tag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post846261769792375608..comments2024-03-17T19:33:00.050+05:30Comments on न दैन्यं न पलायनम्: मैं अस्तित्व तम का मिटाने चला थाप्रवीण पाण्डेयhttp://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comBlogger60125tag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-22796181466450801082011-08-28T09:14:04.871+05:302011-08-28T09:14:04.871+05:30अच्छी कविता। साधुवाद।अच्छी कविता। साधुवाद।Manoshi Chatterjee मानोशी चटर्जी https://www.blogger.com/profile/13192804315253355418noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-75528042827736904072011-08-26T08:23:24.197+05:302011-08-26T08:23:24.197+05:30क्या बात है!!! :)क्या बात है!!! :)abhihttps://www.blogger.com/profile/12954157755191063152noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-87948171921068635772011-08-22T10:21:45.959+05:302011-08-22T10:21:45.959+05:30behatareen prastuti...dhanyawadbehatareen prastuti...dhanyawadkanu.....https://www.blogger.com/profile/16556686104218337506noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-23130801498653142632011-08-20T17:58:38.090+05:302011-08-20T17:58:38.090+05:30कहीं मन उमंगें मुदित बढ़ रही थीं,
कहीं भाव-वीणा स्व...कहीं मन उमंगें मुदित बढ़ रही थीं,<br />कहीं भाव-वीणा स्वयं बज रही थीं,<br />भुलाकर पुरानी कहीं सुप्त धुन को,<br />नया राग मैं गुनगुनाने चला था ।<br />मैं अस्तित्व तम का मिटाने चला <br />aaj ke sandarbh mein to yah bahut hi jaruri hai..wakai kisi naye rag ki jarurat haiDr.Ashutosh Mishra "Ashu"https://www.blogger.com/profile/06488429624376922144noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-84699336715748716782011-08-20T01:05:21.948+05:302011-08-20T01:05:21.948+05:30हर पंक्ति खूबसूरत है और प्रेरणा दायक भी..
नई ओज और...हर पंक्ति खूबसूरत है और प्रेरणा दायक भी..<br />नई ओज और सोच के लिए आपकी लेखनी को सलाम ..!!***Punam***https://www.blogger.com/profile/01924785129940767667noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-3636325530220775432011-08-19T22:23:43.952+05:302011-08-19T22:23:43.952+05:30prernadayak rachna....prernadayak rachna....सु-मन (Suman Kapoor)https://www.blogger.com/profile/15596735267934374745noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-18065855154890446022011-08-19T17:50:34.070+05:302011-08-19T17:50:34.070+05:30विचारों ने जगकर अँगड़ाइयाँ लीं,
सूरज की किरणों ने ...विचारों ने जगकर अँगड़ाइयाँ लीं,<br />सूरज की किरणों ने पलकें बिछा दीं,<br />मैं बढ़ने की आशा संजोये समेटे,<br />विरोधों के कोहरे हटाने चला था ।<br />मैं अस्तित्व तम का मिटाने चला था ....आशा उल्लास और विश्वास से परिपूर्ण सुन्दर रचना......Maheshwari kanerihttps://www.blogger.com/profile/07497968987033633340noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-87272810133596342572011-08-19T15:34:49.153+05:302011-08-19T15:34:49.153+05:30अँधेरे का अस्तित्व इत सकें न सकें पर प्रकाश का अस्...अँधेरे का अस्तित्व इत सकें न सकें पर प्रकाश का अस्तित्व जगा ज़रूर सकते हैं...<br />एक लकीर को छोटी करने के लिए उसे मिटाना ही समाधान नहीं है, उसके साथ एक बड़ी लकीर बनाना ही महानता है..Pratik Maheshwarihttps://www.blogger.com/profile/04115463364309124608noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-2338116500640199362011-08-19T09:38:09.584+05:302011-08-19T09:38:09.584+05:30इस दौर में सात्विक सौन्दर्य भारतीय ऊर्जस्विता के प...इस दौर में सात्विक सौन्दर्य भारतीय ऊर्जस्विता के प्रतीक बने हुएँ हैं अन्नाजी ..