tag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post7294745975369548394..comments2024-03-17T19:33:00.050+05:30Comments on न दैन्यं न पलायनम्: कार्य की बस चाह मेरीप्रवीण पाण्डेयhttp://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comBlogger78125tag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-56163266472903708532011-11-27T12:07:45.744+05:302011-11-27T12:07:45.744+05:30बहुत खूब, प्रवीण जी. बार बार पढ़ता हूँ; और आनंद ब...बहुत खूब, प्रवीण जी. बार बार पढ़ता हूँ; और आनंद बढ़ता जाता है.<br />अपने मित्रों के साथ share किया; और सभी को बहुत पसंद आयीं ये lines.Anil Guptahttps://www.blogger.com/profile/16141426269056869257noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-72290198877579932842011-06-26T22:14:03.538+05:302011-06-26T22:14:03.538+05:30अत्यंत प्रेरक कविता...किस-किस पंक्ति को उद्धृत करू...अत्यंत प्रेरक कविता...किस-किस पंक्ति को उद्धृत करूँ... एक से बढ़ कर एक... मनुष्य के उद्दाम कर्म प्राबल्य का बोध कराने वाली अनुपम कृति ... पढ़ कर स्वतः ही निज संकल्पों की तरफ ध्यान चला गया. एक बार फिर से पढूंगी.anshujahttps://www.blogger.com/profile/09648919578701644836noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-60301928980844673292011-06-26T20:38:54.273+05:302011-06-26T20:38:54.273+05:30देख लेंगे, कष्ट दुष्कर, आयें तो आया करें।देख लेंगे, कष्ट दुष्कर, आयें तो आया करें।sanjayhttp://jaatnapuchosadhuki.blogspot.com/noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-35773692606799809442011-06-26T01:53:31.862+05:302011-06-26T01:53:31.862+05:30क्या बात है. जिंदगी के प्रति आस्था को मजबूत करती क...क्या बात है. जिंदगी के प्रति आस्था को मजबूत करती कविता.santosh pandeyhttp://sarerang.blogspot.comnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-49598776003714924712011-06-25T14:03:00.147+05:302011-06-25T14:03:00.147+05:30चाह की चाह किसे है
राह मिले तो,
मंज़िल की परवाह क...चाह की चाह किसे है<br />राह मिले तो, <br />मंज़िल की परवाह किसे हैचंद्रमौलेश्वर प्रसादhttps://www.blogger.com/profile/08384457680652627343noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-70033388726384562062011-06-24T22:35:32.921+05:302011-06-24T22:35:32.921+05:30खूब..
काम करते रहने के लिए इंस्पायर करती रचना.
म...खूब..<br /><br />काम करते रहने के लिए इंस्पायर करती रचना.<br /><br />मनोजManoj Khttps://www.blogger.com/profile/06707542140412834778noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-5090271083513154152011-06-24T21:43:52.272+05:302011-06-24T21:43:52.272+05:30आश्रितों की वेदना से व्यक्त यह संसार है
यही मेरे प...आश्रितों की वेदना से व्यक्त यह संसार है<br />यही मेरे परिश्रम का, ध्येय का आधार है।<br /><br />नहीं चाहूँ पद, प्रतिष्ठा, स्वयं पर निष्ठा घनेरी,<br />नहीं आशा प्रशंसा की, कार्य की बस चाह मेरी ।<br /><br />वाह ! शायद हम सबको ऐसी सोच मन में भरने की जरूरत है।Manish Kumarhttps://www.blogger.com/profile/10739848141759842115noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-3446739953515683512011-06-24T19:59:27.431+05:302011-06-24T19:59:27.431+05:30दहकता अस्तित्व-अंकुर, हृदय में मरता नहीं। सर लाजब...दहकता अस्तित्व-अंकुर, हृदय में मरता नहीं। सर लाजबाब ! साहस हो तो सब कुछ सहज !G.N.SHAWhttps://www.blogger.com/profile/03835040561016332975noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-84412159877581507912011-06-24T11:21:37.373+05:302011-06-24T11:21:37.373+05:30कार्य की बस चाह मेरी
22.6.11
