tag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post6831051609166650024..comments2024-03-17T19:33:00.050+05:30Comments on न दैन्यं न पलायनम्: विदुर स्वरप्रवीण पाण्डेयhttp://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comBlogger86125tag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-77569713916783917172011-02-14T21:35:48.002+05:302011-02-14T21:35:48.002+05:30@ Rakesh Kumar
आपके ब्लॉग पढ़ने का आनन्द लेना प्र...@ Rakesh Kumar <br />आपके ब्लॉग पढ़ने का आनन्द लेना प्रारम्भ कर दिया है।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-62707738382320467082011-02-10T20:33:28.143+05:302011-02-10T20:33:28.143+05:30Meri tippini per aapke uttar ka bahut bahut dhanya...Meri tippini per aapke uttar ka bahut bahut dhanyavad.<br />Maine apne blog 'Mansa vacha karmna' per likhna shuru kiya hai.<br />Aapka margdarsan mile aisi abhilasha hai.Rakesh Kumarhttps://www.blogger.com/profile/03472849635889430725noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-64844544675163963332011-02-09T07:56:25.372+05:302011-02-09T07:56:25.372+05:30@ Avinash Chandra
विदुर नीति तो ज्ञान का भण्डार ह...@ Avinash Chandra <br />विदुर नीति तो ज्ञान का भण्डार है, जितना संधान कर पायेंगे सीमित बुद्धि से, व्यक्त करने का प्रयास करेंगे।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-21890027055291213982011-02-08T11:36:16.181+05:302011-02-08T11:36:16.181+05:30अक्षरशः सहमत हूँ, ऊपर सब कह ही दिया गया है।
और की ...अक्षरशः सहमत हूँ, ऊपर सब कह ही दिया गया है।<br />और की प्रतीक्षा है आपसे।Avinash Chandrahttps://www.blogger.com/profile/01556980533767425818noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-71864841226870678242011-02-05T07:53:38.526+05:302011-02-05T07:53:38.526+05:30@ Dr. shyam gupta
राजदरबारों ने विदुरों को ही महत्...@ Dr. shyam gupta<br />राजदरबारों ने विदुरों को ही महत्व देना छोड़ दिया है।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-61805650428565504182011-02-04T21:18:12.224+05:302011-02-04T21:18:12.224+05:30विदुर की न जब सुनी गई न अब कोई सुनता है....बहुत से...विदुर की न जब सुनी गई न अब कोई सुनता है....बहुत से विदुर अब भी बडबडा रहे हैं---हां क्रिष्ण कहां हैं.... shyam guptahttps://www.blogger.com/profile/11911265893162938566noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-15239813883684653902011-02-04T18:19:24.561+05:302011-02-04T18:19:24.561+05:30@ G Vishwanath
सच कहा आपने, विदुर हर परिस्थितियों ...@ G Vishwanath<br />सच कहा आपने, विदुर हर परिस्थितियों में बिना मानसिक भार के बाहर आ जाते हैं,बड़ी ज्ञानमयी सरलता के साथ।<br /><br />@ nivedita<br />विदुर का न सुना जाना और विदुर के बारे में न कहा जाना, दोनों ही दुर्भाग्यपूर्ण हैं।<br /><br />@ दिगम्बर नासवा<br />जहाँ पर विदुर की उपेक्षा होती है, कृष्ण का घातक नीति बनानी पड़ती है।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-64736362675322019182011-02-04T18:14:50.371+05:302011-02-04T18:14:50.371+05:30@ honesty project democracy