अन्ना देख रहे खिड़की से,<br />दुबक रहे राजा व कलमाड़ी,<br />धक्का मार रहे सब नेता,<br />कीचड़ में फंसी सत्ता की गाड़ी . अन्ना के हैं आदमी चार ,जिनसे डरती है सरकार .. <br />मैं अस्तित्व तम का मिटाने चला था<br />17.8.11<br />मिला था मुझे एक सुन्दर सबेरा,<br />मैं तजकर तिमिरयुक्त सोती निशा को,<br />प्रथम जागरण को बुलाने चला था,<br />मैं अस्तित्व तम का मिटाने चला था ।।<br />. सार्थक टिप्पणी के लिए आभार प्रवीण जी ,"एक सेहत हज़ार नियामत " ..http://veerubhai1947.blogspot.com/http://veerubhai1947.blogspot.com/<br />मंगलवार, १६ अगस्त २०११<br />पन्द्रह मिनिट कसरत करने से भी सेहत की बंद खिड़की खुल जाती है .<br />Thursday, August 18, 2011<br />Will you have a heart attack?<br />http://kabirakhadabazarmein.blogspot.com/virendra sharmahttps://www.blogger.com/profile/02192395730821008281noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-41145992932046278322011-08-19T08:24:12.333+05:302011-08-19T08:24:12.333+05:30वाह बड़ा प्यारा गीत है। याद कर गुनगुनाना, मित्रों ...वाह बड़ा प्यारा गीत है। याद कर गुनगुनाना, मित्रों को सुनाना चाहिए।देवेन्द्र पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/07466843806711544757noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-1349764195379496632011-08-19T00:33:43.012+05:302011-08-19T00:33:43.012+05:30कहीं मन उमंगें मुदित बढ़ रही थीं,
कहीं भाव-वीणा स्...कहीं मन उमंगें मुदित बढ़ रही थीं,<br />कहीं भाव-वीणा स्वयं बज रही थीं,<br />भुलाकर पुरानी कहीं सुप्त धुन को,<br />नया राग मैं गुनगुनाने चला था ।<br />मैं अस्तित्व तम का मिटाने चला था ।।४।।<br />aapki kavita mujhe behad pasand hai ,padhkar jo khushi milti hai wo shabdo me main byan nahi kar sakti ,ati uttan ,saargarbhit baate hai .ज्योति सिंहhttps://www.blogger.com/profile/14092900119898490662noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-92110389167555679392011-08-18T20:00:14.133+05:302011-08-18T20:00:14.133+05:30कहीं मन उमंगें मुदित बढ़ रही थीं,
कहीं भाव-वीणा स्...कहीं मन उमंगें मुदित बढ़ रही थीं,<br />कहीं भाव-वीणा स्वयं बज रही थीं,<br />भुलाकर पुरानी कहीं सुप्त धुन को,<br />नया राग मैं गुनगुनाने चला था ।<br />मैं अस्तित्व तम का मिटाने चला था ।।४।।<br /><br />रचना के भाव, शब्द संयोजन, लय मन में एक अजीब ताज़गी भर देती है..अद्भुत प्रस्तुति ..Kailash Sharmahttps://www.blogger.com/profile/12461785093868952476noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-72070756051368837602011-08-18T18:48:59.670+05:302011-08-18T18:48:59.670+05:30आशा का उजास फ़ैलाती खूबसूरत अभिव्यक्ति. आभार.
सादर,...आशा का उजास फ़ैलाती खूबसूरत अभिव्यक्ति. आभार.<br />सादर,<br />डोरोथी.Dorothyhttps://www.blogger.com/profile/03405807532345500228noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-41977747119278795362011-08-18T18:32:03.651+05:302011-08-18T18:32:03.651+05:30.
मैं अस्तित्व तम का मिटाने चला था...
Lovely cre....<br /><br />मैं अस्तित्व तम का मिटाने चला था...<br /><br />Lovely creation !<br /><br />.ZEALhttps://www.blogger.com/profile/04046257625059781313noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-14799607920763808012011-08-18T16:33:35.439+05:302011-08-18T16:33:35.439+05:30बहुत सुन्दर कविता।
प्रवीण जी आपका लेखन और कविताये...बहुत सुन्दर कविता।<br /><br />प्रवीण जी आपका लेखन और कवितायें देखकर लगता है जैसे किसी उच्च कोटि के कवि की रचनायें हैं। अफसर श्रेणी के लोगों द्वारा ऐसी कविताओं के सृजन कम ही देखने को मिलता है।ePandithttps://www.blogger.com/profile/15264688244278112743noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-49018426096147929632011-08-18T14:22:18.611+05:302011-08-18T14:22:18.611+05:30नमस्कार प्रवीण जी ...
