tag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post8414289559305206230..comments2024-03-17T19:33:00.050+05:30Comments on न दैन्यं न पलायनम्: वनगमन, पर दोष किसका?प्रवीण पाण्डेयhttp://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comBlogger26125tag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-50446919992944531682021-08-29T20:54:52.370+05:302021-08-29T20:54:52.370+05:30प्रश्न अनुत्तरित है कि मेरे राम कष्ट क्यों सहे? रा...प्रश्न अनुत्तरित है कि मेरे राम कष्ट क्यों सहे? राम के उत्तर अभिभूत करते हैं, उनके अन्दर सबको समेट लेने की अद्भुत क्षमता थी। अपने एक उत्तर में उन्होंने दशरथ, भरत और कैकेयी, तीनों का मान पुनर्स्थापित किया था। अगले ब्लाग में उसका विश्लेषण किया है। आभार आपका।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-72777559862366355702021-08-29T14:01:44.838+05:302021-08-29T14:01:44.838+05:30राम के वन गमन पर आपके इस आलेख ने कई प्रश्न खड़े कि...राम के वन गमन पर आपके इस आलेख ने कई प्रश्न खड़े किए,कई उत्तर भी मिले टिप्पणियों के द्वारा परंतु राम के जीवन संदर्भ के प्रश्नोत्तरों की लंबी श्रृंखला है सब अपनी तरह से अवलोकन करते है, राम के जीवन चरित से हमें इसी तरह के आलेख से परिचय कराने के लिए आपका असंख्य आभार और वंदन । बहुत शुभकामनाएं प्रवीण जी ।जिज्ञासा सिंह https://www.blogger.com/profile/06905951423948544597noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-67540435821044035162021-08-29T13:08:39.211+05:302021-08-29T13:08:39.211+05:30बहुत आभार आपका सुमनजी।बहुत आभार आपका सुमनजी।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-66229389980449079712021-08-29T13:07:54.754+05:302021-08-29T13:07:54.754+05:30चौदह वर्ष में लगभग १२ वर्ष चित्रकूट में रहे राम। इ...चौदह वर्ष में लगभग १२ वर्ष चित्रकूट में रहे राम। इतना तो आवश्यक नहीं था किसी कार्य विशेष के लिये।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-38151755890759630172021-08-29T13:05:07.028+05:302021-08-29T13:05:07.028+05:30बहुत आभार आपका।बहुत आभार आपका।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-1283594288582859852021-08-29T13:04:52.062+05:302021-08-29T13:04:52.062+05:30राम और रावण का युद्ध तो होना ही था। राम को विश्वाम...राम और रावण का युद्ध तो होना ही था। राम को विश्वामित्र ने अपने अस्त्र इसीलिये दिये थे। अगस्त्य के अस्त्र से रावण वध हुआ, वह भी कालान्तर में मिलने ही थे। यह सच में एक रोचक प्रश्न होता। प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-62749535546577054452021-08-29T11:50:03.557+05:302021-08-29T11:50:03.557+05:30जी, संभवतः यह किसी की अथक कल्पना ही कही जायेगी। रा...जी, संभवतः यह किसी की अथक कल्पना ही कही जायेगी। राम ने इस प्रकार का कोई आग्रह नहीं किया था। एक कार्य के लिये कारण जुटा लेना इतिहास की नयी विधा है। आभार आपका संगीता जी।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-21545885003805580602021-08-29T11:45:35.140+05:302021-08-29T11:45:35.140+05:30राम की कथा शिक्षाओं का अथाह भण्डार है, जितना सीख स...राम की कथा शिक्षाओं का अथाह भण्डार है, जितना सीख सके हम। आभार आपका अनुपमाजी।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-61824827227593423342021-08-29T11:44:08.343+05:302021-08-29T11:44:08.343+05:30काल की दिशा एकल होती है, जो हुआ उसको नियत ही मान ल...काल की दिशा एकल होती है, जो हुआ उसको नियत ही मान लेना कहाँ तक ठीक होगा। मनुष्य के मानसिक स्वातन्त्र्य के लिये तनिक स्थान तो छोड़ना पड़ जायेगा ही। आभार आपके अवलोकन का।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-9236094412845686672021-08-29T11:42:08.795+05:302021-08-29T11:42:08.795+05:30अकारण कुछ नहीं होता पर कार्य कारण का कारण कैसे हो ...अकारण कुछ नहीं होता पर कार्य कारण का कारण कैसे हो सकता है? आभार आपके अवलोकन का।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-10226328407961729812021-08-29T08:44:26.208+05:302021-08-29T08:44:26.208+05:30आपका अतिशय आभार श्वेताजी।आपका अतिशय आभार श्वेताजी।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-41072238744007852062021-08-29T08:39:09.303+05:302021-08-29T08:39:09.303+05:30जी आपसे सहमत है। कष्टजनित सुखदुख तो मन की अनुकुलता...