बिताये थे जो पल, कभी संग तेरे,
वो बनकर उमड़ते हैं, यादों के बादल ।
बड़ी सोहती है, वो छाहों की ठंडक,
रहूँ काश ऐसी, बहारों में हर पल ।। १।।
अभी तक सुनाई पड़े बोल तेरे,
तेरा खिलखिलाना औ’ किस्से सुनाना ।
सताता है, रह रह कर, याद आ रहा है,
वो बातें बनाते हुये मुस्कुराना ।। २।।
कभी देर तक ही, बिना कुछ कहे ही,
सुझाये, बताये, दिखाये थे रस्ते ।
कई और बातें, छिपाई थी मन में,
आँखों ही आँखों में, चुपके से हँस के ।। ३।।
मुझे आकर हौले से, थपका गयी थी,
तेरी प्रेम-पूरित, सलोनी सी बातें ।
तेरी सान्त्वना से ही, सब मिल गया था,
उहापोह में क्यों बितायीं थी रातें ।। ४।।
अभी मेरे कानों में तुम बोलती हो,
रहो गुनगुनाती, वही गीत अपने ।
मैं सुनता रहूँ, तुम सुनाती रहो यूँ,
उनींदी सी आँखों में सजने दो सपने ।। ५।।
बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति...
ReplyDeleteसुनी है उड़ती-उड़ती खबरें हमने तेज हवाओं में।
ReplyDeleteयाद हमें भी करते हैं वो लेकिन बस कविताओं में।
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल रविवार (07-12-2014) को "6 दिसंबर का महत्व..भूल जाना अच्छा है" (चर्चा-1820) पर भी होगी।
ReplyDelete--
सभी पाठकों को हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
अभी मेरे कानों में तुम बोलती हो,
ReplyDeleteरहो गुनगुनाती, वही गीत अपने ।
मैं सुनता रहूँ, तुम सुनाती रहो यूँ,
उनींदी सी आँखों में सजने दो सपने
सुंदर रचना।
वह भी दिन थे!
ReplyDeleteअब तो जिन्दगी डिस्टेण्ट सिगनल से होम सिगनल के बीच रेंग रही है!
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ReplyDeleteHealth World in Hindi
कहते हैं कि वक़्त को याद बनने में समय नहीं लगता है, और कुछ वक़्त ऐसे होते हैं जो ज़ेहन में इतने अन्तः जाकर बैठ जाती है कि फिर जीना उन्ही कुछ पलों का नाम हो जाता है। ये यादें और इन यादों के बीच पसरे कुछ पल हौले हौले से उस जीवन का निर्माण करते हैं यादों के फलसफे में जीता है और जब तब घूम आता है यादों के शहर में, जहाँ होठों पर कभी मुस्कान तो कभी आँखों में पानी के कुछ टुकड़े अपने आप आ जाते हैं।
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