भगवान करे आपका यह प्रय...@ honesty project democracy<br />भगवान करे आपका यह प्रयास सफल हो।<br /><br />@ वीना<br />अग्रज सिंहासन की निष्ठा से बँधे रहें और अनुजों को मर्यादा का पाठ पढ़ाया जाये तो क्या निष्कर्ष निकलेगा। <br /><br />@ POOJA...<br />जब भीष्म का चुप रहना खटकता है, विदुर का बोलना जीवन रक्षक सा लगता है।<br /><br />@ डॉ० डंडा लखनवी<br />बहुत धन्यवाद आपका।<br /><br />@ amit-nivedita<br />यही समस्या है, तभी विदर राजदरबारों से प्रयाण कर रहे हैं।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-47005539114808825532011-02-04T12:15:46.902+05:302011-02-04T12:15:46.902+05:30देश की ऐसी परिस्थिति है की इतने सारे दुर्योधन हैं ...देश की ऐसी परिस्थिति है की इतने सारे दुर्योधन हैं की कोई भीष्म या विदुर खड़े होने की जुर्रत भी नहीं करेगा ... अब तो कोई कृष्ण ही आकर देश का भला कर सकता है ....<br />वैसे कई कांग्रेसी राहुल को कृष्ण समक्ष खड़े करने में भी पीछे नहीं रहेंगे ....दिगम्बर नासवाhttps://www.blogger.com/profile/11793607017463281505noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-36562061479853843462011-02-04T11:51:01.148+05:302011-02-04T11:51:01.148+05:30विदुर स्वर तो आज भी यदा-कदा उठते हैं ,परन्तु अतीत ...विदुर स्वर तो आज भी यदा-कदा उठते हैं ,परन्तु अतीत की तरह आज भी उनकी या तो अनसुनी की जाती है या दमन ...<br /> विदुर वचन जैसा ही लगा आपका आलेख ।निवेदिता श्रीवास्तवhttps://www.blogger.com/profile/17624652603897289696noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-35989464364871356102011-02-04T11:47:43.038+05:302011-02-04T11:47:43.038+05:30Sorry for being late.
Great post.
I have read the ...Sorry for being late.<br />Great post.<br />I have read the Mahabharat several times and have still not understood why the Pandavas are considered heroes.<br /><br />In my humble opinion, there are no heroes in this story.<br /><br />Vidur comes out cleaner than all others.<br /><br />Regards<br />G VishwanathG Vishwanathhttps://www.blogger.com/profile/13678760877531272232noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-34124425602357528222011-02-04T09:11:52.305+05:302011-02-04T09:11:52.305+05:30aajkal to vidur svar ko log vidrohi svar samajh le...aajkal to vidur svar ko log vidrohi svar samajh lete hain...amit kumar srivastavahttps://www.blogger.com/profile/10782338665454125720noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-82111673277478887342011-02-03T23:34:30.933+05:302011-02-03T23:34:30.933+05:30सहज एवं प्रभावशाली
लेखन के लिए बधाई!
कृपया इसे भी...सहज एवं प्रभावशाली<br />लेखन के लिए बधाई! <br />कृपया इसे भी पढ़िए......<br />==============================<br />शहरीपन ज्यों-ज्यों बढ़ा, हुआ वनों का अंत।<br />गमलों में बैठा मिला, सिकुड़ा हुआ बसंत॥<br />सद्भावी - डॉ० डंडा लखनवीडॉ० डंडा लखनवीhttps://www.blogger.com/profile/14536866583084833513noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-8867222693834739462011-02-03T22:39:07.753+05:302011-02-03T22:39:07.753+05:30सत्य है... आपका पोस्ट पढ़ते वक़्त पूरा दृश्य यूँही...सत्य है... आपका पोस्ट पढ़ते वक़्त पूरा दृश्य यूँही नाच रहा था...<br />अंत बहुत सटीक था... वाकई लगता है विदुर रिटायर हो चुके हैं, और भीष्म तब भी चुप थे, आज भी चुप हैं...POOJA...https://www.blogger.com/profile/03449314907714567024noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-33724839027781571732011-02-03T22:31:12.420+05:302011-02-03T22:31:12.420+05:30इतिहास आज आस छोड़ चुका है, अपने अस्तित्व पर अश्रु ...