tag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post4779610417859645324..comments2024-03-17T19:33:00.050+05:30Comments on न दैन्यं न पलायनम्: 30 जून 2010प्रवीण पाण्डेयhttp://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comBlogger60125tag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-9109235829248492692014-05-11T19:21:31.040+05:302014-05-11T19:21:31.040+05:30आपकी पोस्ट पढ कर मुझे अपनी मां बहुत याद आई।आपकी पोस्ट पढ कर मुझे अपनी मां बहुत याद आई।Asha Joglekarhttps://www.blogger.com/profile/05351082141819705264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-31051227119630272132014-05-11T14:11:47.946+05:302014-05-11T14:11:47.946+05:30सही समय यही होता है माँ के प्रति कृतज्ञता दिखाने क...सही समय यही होता है माँ के प्रति कृतज्ञता दिखाने का । माँ ने जीवनभर दिया ही दिया अब समय है सन्तान का कि वह माँ को क्या देती है । निश्चित ही अब माँ आराम से अपना समय बिताएंगी ।गिरिजा कुलश्रेष्ठhttps://www.blogger.com/profile/07420982390025037638noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-91022284374416563962014-05-11T12:49:07.579+05:302014-05-11T12:49:07.579+05:30नमन !नमन !सुशील कुमार जोशीhttps://www.blogger.com/profile/09743123028689531714noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-80667614468801912152014-05-11T10:31:32.539+05:302014-05-11T10:31:32.539+05:30आज पढ रही हूँ - अनुभव कर रही हूँ - बार-बार , यही ...आज पढ रही हूँ - अनुभव कर रही हूँ - बार-बार , यही सब जो अब<br /> बहुत पीछे रह गया है .रिटायर होने के बाद माँ निश्चिंत और प्रसन्न होंगी ,आप सब हैं न !प्रतिभा सक्सेनाhttps://www.blogger.com/profile/12407536342735912225noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-88225472013623043932011-11-09T20:46:07.576+05:302011-11-09T20:46:07.576+05:30प्रिय प्रवीण पाण्डेय जी अभिवादन -माँ को बहुत बहुत ...प्रिय प्रवीण पाण्डेय जी अभिवादन -माँ को बहुत बहुत शुभ कामनाएं और उन्हें लम्बी उम्र मिले -सब सौभाग्यशाली हो आप सी माँ मिलें जिससे घर समाज देश सब का कल्याण हो -बहुत ही भावुक कर देने वाला ये लेख आप का मन को छू गया ...<br />काश सब बच्चे भी अपनी माँ के विषय में ऐसा ही सोचें और उनको भरपूर आदर और प्यार अंत तक मिले ...<br />शुक्ल भ्रमर ५ <br /><br />बचपन नहीं भूलता है, माँ का पैदल 3 किमी विद्यालय जाना । कई बार हमने चिढ़ाया कि रिक्शा नहीं करती, पैसे बचाती है । हँस कर झूठ बोलती, नहीं, पैदल चलने से स्वास्थ्य ठीक रहता है । भगवान करे उस झूठ का सारा दण्ड मुझे मिलता रहे, शाश्वत, मेरे लिये बोला गया वह झूठ ।<br /><br />आज उस तपस्या का अन्तिम दिन है, आज माँ सेवा-निवृत्त हो रही है, 37 वर्षों की अथक व निःस्वार्थ यात्रा के पश्चात ।Surendra shukla" Bhramar"5https://www.blogger.com/profile/11124826694503822672noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-12676698685624503382011-11-09T19:15:57.980+05:302011-11-09T19:15:57.980+05:30माँ को चरणस्पर्श प्रणाम!माँ को चरणस्पर्श प्रणाम!अनुपमा पाठकhttps://www.blogger.com/profile/09963916203008376590noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-89986547385776530312011-11-09T10:21:07.882+05:302011-11-09T10:21:07.882+05:30माँ के प्रति बहुत संवेदनशील उद्दगार .. भावभीनी पोस...माँ के प्रति बहुत संवेदनशील उद्दगार .. भावभीनी पोस्ट ..संगीता स्वरुप ( गीत )https://www.blogger.com/profile/18232011429396479154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-52362198749860386382011-11-09T07:25:41.179+05:302011-11-09T07:25:41.179+05:30एक आदर्श नारी की कथा ....नयी उर्जा प्रदान करती हुई...एक आदर्श नारी की कथा ....नयी उर्जा प्रदान करती हुई ....मार्गदर्शन देती हुई ..मर्म को छूती हुई रचना ...बधाई इस प्रस्तुति के लिए ....Anupama Tripathihttps://www.blogger.com/profile/06478292826729436760noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-55747683079337622162010-07-06T21:57:41.812+05:302010-07-06T21:57:41.812+05:30@ Mrs. Asha Joglekar
माँ से मिलकर आज ही लौटा हूँ, ...@ Mrs. Asha Joglekar<br />माँ से मिलकर आज ही लौटा हूँ, माँ प्रसन्न है और शीघ्र ही घर आयेगी ।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-77823803284079162702010-07-06T09:12:01.964+05:302010-07-06T09:12:01.964+05:30@ Rajeev Bharol
संस्कृतियों में माँ के लिये यही प...@ Rajeev Bharol <br />संस्कृतियों में माँ के लिये यही प्यार व श्रद्धा दृष्टगोचर है ।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-68815797200886313332010-07-06T05:03:30.355+05:302010-07-06T05:03:30.355+05:30मां को हमारा भी प्रणाम । अब आपकी बारी है उनका बुढा...मां को हमारा भी प्रणाम । अब आपकी बारी है उनका बुढापा सुखी करने की ।Asha Joglekarhttps://www.blogger.com/profile/05351082141819705264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-18679294966402679432010-07-05T21:33:39.956+05:302010-07-05T21:33:39.956+05:30बहुत भावुक लेख.
