tag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post5015453829995581404..comments2024-03-17T19:33:00.050+05:30Comments on न दैन्यं न पलायनम्: जाने व आने के बीच की शान्तिप्रवीण पाण्डेयhttp://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comBlogger51125tag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-3795582845320220332013-01-26T16:53:34.952+05:302013-01-26T16:53:34.952+05:30आने व जाने के बीच का समय उथल-पुथल भरा होता है । क्...आने व जाने के बीच का समय उथल-पुथल भरा होता है । क्योंकि ये दोनों ही स्थितियाँ अनवरत हैं । न आना कभी रुकना है न जाना तो विश्राम कैसा । और गति ही जिनकी नियति है उन्हें विश्राम कहाँ । प्रवीण जी आप साधारण को भी असाधारण बना देते हैं अपने गहन चिन्तन से ।गिरिजा कुलश्रेष्ठhttps://www.blogger.com/profile/07420982390025037638noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-88093897092403920522013-01-20T12:39:21.243+05:302013-01-20T12:39:21.243+05:30Interesting piece of work, encompassing art, scien...Interesting piece of work, encompassing art, science and spirituality all in one. <br />I am thinking about weekend- am I more peaceful on weekend.? Any way this weekend I am on call so it is not counted!!!!Raravihttps://www.blogger.com/profile/06067833078018520969noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-87512340021986262122013-01-19T15:26:34.370+05:302013-01-19T15:26:34.370+05:30बहुत विद्व एवं प्रेरणादायी आलेख। बधाई एवं मंगलकामन...बहुत विद्व एवं प्रेरणादायी आलेख। बधाई एवं मंगलकामनाएं।Manju Badolahttps://www.blogger.com/profile/18159813563329166457noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-21084982285830022502013-01-19T15:21:52.151+05:302013-01-19T15:21:52.151+05:30This comment has been removed by the author.Harihar (विकेश कुमार बडोला) https://www.blogger.com/profile/02638624508885690777noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-13077578240070185182013-01-19T11:36:24.170+05:302013-01-19T11:36:24.170+05:30अन्तराल की शान्ति आवश्यक है।अन्तराल की शान्ति आवश्यक है।अजित गुप्ता का कोनाhttps://www.blogger.com/profile/02729879703297154634noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-12048258710508846042013-01-19T10:59:59.125+05:302013-01-19T10:59:59.125+05:30आपके विचार आपके लेख और प्रस्तुतीकरण अद्भुत और सरा...आपके विचार आपके लेख और प्रस्तुतीकरण अद्भुत और सराहनीय है... मुझे आपका ब्लॉग बहुत अच्छा लगता है... सादर डॉ. नूतन डिमरी गैरोला- नीतिhttps://www.blogger.com/profile/08478064367045773177noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-85057214894341210312013-01-19T00:36:20.826+05:302013-01-19T00:36:20.826+05:30ललित निबंधों का संग्रह हैं आपके ब्लॉग पोस्ट .बधाई ...ललित निबंधों का संग्रह हैं आपके ब्लॉग पोस्ट .बधाई उत्कृष्ट लेखन के लिए .virendra sharmahttps://www.blogger.com/profile/02192395730821008281noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-31945211064950596582013-01-18T22:11:37.977+05:302013-01-18T22:11:37.977+05:30shant chit me bhi chehre pr ashnati ke bhav dikh r...shant chit me bhi chehre pr ashnati ke bhav dikh rahe hain .<br />sunder lekh padhne ko mila <br />dhnyavad<br />rachanaRachanahttps://www.blogger.com/profile/15249225250149760362noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-82838768997493952762013-01-18T18:33:51.832+05:302013-01-18T18:33:51.832+05:30आप इस अन्तराल को किस प्रकार लेते हैं, यह एक बड़ा प...