tag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post89907162141437120..comments2024-03-17T19:33:00.050+05:30Comments on न दैन्यं न पलायनम्: मैं समय की भँवर में हूँप्रवीण पाण्डेयhttp://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comBlogger57125tag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-3877283955476266862012-10-12T03:57:09.801+05:302012-10-12T03:57:09.801+05:30हाथ दो दो आज कर लूँ , सही निर्णय ।हाथ दो दो आज कर लूँ , सही निर्णय ।Asha Joglekarhttps://www.blogger.com/profile/05351082141819705264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-69018016944128570262012-10-08T14:52:35.360+05:302012-10-08T14:52:35.360+05:30और यूँ बहती नदी में, स्वयं को यदि छोड़ दूँगा,
क्या...और यूँ बहती नदी में, स्वयं को यदि छोड़ दूँगा,<br />क्या रहे पहचान मेरी, और क्या परिचय कहूँगा,<br />धिक है यौवन, काल संग ना, हाथ दो दो आज कर लूँ।<br />मैं समय की भँवर में हूँ।<br /><br />यह आवाहन है, पहचानो अपने लक्ष्य को और आगे बढ़ो<br />विनोद शुक्ल-अनामिका प्रकाशनhttps://www.blogger.com/profile/18173585318852399276noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-58139549698908768522012-10-07T18:21:07.849+05:302012-10-07T18:21:07.849+05:30कविता एक और इसे अपनी भावनाओं से जोडनेवाले अनेक। यह...कविता एक और इसे अपनी भावनाओं से जोडनेवाले अनेक। यही इसकी सफलता है।विष्णु बैरागीhttps://www.blogger.com/profile/07004437238267266555noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-6611268496204798412012-10-07T15:39:24.256+05:302012-10-07T15:39:24.256+05:30मैं समय की भँवर में हूँ ....
और मुझमें ही सब समाया...मैं समय की भँवर में हूँ ....<br />और मुझमें ही सब समाया हुआ है.....!!***Punam***https://www.blogger.com/profile/01924785129940767667noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-86364806590757401272012-10-05T23:09:39.368+05:302012-10-05T23:09:39.368+05:30
3.10.12
मैं समय की भँवर में हूँ
परिस्थितियों में...<br />3.10.12<br /><br />मैं समय की भँवर में हूँ<br />परिस्थितियों में बँधा मैं, राह मेरी बनी कारा,<br />श्रव्य केवल प्रतिध्वनियाँ, यदि किसी को भी पुकारा,<br />देखना है, और कब तक, स्वयं तक फिर पहुँचता हूँ?<br />मैं समय की भँवर में हूँ ।।१।।<br /><br />परिस्थिति का अतिक्रमण करने समय की चुनौती को स्वीकारते हुए आगे बढ़ने सिंह -अवलोकन करते जाने का आवाहन इन पंक्तियों में हूँ .<br /><br />मैं समय की भंवर में हूँ ......आवाहन यह भी है यह जीवन तेज़ी से बीतता जा रहा है जो करना है अभी कर लो .<br /><br />पहचानो अपने लक्ष्य को और आगे बढ़ो पथिक रुको नहीं .काल के साथ तो सभी बह जाते हैं मैं समय की सवारी करूंगा .<br /><br />क्या हुआ यदि मैं भंवर में हूँ ....<br /><br />ram ram bhai<br />मुखपृष्ठ<br /><br />शुक्रवार, 5 अक्तूबर 2012<br />चील की गुजरात यात्रा<br />virendra sharmahttps://www.blogger.com/profile/02192395730821008281noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-38972944423782435842012-10-05T22:46:01.909+05:302012-10-05T22:46:01.909+05:30
3.10.12
मैं समय की भँवर में हूँ
परिस्थितियों में...<br />3.10.12<br /><br />मैं समय की भँवर में हूँ<br />परिस्थितियों में बँधा मैं, राह मेरी बनी कारा,<br />श्रव्य केवल प्रतिध्वनियाँ, यदि किसी को भी पुकारा,<br />देखना है, और कब तक, स्वयं तक फिर पहुँचता हूँ?<br />मैं समय की भँवर में हूँ ।।१।।<br /><br />परिस्थिति का अतिक्रमण करने समय की चुनौती को स्वीकारते हुए आगे बढ़ने सिंह -अवलोकन करते जाने का आवाहन इन पंक्तियों में हूँ .<br /><br />मैं समय की भंवर में हूँ ......आवाहन यह भी है यह जीवन तेज़ी से बीतता जा रहा है जो करना है अभी कर लो .<br /><br />पहचानो अपने लक्ष्य को और आगे बढ़ो पथिक रुको नहीं .काल के साथ तो सभी बह जाते हैं मैं समय की सवारी करूंगा .<br /><br />क्या हुआ यदि मैं भंवर में हूँ ....virendra sharmahttps://www.blogger.com/profile/02192395730821008281noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-37042435842901334882012-10-05T02:12:41.128+05:302012-10-05T02:12:41.128+05:30जीवन के शाश्वत रंग की तलाश.
