30.8.14

शुभकामनायें

तेरे पथ का हर एक चरण,
गुजरे मधुवन की गुञ्जन में ।
तेरे जीवन की लब्ध पंक्ति,
हरदम भीगी हो चन्दन में ।।१।।

नवहृदय कक्ष की हर धड़कन,
जीवन-सुर की झंकार बने ।
यश-दीप दिशाआें में तेरा,
सौन्दर्य युक्त श्रृंगार बने ।।२।।

लावण्य तुम्हारे जीवन के,
रस-रागों का उत्प्रेरक हो ।
भावों की यह तरल भूमि,
आकर्षण का आधार बने ।।३।।

14 comments:

  1. नव जीवन कक्ष की हर धड़कन
    जीवन सुर की झंकार बने
    यही झंकार तो मनुष्य को जीवीत रखे हुए है
    अत्यंत सुन्दर भाव

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  2. भावपूर्ण

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  3. सुन्दर भावाभिव्यक्ति

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  4. प्रणाम सर। रूप लावण्य, सौन्दर्य ,रस ,भाव और राग तो श्रृंगार के संयोग पक्ष को पूर्णतया आवेशित ,आवेष्टित और गुम्फित कर लिया ।
    यह कविता पाठकों को मन्त्रमुग्ध कर देने वाली है ।कामना हो तो ऐसी !

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  5. शब्दों को दो जब विस्तार
    तुम अपनी मधुर वाणी में
    लहराती स्वर लहरी संग
    जीवन फूंकों हर प्राणी में

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  6. अद्भुत! अत्यन्त भावपूर्ण।

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  7. बहत सुन्दर भावाभिव्यक्ति!

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  8. सुन्दर। हमारी भी शुभकामनाएँ।

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  9. लावण्य से ओत- प्रोत!!!

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