tag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post7599353116060957630..comments2024-03-17T19:33:00.050+05:30Comments on न दैन्यं न पलायनम्: पानीदार कहाँ है पानी?प्रवीण पाण्डेयhttp://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comBlogger79125tag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-37505914386183668602011-09-10T12:07:54.482+05:302011-09-10T12:07:54.482+05:30प्रवीण जी यह इमेज पर सफेद रंग में क्या आपने किसी ट...प्रवीण जी यह इमेज पर सफेद रंग में क्या आपने किसी टैबलेट जैसे डिवाइस पर हाथ से लिखा है?<br /><br />यदि हाँ तो आपने इतनी सही तरह से कैसे लिख लिया, मैंने एक-दो बार अपने फोन पर ट्राइ किया पर सही लिखा ही नहीं जाता।ePandithttps://www.blogger.com/profile/15264688244278112743noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-36359082632246885432011-09-08T00:27:15.704+05:302011-09-08T00:27:15.704+05:30सार्थक लेख....
अब पानीदार पानी पीने के लिए बोतलों ...सार्थक लेख....<br />अब पानीदार पानी पीने के लिए बोतलों में मिलता है...!<br />और अगर तैरना है तो स्वीमिंग पूल में....!!***Punam***https://www.blogger.com/profile/01924785129940767667noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-25825672154868227202011-09-07T16:01:50.478+05:302011-09-07T16:01:50.478+05:30नदियों को गन्दा करने में पूरे देश का हाथ है ... यम...नदियों को गन्दा करने में पूरे देश का हाथ है ... यमुना भी अपवाद नहीं है ...दिगम्बर नासवाhttps://www.blogger.com/profile/11793607017463281505noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-91439276555306032732011-09-06T23:32:43.757+05:302011-09-06T23:32:43.757+05:30बड़ी बड़ी नदियों को तो सुखा ही दिया है |
पिछले साल...बड़ी बड़ी नदियों को तो सुखा ही दिया है |<br />पिछले साल अपने गाँव में सुक्ता नदी (जो अब सिर्फ रेत भी कहाँ ?बस कुछ चिकने छोटे छोटे पत्थर )की हालत देखकर आंखे पानी पानी ही को गई थी |वहां बाद बड़े ट्रक और गिट्टी छानने के चलने देख विकास व्यर्थ ही लगा |shobhanahttps://www.blogger.com/profile/11004251729395220506noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-42793941701415200692011-09-06T13:52:14.246+05:302011-09-06T13:52:14.246+05:30तथाकथित विकास का सही चित्रण किया है ..... पानी तो ...तथाकथित विकास का सही चित्रण किया है ..... पानी तो अब नदियों के साथ हमारे विचारों में भी नहीं बचा है .....निवेदिता श्रीवास्तवhttps://www.blogger.com/profile/17624652603897289696noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-67486190362151687602011-09-06T13:25:02.722+05:302011-09-06T13:25:02.722+05:30praveen ji
bahut hi garai se aapne apni yaado ki ...praveen ji<br /> bahut hi garai se aapne apni yaado ki dhrohar ko aadhunik samaaj ke dwara nast hone wale sach ko khoobsurati ke saath abhi vykt kiya hai.<br />bahut hi sach ko parilaxhit karti hai aapki prastuti<br />bahut bahut badhai<br /> poonamपूनम श्रीवास्तवhttps://www.blogger.com/profile/09864127183201263925noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-21674801520727844792011-09-06T11:51:59.983+05:302011-09-06T11:51:59.983+05:30yaadon mei shaamil karne ke liye shukriya... aur a...yaadon mei shaamil karne ke liye shukriya... aur aapkee soch n post wakai chintaneey hai...<br />mera bachpan bhee nadiyon ke beech hi beeta...<br />kuchh ke to naam the aur kuchh sirf baarishon mei janm leti thee...<br />par aaj sabki haalat ek jaisi hai...<br />na jane aagey kya hoga...<br />waise Hameerpur se milwane ke liye dhnyawaad...POOJA...https://www.blogger.com/profile/03449314907714567024noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-84480872703885341942011-09-06T09:50:46.284+05:302011-09-06T09:50:46.284+05:30बहुत ही भावुक होते गये हैं यह पीड़ा स्वाभाविक ही है...बहुत ही भावुक होते गये हैं यह पीड़ा स्वाभाविक ही है. सारी नदियों का यही हाल है.<br />चोट लगी वृक्षों को घायल आकाश हुआ<br />बादल भी रो न सका इतना हताश हुआ.<br />अभी भी वक्त है...<br />दूषित जल से किस तरह,जीव बुझाये प्यास<br />जल की रक्षा के लिये,करिये सभी उपाय.अरुण कुमार निगम (mitanigoth2.blogspot.com)https://www.blogger.com/profile/11022098234559888734noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-23531552685523314952011-09-05T20:17:36.971+05:302011-09-05T20:17:36.971+05:30PANIDAR KAHA HAI PANI?