सीधी और सरल भाषा.भटकने...जीवन के शाश्वत रंग की तलाश.<br />सीधी और सरल भाषा.भटकने का एहसास सही राह तक पहुँचने का पहला कदम है.Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-19887336721428434782012-10-05T00:07:32.059+05:302012-10-05T00:07:32.059+05:30 और देखो, जीवनी-क्रम, स्वतः घटता जा रहा है,
उदित ... और देखो, जीवनी-क्रम, स्वतः घटता जा रहा है,<br />उदित सूरज जो अभी था, अस्त होता जा रहा है,<br />रात-दिन के बीच सारा, बचा जो जीवन लुटा दूँ?<br />मैं समय की भँवर में हूँ ।।२।। रचना के हरेक बंद में एक जीवन दर्शन नथ्थी है .<br /><br />रचना के अंत तक आते आते समय से पस्त होता आदमी समय की सवारी करने लगता है .<br />गिरते हैं शहसवार ही मैदाने जंग में ,वह तिफ्ल क्या गिरे जो ,घुटनों के बल चले. .शह सवार होता है शाही सवारी करने वाला बोले तो शाही घुड़सवार .<br /><br />जीवन भी एक ऐसी ही घुड़सवारी है गिरो उठो , फिर गिरो .....virendra sharmahttps://www.blogger.com/profile/02192395730821008281noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-33816310784887560122012-10-04T23:20:41.957+05:302012-10-04T23:20:41.957+05:30ध्येय कहाँ..अभिलाषित मार्ग कहाँ ..बस यही मालूम हो ...ध्येय कहाँ..अभिलाषित मार्ग कहाँ ..बस यही मालूम हो जाए तो इस भंवर<br />से निकलने का रास्ता मिल जाएगा.<br />अच्छी लगी कविता.Alpana Vermahttps://www.blogger.com/profile/08360043006024019346noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-14837807158826772532012-10-04T23:12:20.457+05:302012-10-04T23:12:20.457+05:30गीता का प्रभाव झलकता है अर्जुन की तरह भंवर में फंस...गीता का प्रभाव झलकता है अर्जुन की तरह भंवर में फंस गए।गिरधारी खंकरियालhttps://www.blogger.com/profile/07381956923897436315noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-27108458441282856792012-10-04T22:58:49.854+05:302012-10-04T22:58:49.854+05:30वाह !!!! याद आया "यक्ष प्रश्न"....
