4.1.14

हिन्दी टाइपिंग - स्वेच्छा और अपेक्षा

कम्प्यूटर के लिये इन्स्क्रिप्ट कीबोर्ड
हिन्दी टाइपिंग में हो रहे परिवर्तनों में विशेष रुचि रही है, कारण उसका शून्य से विकसित होते देखते रहना है। कम्प्यूटरों में हिन्दी टाइपिंग की सुविधा ने संभावनाओं के द्वार खोल दिये थे, हिन्दी प्रेमियों ने डिजिटल रूप में इण्टरनेट अदि में न जाने कितना लिखना प्रारम्भ कर दिया था। पहले फॉण्ट की विषमता रही, पर यूनीकोड आने से सबका लिखा सब पढ़ने में सक्षम होते गये। कई तरह के कीबोर्ड आये, अन्ततः इन्स्क्रिप्ट कीबोर्ड के स्वरूप को सीडैक ने आधिकारिक घोषित किया। यह होने के बाद भी हिन्दीजन बाराह और अन्य फोनेटिक टाइपिंग तन्त्रों को सुविधानुसार चाहते रहे। यद्यपि इन्स्क्रिप्ट में गति कहीं अधिक है पर धाराप्रवाह टाइप करने के लिये कीबोर्ड पर अक्षरों की स्थिति का अभ्यास होने में दो सप्ताह का समय लग जाता है। यही कारण है कि सम्प्रति कम्प्यूटर जगत में हिन्दी टाइपिंग इन दो धड़ों में बराबर से बटी है। भारतीय भाषाओं के संदर्भ में इन्स्क्रिप्ट की एकरूपता एक अलग पोस्ट का विषय है।

मोबाइल और टैबलेट के पदार्पण से राह और सुगम हो चली। अब यथारूप टाइप करने के लिये कीबोर्ड स्क्रीन पर ही उपस्थित है, इन्स्क्रिप्ट टाइपिंग के लिये अक्षरों की स्थिति जानने की कोई समस्या नहीं। फिर भी पता नहीं क्यों मोबाइल बनाने वाले नये नये कीपैडों के प्रयोग में क्यों लगे हुये हैं, जो न मानक हैं, जिनका न सिर पैर है, जिनका न टाइप करने वालों में अभ्यास है, जिसके पीछे न कोई तर्क या वैज्ञानिकता ही है? यदि इस तरह के प्रयोग वैकल्पिक होते तो बात अलग थी, लोग श्रेष्ठ को चुनते, शेष को छोड़ देते। पर इन विचित्र कीबोर्डों का एकमात्र की बोर्ड होना और मानक इन्स्क्रिप्ट कीबोर्डों की अनुपस्थिति हिन्दीजनों के धैर्य को सतत टटोलने जैसे विचित्र कार्य हैं।

वर्तमान में एप्पल और एण्ड्रॉयड में इन्स्क्रिप्ट कीबोर्ड को मानक मान लिया गया है। विण्डो फोन अभी भी अधर में अटके हैं, सारी वर्णमाला एक ओर से लिख कर उसे कीबोर्ड का नाम दे दिया। आश्चर्य तब और होता है कि आज से ६ वर्ष पहले विण्डो के एचटीसी फोन पर इन्स्क्रिप्ट कीबोर्ड उपयोग में लाते थे और ३ वर्ष पहले नोकिया के सी३ फोन पर भी उसी कीबोर्ड का उपयोग किया था। अब दोनों कम्पनी एक हो गयीं और मानक इन्स्क्रिप्ट कीबोर्ड को भूल गयीं। पर्याप्त समय हो चुका है और अब तक सबको यह समझ जाना चाहिये कि हिन्दी का मानक कीबोर्ड क्या है। प्रयोग भी बहुत हो चुके हैं, अब ये प्रयोग बन्द कर मानक कीबोर्ड के संवर्धन पर ध्यान दिया जाये।

स्क्रीन कीबोर्डों के लिये संवर्धन के क्या और होना चाहिये, इस पर अपेक्षाओं की सूची लम्बी है। इनमें से कई आंशिक रूप से उपस्थित भी हैं, पर उनको पूरी तरह से उपयोग करने के लिये पूरी सूची का क्रमवार होना आवश्यक है।