इतिहास आज आस छोड़ चुका है, अपने अस्तित्व पर अश्रु बहाने का मन बना चुका है। अब तक तो भीष्म ही निर्णय लेने से कतरा रहे थे, सुना है, विदुर भी अब रिटायर हो चुके हैं।<br /><br />बड़ी सुंदर तरीके से अपना आलेख खत्म किया है...बहुत अच्छा व्यंग भी....<br />इतिहास और समकालीन परिस्थितियां..<br />बहुत अच्छा लिखा है...वीना श्रीवास्तवhttps://www.blogger.com/profile/09586067958061417939noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-50855541638454132182011-02-03T20:49:57.282+05:302011-02-03T20:49:57.282+05:30ज्ञान यदि साहस विहीन हो तो ज्ञानी और निर्जीव पुस्त...ज्ञान यदि साहस विहीन हो तो ज्ञानी और निर्जीव पुस्तक में कोई भेद नहीं।<br /><br />मेरे लिए आपके इस आलेख की यह पंक्ति सबसे ज्यादा प्रभावी है और मेरे जीवन का यही उद्देश्य है कुछ ज्ञानी लोगों को भी समाज में साहसी बना सका तो अपने जीवन को सफल मानूंगा क्योकि एक ज्ञानी व्यक्ति भी अगर साहस का परिचय देता है तो देश और समाज सही मायने में आगे बढ़ता है तथा इंसानियत मजबूत होती है..........शानदार आलेख.....honesty project democracyhttps://www.blogger.com/profile/02935419766380607042noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-59903707091185322212011-02-03T20:37:35.548+05:302011-02-03T20:37:35.548+05:30@ Khare A
महाभारत न जाने कितने सामाजिक संदर्भों का...@ Khare A<br />महाभारत न जाने कितने सामाजिक संदर्भों का स्रोत है।<br /><br />@ Kailash C Sharma<br />यदि विदुर स्वर उठता रहे तो राजदरबार बेलगाम नहीं होता है।<br /><br />@ Bhushan<br />विदुर का स्वर सदा ही दबा रहा है, पर सत्य उसी में छिपा रहता है।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-3305301862019217062011-02-03T20:25:45.425+05:302011-02-03T20:25:45.425+05:30@ आशीष/ ਆਸ਼ੀਸ਼ / ASHISH
साहस तो देशी जुगाड़ का हिस...@ आशीष/ ਆਸ਼ੀਸ਼ / ASHISH<br />साहस तो देशी जुगाड़ का हिस्सा रहा है। विदुर स्वर उसी का प्रतीक है।<br /><br />@ उन्मुक्त<br />स्वयं कार्य में लग जाना दूसरों को प्रेरित कर सकता है पर बदलाव की वह प्रक्रिया कठिन है। राजदरबारों का प्रभाव सदा ही व्यापक रहा है।<br /><br />@ देवेन्द्र पाण्डेय <br />विदुर साहस का प्रतीक हैं, नीति पक्ष तो निश्चय ही एक विस्तृत व्याख्यान माँगता है।<br /><br />@ मेरे भाव<br />हित अहित का विदुर सोचते तो कभी स्वर न उठाते।<br /><br />@ mahendra verma<br />इतिहास का यह मौन पृष्ठ, महाभारत के सर्वाधिक निनदनीय दृश्य में आस-किरण जैसा है।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-24481014336553163932011-02-03T20:25:21.936+05:302011-02-03T20:25:21.936+05:30@ भारतीय नागरिक - Indian Citizen
यही तो वर्तमान की...@ भारतीय नागरिक - Indian Citizen<br />यही तो वर्तमान की पीड़ा है।<br /><br />@ Patali-The-Village<br />बहुत धन्यवाद आपका।<br /><br />@ रचना दीक्षित<br />यही आशंका तो हम सबको खाये जा रही है।<br /><br />@ Abhishek Ojha<br />विदुर ज्ञान में साहस भी है।<br /><br />@ विष्णु बैरागी<br />विदुर पर कृष्ण का स्नेह था, जब विदुर जैसे सरलमना की अवहेलना हुयी तभी कृष्ण ने सबसे छल किया।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-27859091268259405152011-02-03T20:25:01.631+05:302011-02-03T20:25:01.631+05:30@ P.N. Subramanian
बहुत धन्यवाद आपका।
@ Roshi