जी आपसे सहमत है। कष्टजनित सुखदुख तो मन की अनुकुलता पर निर्भर करता है। मन अनुकूल कर लिया तो कोई कष्ट नहीं। राम ने वनगमन को ही अपना अभ्युदय मान लिया था। पिता की आज्ञा का मान और संतों का सानिध्य। तुलना से सुख दुख होता है। राजा बनकर जनमानस का कल्याण या वन में रह मन की शांति, निर्भर करता है कि क्या श्रेयस्कर है। राम का वनगमन मुझे दुख देता है, संभवतः मेरा ही मन उस कष्ट और अन्याय के अनुकूल नहीं हो पाया है।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-48686418030850602822021-08-29T08:34:27.753+05:302021-08-29T08:34:27.753+05:30जी बहुत आभार आपका।जी बहुत आभार आपका।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-26547940572615234552021-08-29T08:34:06.118+05:302021-08-29T08:34:06.118+05:30चर्चा निश्चय ही आवश्यक है, बिना उसके सत्य सामने नह...चर्चा निश्चय ही आवश्यक है, बिना उसके सत्य सामने नहीं आयेगा। वाल्मीकि रामायण में पुत्र प्राप्ति के लिये यज्ञ करने का इतिहास है(बालकाण्ड, ९-११ सर्ग)। अंगदेश के राजा रोमपाद की पुत्री शान्ता अपने देश में अनावृष्टि होने से पड़े अकाल के निवारण के लिये विभांडकपुत्र ऋष्यश्रृंग को गृहस्थ में आकर्षित कर लाती है। वही ऋष्यश्रृंग कालान्तर दशरथ के निवेदन पर पुत्र प्राप्ति के लिये यज्ञ करवाते हैं। राम की बड़ी बहन का तो कोई प्रसंग नहीं है, वाल्मीकि रामायण में।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-77435322901418828562021-08-28T16:41:33.830+05:302021-08-28T16:41:33.830+05:30बहुत बढ़िया लेख बहुत बढ़िया लेख सु-मन (Suman Kapoor)https://www.blogger.com/profile/15596735267934374745noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-17196541796245110352021-08-28T00:08:35.189+05:302021-08-28T00:08:35.189+05:30रामायण की घटनाओं से मन उद्वेलित तो होता है
श्रीराम...रामायण की घटनाओं से मन उद्वेलित तो होता है<br />श्रीरामवन गमन पर विश्लेषण में यह भी कहा जाता है कि श्रीराम को उन सभी वनवासियों को दर्शन देकर उन तपस्या का फल देना भी कारण बना उनके वनगमन का...<br />बहुत सुन्दर एवं चिन्तनपरक लेख।Sudha Devranihttps://www.blogger.com/profile/07559229080614287502noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-85293208833613404702021-08-27T23:22:25.461+05:302021-08-27T23:22:25.461+05:30विश्लेषणात्मक विचार , चिंतन परक लेख।विश्लेषणात्मक विचार , चिंतन परक लेख।मन की वीणाhttps://www.blogger.com/profile/10373690736069899300noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-80882899318773167862021-08-27T21:30:06.407+05:302021-08-27T21:30:06.407+05:30मुझे अगली कड़ी की प्रतीक्षा रहेगी क्योंकि इस विषय प...मुझे अगली कड़ी की प्रतीक्षा रहेगी क्योंकि इस विषय पर मेरे मन में भी कई प्रश्न उठते हैं।<br />क्या महापराक्रमी राम, राजा राम के रूप में रावण का वध करने में सक्षम नहीं हो पाते ?<br />क्या उसके लिए तपस्वी राम का होना ही जरूरी था ?<br />क्या रावण वध के लिए सीताहरण होना आवश्यक था?<br /> वैसे तो बहुत सारे प्रवचनकारों द्वारा भी ऐसे प्रश्नों का समाधान किया गया है परंतु मन को पूर्ण संतोष नहीं हुआ। <br />यह अवश्य है कि राम के वनगमन के प्रसंग से जिन परिस्थितियों का निर्माण हुआ, उनसे आदर्श भाई, आदर्श पत्नी, आदर्श पुत्र, आदर्श मित्र आदि की संकल्पनाएँ उभरकर सामने आईं।Meena sharmahttps://www.blogger.com/profile/17396639959790801461noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-89258823213303155912021-08-27T12:26:06.214+05:302021-08-27T12:26:06.214+05:30अब तो कई जगह पढ़ने को मिलता की कैकई से राम का ही आग...अब तो कई जगह पढ़ने को मिलता की कैकई से राम का ही आग्रह था कि वो इस तरह का वचन ले कर राम के वन गमन के मार्ग प्रशस्त करें । <br />सुंदर विश्लेषण ।संगीता स्वरुप ( गीत )https://www.blogger.com/profile/18232011429396479154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-44463849448975694372021-08-27T11:57:15.400+05:302021-08-27T11:57:15.400+05:30अति सुन्दर विश्लेषण किया है। रामायण से बहुत कुछ सी...अति सुन्दर विश्लेषण किया है। रामायण से बहुत कुछ सीखने समझने को मिलता है और ज्ञान चक्षु भी खुलते हैं!!Anupama Tripathihttps://www.blogger.com/profile/06478292826729436760noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-7530679101414261652021-08-27T09:39:10.694+05:302021-08-27T09:39:10.694+05:30नियति कोई भी कार्य
अकारण नहीं करती..