मोबाइल का परिवर्धित इन्स्क्रिप्ट कीबोर्ड
पहला है, नोटपैड और कीबोर्ड की स्पष्टता। इन्स्क्रिप्ट कीबोर्ड की एक पंक्ति में १३ अक्षर होते हैं, यदि ये सारे अक्षर मोबाइल  में या टैबलेट में यथारूप डाल देंगे तो चौड़ाई में अक्षरों का आकार बहुत छोटा हो जायेगा और टाइप करने में बहुत कठिनाई भी होगी। साथ ही साथ पाँच पंक्ति का मानक स्वरूप रखेंगे तो कीबोर्ड का आकार बहुत ऊँचा हो जायेगा और तब नोटपैड पर लिखने के लिये कम स्थान मिलेगा। जहाँ एप्पल के इन्स्क्रिप्ट कीबोर्ड में ४ पंक्तियाँ और एक पंक्ति में अधिकतम ११ अक्षर हैं, वहीं एण्ड्रॉयड में ४ पंक्तियाँ और एक पंक्ति में १२ अक्षर हैं। यही नहीं, एक हाथ में पकड़कर अँगूठे से टाइप करने की सुविधा के लिये मोबाइल की चौड़ाई अँगूठे की लम्बाई से अधिक नहीं होना चाहिये। बहुत बड़ी स्क्रीन के चौड़े मोबाइल मुझे संभवतः इसीलिये नहीं सुहाते और मैं अपने ३.५ इंच की स्क्रीन के आईफोन ४एस से अत्यधिक संतुष्ट हूँ। मुझे लगता है कि बहुत बड़ी स्क्रीन का फ़ोन लेने के क्रम में हम एक हाथ से टाइपिंग की सुविधा खो बैठते हैं। अँगूठे भर की लम्बाई में ११ से अधिक अक्षर बहुत छोटे लगते हैं। बताते चलें कि अंग्रेजी वर्णमाला के लिये एक पंक्ति में केवल १० अक्षर होने से उसका कीपैड कहीं अधिक स्पष्ट दिखता है।

जब कीपैड आये तो स्क्रीन में शेष स्थान यथासंभव खाली रहना चाहिये, जिससे लिखा हुया अधिक और स्पष्ट दिखायी पड़े। साथ ही साथ कीपैड और कर्सर के बीच बहुत अधिक दूरी होगी तो लेखन में असुविधा बढ़ती है। यदि कीपैड आने के पश्चात नोटपैड में कम स्थान यदि बचता भी हो तो कर्सर कीपैड के यथासंभव निकट होने से टाइप होने की असुविधा कम की जा सकती है।

बिना शिफ्ट की के टाइपिंग
स्क्रीन कीपैड में एक और सुविधा है जिससे टाइपिंग की गति बढ़ाई जा सकती है। टाइपिंग में शिफ़्ट की जितनी कम दबाई जाये, उतनी अधिक गति बढ़ जाती है। इन्स्क्रिप्ट कीपैड में आधे अक्षर शिफ़्ट की दबा कर ही आते हैं। सामान्य लेखन में शिफ़्ट की के अक्षरों का प्रयोग एक तिहाई ही है। उसे भी और कम किया जा सकता है। यदि क को तनिक अधिक देर दबाये रखें तो ख आ जाता है। यह समय शिफ़्ट की दबाने से थोड़ा कम होता है। इसी प्रकार न को दबाये रखने से हर वर्ग का पाँचवाँ अक्षर आ जाता है और आप बिना अधिक प्रयास के उसे चुन सकते हैं। इसमें न केवल गति बढ़ जाती है, वरन कई अक्षरों को ढूँढ़ने में अधिक प्रयास भी नहीं करना पड़ता है। बहुत दिनों के अभ्यास के बाद ही यह कह रहा हूँ कि इससे टाइपिंग में शिफ़्ट की न केवल हटाई जा सकती है, वरन चार के स्थान पर तीन पंक्तियों में ही हिन्दी वर्णमाला सीमित की जा सकती है। एक अँगूठे से टाइप करने में यदि सुविधा और भी प्रभावी हो जाती है, भ्रम भी कम हो जाता है और गति भी बढ़ जाती है। इस तथ्य पर तनिक और शोध करके हिन्दी टाइपिंग को और भी सुगम और गतिमय बनाया जा सकता है।

