न दैन्यं न पलायनम्

30.1.13

ताकि सुरक्षित रहे आधी आबादी

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पहले ही स्पष्ट कर दूँ कि यह लेख पूर्णतया व्यक्तिगत अनुभवों और लेखक की सीमित बौद्धिक क्षमताओं के आधार पर ही लिखा गया है। जीवन में संस्कार,...
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26.1.13

ठंड में स्नान

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कुम्भ में कई श्रद्धालुओं को स्नान करते हुये देख रहा हूँ, शरीर से भाप का उठना स्पष्ट देखा जा रहा है। उधर ज्ञानदत्तजी के फेसबुक पर कोहरे ...
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23.1.13

बख्शा तो हमने खुद को भी नहीं है

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एक साथी अधिकारी के कार्यालय में बैठे थे, किसी समन्वय के विषय पर बात चल रही थी। एक कर्मचारी आता है, एक बड़ी ग़लती के संदर्भ में, आरोप तय ह...
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19.1.13

समाचार संश्लेषण

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शीर्षक पढ़कर थोड़ा सा अटपटा अवश्य लगा होगा। स्वाभाविक ही है क्योंकि समाचार के साथ संश्लेषण शब्द प्रयुक्त ही नहीं होता है। संश्लेषण का अर्थ...
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16.1.13

जाने व आने के बीच की शान्ति

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रेलवे स्टेशन पर हुयी एक चित्रकला प्रदर्शनी के चित्रों को निहार रहा था, एक चित्र ने सहसा ध्यान आकर्षित कर लिया। चित्र में दो क़ुली बैठकर स...
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12.1.13

रोष-नद

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हृदय   भरता   रोष   हम   किसको   सुनायें, ढूढ़ती हैं छाँह, मन की भावनायें ।। स्वप्न भर टिकते, पुनः से उड़ चले जाते हैं सारे, आस के ...
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9.1.13

दिल छीछालेदर

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जब गैंग्स ऑफ वासेपुर देखी थी तो बहुत ही नये तरह के गाने सुनने मिले थे, अन्य फिल्मों से सर्वथा भिन्न। मैं कोई फिल्म समीक्षक नहीं पर तीन वि...
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5.1.13

कांजी हाउस - गाड़ियों का भी

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बंगलौर में कई बार सड़क से जाते समय देखता हूँ कि एक क्रेनयुक्त वाहन खड़ा रहता है जो ठीक से पार्क न किये हुये दुपहिया वाहनों को लादता है और ...
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2.1.13

दोष नहीं दे सकता कल को

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क्षुब्ध   मनस   का   भार   सहन   है ,   दोष   नहीं   दे   सकता   कल   को , गहरे जल के तल में बैठा, देख रहा हूँ बहते जल को। क्या आशाये...
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29.12.12

यार्ड में लेखन

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वरिष्ठ अधिकारी का निरीक्षण है, यार्ड में नयी पिट लाइनों का निर्माण कार्य चल रहा है, पिट लाइनों का उपयोग यात्री ट्रेनों के नियमित रख रखाव ...
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26.12.12

कोई हो

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खड़ा   मैं   कब   से   समुन्दर   के   किनारे , देखता हूँ अनवरत, सब सुध बिसारे । काश लहरों की अनूठी भीड़ में अब, कोई पहचानी, पुरानी आ ...
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22.12.12

और बाल कट गये

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पिछले शनिवार को बाल कटाने गये, एक नियत दुकान है, वहीं पर ही जाकर कटाते हैं। प्रारम्भ में एक दो बार जाने से परिचय हो गया, कैसे बाल कटाने स...
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19.12.12

टिप्पणियाँ भी साहित्य हैं

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कुछ दिन पहले देखा कि देवेन्द्र पाण्डेय जी ने एक ब्लॉग बनाया है, टिप्पणियों का। इसमें वह किसी पोस्ट को चुनते हैं और पोस्ट पर की गयी टिप्प...
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15.12.12

पढ़ते पढ़ते लिखना सीखो

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पिछले कई दिनों से पढ़ रहा हूँ, बहुत पढ़ रहा हूँ, कई पुस्तकें पूरी पढ़ी, कई आधी अधूरी चल रही हैं। रात में बच्चों के सोने के बाद पढ़ना प्रा...
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12.12.12

हृदय हमारा

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निर्मलतम   था   हृदय   हमारा , निर्दयता का वृहद ताण्डव, स्वार्थपरक  जीवन का मूल्यन । और घृणा के कई बाणों से, छिला सदा ही हृदय हमा...
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8.12.12

मन है, तनिक ठहर लूँ

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मन   फिर   है ,   जीवन   के   संग ,   कुछ   गुपचुप   बातें   कर   लूँ   । बैठ मिटाऊँ क्लेश, रहा जो शेष, सहजता भर लूँ ।। देखो तो दिनभर...
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