कार्य की बस चाह मेरी...कार्य की बस चाह मेरी<br />22.6.11<br /><br />कार्य की बस चाह मेरी, राह मिल जाया करें,<br />देख लेंगे, कष्ट दुष्कर, आयें तो आया करें।<br />...sahaj ..sunder ..umang bharne wali ...babanpandeyhttps://www.blogger.com/profile/17780357103706948852noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-35453538150453574592011-06-23T23:08:55.758+05:302011-06-23T23:08:55.758+05:30भाई मैं तो आपके लेखन का पहले से ही मुरीद हूँ. बहुत...भाई मैं तो आपके लेखन का पहले से ही मुरीद हूँ. बहुत ही अच्छी रचना. :)Gopal Mishrahttps://www.blogger.com/profile/17048839371013189239noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-34650610310222448272011-06-23T22:57:32.837+05:302011-06-23T22:57:32.837+05:30bahut achhi abhivyakti....bahut achhi abhivyakti....सु-मन (Suman Kapoor)https://www.blogger.com/profile/15596735267934374745noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-18435768002156840132011-06-23T22:26:27.328+05:302011-06-23T22:26:27.328+05:30भूत मेरे निश्चयों की कोठरी में बंद है,
आज का दिन औ...भूत मेरे निश्चयों की कोठरी में बंद है,<br />आज का दिन और यह पल, यहीं से आरम्भ है।<br /><br />बहुत अच्छी रचना,rashmi ravijahttps://www.blogger.com/profile/04858127136023935113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-78350226367736061132011-06-23T20:47:02.887+05:302011-06-23T20:47:02.887+05:30बहुत बढ़िया।बहुत बढ़िया।Gyan Dutt Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/05293412290435900116noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-67618720032343113652011-06-23T17:04:02.547+05:302011-06-23T17:04:02.547+05:30समय संग में चल सके तो, बढ़ा ले गति तनिक सी,अब नहीं...समय संग में चल सके तो, बढ़ा ले गति तनिक सी,अब नहीं विश्राम लेना, अब नहीं रुकना कहीं।<br /><br />आश्रितों की वेदना से व्यक्त यह संसार है<br />यही मेरे परिश्रम का, ध्येय का आधार है।<br />--क्या बात है !<br />बहुत उम्दा.<br />आगे बढ़ते रहने का हौसला देती रचना.Alpana Vermahttps://www.blogger.com/profile/08360043006024019346noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-3645339463366844562011-06-23T15:04:21.103+05:302011-06-23T15:04:21.103+05:30कब कहा मैंने समय से, तनिक तुम अनुकूल हो,
सब सहा जो...कब कहा मैंने समय से, तनिक तुम अनुकूल हो,<br />सब सहा जो भी मिला पथ, विजय हो या भूल हो।<br /><br />बहुत सारगर्भित और प्रेरक प्रस्तुति..Kailash Sharmahttps://www.blogger.com/profile/12461785093868952476noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-31172043679326051102011-06-23T13:47:11.412+05:302011-06-23T13:47:11.412+05:30"भूत मेरे निश्चयों की कोठरी में बंद है "..."भूत मेरे निश्चयों की कोठरी में बंद है "<br />बहुत अच्च्र्र रचना बधाई<br />आशाAsha Lata Saxenahttps://www.blogger.com/profile/16407569651427462917noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-10650558846903972692011-06-23T13:26:39.712+05:302011-06-23T13:26:39.712+05:30बिना मिले, बिना जाने भी जैसे ही आपका नाम ध्यान में...बिना मिले, बिना जाने भी जैसे ही आपका नाम ध्यान में आता है,जो कुछ शब्द त्वरित रूप से मानस पटल पर तैरते हैं,वे हैं- सरल,संस्कारी, सात्विक, सुस्पष्ट सुलझे विचारों वाला,प्रतिभाशाली,कुशाग्रबुद्धि, ईमानदार एक कर्मठ व्यक्तित्व...<br /><br />इसलिए इस प्रकार की बातें (भाव) जब आपकी रचनाओं में दीखते हैं तो मन को कोई आश्चर्य नहीं होता,बल्कि यह आश्वस्त होता है कि, यह व्यक्ति ऐसा तो सहज भाव से सोचेगा ...विशेष बात जो आपकी कविताओं के पाठ काल में लगा करती है,वह है कविता के शिल्प और प्रवाहमयता से मिलने वाली रस तृप्ति.. <br /><br />आज कविता लेखन में जिस प्रकार से शिल्प को सिरे से नकारने की प्रवृत्ति बढ़ती जा रही है, आप जैसे कुछ लोगों की कवितायें पढ़ दग्ध ह्रदय को असीम सुख और शांति मिलती है...