CHAHE YAMUNA HO YA GANGA
HA...PANIDAR KAHA HAI PANI?<br />CHAHE YAMUNA HO YA GANGA<br />HAR NADI KI YAHI KAHANIRAJESH KUMARhttps://www.blogger.com/profile/16330491902808021388noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-1578629441757595552011-09-05T19:59:59.092+05:302011-09-05T19:59:59.092+05:30खूबसूरत प्रयास |
ला-जवाब" जबर्दस्त!!खूबसूरत प्रयास |<br />ला-जवाब" जबर्दस्त!!संजय भास्कर https://www.blogger.com/profile/08195795661130888170noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-66124123611178088442011-09-05T19:57:18.353+05:302011-09-05T19:57:18.353+05:30आपकी पोस्ट बहुत कुछ सोचने पर मजबूर करती हैआपकी पोस्ट बहुत कुछ सोचने पर मजबूर करती हैसंजय भास्कर https://www.blogger.com/profile/08195795661130888170noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-74167928263174681132011-09-05T19:12:02.460+05:302011-09-05T19:12:02.460+05:30सर मानव अपने पैरो पर कुल्हाड़ी चलाना शुरू कर दिया ...सर मानव अपने पैरो पर कुल्हाड़ी चलाना शुरू कर दिया है ! जिसके परिणाम गंभीर होंगे !G.N.SHAWhttps://www.blogger.com/profile/03835040561016332975noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-40844604511638712952011-09-05T13:12:07.817+05:302011-09-05T13:12:07.817+05:30पानीदार कहाँ है पानी?जी हाँ भाई साहब जिस सरकार का ...पानीदार कहाँ है पानी?जी हाँ भाई साहब जिस सरकार का पानी उतर चुका है जो बे -आब ,बे -आबरू है उसका सिर्फ मज़ाक ही उड़ाया जा सकता है गंभीर विमर्श नहीं हो सकता उसकी हरकतों पर .virendra sharmahttps://www.blogger.com/profile/02192395730821008281noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-33967856314787154842011-09-05T12:16:55.284+05:302011-09-05T12:16:55.284+05:30its water is going to be big problem for next gene...its water is going to be big problem for next generationssmhttp://realityviews.blogspot.com/noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-89185914209131758782011-09-05T10:58:44.112+05:302011-09-05T10:58:44.112+05:30सचमुच अपने नदियों का हश्र देख सिर्फ दुख नहीं होता,...सचमुच अपने नदियों का हश्र देख सिर्फ दुख नहीं होता, डर लगता है, विकास के नाम पर नदियों की ये बलि बहुत भारी साबित होगी।वर्षाhttps://www.blogger.com/profile/01287301277886608962noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-42762204144630971612011-09-05T10:24:16.085+05:302011-09-05T10:24:16.085+05:30truly said... in the name of development at many p...truly said... in the name of development at many places destruction of natural resources is happening. <br /><br />A nice read on a sensitive issue !!Jyoti Mishrahttps://www.blogger.com/profile/01794675170127168298noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-10750679391865081272011-09-05T09:56:25.334+05:302011-09-05T09:56:25.334+05:30बहुत - बहुत आभार गुरुजनों का ||
सादर प्रणाम ||
र...बहुत - बहुत आभार गुरुजनों का ||<br /><br />सादर प्रणाम ||<br /><br />रहकर झाँसी में पढ़ा, अवध हमारा धाम |<br />सरयू जैसी बेतवा , अवध ओरछा नाम ||<br /><br />अवध ओरछा नाम, लगाईं इसमें डुबकी |<br />झाँसी से खूब प्यार, पढ़े अब मेरी छुटकी ||<br /><br />बाइस में पर तैर, सका यह उसमें 'रविकर' |<br />ताल-सरोवर भूल, शहर में लेकिन रहकर ||<br /><br />सुन्दर प्रस्तुति के लिए आपको बधाई ||रविकर https://www.blogger.com/profile/00288028073010827898noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-69088383007371483812011-09-04T22:58:19.467+05:302011-09-04T22:58:19.467+05:30पानी गये ना ऊबरे , मोती,मानुस,चून....