tag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post7772769266822341452..comments2024-03-17T19:33:00.050+05:30Comments on न दैन्यं न पलायनम्: बच्चों की खिलती मुस्कानप्रवीण पाण्डेयhttp://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comBlogger51125tag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-62370341342296345722012-10-04T13:07:49.231+05:302012-10-04T13:07:49.231+05:30अति उत्तम प्रस्तुति.अति उत्तम प्रस्तुति.Amrita Tanmayhttps://www.blogger.com/profile/06785912345168519887noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-80740945424930303582012-10-03T22:47:32.514+05:302012-10-03T22:47:32.514+05:30sada bani rahe ye muskaan.sada bani rahe ye muskaan.Gopal Mishrahttp://www.achhikhabar.comnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-14914468020260090562012-10-03T12:35:09.610+05:302012-10-03T12:35:09.610+05:30बहुत ही प्रेरक प्रस्तुति..आभार...बहुत ही प्रेरक प्रस्तुति..आभार...Maheshwari kanerihttps://www.blogger.com/profile/07497968987033633340noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-74847309453042460512012-10-03T05:15:29.970+05:302012-10-03T05:15:29.970+05:30अच्छा प्रेरक!!अच्छा प्रेरक!!Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-74404385918929331362012-10-02T21:06:57.300+05:302012-10-02T21:06:57.300+05:30अद्भुत!
यह प्रयोग प्रेरक है।अद्भुत!<br />यह प्रयोग प्रेरक है।मनोज कुमारhttps://www.blogger.com/profile/08566976083330111264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-66242932887860774412012-10-02T17:58:55.067+05:302012-10-02T17:58:55.067+05:30bahut hi achchhi sheekh. shikshaprad prastuti.bahut hi achchhi sheekh. shikshaprad prastuti.उपेन्द्र नाथhttps://www.blogger.com/profile/07603216151835286501noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-32970706936141336202012-10-02T08:39:21.818+05:302012-10-02T08:39:21.818+05:30आपने प्रवीण जी मान बढ़ाया .आभार आपका .आपने प्रवीण जी मान बढ़ाया .आभार आपका .virendra sharmahttps://www.blogger.com/profile/02192395730821008281noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-27945571008489823272012-10-02T06:35:23.760+05:302012-10-02T06:35:23.760+05:30बहुत प्रेरक प्रस्तुति-आभार !बहुत प्रेरक प्रस्तुति-आभार !प्रतिभा सक्सेनाhttps://www.blogger.com/profile/12407536342735912225noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-89070953116689240782012-10-01T23:57:48.710+05:302012-10-01T23:57:48.710+05:30.
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प्रेरक...
आलोक ने दिल को छू लिया...
....<br />.<br />.<br />प्रेरक...<br /><br />आलोक ने दिल को छू लिया...<br /><br /><br />...प्रवीण https://www.blogger.com/profile/14904134587958367033noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-44741299951264626552012-10-01T23:22:02.875+05:302012-10-01T23:22:02.875+05:30सच है तो किस्सा सा लगा और किस्सा है तो सच जैसा| ऐ...सच है तो किस्सा सा लगा और किस्सा है तो सच जैसा| ऐसे आलोक बहुत सारे हों, हर जगह हों ताकि अँधेरे भी आलोकित हो जायें|संजय @ मो सम कौन...https://www.blogger.com/profile/14228941174553930859noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-185778948461861542012-10-01T22:42:58.230+05:302012-10-01T22:42:58.230+05:30आपकी व्याख्या से कुछ सीखा ही हूँ, अभी ठीक कर लेता ...आपकी व्याख्या से कुछ सीखा ही हूँ, अभी ठीक कर लेता हूँ। आप ऐसे ही नेह बरसाते रहें, हम तो अंजुलि फैलाये रहेंगे, अंत तक।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-67484075432323141412012-10-01T21:51:38.275+05:302012-10-01T21:51:38.275+05:30बहुत ही प्रेरक लगी .....आभार पाण्डेय जी |बहुत ही प्रेरक लगी .....आभार पाण्डेय जी |Naveen Mani Tripathihttps://www.blogger.com/profile/12695495499891742635noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-39341380234644269562012-10-01T21:13:21.585+05:302012-10-01T21:13:21.585+05:30प्रवीण जी छूट ली है आपके ब्लॉग पे ख़ास टिपण्णी के ...प्रवीण जी छूट ली है आपके ब्लॉग पे ख़ास टिपण्णी के बीच ये टिपण्णी जोड़ के .आप रचना कार हैं .स्वयं "रचना "नहीं हैं .अन्यथा न लेंगे .<br />नेहा एवं आदर से <br />वीरुभाई .virendra sharmahttps://www.blogger.com/profile/02192395730821008281noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-79640087992789822842012-10-01T21:10:48.890+05:302012-10-01T21:10:48.890+05:30सोमवार, 1 अक्तूबर 2012