 हिन्दी टाइपिंग में अगली सुविधा है, शब्दकोष के अनुसार शब्दों का विकल्प देना। एण्ड्रॉयड फ़ोनों में जैसे ही आप टाइप करना प्रारम्भ करते हैं, कीपैड के ऊपर संभावित शब्दों के विकल्प आ जाते हैं, उनमें से एक को चुनने से टाइपिंग में लगा शेष श्रम बच जाता है। वहीं दूसरी ओर एप्पल में टाइप करते समय केवल एक ही विकल्प आता है जो कर्सर के साथ ही रहता है। यदि उस समय आपने स्पेस दबा दिया तो वह विकल्प चुन लिया जाता है। तुलनात्मक दृष्टि से यह सुविधा कम लगती है पर इसका एक विशेष पक्ष इसे अत्यधिक उपयोगी बना देता है। एप्पल का विकल्प देने वाला तन्त्र आपसे सतत ही सीखता रहता है और उसी के अनुसार विकल्प देता है। कहने का अर्थ है कि आप जितना अधिक टाइप करेंगे, विकल्प प्रस्तुत करने का तन्त्र उतना ही प्रभावी और सटीक होगा। यही नहीं, छोटी मोटी टाइपिंग की भूलें तो वह स्वतः ही ठीक कर देता है, जिससे आप चाह कर भी कोई भूल नहीं कर सकते हैं। एण्ड्रायड में ऊपर की पंक्ति में विकल्प होने से कीपैड की ऊँचाई बढ़ जाती है, जिससे टाइप करने में तनिक असुविधा होने लगती है। साथ ही साथ अधिक विकल्प की स्थिति न केवल भ्रमित करती है वरन गति भी कम कर देती है।

कीपैड को न केवल मानक शब्दकोष का ज्ञान हो, वरन आपके उपयोग के बारे में जानकारी हो। यही विस्तार व्याकरण के क्षेत्र में भी किया जा सकता है। व्याकरण के नियमों को सीखकर वह अगला संभावित शब्द या शब्द श्रंखला भी सुझा सकता है। यही नहीं स्त्रीलिंग-पुल्लिंग, एकवचन-बहुवचन आदि की वाक्य रचनाओं में की गयी सामान्य भूलों को भी पहचान कर सुधारने में वह आपकी सहायता कर सकता है। इस पक्ष पर अधिक शोध नहीं हुआ है, पर इस पर किया गया श्रम हिन्दी टाइपिंग के लिये एक मील का पत्थर सिद्ध होगा।

अगली सुविधा है, लिखा हुआ पढ़ना। कभी कभी लम्बा लेख लिखने के बाद पढ़ने की इच्छा न हो तो उसे सुन पाने की सुविधा होनी चाहिये। यद्यपि एप्पल में बोलने वाली उतनी स्पष्टता से हिन्दी नहीं बोल पाती है, पर सब समझ में आ जाता है और संपादन भी किया जा सकता है। इस सुविधा को विकसित करने के लिये वर्तनी के नियम, उच्चारण और संयुक्ताक्षर प्रमुख हो जाते है। बहुधा लम्बी कहानियों को भी इसी सुविधा का उपयोग कर मैंने सुना है। यही नहीं सुनने के क्रम में अर्धविराम और पूर्णविराम के महत्व को समझने की शक्ति विकसित हो जाती है, जो कि संवाद के लिये अत्यावश्यक है।

इसी सुविधा से सीधे जुड़ी हुयी सुविधा है, बोला हुआ लिखना। कई भाषाओं में यह सुविधा अत्यधिक विकसित है पर हिन्दी में यह अपने विकास की प्रतीक्षा कर रही है। यदि यह पूरी तरह से संभव हो सका, मोबाइल आधुनिक गणेश का अवतार धर लेंगे। इसी प्रकार हाथ का लिखा पढ़ना भी एक क्षेत्र है जिसमें अधिक कार्य की आवश्यकता है। विण्डो में अंग्रेजी भाषा के लिये इस सुविधा के उपयोग के पश्चात हिन्दी में वह अपेक्षा होना स्वाभाविक ही है। इसके अतिरिक्त एक वृहद शब्दकोष और दूसरी भाषाओं में अनुवाद की सुविधा हिन्दी के लिये आगामी और मूलभूत आवश्यकतायें हैं। हमें मानकीकरण की स्वेच्छा से वांछित अपेक्षाओं तक की लम्बी यात्रा अपने ही पैरों पर चलनी है।

