tag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post7106752781175906012..comments2024-03-17T19:33:00.050+05:30Comments on न दैन्यं न पलायनम्: जल और आयुर्वेदप्रवीण पाण्डेयhttp://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comBlogger45125tag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-49921499553119510442017-10-14T16:36:11.036+05:302017-10-14T16:36:11.036+05:30This comment has been removed by the author.Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/07733270893322837584noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-68696084412827911642014-03-19T13:14:01.491+05:302014-03-19T13:14:01.491+05:30बढ़िया लेख है. प्रयोग करके देखता हूँ. :)बढ़िया लेख है. प्रयोग करके देखता हूँ. :)PDhttps://www.blogger.com/profile/17633631138207427889noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-25255210502518188812014-03-16T18:34:13.906+05:302014-03-16T18:34:13.906+05:30सादर प्रणाम |
बहुत कुछ सिखने को निरंतर मिल रहा हैं...सादर प्रणाम |<br />बहुत कुछ सिखने को निरंतर मिल रहा हैं ,आभार |Dr ajay yadavhttps://www.blogger.com/profile/17231136774360906876noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-38327095752067099232014-03-12T12:10:14.242+05:302014-03-12T12:10:14.242+05:30आयुर्वेद का छोटा-छोटा सूत्र हमारे संस्कार में रचा-...आयुर्वेद का छोटा-छोटा सूत्र हमारे संस्कार में रचा-बसा है .इसके संवाहक को ह्रदय से नमन और पुष्टि करने हेतु आपका आभार .Amrita Tanmayhttps://www.blogger.com/profile/06785912345168519887noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-68635806082136949302014-02-28T23:13:09.702+05:302014-02-28T23:13:09.702+05:30शकुन्तला नोनी के टिप्पणी से सहमत और आपके उपयोगी ले...शकुन्तला नोनी के टिप्पणी से सहमत और आपके उपयोगी लेख हेतु प्रणाम स्वीकारें Ramakant Singhhttps://www.blogger.com/profile/06645825622839882435noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-10113342307238175802014-02-28T20:51:26.051+05:302014-02-28T20:51:26.051+05:30आँखों के काले सर्कल के लिये तो उस जगह पर लगाने हैं...आँखों के काले सर्कल के लिये तो उस जगह पर लगाने हैं। आँखों की ज्योति बढ़ाने के लिये कहाँ लगाना है, जानकार से पता कर के बताते हैं।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-85376669021080055892014-02-28T20:14:09.050+05:302014-02-28T20:14:09.050+05:30बहुत अच्छा। सर्वोत्तम कार्य कर रहे हैं आप। जि...बहुत अच्छा। सर्वोत्तम कार्य कर रहे हैं आप। जिहवा की लार आंखों के अन्दर लगानी है या बाहर?Harihar (विकेश कुमार बडोला) https://www.blogger.com/profile/02638624508885690777noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-65822797506943194652014-02-28T14:33:49.024+05:302014-02-28T14:33:49.024+05:30सही कहा कालीपद जी ..दर्शन, धर्म आदि मूल ज्ञान की ब...सही कहा कालीपद जी ..दर्शन, धर्म आदि मूल ज्ञान की बात और है ..परन्तु .प्राचीन तकनीकी व प्राविधिक ज्ञान को समय समय पर नवीनीकरण व अनुसंधान आवश्यक है .... shyam guptahttps://www.blogger.com/profile/11911265893162938566noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-86036158738415998362014-02-28T14:28:46.599+05:302014-02-28T14:28:46.599+05:30भाई वाष्पित होने पर जल में कुछ भी नहीं घुलता ...