tag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post5785580370991014306..comments2024-03-17T19:33:00.050+05:30Comments on न दैन्यं न पलायनम्: खिलौनों की वेदना - Toy Story 3प्रवीण पाण्डेयhttp://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comBlogger57125tag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-39038763379699226472011-11-24T18:58:39.196+05:302011-11-24T18:58:39.196+05:30खिलोने क्यों,हम सबकी यही स्थिति है-----
जिन्हें हम...खिलोने क्यों,हम सबकी यही स्थिति है-----<br />जिन्हें हम अपना समझते हैं,वही हमारा मूल्य नहीम जानते.<br />सही कहा,वक्त के हाथों हम खिलौने हे हैम,अपेक्षाएं मूल्यहीन हो रहीं हैं.मन के - मनकेhttps://www.blogger.com/profile/16069507939984536132noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-63625206618973510092011-11-24T16:56:54.581+05:302011-11-24T16:56:54.581+05:30खिलैनों के बहाने गहरी बात कही है !खिलैनों के बहाने गहरी बात कही है !प्रतिभा सक्सेनाhttps://www.blogger.com/profile/12407536342735912225noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-20538526864117040702011-11-24T16:24:24.674+05:302011-11-24T16:24:24.674+05:30आप भागते हो, प्रश्न पूछते हो अपने मालिक से, असली म...आप भागते हो, प्रश्न पूछते हो अपने मालिक से, असली मालिक, ईश्वर से। कोई उत्तर नहीं।<br /><br />अन्ततः स्वयं को समझाने की समझ अवतरित हो जाती है, ज्ञानीजन जिसे बुद्धि कहते हैं।<br /><br />बुद्धि योग जीवन में घटित हो तो जीवन <br />सफल ही हो जाये.<br /><br />सुन्दर प्रस्तुति के लिए आभार.Rakesh Kumarhttps://www.blogger.com/profile/03472849635889430725noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-13470566858591963752011-11-24T12:04:54.041+05:302011-11-24T12:04:54.041+05:30उपयोगी चिन्तन !
जैसे-जैसे समझदारी विकसित होती है प...उपयोगी चिन्तन !<br />जैसे-जैसे समझदारी विकसित होती है प्राथमिकतायें बदलने लगती हैं.जीवन का ढर्रा !प्रतिभा सक्सेनाhttps://www.blogger.com/profile/12407536342735912225noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-46091563038168099412011-11-24T08:27:15.770+05:302011-11-24T08:27:15.770+05:30खिलोनों को आधार बनाकर सार्थक चिंतन...
सादर...खिलोनों को आधार बनाकर सार्थक चिंतन...<br />सादर...S.M.HABIB (Sanjay Mishra 'Habib')https://www.blogger.com/profile/10992209593666997359noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-88872203723032096852011-11-24T00:19:23.663+05:302011-11-24T00:19:23.663+05:30आपकी किसी नयी -पुरानी पोस्ट की हल चल आज 24-- 11 ...आपकी किसी नयी -पुरानी पोस्ट की हल चल आज 24-- 11 - 2011 को यहाँ भी है <br /><br /><a href="http://nayi-purani-halchal.blogspot.com" rel="nofollow"> ...नयी पुरानी हलचल में आज ..बिहारी समझ बैठा है क्या ? </a>संगीता स्वरुप ( गीत )https://www.blogger.com/profile/18232011429396479154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-28897793189397897232010-07-20T19:15:11.657+05:302010-07-20T19:15:11.657+05:30@ संजय भास्कर
मैं तो जितनी बार बचपन में घूमकर आया ...@ संजय भास्कर<br />मैं तो जितनी बार बचपन में घूमकर आया हूँ, अपने साथ उत्साह, निश्छलता और आनन्द लेकर वापस लौटा हूँ।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-59504742968936453452010-07-20T14:18:50.096+05:302010-07-20T14:18:50.096+05:30मुझे आपका ब्लोग बहुत अच्छा लगा ! आप बहुत ही सुन्दर...मुझे आपका ब्लोग बहुत अच्छा लगा ! आप बहुत ही सुन्दर लिखते है !संजय भास्कर https://www.blogger.com/profile/08195795661130888170noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-46648183628883094812010-07-20T14:18:23.348+05:302010-07-20T14:18:23.348+05:30बेहतरीन आलेख. कुछ पल हमने अपने बचपन में भी झाँक लि...बेहतरीन आलेख. कुछ पल हमने अपने बचपन में भी झाँक लिया. आभार.....संजय भास्कर https://www.blogger.com/profile/08195795661130888170noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-37375556449449318152010-07-20T09:23:40.460+05:302010-07-20T09:23:40.460+05:30@ satyendra...