47 comments:

  1. काफी काम की पोस्ट है. एक जमाने में हिंदी की बोर्ड से टाइप करना सीखा था अब तो सब भूल गया.
    गूगल टूल से रोमन से हिंदी में टाइप करना सरल लगता है. पर कई बार वह ठीक नहीं होता।

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    1. यही अनुभव मेरा रहा है, यही कारण था कि मैं इन्स्क्रिप्ट की ओर मुड़ गया।

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  2. लेख पढ़कर वो दिनयाद आ गए जब अपने छोटे से कस्बे से दूर taepraeter पर हिंदी टाइपिंग सिखने जाता था

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  3. लेख पढ़कर वो दिनयाद आ गए जब अपने छोटे से कस्बे से दूर taepraeter पर हिंदी टाइपिंग सिखने जाता था

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  4. हमें तो फोनेटिक टाइपिंग ज्यादा सरल लगता है ! इन्स्क्रिप्ट कीबोर्ड के ढूढने में समय लगता है !
    नया वर्ष २०१४ मंगलमय हो |सुख ,शांति ,स्वास्थ्यकर हो |कल्याणकारी हो |
    नई पोस्ट विचित्र प्रकृति
    नई पोस्ट नया वर्ष !

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  5. हिंदी में बोल के लिखने की प्रतीक्षा है !! मंगलकामनाएं आपको !!

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  6. आपने एप्‍पल के की-बोर्ड के लिए बिना शिफ्‍ट दबाए लिखने का प्रयोग बताया इसके लिए आभार। लेकिन लिखे को सुनने के लिए क्‍या करना है, यह भी बताएं।

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    1. मैक और आईओएस ७, दोनों में लिखा हुआ सुना जा सकता है, सेटिंग्स में यह सुविधा है।

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  7. हम सीधे देवनागरी में लिखें और उसे दुनियॉ पढे ,ऐसा साधन कब मिलेगा ?

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  8. अच्छा जानकारी पूर्ण लेख.
    आभार.
    नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ

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  9. आप जैसे महानुभवों का अस्तित्व गर्व का भागी हैं

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  10. टाइपराइटर के ज़माने से हिंदी कीबोर्ड से जुड़ा हूँ , १९९४ से कंप्यूटर पर काम कर रहा हूँ लेकिन इंटरनेट पर हिंदी में लिखना अब जाकर आसान हुआ है , आगे और भी विकल्प सामने आयेंगे ऐसी आशा है , हिंदी का भविष्य उज्जवल लग रहा है

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  11. हिन्दी में लिखना सरदर्द हो रहा है मैक में। मुश्किल ये है कि शिफ्ट और औप्शन का बटन कई बार दबाना पड़ता है, इससे लिखने में छोटी उंगली में दर्द उठ जाता है। सोच रही हूं इन्सक्रिप्ट ट्राय कर लूं अब। :(

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    1. इन्स्क्रिप्ट कीबोर्ड पर ही लिख रहा हूँ, इन्स्क्रिप्ट कीबोर्ड के बारे में लिख रहा हूँ।

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  12. ***आपने लिखा***मैंने पढ़ा***इसे सभी पढ़ें***इस लिये आप की ये रचना दिनांक 6/01/2014 को नयी पुरानी हलचल पर कुछ पंखतियों के साथ लिंक की जा रही है...आप भी आना औरों को भी बतलाना हलचल में सभी का स्वागत है।