व...भाई वाष्पित होने पर जल में कुछ भी नहीं घुलता ...वह शुद्ध H2O होता है...<br />---वाष्पित होने के पश्चात कोइ भी जल न गांगेय रहता है न सामुद्रिक ..वह अपने घुलनशील तत्वों की गुणशीलता खोदेता है...शुद्ध, आसवित, न्यूट्रल जल H2O होजाता है.. ...किसी भी बरसे जल को भात में डालने पर ५-६ घंटे में तो उसमें विकृति आ ही जायेगी ...<br />----यह तो सत्य ही है कि गांगजल में कोई विकृति नहीं आती है और वह श्रेष्ठ होता है.परन्तु गंगा से प्राप्त किया हुआ मूल गंगाजल ।... shyam guptahttps://www.blogger.com/profile/11911265893162938566noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-62193530255736258452014-02-28T14:17:56.405+05:302014-02-28T14:17:56.405+05:30--पढ़ कर देखते हैं मुझे नहीं लगता कि ऐसी मूल भ्रांत...--पढ़ कर देखते हैं मुझे नहीं लगता कि ऐसी मूल भ्रांतियां उसमें होंगी...<br />----लार स्वयं एक पाचक रस है जो मुंह में ही पाचन क्रिया प्रारम्भ कर देती है ....आमाशय में वह सक्रिय नहीं रहती .. <br />.--- आयुर्वेद स्वयं इतना पुराना है यह अर्वाचीन कहावत भी वैद्यक- विधा की है...एक कहावत और है ...एक बार जोगी, दो बार भोगी , तीन बार रोगी ..<br />.---नहीं भाई जल स्वयं पचता नहीं अवशोषित होता है ...<br /> shyam guptahttps://www.blogger.com/profile/11911265893162938566noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-78088453008737777222014-02-28T10:38:49.027+05:302014-02-28T10:38:49.027+05:30जल पर ज्ञानवर्धक लेख....थोड़े दिन पहले ही गुनगुने प...जल पर ज्ञानवर्धक लेख....थोड़े दिन पहले ही गुनगुने पानी का महत्व समझा है और अब बहुधा पीते हैं.बहुत लाभकारी है यह .संतोष त्रिवेदीhttps://www.blogger.com/profile/00663828204965018683noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-24899167161146294572014-02-28T09:11:08.392+05:302014-02-28T09:11:08.392+05:30बेहतरीन आलेख , ज्ञान वर्धक और सहज एवं सरल .. उम्दा...बेहतरीन आलेख , ज्ञान वर्धक और सहज एवं सरल .. उम्दा लेखन Neeraj Neerhttps://www.blogger.com/profile/00038388358370500681noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-69041075675459491192014-02-28T09:00:53.393+05:302014-02-28T09:00:53.393+05:30इस श्रृंखला को पुस्तकाकार रूप दे दीजिये इस श्रृंखला को पुस्तकाकार रूप दे दीजिये Arvind Mishrahttps://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-52597998610193335612014-02-28T07:47:06.808+05:302014-02-28T07:47:06.808+05:30स्वाभाविक है, परिवेश का प्रभाव पड़ता है। सामुद्रिक...स्वाभाविक है, परिवेश का प्रभाव पड़ता है। सामुद्रिक जल समुद्र से वाष्पित होता है, वहाँ के वातावरण के तत्व उसमें घुलते होंगे। गांगजल अन्य भाग से वाष्पित होता है, उसका परिवेश भिन्न होगा। अष्टांगहृदयम् के पंचम अध्याय में दोनों में भेद करने का सरल सा प्रयोग दिया गया है। बरसे जल को भात में डाल दें, यदि ५-६ घंटे में विकृति आती है तो वह सामुद्रिक जल है। गांगजल से कोई विकृति नहीं आती है और वह श्रेष्ठ होता है। शेष तथ्य भी हजारों साल पुराने हैं, सत्य हैं, आधुनिक विज्ञान उन्हें अपनी तरह से समझ सकता है। आयुर्वेद सदियों से लाभ देता रहा है, आज भी दे रहा है। प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-46956365893413865092014-02-27T21:51:37.412+05:302014-02-27T21:51:37.412+05:30अच्छा आलाेख लेकिन कुछ बाते जो डॉ श्यामजी उठाये हैं...