जो ...वाह !!!! याद आया "यक्ष प्रश्न"....<br /><br />जो कल थे, वे आज नहीं हैं !<br />जो आज हैं, वे कल नहीं होंगे !<br /><br />होने, न होने का क्रम, इसी तरह चलता रहेगा,<br />हम हैं, हम रहेंगे, यह भ्रम भी सदा पलता रहेगा ! सुमंत देशपांडेhttps://www.blogger.com/profile/00791719359020105305noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-10185853048247750492012-10-04T22:27:28.436+05:302012-10-04T22:27:28.436+05:30We all are in the whirlpool. Profound work. We all are in the whirlpool. Profound work. Saru Singhalhttps://www.blogger.com/profile/12860642404643756746noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-39243449708804932562012-10-04T20:28:53.398+05:302012-10-04T20:28:53.398+05:30इस उदय और अस्त होने के बीच में जो है वही सिध्ह है ...इस उदय और अस्त होने के बीच में जो है वही सिध्ह है -सशक्त रचना <br />Aditi Poonamhttps://www.blogger.com/profile/07454848082907747001noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-16890438553658229342012-10-04T14:41:40.467+05:302012-10-04T14:41:40.467+05:30कभी मन में हूक उठती, ध्येय का दीपक कहाँ है,
जो विच...कभी मन में हूक उठती, ध्येय का दीपक कहाँ है,<br />जो विचारों से बनाया, मार्ग अभिलाषित कहाँ है,<br />काल सागर के थपेड़े, स्वयं को निष्क्रिय, भुला दूँ?<br />मैं समय की भँवर में हूँ ।।३।।<br />जिंदगी आगे बढती जाती है सोच पीछे का अवलोकन करती है क्या पाया क्या खोया, क्या करना विशेष है उसमे ,बचा जो वक़्त शेष है|मन मंथन कर गहन सोच को दर्शाती प्रस्तुति लाजबाब Rajesh Kumarihttps://www.blogger.com/profile/04052797854888522201noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-24541248223878390712012-10-04T14:34:28.087+05:302012-10-04T14:34:28.087+05:30ह्रदय को स्पृश करती कविताह्रदय को स्पृश करती कविताविकास गुप्ताhttps://www.blogger.com/profile/01334826204091970170noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-57354800838729441932012-10-04T12:55:07.316+05:302012-10-04T12:55:07.316+05:30अति सुन्दर..प्रभावित करती कविता .अति सुन्दर..प्रभावित करती कविता .Amrita Tanmayhttps://www.blogger.com/profile/06785912345168519887noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-62981257907157719222012-10-04T09:31:16.131+05:302012-10-04T09:31:16.131+05:30ये समय का भंवर ही तो है जहाँ हम सब फंसे हुए हैं !!...ये समय का भंवर ही तो है जहाँ हम सब फंसे हुए हैं !!!! बढ़िया कविता है सर !!!देवांशु निगमhttps://www.blogger.com/profile/16694228440801501650noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-26078833090859582792012-10-04T08:43:06.186+05:302012-10-04T08:43:06.186+05:30कभी मन में हूक उठती, ध्येय का दीपक कहाँ है,
जो विच...कभी मन में हूक उठती, ध्येय का दीपक कहाँ है,<br />जो विचारों से बनाया, मार्ग अभिलाषित कहाँ है,<br />बेहद सुन्दर आत्ममंथन और सार्थकता के अभिलाषी मन की भाव पूर्ण पुकार.....अनुभूतिhttps://www.blogger.com/profile/17816337979760354731noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-1280534949733570562012-10-04T08:36:57.882+05:302012-10-04T08:36:57.882+05:30आपकी कविता को पढ़ना भी अलग और बेहतरीन अनुभव है सर!