इस लाजवाब रचना को पढ़ कर जै...नमस्कार प्रवीण जी ... <br />इस लाजवाब रचना को पढ़ कर जैसे अँधेरा मिट रहा है ... बहुत ओज़स्वी लयबद्ध ... अति सुन्दर ...दिगम्बर नासवाhttps://www.blogger.com/profile/11793607017463281505noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-89199027708722572142011-08-18T14:03:24.832+05:302011-08-18T14:03:24.832+05:30मिला था मुझे एक सुन्दर सबेरा,
मैं तजकर तिमिरयुक्त ...मिला था मुझे एक सुन्दर सबेरा,<br />मैं तजकर तिमिरयुक्त सोती निशा को,<br />प्रथम जागरण को बुलाने चला था,<br />मैं अस्तित्व तम का मिटाने चला था ।।<br />kya gazab ka likha hai.......wah.mridula pradhanhttps://www.blogger.com/profile/10665142276774311821noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-56636990292662294982011-08-18T09:50:06.715+05:302011-08-18T09:50:06.715+05:30सुन्दर!सुन्दर!Avinash Chandrahttps://www.blogger.com/profile/01556980533767425818noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-69371969423457864552011-08-18T09:01:18.475+05:302011-08-18T09:01:18.475+05:30शब्द शब्द आशा का संचार करते हुए मानो कह रहा है,
तम...शब्द शब्द आशा का संचार करते हुए मानो कह रहा है,<br />तमसो मा ज्योतिर्गमय ।Asha Joglekarhttps://www.blogger.com/profile/05351082141819705264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-37660491300208859612011-08-18T05:25:42.784+05:302011-08-18T05:25:42.784+05:30निराशा के विस्तृत महल छोड़कर,
मैं आशा की कुटिया बन...निराशा के विस्तृत महल छोड़कर,<br />मैं आशा की कुटिया बनाने चला था <br /><br />सुन्दर शब्द संयोजन और बेहतरीन भावVandana Ramasinghhttps://www.blogger.com/profile/01400483506434772550noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-50514732843808265962011-08-17T23:41:23.122+05:302011-08-17T23:41:23.122+05:30कहीं मन उमंगें मुदित बढ़ रही थीं,
कहीं भाव-वीणा स्व...कहीं मन उमंगें मुदित बढ़ रही थीं,<br />कहीं भाव-वीणा स्वयं बज रही थीं,<br />भुलाकर पुरानी कहीं सुप्त धुन को,<br />नया राग मैं गुनगुनाने चला था ।<br />मैं अस्तित्व तम का मिटाने चला था <br /><br />परिपक्व उम्र की सकारात्मक सोच.अति सुंदर.अरुण कुमार निगम (mitanigoth2.blogspot.com)https://www.blogger.com/profile/11022098234559888734noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-21791721523451252162011-08-17T23:26:51.943+05:302011-08-17T23:26:51.943+05:30वाह!! सुंदर शव्दावली व सार्थक भावपूर्ण रचना...व का...वाह!! सुंदर शव्दावली व सार्थक भावपूर्ण रचना...व काव्य कला में भी सौंदर्यपूर्ण ...बधाई..<br />----ये 'मैं' कौन है जी.??. यदि गिरधारी जी के अनुसार अन्ना हैं तो अभी से था क्यों..अभी तो चल ही रहा है ...हूँ या है ..हो तो सटीक रहेगा... shyam guptahttps://www.blogger.com/profile/11911265893162938566noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-15903458583933928012011-08-17T22:41:55.154+05:302011-08-17T22:41:55.154+05:30कवता तो अपनी जगह सुन्दर है ही किन्तु आपकी शब्द...कवता तो अपनी जगह सुन्दर है ही किन्तु आपकी शब्दावली हिन्दी के अपने मूल स्वरूप में जीवित रहने का भरोसा दिलाती है।विष्णु बैरागीhttps://www.blogger.com/profile/07004437238267266555noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-24346429507304364242011-08-17T21:42:55.827+05:302011-08-17T21:42:55.827+05:30विरोधों के कोहरे हटाने चला था ।
मैं अस्तित्व तम का...विरोधों के कोहरे हटाने चला था ।<br />मैं अस्तित्व तम का मिटाने चला था .<br />-<br />कविता मन को प्रमुदित करती है,लेकिन एक बात नहीं समझ पा रही हूँ -'चला था' के स्थान पर 'चला हूँ ' क्यों नहीं कर सके आप ? <br />बीत गई सो बात गई .अब वर्तमान में चलिये बहुत लोग साथ होंगे !प्रतिभा सक्सेनाhttps://www.blogger.com/profile/12407536342735912225noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-32416479535707217762011-08-17T21:26:12.811+05:302011-08-17T21:26:12.811+05:30इस सुन्दर रचना पर टिप्पणी में देखिए मेरे चार दोहे-...इस सुन्दर रचना पर टिप्पणी में देखिए मेरे चार दोहे-<br />अपना भारतवर्ष है, गाँधी जी का देश।<br />सत्य-अहिंसा का यहाँ, बना रहे परिवेश।१।<br /><br />शासन में जब बढ़ गया, ज्यादा भ्रष्टाचार।<br />तब अन्ना ने ले लिया, गाँधी का अवतार।२।<br /><br />गांधी टोपी देखकर, सहम गये सरदार।<br />अन्ना के आगे झुकी, अभिमानी सरकार।३।<br /><br />साम-दाम औ’ दण्ड की, हुई करारी हार।<br />सत्याग्रह के सामने, डाल दिये हथियार।४।डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'https://www.blogger.com/profile/09313147050002054907noreply@blogger.com