20.12.15

राधा-माधव

देहभान में प्राण तिरोहित,
अन्तर आत्मा दुखी बेचारी ।
प्रेम भक्ति की सुधा चखा दो,
राधा माधव, कृष्ण मुरारी ।।१।।

भ्रम टूटा, मैं मुझसे छूटा,
नित माया की चोट करारी ।
मुझको अपनी गोद छुपा लो,
गोपी रक्षक, हे गिरिधारी ।।२।।

जग की जगमग रास न आये,
कैसे रह जाऊँ संसारी ।
मुझमें अपना रंग चढ़ा दो,
मेरे जीवन के अधिकारी ।।३।।

जीवन की अक्षय अभिलाषा,
मनमोहन, हे वंशीधारी ।
वृन्दावन मम हृदय उतारो,
प्रेम सरोवर, कुंज बिहारी ।।४।।

आनन्दित मन भरे कुलाँछे,
तेरी लीलायें अति प्यारी ।
बिन तेरे सब शान्त शुष्क है,
गोविन्दा, हे गोकुलचारी ।।५।।

हे शब्दों के उद्भवकर्ता,
तुम्हें समर्पित कृतियाँ सारी ।
छंदों के इस तुच्छ भोग को,
स्वीकारो हे रास बिहारी ।।६।।

12 comments:

  1. आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" सोमवार 21 सम्बर 2015 को लिंक की जाएगी............... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ....धन्यवाद!

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  2. जय मां हाटेशवरी....
    आप ने लिखा...
    कुठ लोगों ने ही पढ़ा...
    हमारा प्रयास है कि इसे सभी पढ़े...
    इस लिये आप की ये खूबसूरत रचना....
    दिनांक 21/12/2015 को रचना के महत्वपूर्ण अंश के साथ....
    चर्चा मंच[कुलदीप ठाकुर द्वारा प्रस्तुत चर्चा] पर... लिंक की जा रही है...
    इस चर्चा में आप भी सादर आमंत्रित हैं...
    टिप्पणियों के माध्यम से आप के सुझावों का स्वागत है....
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ...
    कुलदीप ठाकुर...


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  3. सुंदर भजन। बधाई हो।

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  4. सुंदर भजन। बधाई हो।

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  5. भक्ति बोध की ओर बढ़ते कदम।

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  6. सर मेरे पास शब्द और तरीका नही है इतनी सुंदर
    कविता पर कुछ कमेंट कर सकू ।
    पर मन की तरंगो को नही रोक पता हूँ उसमे डूबने से।

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  7. बहुत सुन्दर ! शब्द, भाव एवं प्रवाह सब एक से बढ़ कर एक

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  8. बहुत खूब, मंगलकामनाएं आपकी लेखनी को !!

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  9. अद्भुत अभिव्यक्ति

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  10. राधा कृष्ण पर एक बेहतरीन कविता |सर नववर्ष की शुभकामनाएँ |

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  11. बहुत सुन्‍दर प्रवीण जी। मुझे लगता है असंसारी होने के लिए तो शिव की आराधना श्रेष्‍ठ रहेगी।

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