9.8.15

मैनें रेखाचित्र बनाये

मैनें रेखाचित्र बनाये,
जगह जगह से कर एकत्रित, आकृतियों के ढेर सजाये ।

कहीं कहीं पर मधुर कल्पना के धुँधले आकार बिछाये,
कहीं सोचकर बड़े यत्न से, सुन्दर से कुछ चित्र बनाये ।
इतना सब कुछ पहले से है, फिर भी कुछ तो छूटा जाये ।
मैनें रेखाचित्र बनाये ।।१।।

इन रेखाचित्रों में उभरे, तेरे थे जो चित्र बनाये,
अलग व्याख्या, अलग सजावट, तेरा सब श्रृंगार सजाये ।
पर रेखाआें की यह रचना, आँखों में क्यों उतर न पाये ।
मैनें रेखाचित्र बनाये ।।२।।

कार्य यही अब इन चित्रों के तीखेपन को सरल बनाना,
कहीं वेदना के दृश्यों का, थोड़ा सा आकार घटाना ।
पर गन्तव्य पहुँचने पर, अनुभव की नद विस्तार बढ़ाये ।
मैनें रेखाचित्र बनाये ।।३।।

17 comments:

  1. वाह ! बहुत खूब ....

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  2. जिवन की सुन्दर व्याख्या
    अहा"कहीं वेदना के दृश्यों का,थोड़ा सा आकार घटाना।"
    अतिसुन्दर रचना। साधू साधू

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  3. जिवन की सुन्दर व्याख्या
    अहा"कहीं वेदना के दृश्यों का,थोड़ा सा आकार घटाना।"
    अतिसुन्दर रचना। साधू साधू

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  4. दिनांक 10/08/2015 को आप की इस रचना का लिंक होगा...
    चर्चा मंच[कुलदीप ठाकुर द्वारा प्रस्तुत चर्चा] पर...
    आप भी आयेगा....
    धन्यवाद...

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  5. इन टेढ़ी-मेढ़ी रेखाओं को बनाते चलना ही चित्रकार का काम है ... आगे ...और आगे .... और

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  6. Anonymous9/8/15 12:39

    Wah wah

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  7. Anonymous9/8/15 12:39

    Wah wah

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  8. आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" मंगलवार 11 अगस्त 2015 को लिंक की जाएगी............... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ....धन्यवाद!

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  9. ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन, बजरंगी भाईजान का सब्स्टिटूट - ब्लॉग बुलेटिन , मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !

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  10. मैनें रेखाचित्र बनाये ....वाह! बहुत सुन्दर !

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  11. बहुत सुन्दर्1 इन रेखा चित्रों मे सुन्दर रंग भरें ये दुया है1

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  12. इन रेखा चित्रों में ही जीवन उलझा रहता है.

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  13. इन रेखाचित्रों में अब रंग भी भरा जाना चाहिए|

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