ब्लॉग जगत में अनुनासिक की अ...<br /> <br />सोमवार, 1 अक्तूबर 2012<br />ब्लॉग जगत में अनुनासिक की अनदेखी<br />ब्लॉग जगत में अनुनासिक की अनदेखी<br /><br />आदमी अपने स्वभाव को छोड़ कर कहीं नहीं जा सकता .ये नहीं है कि हमारा ब्लॉग जगत में किसी से द्वेष है<br /><br />केवल विशुद्धता की वजह से हम कई मर्तबा भिड़ जाते हैं .पता चलता है बर्र के छत्ते में हाथ डाल दिया .अब<br /><br />डाल दिया तो डाल दिया .अपनी कहके ही हटेंगे आज .<br /><br />जिनको परमात्मा ने सजा दी होती है वह नाक से बोलते हैं और मुंह से नहीं बोल सकते बोलते वक्त शब्दों को<br /><br />खा भी जातें हैं जैसे अखिलेश जी के नेताजी हैं मुलायम अली .<br /><br />लेकिन जहां ज़रूरी होता है वहां नाक से भी बोलना पड़ता है .भले हम नाक से बोलने के लिए अभिशप्त नहीं हैं .<br /><br />अब कुछ शब्द प्रयोगों को लेतें हैं -<br /><br />नाई ,बाई ,कसाई ......इनका बहुवचन बनाते समय "ईकारांत "को इकारांत हो जाता है यानी ई को इ हो जाएगा<br /><br />.नाइयों ,बाइयों ,कसाइयों हो जाएगा .ऐसे ही "ऊकारांत "को "उकारांत " हो जाता है .<br /><br />"उ " को उन्हें करेंगे तो हे को अनुनासिक हो जाता है यानी ने पे बिंदी आती है .<br /><br />लेकिन ने पे यह नियम लागू नहीं होता है .ने को बिंदी नहीं आती है .<br /><br />ब्लॉग जगत में आम गलतियां जो देखने में आ रहीं हैं वह यह हैं कि कई ब्लोगर नाक से नहीं बोल पा रहें हैं मुंह<br /><br />से ही बोले जा रहें हैं .<br /><br />में को न जाने कैसे मे लिखे जा रहें हैं .है और हैं में भी बहुत गोलमाल हो रहा है .<br /><br />मम्मीजी जातीं "हैं ".यहाँ "हैं "आदर सूचक है मम्मी जाती है ठीक है बच्चा बोले तो लाड़ में आके .<br /><br />अब देखिए हमने कहा में हमने ही रहेगा हमनें नहीं होगा .ने में बिंदी नहीं आती है .लेकिन उन्होंने में हे पे बिंदी<br /><br />आयेगी ही आयेगी .अपने कई चिठ्ठाकार बहुत बढ़िया लिख रहें हैं लेकिन मुंह से बोले जा रहें हैं .नाक का<br /><br />इस्तेमाल नहीं कर रहें हैं .<br /><br />यह इस नव -मीडिया के भविष्य के लिए अच्छी बात नहीं है जो वैसे ही कईयों के निशाने पे है .<br /><br />मेरा इरादा यहाँ किसी को भी छोटा करके आंकना नहीं है .ये मेरी स्वभावगत प्रतिक्रिया है .<br /><br />कबीरा खड़ा सराय में चाहे सबकी खैर ,<br /><br />ना काहू से दोस्ती ना काहू से वैर .<br />virendra sharmahttps://www.blogger.com/profile/02192395730821008281noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-45699336563268079092012-10-01T18:58:37.774+05:302012-10-01T18:58:37.774+05:30बहुत प्रेरक प्रस्तुति...बहुत प्रेरक प्रस्तुति...Kailash Sharmahttps://www.blogger.com/profile/12461785093868952476noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-90472861271033516982012-09-30T23:21:26.775+05:302012-09-30T23:21:26.775+05:30एक अच्छा कलाकार यही करता है। एक अच्छा कलाकार यही करता है। राजेश उत्साहीhttps://www.blogger.com/profile/15973091178517874144noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-44349698184629018982012-09-30T22:03:14.376+05:302012-09-30T22:03:14.376+05:30'बच्चों, तुम लोग भी जब स्वयं को भीड़ के साथ रख...<br />'बच्चों, तुम लोग भी जब स्वयं को भीड़ के साथ रखते हो तो स्वयं को कमतर समझने लगते हो, कभी कम धनी समझते हो, कभी कम भाग्यशाली समझते हो, कभी कम सुन्दर समझते हो। जब स्वयं को भीड़ से अलग रखकर देखोगे, स्वयं को दर्पण में जाकर देखोगे तो तुम्हें भी स्वयं पर गर्व करने के ढेरों कारण मिल जायेंगे।' आलोक ने व्याप्त संशय दूर कर दिया। सब मुस्करा उठे, बस एक छुटका नहीं, वह थक कर सो चुका था। सारे बच्चे आज स्वयं पर एक नया विश्वास लेकर घर पहुँचेगे, सबके चेहरे पर गजब का आत्मसन्तोष झलक रहा था।