आपसे अनुरोध है कि यह प्रयास अबाधित रखें... <br /><br />---------<br /><br />मंसूर अली जी की टिपण्णी का आशय समझ में नहीं आया...रंजनाhttps://www.blogger.com/profile/01215091193936901460noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-24279898476319096522011-06-23T12:48:41.149+05:302011-06-23T12:48:41.149+05:30वाह जी ...क्या बात ,... इतना सुन्दर लिखा ..जीवटता ...वाह जी ...क्या बात ,... इतना सुन्दर लिखा ..जीवटता से भरी अआपकी कविता बेहद सुन्दर ..डॉ. नूतन डिमरी गैरोला- नीतिhttps://www.blogger.com/profile/08478064367045773177noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-75580056187581316422011-06-23T10:25:51.269+05:302011-06-23T10:25:51.269+05:30एक दिन सहता रहा मैं, वेदना की पूर्णता,
चेतना पर लक...एक दिन सहता रहा मैं, वेदना की पूर्णता,<br />चेतना पर लक्ष्य अंकित, खड़ा जीवट सा बढ़ा।<br /><br />ये पंक्तियाँ बहुत अच्छी लगीं सर!<br /><br />सादरYashwant R. B. Mathurhttps://www.blogger.com/profile/06997216769306922306noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-43688476026198372942011-06-23T09:59:11.606+05:302011-06-23T09:59:11.606+05:30भले ही ऐसी सकारात्मक बातों का अनुसरण ईमानदारी से ...भले ही ऐसी सकारात्मक बातों का अनुसरण ईमानदारी से नहीं कर पाऊँ , यह साकारात्मक सोच वन्दनीय है |hem pandeyhttps://www.blogger.com/profile/08880733877178535586noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-88968825423229876962011-06-23T09:42:58.782+05:302011-06-23T09:42:58.782+05:30भूत मेरे निश्चयों की कोठरी में बंद है
आपके गद्य आ...भूत मेरे निश्चयों की कोठरी में बंद है<br /><br />आपके गद्य आलेखों की तरह मुक्तकीय प्रस्तुतियाँ भी प्रभावित करती हैं| बधाई|www.navincchaturvedi.blogspot.comhttps://www.blogger.com/profile/07881796115131060758noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-24298934994187441282011-06-23T09:17:24.002+05:302011-06-23T09:17:24.002+05:30भूत मेरे निश्चयों की कोठरी में बंद है,
आज का दिन औ...भूत मेरे निश्चयों की कोठरी में बंद है,<br />आज का दिन और यह पल, यहीं से आरम्भ है।<br /><br />बहुत ही प्रेरक ।Asha Joglekarhttps://www.blogger.com/profile/05351082141819705264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-76063382713452521962011-06-23T02:22:19.994+05:302011-06-23T02:22:19.994+05:30ati uttam :)ati uttam :)Lata R. Ojhahttps://www.blogger.com/profile/16806037552650200993noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-66871265251190220542011-06-22T23:58:36.443+05:302011-06-22T23:58:36.443+05:30नहीं चाहूँ पद, प्रतिष्ठा, स्वयं पर निष्ठा घनेरी,
न...नहीं चाहूँ पद, प्रतिष्ठा, स्वयं पर निष्ठा घनेरी,<br />नहीं आशा प्रशंसा की, कार्य की बस चाह मेरी ।<br />एकदम मेरे जैसे हो बाबू! यही सोच...यही विचार...और एक निश्चित लक्ष्य ...कोई बाधा क्या रास्ता रोक सकेगी फिर?<br />इस ज़ज्बे का सम्मान करती हूँ,प्यार करती हूँ.ईश्वर तुम्हे सफलता दे .'पार उतरेगा वो ही खेलेगा जो तूफ़ान से ,मुश्किलें डरती रही नौजवान इन्सान से,मिल ही जाते हैं किनारे जिंदगी साहिल भी है.'<br />जिंदगी को जोश उमंग,उत्साह से जीने वाले लोग मुझे बहुत अच्छे लगते हैं.ये आपकी कविता में दिख रहा है.आप जैसे इंसान मेरे रोल मोडल रहे हैं.<br />प्यार<br />बुआAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-30989055265676961522011-06-22T23:19:54.657+05:302011-06-22T23:19:54.657+05:30सभी कर्मयोगियों के लिये प्रेरक. उत्तम प्रस्तुति......सभी कर्मयोगियों के लिये प्रेरक. उत्तम प्रस्तुति...Sushil Bakliwalhttps://www.blogger.com/profile/08655314038738415438noreply@blogger.com