कभी कुछ बतायें खिलौने तो हमें भी बत...@ satyendra...<br />कभी कुछ बतायें खिलौने तो हमें भी बताईयेगा। हमारे खिलौने तो रूठ कर बैठे हैं।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-51501481399048053642010-07-19T20:49:06.571+05:302010-07-19T20:49:06.571+05:30बढ़िया है खिलौना कथा। मेरे ऑफिस के ऊपर डॉल म्यूजिय...बढ़िया है खिलौना कथा। मेरे ऑफिस के ऊपर डॉल म्यूजियम है, किसी दिन जाकर पूछता हूं खिलौनों का दुख-दर्द।Satyendra PShttps://www.blogger.com/profile/06700215658741890531noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-2417004545129448462010-07-19T19:57:22.777+05:302010-07-19T19:57:22.777+05:30@ PD
वह रेलगाड़ी अब मेरे पास आ गयी है, वह भी आपक...@ PD <br />वह रेलगाड़ी अब मेरे पास आ गयी है, वह भी आपको याद करती है।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-23197786532093337182010-07-18T21:39:11.381+05:302010-07-18T21:39:11.381+05:30मुझे अपना वाह "रेलगाड़ी" अभी भी बहुत याद ...मुझे अपना वाह "रेलगाड़ी" अभी भी बहुत याद आता है.. मैं उस वक्त शायद तीन-चार साल का रहा होऊंगा.PDhttps://www.blogger.com/profile/17633631138207427889noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-34706078921760814462010-07-17T21:36:55.195+05:302010-07-17T21:36:55.195+05:30@ रश्मि प्रभा...
माँ के बाद बच्चों की प्रथम भावनात...@ रश्मि प्रभा...<br />माँ के बाद बच्चों की प्रथम भावनात्मक अभिव्यक्ति खिलौनों के प्रति ही होती है। वह निश्छल प्यार पाने वाले खिलौने जब त्यक्तमना होते हैं तो उनकी पीड़ा अनुभव सी होती है।<br /><br />@ Harsh<br />बहुत धन्यवाद।<br /><br />@ राम त्यागी<br />हमें भी बच्चों की फिल्में बहुत भाती हैं।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-21876599860905471522010-07-16T21:56:22.546+05:302010-07-16T21:56:22.546+05:30अब तो हम भी बस बच्चों वाली फिल्म ही देखते है , बच्...अब तो हम भी बस बच्चों वाली फिल्म ही देखते है , बच्चे कुछ और देखने दें तब न ....चलो इस स्वप्नमयी दुनिया में कुछ देर तो खुश रहते हैं :)राम त्यागीhttps://www.blogger.com/profile/05351604129972671967noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-59228960499973421922010-07-16T20:21:36.960+05:302010-07-16T20:21:36.960+05:30rachna achchi lagi......rachna achchi lagi......Harshvardhanhttps://www.blogger.com/profile/03416011520058251827noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-33543713930651314182010-07-16T13:50:25.081+05:302010-07-16T13:50:25.081+05:30khilaunon ki vedna saath hi bachchon ki vedna bhi ...khilaunon ki vedna saath hi bachchon ki vedna bhi hai ....khilauna dena aat hai...prabhawit karti panktiyaरश्मि प्रभा...https://www.blogger.com/profile/14755956306255938813noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-77873794780795034842010-07-16T12:55:03.103+05:302010-07-16T12:55:03.103+05:30@ Pankaj Upadhyay (पंकज उपाध्याय)
जीवन तो अब तक बी...@ Pankaj Upadhyay (पंकज उपाध्याय)<br />जीवन तो अब तक बीता यूँ,<br />दो व्यक्तित्वों में जीता हूँ ।<br />एक रहे उत्श्रंखल,<br />दूजे से नीरवता पीता हूँ ।<br /><br />@ संगीता स्वरुप ( गीत )<br />अपने को कह पाना यदि सरल होता तो औरों को समझ पाने में भी कठिनता नहीं होती।<br /><br />@ Shiv<br />भावों और प्रभावों में बिचरने की कला तो आपके पात्रों से ही सीखी।<br /><br />@ दिगम्बर नासवा<br />बच्चों के तेज सीखने की गति देखकर बहुधा लगता है कि कहीं बचपन तेजी से तो नहीं बीता जा रहा है। आपके अवलोकन से सहमत।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-54205220080436914562010-07-16T12:43:47.411+05:302010-07-16T12:43:47.411+05:30@ Akshita (Pakhi)
