tag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post7869445279966489993..comments2024-03-17T19:33:00.050+05:30Comments on न दैन्यं न पलायनम्: जाति क्या है?प्रवीण पाण्डेयhttp://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comBlogger91125tag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-86579242780118872172010-10-04T08:14:00.438+05:302010-10-04T08:14:00.438+05:30@ Smart Indian - स्मार्ट इंडियन
अब वर्णाश्रम जाति...@ Smart Indian - स्मार्ट इंडियन <br />अब वर्णाश्रम जाति-जंजाल बन गया है।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-68334820545842347512010-10-04T05:52:45.001+05:302010-10-04T05:52:45.001+05:30वर्णाश्रम-व्यवस्था के मीट्रिक्स को तोड़कर कब हम जा...वर्णाश्रम-व्यवस्था के मीट्रिक्स को तोड़कर कब हम जाति-जंजाल में धंस गए पता ही न चला.<br />कविता अच्छी लगी.Smart Indianhttps://www.blogger.com/profile/11400222466406727149noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-89944601827378712252010-10-02T15:48:49.741+05:302010-10-02T15:48:49.741+05:30@ गिरिजेश राव
इस प्रश्न का उत्तर न पा पाना कभी प्र...@ गिरिजेश राव<br />इस प्रश्न का उत्तर न पा पाना कभी प्रेम की बाधा नहीं हो सकती। जातीय विद्वेष के हन्ताओं की जाति होती वह।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-15857258948249675942010-10-02T15:28:17.621+05:302010-10-02T15:28:17.621+05:30मनु और ऊर्मि याद आए हैं।
जाने उनकी संतानें किस जा...मनु और ऊर्मि याद आए हैं। <br />जाने उनकी संतानें किस जाति की होतीं?गिरिजेश राव, Girijesh Raohttps://www.blogger.com/profile/16654262548719423445noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-34587071908087039532010-10-02T14:59:49.740+05:302010-10-02T14:59:49.740+05:30@ राम त्यागी
विविधता और असमानता रहेंगी ही, उनको झग...@ राम त्यागी<br />विविधता और असमानता रहेंगी ही, उनको झगड़े की विषयवस्तु बनाना तो मूर्खता होगी। <br /><br />@ Apanatva<br />बहुत धन्यवाद आपका।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-45288636148123545592010-10-01T18:44:18.813+05:302010-10-01T18:44:18.813+05:30itne najuk vishy ko aise sadhanaa..............
pr...itne najuk vishy ko aise sadhanaa..............<br />prabhavit kar gayaa.............Apanatvahttps://www.blogger.com/profile/07788229863280826201noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-27204981616107190862010-09-30T07:46:52.041+05:302010-09-30T07:46:52.041+05:30कहीं जाति तो कहीं रंग - भेदभाव हर समय हर जगह कुछ न...कहीं जाति तो कहीं रंग - भेदभाव हर समय हर जगह कुछ न कुछ रहता ही है - कुछ नहीँ तो अमीर गरीब का भेदभाव रहेगा !राम त्यागीhttps://www.blogger.com/profile/05351604129972671967noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-38585703171348456032010-09-29T07:52:41.296+05:302010-09-29T07:52:41.296+05:30@ ज्योति सिंह
