tag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post942577703894684618..comments2024-03-17T19:33:00.050+05:30Comments on न दैन्यं न पलायनम्: मित्र - ३६(विघ्नमना भेदिये)प्रवीण पाण्डेयhttp://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comBlogger2125tag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-26315509782364464622021-11-17T17:55:31.827+05:302021-11-17T17:55:31.827+05:30पतंजलि की सलाह को ध्यान में रख हम सबसे मित्रता की ...पतंजलि की सलाह को ध्यान में रख हम सबसे मित्रता की जाती और सुविधाओं का लाभ उठाया जाता। प्रत्यक्ष रूप से साथ आने में यदि बुद्धिहीनता या लघुता सिद्ध हो रही थी तो हमारे प्रयोगों के तत्वसार को अपनाकर बिना श्रेय दिये ही सुविधा उठायी जा सकती थी।...हर वक्त ऐसे भेदिए मिलते रहेंगे । बहुत सुंदर सार्थक सटीक अभिव्यक्ति 😀👍जिज्ञासा सिंह https://www.blogger.com/profile/06905951423948544597noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-18413918832035036952021-10-30T23:45:51.654+05:302021-10-30T23:45:51.654+05:30 भेदी महान हैं. उनके बिना इतिहास नहीं बनता. उनके ब... भेदी महान हैं. उनके बिना इतिहास नहीं बनता. उनके बिना शायद कोई सभ्यता उत्कर्ष पर नहीं पहुंचती. भेदी इतिहास में पतित (या विदूषक) बनने का जोखिम ले कर भी उस की धारा मोड़ते हैं. भेदीभ्यो नमः! 😁Gyan Dutt Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/05293412290435900116noreply@blogger.com