अच्छा आलाेख लेकिन कुछ बाते जो डॉ श्यामजी उठाये हैं उनमे पहला ...वाष्प न तो क्षारीय होता है न अम्लीय, यह सही है ,वाष्प जब पानी का रूप लेता है तब हवा में उपस्थित कॉर्बन डाई ऑक्साइड और ददुसरे गैस उनमे मिल जाते है और इसे अम्लीय या क्षारीय बनादेता है, वर्षात के पहली वर्षा अत्यधिक अम्लीय/प्रदूषित होता है क्योकि हवा में अधिक मात्र में गैस और धूलकण होता है !<br />@ गरम पानी घुलनशीलता को बढ़ाता है ,इसीलिए यह हाजमा को मदत करता है एक उत्प्रेरक के रूप में | भोजन सरावराह में मददगार है| <br />@कुछ बातों पर आधुनिक तरीके से अनुसन्धान की आवश्यकता है ,उस से भ्रांतियां दूर हो जाएंगी |<br />New post<a href="http://kpk-vichar.blogspot.in/2014/02/blog-post_27.html#links" rel="nofollow"> तुम कौन हो ?</a><br />new post<a href="http://kpk-vichar.blogspot.in/2014/02/blog-post_4624.html#links" rel="nofollow"> उम्मीदवार का चयन</a><br />कालीपद "प्रसाद"https://www.blogger.com/profile/09952043082177738277noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-44338054868110781112014-02-27T21:34:05.227+05:302014-02-27T21:34:05.227+05:30bahut he ache post hai :)
hum sab ko bht faida ho...bahut he ache post hai :) <br />hum sab ko bht faida hoga iiseSEPOhttps://www.blogger.com/profile/18165767356704947895noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-26304336104745401202014-02-27T19:34:11.981+05:302014-02-27T19:34:11.981+05:30आपके भ्रम भी दूर हो जायेंगे, अष्टांगहृदयम पढ़ना प्...आपके भ्रम भी दूर हो जायेंगे, अष्टांगहृदयम पढ़ना प्रारम्भ करें। आप तो डॉक्टर हैं, अधिक वैज्ञानिक तरह से समझेंगे। फिर भी..<br />१. कौन सा जल गांगेय है और कौन सामुद्रिक, पता करने के लिये प्रयोग लिखा है।<br />२. सहमत, तथ्य बताये गये हैं। वनस्पतियाँ भी कारण हो सकती है।<br />३. पीकर देखें, गरम जल स्वयं भी शीघ्र पचता है और पाचन में सहयोग भी करता है।<br />४. प्राकृतिक कहावत का कोई स्रोत तो होगा, संभवतः ३००० वर्ष पुराना।<br />५. मुँह में हजारों की संख्या में ग्रन्थियाँ निष्प्रयोजनीय तो नहीं ही होंगी। लार अन्दर जाने के लिये यही संभवतः सर्वोत्तम उपाय है। प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-74213019877856619932014-02-27T19:10:10.635+05:302014-02-27T19:10:10.635+05:30अच्छा आलेख है परन्तु बहुत सी भ्रांतियां हैं....यथा...अच्छा आलेख है परन्तु बहुत सी भ्रांतियां हैं....यथा...<br /><br />१.धरती पर आया जल वर्षा का ही होता है, समुद्र से वाष्पित जल अन्य जल स्रोतों से वाष्पित जल की तुलना में अधिक क्षारीय होता है। वर्षाकाल का प्रथम जल और अन्य ऋतु में बरसा जल नहीं पीना चाहिये।<br />---वाष्पित जल न क्षारीय होता है न अम्लीय ..यह वैज्ञानिक तथ्य है ...वर्षा का प्रथम जल इसलिए नहीं पीना चाहिए कि उसमें वायुमंडल में उपस्थित अशुद्धियाँ आदि घुल जाती हैं ...यूं तो वह शुद्ध वाष्पित जल होता है |<br /><br />२.इन स्थानों पर रहने वालों लोगों में इस जल से सात्म्य हो जाता है, पर बाहर से आये लोगों में रोग होने की संभावना बनी रहती है।<br />----- ये रोग जल में उत्पन्न विभिन्न कीड़ों या घुल जाने वाले रसायनों के कारण होते हैं..स्वयं जल के कारण नहीं ...अतः स्थानीय या बाहरी सभी पर समान प्रभाव होता है ....स्थानीय लोगों में ही रोगों की सतत उत्पत्ति होती है ....<br /><br />३.