5.11.14

मन्दगति

कौन कहता है, ये जीवन दौड़ है,
कौन कहता है, समय की होड़ है,

हम तो रमते थे स्वयं में,
आँख मूँदे तन्द्र मन में,
आपका आना औ जाना,
याद करने के व्यसन में,

तनिक समझो और जानो,
नहीं यह कोई कार्य है,
काल के हाथों विवशता,
मन्दगति स्वीकार्य है। 

7 comments:

  1. अति उत्तम भाव

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  2. इस मंद में भी गति है

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  3. तनिक समझो और जानो,
    नहीं यह कोई कार्य है,
    काल के हाथों विवशता,
    मन्दगति स्वीकार्य है।
    ...बिलकुल सही ..

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  4. काल की गति कोई न जाने
    मन घोड़े की लगाम को भी वो थामे

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  5. गति होनी ज़रूरी है..

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