27.8.16

चीन यात्रा - ९

बीजिंग को पेकिंग भी कहा जाता है। शब्द एक होने के बाद भी उसका उच्चारण मान्डरिन में बीजिंग और कैन्टॉनीस में पेकिंग है। गुआन्झो को कैन्टॉन के नाम से जाना जाता था और वहाँ की भाषा को कैन्टॉनीस। साम्यवादी सरकार ने कई वर्षों के लिये चीन का संबंध शेष विश्व से तोड़ दिया था और जब उसे धीरे धीरे खोला तो विदेशियों का आगमन गुआन्झो से ही सीमित रखा। यही कारण है कि पेकिंग भी बीजिंग का उतना ही प्रचलित नाम रहा है। यद्यपि अब उसका उपयोग न्यून हो गया है पर फिर भी कुछ व्यापारिक और सांस्कृतिक प्रतिष्ठानों में यह नाम दिख जाता है।

हमें बताया गया कि बीजिंग में मुख्यतः ५ स्थान दर्शनीय हैं, चीन की दीवार, फॉरबिडेन सिटी, हुटांग, टेंपल ऑफ हैवेन और सिल्क मार्केट। हमारी सूची में थियानमेन चौक भी था पर सर्वज्ञात कारणों से हमारे गाइड ने उसकी चर्चा नहीं की। चीन की दीवार वैसे तो ८८०० किमी लम्बी है जो कि कई सदियों, कई चरणों में और कई परतों में निर्मित हुयी पर बीजिंग के निकट उसका नवीनतम और सर्वाधिक संरक्षित खण्ड है। फॉरबिडेन सिटी चीन के राजवंश के महल परिसर का नाम है, टेंपल ऑफ हैवेन राजवंश के सास्कृतिक समारोहों का स्थल और हुटांग सामान्य जन के रहने का स्थान। थियानमेन फॉरबिडेन सिटी के मुख्य द्वार का नाम है, उसके सामने के मैदान पर १९८९ में लोकतन्त्र का आन्दोलन हुआ था जो कि बड़ी निर्दयता से कुचल दिया गया।  थियानमेन चौक की तीन अन्य दिशाओं में संसद, सरकार का प्रशासनिक भवन और राष्ट्रीय संग्रहालय है। सिल्क मार्केट एक बाजार है जहाँ पर हर ब्रान्ड के डुप्लीकेट मिल जाते हैं और यहाँ मोल भाव बहुत होता है।

बीजिंग चीन की राजनैतिक व सांस्कृतिक राजधानी है जब कि शंघाई चीन का औद्योगिक व आर्थिक केन्द्र। बीजिंग में वायु प्रदूषण और जनसंख्या विस्तार के कारण समस्त औद्योगिक ईकाईयों को या तो बन्द कर दिया गया या नगर से बहुत दूर विस्थापित कर दिया गया। सरकार से समन्वय और अन्य प्रशासनिक कारणों से बड़ी कम्पनियों के मुख्य भवन भले ही यहाँ पर हैं पर सारा व्यापारिक कार्य शंघाई से ही संचालित होता है। बीजिंग और शंघाई १२०० किमी दूर होने पर भी बुलेट ट्रेन से जुड़े हैं। यात्रा की अवधि मात्र ४-५ घंटे होने के कारण समन्वय का कार्य अत्यन्त सुविधाजनक हो जाता है। 

५ रिंग रोड में बसे इस नगर के केन्द्र में सांस्कृतिक और प्रशासनिक भवन हैं। कहते हैं कि ऐतिहासिक भवनों का पुरातन भाव बनाये रखने के लिये क्रमशः रिंग रोडों पर भवनों की ऊँचाई मिर्धारित कर दी गयी है ताकि ऐतिहासिक भवनों के आकाशदृश्य आधुनिक न लगें। तीसरी रिंग रोड के बाद ही व्यापारिक प्रतिष्ठान और ऊँची अट्टालिकायें दिखनी प्रारम्भ होती हैं। बीजिंग का एयरपोर्ट विश्व के व्यस्ततम एयरपोर्टों में एक है और प्रतिदिन लगभग २००० उड़ानें यहाँ पर आती हैं। इसे वड़े ही सुन्दर, विस्तृत और भव्य रूप में विकसित किया गया है। नगर के केन्द्र से ३० किमी दूर यह परिसर ३५ वर्ग किमी में फैला हुआ है। बाहर निकलते ही हरियाली की लम्बी कतारें अच्छी लगती हैं। 