विवादीय मानसिकता जब जाति का भी अधिग्...@ ज्योति सिंह<br />विवादीय मानसिकता जब जाति का भी अधिग्रहण कर ले तो वही विविधता विवशता लगने लगती है।<br /><br />@ Ashok Vyas<br />धन्यवाद का शब्द कहीं कम पड़ जाये न,<br />हृदयजनित आधार उसे दे, प्रेषित करता।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-60788902642764731862010-09-29T07:47:51.070+05:302010-09-29T07:47:51.070+05:30@ दिगम्बर नासवा
तोड़ने का कार्य आसान है, जोड़ने का...@ दिगम्बर नासवा<br />तोड़ने का कार्य आसान है, जोड़ने का कठिन। जाति एक सामयिक विषय है जिस पर तोड़ने की राजनीति की जा रही है। यह कह दिया जाये कि जब तक कोई पार्टी 75 प्रतिशत का समर्थन नहीं लायेगी, शासन करने योग्य नहीं समझी जायेगी तो जोड़ने की प्रक्रिया भी प्रारम्भ हो जायेगी।<br /><br />@ संतोष त्रिवेदी ♣ SANTOSH TRIVEDI<br />तभी तक काटेंगे जब तक हम इस फसल को अपनी भावना के जल से सिंचित करते रहेंगे। निर्मम होकर इन नेताओं को बाहर की दिशा दिखानी होगी।<br /><br />@ arun c roy<br />बहुत धन्यवाद आपका।<br /><br />@ हरकीरत ' हीर<br />हमारे अन्दर का लड़ाका भविष्य में और रूप धर कर प्रस्फुटित होगा।<br /><br />@ महफूज़ अली<br />आप जैसी समझ वाले हर शहर को एक मिल जाये, देश का नक्शा बदल जायेगा।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-4800878720470039612010-09-29T07:40:12.292+05:302010-09-29T07:40:12.292+05:30@ संतोष त्रिवेदी ♣ SANTOSH TRIVEDI
मेरे देश के नाय...@ संतोष त्रिवेदी ♣ SANTOSH TRIVEDI<br />मेरे देश के नायक देश जोड़ने की बजाय तोड़ रहे हैं और दुर्भाग्य यह है कि उसे राजनीति कहा जाता है। <br /><br />@ Saurabh<br />उपाय मात्र एक ही है कि जाति को झगड़े की विषयवस्तु न बनाया जाये और इस पर राजनीति न की जाये।<br /><br />@ अभिषेक ओझा<br />हममें से कईयों को जब पहली बार जाति का नग्न स्वरूप दिखा होगा, पीड़ा अवश्य हुयी होगी। मेरा बचपन विविधता में बीता, कभी किसी ने न रोका न टोका।<br /><br />@ दुधवा लाइव<br />इस विषय पर पुस्तक पढ़ने का धैर्य व सामर्थ्य सबके बस की बात नहीं है। सब इस विषय में अपने आप को महान ज्ञानी व न बदले जा सकने वाली मानसिकता का समझते हैं। समय आने पर पुस्तकीय प्रहार किया जायेगा। <br /><br />@ प्रतिभा सक्सेना<br />जब नेताओं को समाज बाटने में मलाई मिल रही हो तो ज्ञान भरी बातें मानसिकता के बाहर पड़े पड़े दम तोड़ देती हैं। इन नेताओं पर प्रभाव तब पड़ेगा जब जनता इसका छिछलापन समझ जायेगी।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-33389855095928325722010-09-29T03:56:05.653+05:302010-09-29T03:56:05.653+05:30Praveenjee
Saaf Suthara Blog aapkee
seedhee sachc...Praveenjee<br /><br />Saaf Suthara Blog aapkee<br />seedhee sachchee batein<br /><br />detee hain utsaah naya<br />aapkee tippaniyon kee saugatein<br /><br />dhanywaad aur shubhkaamnayen<br /><br />Ashok VyasAshok Vyashttps://www.blogger.com/profile/14603070841314936254noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-38318998569046146022010-09-29T00:02:47.021+05:302010-09-29T00:02:47.021+05:30नर-नारी की मान-प्रतिष्ठा, पाने नित अधिकार लड़ रही,...नर-नारी की मान-प्रतिष्ठा, पाने नित अधिकार लड़ रही,<br />भाषा लड़ती, वर्ण लड़ रहे, बुद्धि विषमता ओर बढ़ रही ।<br />देश, प्रदेश, विशेष लड़ रहे, भौहें सकल प्रकार चढ़ रहीं,<br />नयी, पुरातन पीढ़ी, पृथक विचार, घरों के द्वार लड़ रही <br />dono hi rachnaye ati uttam hai .jati-vishya hai hi aesa jahan vivad syam tyar ho jaate hai .