कम ...@ P.N. Subramanian<br />बहुत धन्यवाद आपका।<br /><br />@ Roshi<br />कम से कम विदुर उस समय बोल् तो थे, आज तो स्तब्धता छायी है।<br /><br />@ संतोष त्रिवेदी<br />हौसला टिका है, साहस लुप्त नहीं हुआ है धरा से, विदुर स्वर उठेगा ही।<br /><br />@ सुशील बाकलीवाल<br />बहुत धन्यवाद आपका।<br /><br />@ राज भाटिय़ा<br />जिन्हे विरोध में बोलना था वही समर्थक बन गये हैं।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-18595885238061646852011-02-03T20:24:55.998+05:302011-02-03T20:24:55.998+05:30महाभारत का प्रत्येक पात्र हमारे भीतर ही था, है और ...महाभारत का प्रत्येक पात्र हमारे भीतर ही था, है और रहेगा. विदुर नीति उस समय भी मृदु और कोमल थी आज भी है. उसे सुनने वाले कम ही होते हैं.Bharat Bhushanhttps://www.blogger.com/profile/10407764714563263985noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-40047616499396141672011-02-03T20:24:38.999+05:302011-02-03T20:24:38.999+05:30@ नरेश सिह राठौड़
बहुत धन्यवाद आपका।
@ cmpershad
...@ नरेश सिह राठौड़<br />बहुत धन्यवाद आपका।<br /><br />@ cmpershad<br />अब हम समझ नहीं पा रहे हैं कि हम अग्रज हैं या अनुज।<br /><br />@ rakesh kumar<br />कृष्ण आदर्श पर टिके रहते तो इतिहास कुछ और गाथा गा रहा होता। विदुर ने पर अन्याय को कुरेदा था।<br /><br />@ सम्वेदना के स्वर<br />बहुत धन्यवाद आपका।<br /><br />@ ZEAL<br />राजदरबारों का स्वरूप विदुरों के लिये उपयुक्त नहीं रह गया अब।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-33896602898079461282011-02-03T20:24:15.408+05:302011-02-03T20:24:15.408+05:30@ G.N.SHAW
विदुर का स्वर भले ही राजदरबार में दबा द...@ G.N.SHAW<br />विदुर का स्वर भले ही राजदरबार में दबा दिया हो पर इतिहास में वह अभी भी महत्व रखता है।<br /><br />@ शोभना चौरे<br />विदुर की निर्भीकता उनकी निष्ठा से आयी थी, राज्य के प्रति और धर्म के प्रति।<br /><br />@ संजय @ मो सम कौन ?<br />अगली पोस्टों में विदुर नीति को स्वर देने का प्रयास करूँगा।<br /><br />@ कविता रावत<br />विदुर को समझ कर ही शालीन विरोध की विधि समझी जा सकती है।<br /><br />@ पी.सी.गोदियाल "परचेत"<br />अभी तक अन्याय और निर्लज्जता को स्वर मिल रहे थे, अब वह भी लुप्त हो रहे हैं।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-81900756161565226632011-02-03T20:23:54.143+05:302011-02-03T20:23:54.143+05:30@ Shilpa
अच्छे व्यक्ति स्वयं को बदलने के प्रयास मे...@ Shilpa<br />अच्छे व्यक्ति स्वयं को बदलने के प्रयास में लगे हैं और निर्लज्ज नित द्रौपदियों का चीरहरण कर रहे हैं। व्यवस्था का दण्ड निर्लज्जों का नाश क्यों नहीं करता है? <br /><br />@ santosh pandey<br />बहुत धन्यवाद आपका।<br /><br />@ musaffir<br />यही तो दुखद दिशा है देश की।<br /><br />@ SEPO<br />महाभारत की कहानियों में बहुत शिक्षा और बहुत रोचकता है।<br /><br />@ सुरेन्द्र सिंह " झंझट "<br />हर निरंकुशता को विदुर चाहिये। गुलाब और काँटे का संग।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-3527848708986292122011-02-03T20:23:31.163+05:302011-02-03T20:23:31.163+05:30@ ashish
भीष्म का मौन चिन्तनीय था, विदुर का बोलना...@ ashish <br />भीष्म का मौन चिन्तनीय था, विदुर का बोलना उस मौन की व्यग्रता थी।<br /><br />@ गिरधारी खंकरियाल<br />इसी आवाज को जन जन की शुभेच्छाओं का स्वर मिल जाये काश।<br /><br />@ वन्दना <br />बहुत धन्यवाद आपका इस सम्मान के लिये।<br /><br />@ shikha varshney<br />उसी प्रवर्तन की प्रतीक्षा है हम सबको।<br /><br />@ रंजना <br />लेकिन अच्छा ही है..यह घड़ा जितनी जल्दी भर जाए,उतना ही अच्छा है....नवनिर्माण बिना पुराने को समूल मिटाए न हो पायेगा...<br /><br />आपकी इस वाणी में न जाने कितने भारतीय के स्वर मिल रहे हैं।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.com