<br /><br />यह जो तुलना करने की प्रवृत्ति है यह बचपन में ही घर बना लेती है .वजह अकसर माँ बाप ही बनते हैं अपने बच्चे की हरदम किसी और से तुलना करेंगे और वह भी उपालंभीय शैली में उसकी हेटी करते हुए .<br /><br />जबकि यहाँ सब कुछ सापेक्षिक है .परस्पर आश्रित है .परम या निरपेक्ष जिसका किसी बाहरी चीज़ से कुछ लेना देना न हो का कुछ मतलब नहीं है . .गरीबी अमीरी सब सापेक्षिक है .<br /><br />इंदु जैन को परोपकारियों की सूची में दरिद्र ही कहा जाएगा जो अपनी सालाना आय २.२ अरब डॉलर का मात्र ०.१३ % ही परोपकार पे खर्च करतीं हैं जबकि इसी सूची में अपनी सालाना आय का ९२.३ %परोपकार पर खर्च करने वाले हांग वैन्जाई भी हैं .<br /><br />निर्णायक की भूमिका में माँ बाप का आना बहुत घटिया काम है .बच्चे अपने में एक पूरा तंत्र होतें हैं .अधूरे नहीं होतें हैं .अवसर देना काम है माँ बाप का न कि प्रतिभा को कुंठित करना .<br /><br />यही सन्देश है इस पोस्ट का .virendra sharmahttps://www.blogger.com/profile/02192395730821008281noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-81649142514857582392012-09-30T18:36:44.332+05:302012-09-30T18:36:44.332+05:30बहुत प्रेरणा दायी पोस्ट है बहुत रोचक संस्मरण सच मे...बहुत प्रेरणा दायी पोस्ट है बहुत रोचक संस्मरण सच में हम बच्चों के माध्यम से बहुत कुछ सीखते हैं बच्चे निष्कपट निश्छल सच्चे होते हैं Rajesh Kumarihttps://www.blogger.com/profile/04052797854888522201noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-2228481649534064902012-09-30T14:58:52.319+05:302012-09-30T14:58:52.319+05:30very very nice :)
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अपनी रचनाओं का कॉपीराइट मु...very very nice :)<br /><br />----<br /><a href="http://techprevue.blogspot.in/2012/09/myfreecopyright.html" rel="nofollow">अपनी रचनाओं का कॉपीराइट मुफ़्त पाइए </a>Vinayhttps://www.blogger.com/profile/08734830206267994994noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-21024018977201535342012-09-30T13:23:35.592+05:302012-09-30T13:23:35.592+05:30आलोक के साथ २००७-०८ में कुछ समय काम करने का मौका म...आलोक के साथ २००७-०८ में कुछ समय काम करने का मौका मिला। आपसे उनके बार में इतना विस्तृत जानना और भी अच्छा लगा।Nitin Baglahttps://www.blogger.com/profile/18440781901122132231noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-62574444479588689082012-09-30T13:10:32.168+05:302012-09-30T13:10:32.168+05:30खुश करने वाला संस्मरण :)खुश करने वाला संस्मरण :)Avinash Chandrahttps://www.blogger.com/profile/01556980533767425818noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-30233876114205391282012-09-30T12:28:07.613+05:302012-09-30T12:28:07.613+05:30ऐसा कर पाना एक बच्चे के लिए ही संभव है इसका एकमात्...ऐसा कर पाना एक बच्चे के लिए ही संभव है इसका एकमात्र कारण उनकी निश्छलता है जिसको कुछ भी कलुषित और अपूर्ण नहीं दिखता .......निवेदिता श्रीवास्तवhttps://www.blogger.com/profile/17624652603897289696noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-33720599458998498092012-09-30T10:42:32.272+05:302012-09-30T10:42:32.272+05:30"काश हम सब भी अन्य की कृतियों और कार्यों के प..."काश हम सब भी अन्य की कृतियों और कार्यों के प्रति यही भाव रखें, सब विशिष्ट हैं."<br /><br />बहुत बढ़िया बात कही. आलोक जी की सोच कितनी प्रगतिशील है यह जानकार मन भाव विभोर हो गया.रचना दीक्षितhttps://www.blogger.com/profile/10298077073448653913noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-11160878413570000852012-09-30T10:18:53.246+05:302012-09-30T10:18:53.246+05:30प्रेरक कथा पढ़ाने के लिए आभार।प्रेरक कथा पढ़ाने के लिए आभार।देवेन्द्र पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/07466843806711544757noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-50140783045549982112012-09-30T09:50:28.159+05:302012-09-30T09:50:28.159+05:30यह भी बच्चो के विकास का एक मार्ग है Iयह भी बच्चो के विकास का एक मार्ग है ICoralhttps://www.blogger.com/profile/18360367288330292186noreply@blogger.com