    एक मंच[mailing list] के बारे में---


    एक मंच हिंदी भाषी तथा हिंदी से प्यार करने वाले सभी लोगों की ज़रूरतों पूरा करने के लिये हिंदी भाषा , साहित्य, चर्चा तथा काव्य आदी को समर्पित एक संयुक्त मंच है
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    हिंदी व देवनागरी के क्षेत्र में होने वाली खोज, अनुसन्धान इत्यादि के बारे मेंहिंदी प्रेमियों को अवगत करना.
    हिंदी साहितिक सामग्री का आदान प्रदान करना।
    अतः हम कह सकते हैं कि एकमंच बनाने का मुख्य उदेश्य हिंदी के साहित्यकारों व हिंदी से प्रेम करने वालों को एक ऐसा मंच प्रदान करना है जहां उनकी लगभग सभी आवश्यक्ताएं पूरी हो सकें।
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    कोई भी सदस्य इस समूह को सबस्कराइब कर सकता है। सबस्कराइब के लिये
    http://groups.google.com/group/ekmanch
    यहां पर जाएं। या
    ekmanch+subscribe@googlegroups.com
    पर मेल भेजें।


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  13. बहुत सुन्दर आलेख , मुझे तो transliteration के आने से बड़ी सुविधा मसूस होती है ..

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  14. जानकारी पूर्ण लेख.
    नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ

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  15. आपका लेख मोबाइल फोन पर केन्द्रित रहा, क्या कम्पयूटर पर भी अर्ध अक्षरों की यह सुविधा लागू हो सकती है?(यदि क को तनिक अधिक देर दबाये रखें तो ख आ जाता है। यह समय शिफ़्ट की दबाने से थोड़ा कम होता है। इसी प्रकार न को दबाये रखने से हर वर्ग का पाँचवाँ अक्षर आ जाता है और.....)

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    1. जी नहीं, कम्प्यूटर पर यह सुविधा नहीं है। स्क्रीन कीबोर्ड में ही यह सुविधा है, विशेष कर आईफ़ोन और आईपैड पर।

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  16. आप को नव वर्ष 2014 की सपरिवार हार्दिक शुभकामनाएँ!

    कल 05/01/2014 को आपकी पोस्ट का लिंक होगा http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर
    धन्यवाद!

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  17. ज्ञानवर्धक सूचनायें और पोस्ट...

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  18. आपकी इस प्रस्तुति को आज की बुलेटिन हिंदी ब्लॉग्गिंग और ब्लॉग बुलेटिन में शामिल किया गया है। कृपया एक बार आकर हमारा मान ज़रूर बढ़ाएं,,, सादर .... आभार।।

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  19. मुझे तो गूगल टूल से रोमन से हिंदी में टाइप करना सरल लगता है. ...!
    नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाए...!
    RECENT POST -: नये साल का पहला दिन.

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  20. हमें तो अभी भी गूगल आईएम्ई इनपुट ही भा रहा है !!

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  21. bahut sundar aur gyanvardhak lekh.

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  22. हमेशा की तरह ज्ञानवर्द्धक आलेख
    संग्रहणीय पोस्ट
    हार्दिक शुभ कामनाएं

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  23. उपयोगी अद्यतन जानकारी। आभार आपकी प्रेरक टिप्पणियों का।

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  24. बहुत ही उपयोगी जानकारी से परिपूर्ण संग्रहणीय आलेख ...

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  25. अब हिन्दी टाइपिंग पहले के बनिस्बत काफ़ी आसान है

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  26. गूगल के हिन्दी आई एम ई टूल से दिक्कत होती थी जब उर्दू के नुक्ते वाले शब्दों पर समझौता करना पड़ता था.. या फिर 'ड़' के लिये कई बार 'ड' से कॉम्प्रोमाइज़ करना पड़ता था.. लेकिन ऑफिस में और यहाँ इंडिक आई एम ई टूल से यह सब जाता रहा अब 'ड' और 'ड़' तथा 'ढ' और 'ढ़' के लिये सोचना नहीं पड़ता.
    बहुत ही अच्छी जानकारी मिली!!

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  27. सभी के लिए उपयोगी पोस्ट ........ आभार

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  28. मैं तो फ़ोनेटिक में टाइप करके उसका फॉन्ट बदल लेता हूँ.

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  29. मुझे तो अब भी गूगल टूल से रोमन से हिंदी में टाइप करना सरल लगता है!