आप इस अन्तराल को किस प्रकार लेते हैं, यह एक बड़ा प्रश्न है। यह सभ्यताओं के उत्थान और पतन का प्रश्न है, यह प्रश्न संस्कृतियों के वैशिष्ट्य का प्रश्न है, यह प्रश्न संसाधनों के संदोहन का प्रश्न है और यही तन्त्रों के सरलीकरण का प्रश्न भी है। कभी कभी कुछ न होता हुआ दिखना, बहुत कुछ हो चुके होने का प्रतीक होता है, मानवविहीन संयन्त्रों को बनाने के पीछे कितनी मेधाओं का श्रम छिपा है, यह प्रत्यक्ष से कहाँ पता चलता है? सुव्यवस्थित नगर को चलाने के उपक्रम में नेपथ्य में कितना कार्य हुआ होगा, क्या पता? कई क्षेत्रों और देशों में मची उथल पुथल, अव्यवस्था और अशांति, कर्मशीलता के मानक तो नहीं हो सकते। हमारा श्रम व्यवस्था का प्रेरक हो, व्यवस्था शान्ति लाये, यही है मेरे लिये जाने और आने के बीच की शान्ति।<br /><br />चित्र साभार - http://www.zazzle.com, http://www.indif.co<br />.शुक्रिया आपकी सद्य टिपण्णी का .<br /><br />सुन्दर मनोहर .गगन चुम्बी है चिंतन की परवाज़ ऊंची और ऊंची होती हुई ,पढ़ो तो पढ़ते ही जाओ <br />virendra sharmahttps://www.blogger.com/profile/02192395730821008281noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-229644200657209842013-01-18T18:02:01.044+05:302013-01-18T18:02:01.044+05:30दार्शनिक पुट लिए बहुत सुन्दर प्रभावी प्रस्तुति ......दार्शनिक पुट लिए बहुत सुन्दर प्रभावी प्रस्तुति ...कविता रावत https://www.blogger.com/profile/17910538120058683581noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-62198552265615772032013-01-18T16:55:59.839+05:302013-01-18T16:55:59.839+05:30जीवनानुभूति का एक मार्मिक उल्लेख। बहुत दार्शनिक। ...जीवनानुभूति का एक मार्मिक उल्लेख। बहुत दार्शनिक। ढेरों बधाईयां।Manju Badolahttps://www.blogger.com/profile/18159813563329166457noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-57693780550828900262013-01-17T22:42:26.574+05:302013-01-17T22:42:26.574+05:30दिलचस्प चिंतन .शुक्रिया आपकी सद्य टिपण्णी का .दिलचस्प चिंतन .शुक्रिया आपकी सद्य टिपण्णी का .virendra sharmahttps://www.blogger.com/profile/02192395730821008281noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-23408104906858547102013-01-17T20:13:10.657+05:302013-01-17T20:13:10.657+05:30प्रभावी आलेख ..पर ये शांति है या जीजिविषा की जद्दो...प्रभावी आलेख ..पर ये शांति है या जीजिविषा की जद्दोजहद ? Amrita Tanmayhttps://www.blogger.com/profile/06785912345168519887noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-68106028343209325162013-01-17T19:47:19.128+05:302013-01-17T19:47:19.128+05:30एक ऐसे बिंदु पर गहन अध्ययन करना और लिखना आपके बस क...एक ऐसे बिंदु पर गहन अध्ययन करना और लिखना आपके बस की ही बात है गतिमय जीवन को पुनः उर्जा पाने के लिए विश्राम तो जरूर चाहिए उसी से शांति मिलती है और उसी शांति में दिन भर की बातें भी हिस्सा ले लेती हैं जो इस चित्र में उजागर है बहुत बढ़िया आलेख हमेशा की तरह दिलचस्प बधाई आपको हाँ पेंटिंग का भी जबाब नहीं Rajesh Kumarihttps://www.blogger.com/profile/04052797854888522201noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-37061726961787801542013-01-17T15:42:37.299+05:302013-01-17T15:42:37.299+05:30एक दम सही पहचान की है चित्र की भाषा की -शेखावत जी...एक दम सही पहचान की है चित्र की भाषा की -शेखावत जी... यह शान्ति नहीं बातचीत है , विचार विमर्श है.... नियमित सांसारिक आपा-धापी कर्म के बीच फुर्सत का संवाद भी होसकता है...समस्या पर विमर्श भी ...तात्कालिक कर्म-विश्राम या परिवर्तन से भी मानसिक ---> शारीरिक---.मानसिक विश्रांति भी प्राप्त होती है..... shyam guptahttps://www.blogger.com/profile/11911265893162938566noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-31205448974128606942013-01-17T14:37:19.141+05:302013-01-17T14:37:19.141+05:30यह भी एक रूप है ज़िंदगी का... यह भी एक रूप है ज़िंदगी का... Pallavi saxenahttps://www.blogger.com/profile/10807975062526815633noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-62700498751876414122013-01-17T09:52:21.475+05:302013-01-17T09:52:21.475+05:30फिलहाल तो इस शब्द व्यूह में अटके हैं ...
