न दैन्यं न पलायनम्

30.8.14

शुभकामनायें

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तेरे   पथ   का   हर   एक   चरण , गुजरे मधुवन की गुञ्जन में । तेरे जीवन की लब्ध पंक्ति, हरदम भीगी हो चन्दन में ।।१।। नवहृदय कक्ष ...
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27.8.14

कुछ हो वहाँ?

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एक क्रम है, एक भ्रम है, क्या पता, हम हैं कहां? तरल सी पायी सरलता, नियति बहते हम यहाँ। प्रकृति कहती, मानते हैं, परिधि अपनी जानते ...
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23.8.14

जीतना अनिवार्य था

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हृदय   को   यदि   सालता   हो   रुक्ष   सा   व्यक्तिव   मेरा , आँख के उल्लास में यदि शुष्क आँसू दीखते हों, जीवनी का वाद यदि अपवाद की सं...
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20.8.14

सूरज डूबा जाता है

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अब   जागा   उत्साह   हृदय   में ,   रंग   अब   जीवन   का   भाता   है , पर सूरज क्यों आज समय से पहले डूबा जाता है । चढ़ा लड़कपन, खेल ...
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16.8.14

जीवन बहता है, बहने दो

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मन   कहता   है ,  वह   कहने   दो , जीवन   बहता   है ,  बहने   दो   । आज   व्यर्थ   की   चिन्ताओं   से , पंथ   स्वयं   का   मत   रो...
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13.8.14

चित्र तुम्हारे

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कभी   सजाये   बड़े   यत्न   से , रंग   कल्पना   के   चित्रों   में , चित्र   तुम्हारे   आज   स्वयं   ही ,  फीके   क्यों   पड़ते   जाते...
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9.8.14

नैतिकता के स्थापन

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कहाँ   रह   गये   अब   वह   जीवन , जिनकी हमको मिली धरोहर । छिन्न-भिन्न सारी जग रचना, मचा हुआ क्यों ताण्डव भू पर ।। जीवन के सारे ...
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6.8.14

भौतिकता अनुकूल नहीं है

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उमड़   पड़े   अनगिनत   प्रश्न , जब   कारण   का   कारण   पूछा   । जगा   गये   सोती   जिज्ञासा , जीवन   के   अनसुलझे   उत्तर   ।। १।। ...
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2.8.14

अन्तहीन है ज्ञानस्रोत

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अगणित   रहस्य   के   अन्धकूप , इस प्रकृति-तत्व की छाती में । है अन्तहीन यह ज्ञानस्रोत, मानव तू क्या क्या ढूँढ़ेगा ।। विस्तारों क...
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30.7.14

हमको तो तुम भा जाते हो

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जीवन - जल   को   वाष्प   बना   कर , बादल   बन   कर   छा   जाते   हो   । रहो   कहीं   भी   छिपे   छिपे   से , हमको   तो   तुम   भा   ...
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26.7.14

यादें

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हैं   अभी   तक   शेष   यादें   । सोचता   सब   कुछ   भुला   दूँ , अग्नि   यह   भीषण   मिटा   दूँ   । किन्तु   ये   जीवित   तृषायें ...
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23.7.14

रंग कहाँ से लाऊँ

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तेरे   जीवन   को   बहलाने , आखिर   रंग   कहाँ   से   लाऊँ  ? कैसे   तेरा   रूप   सजाऊँ  ? नहीं   सूझते   विषय   लुप्त   हैं , जा...
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