प्यारे प्यारे खिलौनों का दर्द भी...@ Akshita (Pakhi)<br />प्यारे प्यारे खिलौनों का दर्द भी खींचता है। <br /><br />@ Himanshu Mohan<br />मिट्टी के खिलौने की आयु अधिक नहीं होते से छोड़े जाने की वेदना भी अधिक नहीं। आधुनिक खिलौनों की आयु भी अधिक और वेदना भी।<br /><br />@ अरुणेश मिश्र<br />और साथ में मानवों का खिलौनीकरण भी।<br /><br />@ सतीश पंचम<br />बचपन तो लकड़ी और मिट्टी के खिलौनों में ही बीता। मेलों में लिया करते थे। अभी भी मेलों में वही खिलौनों को ढूढ़ता हूँ, मिलते नहीं। <br /><br />@ अनामिका की सदाये......<br />आपकी चर्चा का रंग देखकर आनन्द आ गया।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-12765519741149663772010-07-16T12:17:04.043+05:302010-07-16T12:17:04.043+05:30सही कहा है आपने ... खिलोनो का संसार सिमिटा जा रहा ...सही कहा है आपने ... खिलोनो का संसार सिमिटा जा रहा है .... बच्चे अब बच्चे न हो कर छोटी सी उमे में किशोर हो जाते हैं ... और खिलोने उन बच्चों के लिए भी बच्चों के साथ खेलने वाली चीज़ बन जाते हैं ... पता नही आने वाला समय क्या दिखाएगा ....दिगम्बर नासवाhttps://www.blogger.com/profile/11793607017463281505noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-8323530119472982282010-07-16T09:58:09.053+05:302010-07-16T09:58:09.053+05:30टॉय स्टोरी -३ से जोड़कर बहुत ही बढ़िया बातों वाली ...टॉय स्टोरी -३ से जोड़कर बहुत ही बढ़िया बातों वाली पोस्ट...आप इतने सारे एंगल से बातों को कैसे देख लेते हैं?Shivhttps://www.blogger.com/profile/05417015864879214280noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-31774244890215428132010-07-16T01:16:21.680+05:302010-07-16T01:16:21.680+05:30खिलौने क्यों, हम सबकी यही स्थिति है। भाव वही हैं, ...खिलौने क्यों, हम सबकी यही स्थिति है। भाव वही हैं, सन्दर्भ बदल जाते हैं। जिन्हें हम अपना समझने लगते हैं, वही हमारा मूल्य नहीं जानते। जिन पर प्यार की आशायें पल्लवित थीं, उनकी प्राथमिकतायें बदल गयी हैं<br /><br /><br />जीवन की सच्चाई बताती आपकी यह पोस्ट बहुत कुछ कह गयी...संगीता स्वरुप ( गीत )https://www.blogger.com/profile/18232011429396479154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-91128482005335382712010-07-16T01:16:21.679+05:302010-07-16T01:16:21.679+05:30खिलौने क्यों, हम सबकी यही स्थिति है। भाव वही हैं, ...खिलौने क्यों, हम सबकी यही स्थिति है। भाव वही हैं, सन्दर्भ बदल जाते हैं। जिन्हें हम अपना समझने लगते हैं, वही हमारा मूल्य नहीं जानते। जिन पर प्यार की आशायें पल्लवित थीं, उनकी प्राथमिकतायें बदल गयी हैं<br /><br /><br />जीवन की सच्चाई बताती आपकी यह पोस्ट बहुत कुछ कह गयी...संगीता स्वरुप ( गीत )https://www.blogger.com/profile/18232011429396479154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-19433452522198764192010-07-16T00:50:30.910+05:302010-07-16T00:50:30.910+05:30आप सच मे बहुत भावुक इन्सान है... बहुत सुन्दर लगा प...आप सच मे बहुत भावुक इन्सान है... बहुत सुन्दर लगा पढना और जो भी ’दर्शन’ आपने समझाने की कोशिश की वो सब समझ आया... :)Pankaj Upadhyay (पंकज उपाध्याय)https://www.blogger.com/profile/01559824889850765136noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-60130744228760220232010-07-15T23:32:21.895+05:302010-07-15T23:32:21.895+05:30आप की रचना 16 जुलाई के चर्चा मंच के लिए ली जा रही...आप की रचना 16 जुलाई के चर्चा मंच के लिए ली जा रही है, कृप्या नीचे दिए लिंक पर आ कर अपने सुझाव देकर हमें प्रोत्साहित करें.<br />http://charchamanch.blogspot.com <br />आभार <br />अनामिकाअनामिका की सदायें ......https://www.blogger.com/profile/08628292381461467192noreply@blogger.com