आज अफगानिस्ता...नियति कोई भी कार्य<br />अकारण नहीं करती..<br />आज अफगानिस्तान में तालिबान काबिज है<br />तालिबान और अफगानी भूख-प्यास से व्याकुल हैं<br />वे नजदीकी देश पाकिस्तान की ओर प्रस्थान कर रहे हैं<br />पाकिस्तान स्वयं अभावग्रस्त है..<br />क्या होगा ये भी नियति को ज्ञात है..<br />कुल मिलाकर नियति ही कारक है <br />सादर..yashoda Agrawalhttps://www.blogger.com/profile/05666708970692248682noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-58393983503185074632021-08-27T07:56:18.644+05:302021-08-27T07:56:18.644+05:30फिर रावण को मोक्ष कैसे होती..
अकारण कुछ नहीं होता ...फिर रावण को मोक्ष कैसे होती..<br />अकारण कुछ नहीं होता न...<br />'राम की उपस्थिति में रावण बैकुंठ गया'<br /><br />मार्मिक लेखनविभा रानी श्रीवास्तवhttps://www.blogger.com/profile/01333560127111489111noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-77457055260324730792021-08-26T21:14:14.300+05:302021-08-26T21:14:14.300+05:30जी नमस्ते,
आपकी लिखी रचना शुक्रवार २७ अगस्त २०२१ क...जी नमस्ते,<br />आपकी लिखी रचना शुक्रवार २७ अगस्त २०२१ के लिए साझा की गयी है<br /><a href="http://halchalwith5links.blogspot.com/" rel="nofollow">पांच लिंकों का आनंद</a> पर...<br />आप भी सादर आमंत्रित हैं।<br />सादर<br />धन्यवाद।Sweta sinhahttps://www.blogger.com/profile/09732048097450477108noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-58136012998403009852021-08-26T10:56:11.081+05:302021-08-26T10:56:11.081+05:30वनागमन के कारण राम को कष्ट सहना पड़ा,इस पर विचार क...वनागमन के कारण राम को कष्ट सहना पड़ा,इस पर विचार करना होगा।कष्ट विषयनिष्ठ है अर्थात एक व्यक्ति को किसी चीज से कष्ट हो सकता है वहीं दूसरे व्यक्ति को उससे सुख मिल सकता है।जैसे कोई शहर में सुखी है तो कोई गांव में,कोई भौतिकतावाद में सुखी है तो कोई आध्यात्मिकतावाद में।धनाढ्य व्यक्ति या राजा भी कष्ट में रह सकता है या कष्ट सहना पड़ सकता है।<br />यह भी संभव है की राम यदि वन न जाकर उसी समय राजा बनते तो उन्हे किसी अन्य प्रकार का कष्ट सहना पड़ता।<br />वनवास से लौटने पर राजा बनने के बाद भी आखिर पत्नी से दूर होने का कष्ट सहना ही पड़ा।Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/16228892400577439569noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-7746836435060153412021-08-26T08:23:24.933+05:302021-08-26T08:23:24.933+05:30बेहतरीन विषय लिया आपने। आपकी लेखन शैली का तो मुरीद...बेहतरीन विषय लिया आपने। आपकी लेखन शैली का तो मुरीद हूँ ही। अगले अंक की प्रतीक्षा है। 🙏मेरे अंतर्मन सेhttps://www.blogger.com/profile/16895565755258992625noreply@blogger.com