वायु प्रदूषण से नगर को बचाये रखने के लिये सारे मोटर साइकिल या स्कूटर इलेक्ट्रिक होना अनिवार्य हैं। प्रदूषण मानकों पर पुरानी कारें प्रतिबन्धित हैं और नयी कारों के पंजीकरण में पर्यावरण कर के रूप में बहुत अधिक धन देना पड़ता है, लगभग कार की कीमत का एक चौथाई। वहाँ पर वाहनों के लिये सम विषम पद्धति नहीं है पर हर दिन किन्हीं दो अंकों में समाप्त होने वाले वाहन प्रतिबन्धित रहते हैं। ५ दिन के कार्यकारी सप्ताह में आप निजी वाहन दो दिन नहीं निकाल सकते हैं। सप्ताहान्त में कोई प्रतिबन्ध नहीं रहता है। सार्वजनिक परिवहन की व्यवस्थायें सर्वोत्तम हैं। बस, मेट्रो, टैक्सी आदि से पूरा नगर आवृत्त है। नगरीय बसों के लिये भी सड़कों के ऊपर बिजली के तार लगे हुये हैं। इस व्यवस्था ने भले ही प्रदूषण कम कर दिया हो पर नगर के सौन्दर्य को बाधित कर रखा है। साइकिलों का भी उपयोग पर्याप्त मात्रा में दिखायी पड़ा।

हर चौराहे पर फ्लाईओवर और हर स्थान पर उद्यान व पेड़ होने से यातायात न्यूनतम बाधित और पर्यावरण प्राणवान लगता है। जो भी धुँआ निकलता होगा उसका पर्याप्त भाग ये पेड़ पौधे अवश्य सोख लेते होंगे। नगरीय दृश्यों में एक व्यवस्था, क्रमबद्धता, औदार्य और संतुलन दिखता है। नगर के योजनाकारों और विकसित करने वालों ने संकुचन, भीड़ अव्यवस्था को बड़े ही वैज्ञानिक ढंग से समझा और निराकरण किया होगा। देखकर लगता है कि कम से कम स्थान में अधिक से अधिक कार्यक्षमता कैसे निकाली जा सकती है। सार्वजनिक स्थान पर्याप्त बड़े और सुन्दर दिखे और निश्चय ही उनका भरपूर आनन्द वहाँ के निवासी उठाते होंगे। कई झीलों के चारों ओर के उत्सवीय वातावरण में वहाँ के सामुदायिक जीवन का आनन्द स्पष्टता से परिलक्षित था।


नगरीय परिवहन जितना विस्तृत था, नगरीय व्यवस्थायें भी उतनी ही सहजता से उपलब्ध। हर आधे किमी पर जनसुविधायें, स्वच्छता व्यवस्था उच्चकोटि की। हर सायं हम पैदल, बस से, मेट्रो से इतना घूमे पर कहीं पर भी रंच मात्र की असुविधा नहीं हुयी। हर संभावित स्थान पर सूचना बोर्ड लगा था कि कौन सी जनसुविधायें कितनी दूर हैं। गाइड द्वारा प्रस्तावित ५ स्थानों के अतिरिक्त अन्य स्थानों पर घूमने की उत्सुकता ने वहाँ की जीवनशैली के अन्य पक्षों से हमें अवगत कराया, उसका वर्णन अगले ब्लॉगों में। 

2 comments:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (28-08-2016) को "माता का आराधन" (चर्चा अंक-2448) पर भी होगी।
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    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
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    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  2. china yatra ka vritantra nisandeh bahut saari jankaari deta hai aur photos bhi dekhen maine ..too gud

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