ज्योति सिंहhttps://www.blogger.com/profile/14092900119898490662noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-27259370276090605842010-09-28T22:53:39.544+05:302010-09-28T22:53:39.544+05:30मैं तो जाती -धर्म-रीज्नलिज्म..... इन सबसे ऊपर हो च...मैं तो जाती -धर्म-रीज्नलिज्म..... इन सबसे ऊपर हो चूका हूँ.... मुझे लगता है कि मैं औल्माईटी गौड... बन गया हूँ...डॉ. महफूज़ अली (Dr. Mahfooz Ali)https://www.blogger.com/profile/13152343302016007973noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-48083410889528541892010-09-28T22:13:54.822+05:302010-09-28T22:13:54.822+05:30धर्म लड़े, बन हठी खड़े हैं, उस पर भी अब जाति लड़ी ...धर्म लड़े, बन हठी खड़े हैं, उस पर भी अब जाति लड़ी है,<br />देखो तो किस तरह मनुज की, लोलुपता हर भाँति लड़ी है ।।<br /><br />बहुत सटीक ....!!हरकीरत ' हीर'https://www.blogger.com/profile/09462263786489609976noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-32286701076433764972010-09-28T20:46:07.436+05:302010-09-28T20:46:07.436+05:30बहुत ताज़ा विचार और शैली.बहुत ताज़ा विचार और शैली.अरुण चन्द्र रॉयhttps://www.blogger.com/profile/01508172003645967041noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-69178010889593495482010-09-28T20:42:10.041+05:302010-09-28T20:42:10.041+05:30भारत में अब जाती राजनीती की फ़सल बन गयी है,नेता ज़...भारत में अब जाती राजनीती की फ़सल बन गयी है,नेता ज़रूर इसे काटेंगे !संतोष त्रिवेदीhttps://www.blogger.com/profile/00663828204965018683noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-33970886204576534332010-09-28T14:55:59.929+05:302010-09-28T14:55:59.929+05:30सामयिक लिखा है ..... आज के सन्दर्भ में विचारणीय पो...सामयिक लिखा है ..... आज के सन्दर्भ में विचारणीय पोस्ट है .... बहुत कुछ है जिन पर सहमत और असहमत हुवा जा सकता है ... ये सच है की जाती के अलावा भी बहुत कुछ है समाज में ...... और लड़ने की लिए ..... वो तो कोई भी बहाना ढूँढा जा सकता है ...दिगम्बर नासवाhttps://www.blogger.com/profile/11793607017463281505noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-31520169820407064592010-09-28T05:24:45.965+05:302010-09-28T05:24:45.965+05:30जब तक स्वाभाविक प्रकारों का वर्गीकरण हो 'जातिय...जब तक स्वाभाविक प्रकारों का वर्गीकरण हो 'जातियों'का महत्व है जब निहित स्वार्थ के लिए होने लगे तो यह व्यर्थ का आरोपण और दूषण बन जाता है.<br />प्रवीण जी ,यह चेतना जगाने के लिए ,धन्यवाद आपको .पर इसका प्रभाव जहाँ पड़ना चाहिये वहाँ पड़े तब न !प्रतिभा सक्सेनाhttps://www.blogger.com/profile/12407536342735912225noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-50208295613063207502010-09-28T03:29:53.119+05:302010-09-28T03:29:53.119+05:30जाति के आनुंवशिक विश्लेषण, सामाजि, धार्मिक, भौगोलि...जाति के आनुंवशिक विश्लेषण, सामाजि, धार्मिक, भौगोलिक, राजनैतिक इन सब्विषयों पर बन्धु कई खण्डों वाली पुस्तक की आवाश्यकता है आप ने तो एक ही पोस्ट में समेट कर रख दिया ..