शीतल जल ६ घंटे में, गर्म कर ठंडा किया ३ घंटे में और गुनगुना जल १ घंटे में पच जाता है।<br />---जल का पाचन कहाँ होता ..वह तो स्वयं शारीरिक आवश्यकता या भोजन के पाचन में सहायक होता है ...<br /><br />४.भोजन के एक घंटे पहले और डेढ़ घंटे बाद तक जल नहीं पीना चाहिये।<br />--- प्राकृतिक कहावत है.....पहले पीये जोगी,बीच में पीये भोगी, पीछे पीये रोगी ...<br /><br />५.घूँट घूँट पिये पानी से अधिक लार अन्दर जायेगी जो पेट की अम्लता को शमित करेगी। तेज गति से पीने से भी अम्लता कम होगी पर उतनी मात्रा में नहीं। पशुओं को देखें कि वे भी ऐसे ही पीते हैं, चिड़िया बूँद बूँद पीती है, कुत्ता चाट चाट कर पीता है।<br />---- पेट की अम्लता भोजन के पाचन हेतु होती है उसे शमित थोड़े ही करना होता है ...अधिक पानी पीने से अम्लता कम होजाने से पाचन में गडबडी होती है...चिड़िया बूँद-बूँद इसलिए पीती है कि वह उतना ही पी सकती है, कुत्ता भी चाट चाट कर इसलिए पीता है कि वह उसी प्रकार पी सकता है घूँट भरकर नहीं ... shyam guptahttps://www.blogger.com/profile/11911265893162938566noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-25891581574169886172014-02-27T14:30:46.550+05:302014-02-27T14:30:46.550+05:30कल 28/02/2014 को आपकी पोस्ट का लिंक होगा http://n...कल <b>28/02/2014</b> को आपकी पोस्ट का लिंक होगा <a href="http://nayi-purani-halchal.blogspot.in" rel="nofollow"> http://nayi-purani-halchal.blogspot.in </a> पर <br />धन्यवाद !<br />Yashwant R. B. Mathurhttps://www.blogger.com/profile/06997216769306922306noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-73020804847909892792014-02-27T13:36:07.325+05:302014-02-27T13:36:07.325+05:30बहुत लोगो को लाभ पहुंचा होगा ,गलतफहमी दूर हुई होगी...बहुत लोगो को लाभ पहुंचा होगा ,गलतफहमी दूर हुई होगी विभा रानी श्रीवास्तवhttps://www.blogger.com/profile/01333560127111489111noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-41786334429372375472014-02-27T11:17:23.367+05:302014-02-27T11:17:23.367+05:30उपयोगी जानकारी ,बेहतरीन आलेख उपयोगी जानकारी ,बेहतरीन आलेख Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/14500351687854454625noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-17695603575379840342014-02-27T09:11:15.523+05:302014-02-27T09:11:15.523+05:30bahut hi umda jankari , hum to deewane ho gaye aa...bahut hi umda jankari , hum to deewane ho gaye aapketravel ufohttps://www.blogger.com/profile/15497528924349586702noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-85617672320967583832014-02-27T09:09:29.294+05:302014-02-27T09:09:29.294+05:30बहुत उपयोगी लेख..आभार !बहुत उपयोगी लेख..आभार !Anitahttps://www.blogger.com/profile/17316927028690066581noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-17186752282725919022014-02-27T01:50:11.002+05:302014-02-27T01:50:11.002+05:30अति सुंदर, सरल और उपयोगी लेखअति सुंदर, सरल और उपयोगी लेखArvinhttps://www.blogger.com/profile/07064299058512525979noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-91761364700649139692014-02-26T21:00:07.205+05:302014-02-26T21:00:07.205+05:30अत्यंत ज्ञानवर्धक जानकारी दी है ! आभार |अत्यंत ज्ञानवर्धक जानकारी दी है ! आभार |Satish Saxena https://www.blogger.com/profile/03993727586056700899noreply@blogger.com