दर्द से य...फिलहाल तो इस शब्द व्यूह में अटके हैं ...<br />दर्द से या ख़ुशी से जो बोल उपजे , उन्ही को गीत बनाकर गा लेना !वाणी गीतhttps://www.blogger.com/profile/01846470925557893834noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-43688556590334349012013-01-17T08:37:10.447+05:302013-01-17T08:37:10.447+05:30उत्कृष्ट प्रस्तुति -
हरेक वस्तु ,चीज़ ,पिंड न्यून...उत्कृष्ट प्रस्तुति -<br /><br />हरेक वस्तु ,चीज़ ,पिंड न्यूनतम स्थितिज ऊर्जा ,मिनिमम पोटेंशियल एनर्जी हासिल करना चाहता है .सबसे ज्यादा स्टेबल और शांत है यह स्थिति .गेंद एक बार उछालके छोड़ देने पर अपनी ऊंचाई <br /><br />खोटी चली जाता है .स्टिल वाटर रन्स डीप .उठली नदी उछलती है .अधगगरी जल छलकत जाए .शान्ति स्वभाव है वस्तु का गति विक्षोभ है .विस्फोटों में मौन छिपा है .बढ़िया चिंतन सरजी .virendra sharmahttps://www.blogger.com/profile/02192395730821008281noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-58692721903093751332013-01-17T08:31:04.090+05:302013-01-17T08:31:04.090+05:30अति सुन्दर "शान्ति" की व्याख्या
शान्ता...अति सुन्दर "शान्ति" की व्याख्या <br /><br />शान्ताकारं भुजगशयनम पद्मनाभं सुरेशं। <br /><br />विश्वाधारं गगन सदृशं मेघवर्णं शुभान्गम।। <br /><br />लक्ष्मिकान्तं कमलनयनं योगिभिर्रध्यानगम्यं। <br /><br />वन्देहं विष्णुं भव-भय हरणं सर्वलोकैक नाशनं।।<br /><br />प्रभु की भी वंदना उनके शान्ताकार स्वरूप में <br /><br />की जाती है ...शायद ....सुन्दर रचना के लिए आभार सूर्यकान्त गुप्ताhttps://www.blogger.com/profile/05578755806551691839noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-87958161006419160062013-01-17T06:55:30.147+05:302013-01-17T06:55:30.147+05:30सार्थक और सटीक विवेचना!
बहुत सुन्दर प्रस्तुति!सार्थक और सटीक विवेचना!<br />बहुत सुन्दर प्रस्तुति!डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'https://www.blogger.com/profile/09313147050002054907noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-27052428872893680562013-01-17T04:37:26.705+05:302013-01-17T04:37:26.705+05:30चित्र के माध्यम से एक सुन्दर लेख लिखना संभव हुआ |ल...चित्र के माध्यम से एक सुन्दर लेख लिखना संभव हुआ |लेकिन इसके भौतिक और आध्यात्मिक पक्षों का बहुत ही सुन्दर ढंग से अपने विश्लेषण किया है |आभार जयकृष्ण राय तुषारhttps://www.blogger.com/profile/09427474313259230433noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-85722037955564484092013-01-17T00:28:11.409+05:302013-01-17T00:28:11.409+05:30bahut hii uttam alag tarah ka lekh. bahut hii uttam alag tarah ka lekh. Gopal Mishrahttp://www.achhikhabar.comnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-63172835526758611592013-01-17T00:15:15.003+05:302013-01-17T00:15:15.003+05:30जीवन की आपा धापी में कब वक़्त मिला
कुछ देर कहीं प...जीवन की आपा धापी में कब वक़्त मिला <br />कुछ देर कहीं पैर बैठ कभी ये सोच सकूँ <br />जो किया, कहा, माना, उसमें क्या बुरा भला <br />--HVRB<br /><br />Lovely article, Pravin bhai! Peace is need of the hour. And from that Peace, Something must come out. People are looking with the Hope!Rahul Paliwalhttps://www.blogger.com/profile/10172932105201007746noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-7480341442411410772013-01-17T00:06:16.712+05:302013-01-17T00:06:16.712+05:30चित्र में दर्शित चेहरे पर भाव ..... विश्राम का सम...चित्र में दर्शित चेहरे पर भाव ..... विश्राम का समय ... और उससे प्रेरित सुंदर लेख .... लेख की अंतिम पंक्ति से सहमत ... संगीता स्वरुप ( गीत )https://www.blogger.com/profile/18232011429396479154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-65461198512052928902013-01-16T21:30:46.820+05:302013-01-16T21:30:46.820+05:30एंट्रापी अव्यवस्था की मापक है -श्रान्ति विश्रांति ...एंट्रापी अव्यवस्था की मापक है -श्रान्ति विश्रांति आह्लादकारी, प्रशंतिदायक अनुभव है! <br />चित्र बहुत कुछ दर्शा रहा है -चित्रकार की पकड़ बहुत सूक्ष्म है !Arvind Mishrahttps://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.com