...आपकी कविता को पढ़ना भी अलग और बेहतरीन अनुभव है सर!<br /><br /><br />सादर Yashwant R. B. Mathurhttps://www.blogger.com/profile/06997216769306922306noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-10147103003017790842012-10-04T00:24:34.252+05:302012-10-04T00:24:34.252+05:30आपकी किसी नयी -पुरानी पोस्ट की हल चल बृहस्पतिवार ...आपकी किसी नयी -पुरानी पोस्ट की हल चल बृहस्पतिवार 04-10 -2012 को यहाँ भी है <br /><br /><a href="http://nayi-purani-halchal.blogspot.com/" rel="nofollow"> .... आज की नयी पुरानी हलचल में ....बड़ापन कोठियों में , बड़प्पन सड़कों पर । .</a><br />संगीता स्वरुप ( गीत )https://www.blogger.com/profile/18232011429396479154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-6109222984214419922012-10-03T22:57:25.536+05:302012-10-03T22:57:25.536+05:30समय कठिन है, धैर्य की परीक्षा हो रही।समय कठिन है, धैर्य की परीक्षा हो रही।मनोज कुमारhttps://www.blogger.com/profile/08566976083330111264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-48433313505754691012012-10-03T22:32:10.255+05:302012-10-03T22:32:10.255+05:30बहुत सुन्दर कविता |बहुत सुन्दर कविता |जयकृष्ण राय तुषारhttps://www.blogger.com/profile/09427474313259230433noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-74445277697873776162012-10-03T22:18:43.600+05:302012-10-03T22:18:43.600+05:30Behad sundar rachana!Behad sundar rachana!kshamahttps://www.blogger.com/profile/14115656986166219821noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-19806885706254705122012-10-03T20:49:00.814+05:302012-10-03T20:49:00.814+05:30समय के भँवर से गुजरकर ही तो मनुज स्वयं को अनुभव कर...समय के भँवर से गुजरकर ही तो मनुज स्वयं को अनुभव कर पाता है।गहनचिंतनमय लेख।देवेंद्रhttps://www.blogger.com/profile/13104592240962901742noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-4082510587249684602012-10-03T20:47:59.339+05:302012-10-03T20:47:59.339+05:30
और यूँ बहती नदी में, स्वयं को यदि छोड़ दूँगा,
क्य...<br />और यूँ बहती नदी में, स्वयं को यदि छोड़ दूँगा,<br />क्या रहे पहचान मेरी, और क्या परिचय कहूँगा,<br />धिक है यौवन, काल संग ना, हाथ दो दो आज कर लूँ।<br />मैं समय की भँवर में हूँ ।।४।।<br /><br />सकारात्मक जीवन ऊर्जा ,जीवन को ऊर्ध्वगामी बनाने वाला नव गीत .<br /><br />कितनी दूरी मंजिल की हो,चलते चलते कट जाती है ,<br /><br />विदा दिवस मणि की वेला में ,धरती तम वसना बन जाती ,<br /><br />कितनी रात अँधेरी हो ,पर धीरे धीरे घट जाती है .<br />बधाई इस गेय सांगीतिक और फलसफाई रचना के लिए .<br /><br /><br /><br />बुधवार, 3 अक्तूबर 2012<br />ये लगता है अनासक्त भाव की चाटुकारिता है .<br /><br /><br /><br /><br />विदुषियो ! यह भारत देश न तो नेहरु के साथ शुरु होता है और न खत्म .जो देश के इतिहास को नहीं जानते वह हलकी चापलूसी करते हैं .<br /><br />रही बात सोनिया जी की ये वही सोनियाजी हैं जो बांग्ला देश युद्ध के दौरान राजीव <br /><br />जी को लेकर इटली भाग गईं थीं एयरफोर्स की नौकरी छुड़वा कर .<br /><br /><br />राजनीति में आ गए, पद मद में जब चूर |<br />निश्चय कटु-आलोचना, पद प्रहार भरपूर |<br />पद प्रहार भरपूर, बहू भी सास बनेगी |<br />देवर का कुल दूर, अकेली आस बनेगी |<br />पूजे कोई रोज, मगर शिक्षा न देवे |सत्ता में सामर्थ्य, देश की नैया खेवे ||...................माननीय रविकर फैजाबादी साहब .<br /><br />भारतीय राजकोष से ये बेहिसाब पैसा खर्च करतीं हैं अपनी बीमार माँ को देखने और उनका इलाज़ करवाने पर . <br /><br />और वह मंद बुद्धि बालक जब जोश में आता है दोनों बाजुएँ ऊपर चढ़ा लेता है गली मोहल्ले के गुंडों की तरह .virendra sharmahttps://www.blogger.com/profile/02192395730821008281noreply@blogger.com