथरूम मे क्या ताक रहे है? आपकी सीरीज को पढ़कर मुझे, गौरा पन्त शिवानी का "यात्रिक-यात्रिक" संस्मरण जो धारावाहिक धर्मयुग मे प्रकाशित हुआ था,का अहसास होता है।

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    1. चारों ओर शीशे लगे थे, हमारे मित्र ऊपर अपना चेहरा देखकर प्रसन्न हो रहे हैं।

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  6. एक अलग लोक की सैर करने जैसी अनुभूति हो रहा है पढ़कर ... काश कि कभी सैर करने का सुअवसर मिल सके ...

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  7. बहुत रोचक यात्रा वृतांत !

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