खैर..Dudhwa Livehttps://www.blogger.com/profile/13090138404399697848noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-74523041114442082392010-09-27T23:47:58.117+05:302010-09-27T23:47:58.117+05:30कल मेरे बॉस बता रहे थे कि उन्हें पूरे बचपन में पता...कल मेरे बॉस बता रहे थे कि उन्हें पूरे बचपन में पता ही नहीं था कि रेस क्या होता है वो हर तरह के बच्चों के साथ खेलते हुए बड़े हुए. उन्हें पहली बार इस बात का एहसास हुआ जब वो हार्वर्ड गए ! बड़ी विचित्र सी बात लगती है पर वैसे ही जाति का मामला भी हम जितना सोचते हैं आसान नहीं.Abhishek Ojhahttps://www.blogger.com/profile/12513762898738044716noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-77508255349826203582010-09-27T21:29:41.453+05:302010-09-27T21:29:41.453+05:30"जिस विषय पर लोग भावनात्मक हो जाते हैं और Log..."जिस विषय पर लोग भावनात्मक हो जाते हैं और Logic को दर किनार कर देते हैं, उसके निष्कर्षों को तार्किक बनाने को प्रयास नहीं कर पाया"<br /><br />आपसे सहमत हूँ.मगर मैं कुछ और आगे की उम्मीद कर रहा था. किसी हल या उपाय की. खैर... :)स https://www.blogger.com/profile/03027465386856609299noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-63670813659473771802010-09-27T19:55:49.577+05:302010-09-27T19:55:49.577+05:30जाति है,तो राजनीति है, राजनीति है तो नेताजी हैं......जाति है,तो राजनीति है, राजनीति है तो नेताजी हैं...जय हो आज़ाद भारत की ....संतोष त्रिवेदीhttps://www.blogger.com/profile/00663828204965018683noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-10216328427996048382010-09-27T19:14:06.234+05:302010-09-27T19:14:06.234+05:30@ Rahul Singh
अपने जीवन की विविधता में यदि हम जीवन...@ Rahul Singh<br />अपने जीवन की विविधता में यदि हम जीवन की ऊर्जा बाटने लगे तो जीवन ढह जायेगा। वही समाज के साथ हो रहा है। <br /><br />@ hem pandey<br />आपसे शत प्रतिशत सहमत। विषयगत समूह बनते बिगड़ते रहते हैं।<br /><br />@ Saurabh<br />जिस विषय पर लोग भावनात्मक हो जाते हैं और Logic को दर किनार कर देते हैं, उसके निष्कर्षों को तार्किक बनाने को प्रयास नहीं कर पाया। विविधता की विवशता व्यक्त कर पाया मात्र। <br /><br />@ अनामिका की सदायें ......<br />लोग तो सदा ही इन विषयों को ले आवेश में रहते हैं, पूर्वाग्रहों से ग्रसित। निवारण कैसे होगा, समझ नहीं आता कभी कभी।<br /><br />@ संजय भास्कर<br />बहुत धन्यवाद<br /><br />@ सत्यप्रकाश पाण्डेय<br />बहुत धन्यवादप्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-41492977697712456982010-09-27T15:53:19.244+05:302010-09-27T15:53:19.244+05:30सटीक बात.सटीक बात.SATYAhttps://www.blogger.com/profile/17480899272176053407noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-73117365013271897452010-09-27T06:36:42.577+05:302010-09-27T06:36:42.577+05:30आदरणीय प्रवीण जी,
बहुत बढिया विचार
.........बेहतरी...आदरणीय प्रवीण जी,<br />बहुत बढिया विचार<br />.........बेहतरीन लगी यह पोस्ट<br />प्रणाम स्वीकार करें<br />ब्लॉग को पढने और सराह कर उत्साहवर्धन के लिए शुक्रिया.संजय भास्कर https://www.blogger.com/profile/08195795661130888170noreply@blogger.com