पानी गये ना ऊबरे , मोती,मानुस,चून....amit kumar srivastavahttps://www.blogger.com/profile/10782338665454125720noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-49835497360424079372011-09-04T22:17:03.611+05:302011-09-04T22:17:03.611+05:30पोस्ट के चौथे पैराग्राफ में तो आपने कमाल कर दिया।...पोस्ट के चौथे पैराग्राफ में तो आपने कमाल कर दिया। बार-बआर पढने पर भी जी नहीं भरा।विष्णु बैरागीhttps://www.blogger.com/profile/07004437238267266555noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-622420146020713782011-09-04T17:16:29.428+05:302011-09-04T17:16:29.428+05:30नदियों की दीन हीन अवस्था देख कर..मन दुःखी होता है।...नदियों की दीन हीन अवस्था देख कर..मन दुःखी होता है। मैने भी खीझकर लिखा था..गंगा रोड। धीरे-धीरे नदियां नालों में परिवर्तित हो रही हैं..नदियों के ऊपर घर बन रहे हैं। एक दिन ऐसा भी आ सकता है जब नदियाँ, नीचे नाली के रूप में बहें और ऊपर बन जाय 4 लेन सड़कें..!देवेन्द्र पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/07466843806711544757noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-18424555462176716942011-09-04T15:32:30.766+05:302011-09-04T15:32:30.766+05:30विकास का यही हाल रहा तो डूबने मरने के लिए चुल्लू भ...विकास का यही हाल रहा तो डूबने मरने के लिए चुल्लू भर पानी भी नसीब नहीं होगा।ZEALhttps://www.blogger.com/profile/04046257625059781313noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-45601601806340260302011-09-04T09:49:24.223+05:302011-09-04T09:49:24.223+05:30सामयिक स्थिति से परीचित कराता आपका यह आलेख बचपन मे...सामयिक स्थिति से परीचित कराता आपका यह आलेख बचपन में लौटा लेगया. सब कुछ वैसा का वैसा ही जैसा आपने लिखा है. पर अब जब कभी जाना होता है तो वही परिवेश बदला बदला सा लगता है, कुछ भी तो बाकी नही छोडा विकास के नाम पर. और अभी कहां तक जायेगी ये कहानी? शायद अभी खत्म नही हुई है विनाश की लीला.<br /><br />रामरामताऊ रामपुरियाhttps://www.blogger.com/profile/12308265397988399067noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-24779145082270487652011-09-04T08:38:30.059+05:302011-09-04T08:38:30.059+05:30पढ़ लिया था सुबह ही...सोचा कि कमेंट भी कर दिया है....पढ़ लिया था सुबह ही...सोचा कि कमेंट भी कर दिया है...अब समझ आया कि नहीं किया है...वही स्थिति जो जबलपुर में बचपन में नर्मदा में तैरते थे और अब भी समझते हैं कि तैरने में महारत है ...जबकि दूसरे राऊन्ड में सांस टूट जाती है....Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-43390602240886869182011-09-04T08:37:50.537+05:302011-09-04T08:37:50.537+05:30पढ़ लिया था सुबह ही...सोचा कि कमेंट भी कर दिया है....पढ़ लिया था सुबह ही...सोचा कि कमेंट भी कर दिया है...अब समझ आया कि नहीं किया है...वही स्थिति जो जबलपुर में बचपन में नर्मदा में तैरते थे और अब भी समझते हैं कि तैरने में महारत है ...जबकि दूसरे राऊन्ड में सांस टूट जाती है....Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-14313818839301723272011-09-04T08:18:07.778+05:302011-09-04T08:18:07.778+05:30भारत में नदियों की स्थिति बहुत बुरी है। एक ऐसी संस...भारत में नदियों की स्थिति बहुत बुरी है। एक ऐसी संस्था की कडी आवश्यकता है जो सब नदियों के संरक्षण के लिये ज़िम्मेदार हो। जिस राज्य को जब जितने जल की आवश्यकता हो उसे उचित मूल्य पर उपलब्ध कराये, जल-पर्यटन योजनायें बनाये, जल परिवहन प्रोत्साहित करे, परंतु साथ ही पुलों व बान्धों की देखरेख करने के साथ-साथ बाढ आदि से होने वाली जन-धन की हानि होने से भी रोके।Smart Indianhttps://www.blogger.com/profile/11400222466406727149noreply@blogger.com