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  30. iss vishay par kuch nhi keh paugi... bahut bar koshis ki hindi lekhan ki par nirasha he haath lagi

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  31. बहुत सुन्दर आलेख...लेकिन मुझे google trasliteratin सुविधाजनक लगता है....

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  32. विन्डोज़ फोन भी यह सुविधा उपलब्ध कराने लगे हैं.....

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  33. main bhi http://translate.google.com/#hi/en hi use karta hun. Nayi Jaankariyan milin. Thanks

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  34. शुरुआत में सभी को ट्रान्सलिटेरेशन भाया लेकिन इसमें ,स्ट्रोक्स , इनस्क्रिप्ट की तुलना में बहुत ज्यादा लगते है. दूसरा कि अक्षरों के लिए कॉम्बिनेशन बहुत ज्यादा हैं. इनस्क्रिप्ट में की कम हैं , स्ट्रोक्स कम लगते हैं और तो और एक ही उच्चारण अलग अलग भाषा में लिखने के लिए स्ट्रोक्स एक से हैं केवल भाषा चयन करने की जरूरत है. आज भी लोग ट्रान्सलिटेरेशन की ओर झुकते हैं मानिए कि एक हिंदी भाषी को इनस्क्रिप्ट पर माहिर होने में केवल दो-तीन दिन लगते हैं उसके बाद आप जितना टाइप करते जाएँगे आपकी स्पीड भी बढ़ेगी और गलतियाँ भी कमेंगी. यह मानक भी है, सरल भी है और गति में तेज भी है. मैं तो कहूंगा सारी प्रणालियों को छोड़ तपरंत इनस्क्रिप्ट अपनाएं इसी में बेहतरी है. बाकी अपनी अपनी सुविधा. ळेख में कॉफी विस्तार है. एक बात और कि मोबाईल और पीसा के की बोर्ड में खासा अंतर है. "विद्या" का दूसरा अक्षर हमेशा नहीं आ पाता है.

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  35. अपने यहां तो, माइक्रोसॉफ़्ट के हिंदी सॉफ़्टवेयर 'अक्षर' से कंप्‍यूटर पर हिंदी प्रयोग करने के कारण जाने-अनजाने ही रेमिंगटन कीबोर्ड सीख गए जो आज भी डैस्‍क्टॉप पर ज़िंदाबाद है. मोबाइलों पर मानकीकरण के अभाव और पिद्दे कीबोर्ड आउले के चलते 'गूगल हिंदी इनपुट' पर आकर समस्‍या समाप्‍त हो गई.

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  36. उपयोगी जानकारी है इस पोस्ट में ...
    गूगल से रोमन में टाइप करना आज भी ज्यादा आसां महसूस होता है मुझे तो ...

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  37. us din ki prteeksha jane kab khatm hogi jb hindi typing ko sthan googale ke sabhi site pr uplabdh milega

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  38. बेहतरीन प्रणाम

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  39. वाह...बहुत विस्तार से अच्छी जानकारी दी आपने...बहुत बढ़िया प्रस्तुति...आप को मेरी ओर से नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं...

    नयी पोस्ट@एक प्यार भरा नग़मा:-कुछ हमसे सुनो कुछ हमसे कहो

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  40. हम तो सीधी टाईपिंग ही कर रहे हैं । आज तक किसी और पर हाथ आजमाकर नही देखा , मोबाईल में टाईपिंग का झंझट नही पाला है अभी तक , पीसी पर भी एक वेबसाइट ने दो साल से सहारा दे रखा है अगर ये ना होती तो अब तक और कुछ किया होता
    www.krutidevunicode.com

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  41. एक सार्थक चर्चा जिससे इंटरनेट की हिंदी का विकास होगा।

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  42. सार्थक ,उपयोगी पोस्ट .....!!

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  43. आपकी इस ब्लॉग-प्रस्तुति को हिंदी ब्लॉगजगत की सर्वश्रेष्ठ कड़ियाँ (3 से 9 जनवरी, 2014) में शामिल किया गया है। कृपया एक बार आकर हमारा मान ज़रूर बढ़ाएं,,,सादर …. आभार।।

    कृपया "ब्लॉग - चिठ्ठा" के फेसबुक पेज को भी लाइक करें :- ब्लॉग - चिठ्ठा

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