पंजाबी गाने के बोल याद आ रहे हैं.....बहुत भावुक लेख.<br />पंजाबी गाने के बोल याद आ रहे हैं.. "माँ हुंदी है माँ ओ दुनिया वालेयो./माँ है रब्ब दा नां ओ दुनिया वालेयो"Rajeev Bharolhttps://www.blogger.com/profile/03264770372242389777noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-68719661230561094192010-07-02T14:20:36.777+05:302010-07-02T14:20:36.777+05:30@ Vivek Jain
बहुत धन्यवाद
@ Sanjeet Tripathi
आपकी...@ Vivek Jain<br />बहुत धन्यवाद<br /><br />@ Sanjeet Tripathi<br />आपकी माँ को मेरा प्रणाम । माँ की डाँट भी प्यारी लगती है । अटपटा तो तब लगता है जब वह नहीं डाँटती । आपका भाग्य आपकी माँ हैं और वह आपके साथ हैं । <br /><br />@ विनोद शुक्ल-अनामिका प्रकाशन<br />मुँह से निकले पहले सम्बोधन को उसको समर्पित किया गया है जो उसकी अधिकारिणी है । माँ सच में सबसे प्यारा नाम है, सबके लिये ।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-19307563099819204542010-07-02T07:05:56.341+05:302010-07-02T07:05:56.341+05:30मां! दुनिया का सबसे प्यारा नाम। आपकी पोस्ट पढकर सब...मां! दुनिया का सबसे प्यारा नाम। आपकी पोस्ट पढकर सबको अपनी मां की बहुत याद आयी होगी। आप भाग्यशाली हैं, मां अब साथ रहेंगी। वह स्वस्थ, प्रसन्न एवं दीर्घायु हों, प्रभु से यही प्रार्थना। उन्हें मेरा प्रणाम ।विनोद शुक्ल-अनामिका प्रकाशनhttps://www.blogger.com/profile/18173585318852399276noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-46852181028244558282010-07-02T01:20:12.428+05:302010-07-02T01:20:12.428+05:30पोस्ट कल रात में पढ़ लिया था लेकिन कुछ कहने आज आ रह...पोस्ट कल रात में पढ़ लिया था लेकिन कुछ कहने आज आ रहा हूं।<br />माताएं एक समान सी क्यों लगती हैं? जवाब मुझे आज तक नहीं मिला। दूसरे पैराग्राफ में जो आपने लिखा वह यथार्थ मिलता हुआ सा है।<br />आपकी माता जी को प्रणाम।<br />अपनी माताजी को याद करता हूं, भले ही रोजाना उनसे आज भी डांट खाता हूं आधी रात में घर लौटने के बाद, लेकिन जिजिविषा इसे ही कहते हैं शायद कि कोई महिला अपने बड़े बेटे के साथ तब के मेट्रिक परीक्षा में साथ में ही सम्मिलित हो। हां मेरी माताजी ने बड़े भाई साहब के साथ मेट्रिक की परीक्षा दिलाई फिर हरिजन सेवक संघ में शिक्षिका की नौकरी ज्वाइन की। फिर जब पंजाब आतंकवाद में झुलस रहा था तब शांति के लिए वहां हुई पदयात्रा के जत्थे में भी शामिल थीं। इस सब से पहले जब स्वतंत्रता आंदोलन के चलते कई बार पिताजी को जेल जाना पड़ता था तो सारे घर की जिम्मेदारी अकेले मां ही उठाती रही। <br />इसीलिए समझ में आता है कि क्यों देश में नारी को शक्ति रुपेण माना जाता है।<br />माताजी 98 में रिटायर हो चुकी हैं। अब बस प्रभु भजन और घर में ही व्यस्त रहती हैं। आजकल शिकायत कर रही हैं कि वे अपने चश्में से अखबार नहीं पढ़ पा रहीं।<br />तीन-चार बार डांट खा चुका हूं उनसे उनकी इस शिकायत के चलते, जल्द ही कुछ करना होगा वरना मेरी खैर नहीं। <br />देखिए, आपने बात माता जी के रिटायरमेंट से की थी और मैं कहां से कहां पहुंच गया। पर मां तो मां है न।<br /><br />मुआफी।Sanjeet Tripathihttps://www.blogger.com/profile/18362995980060168287noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-58585030582116906642010-07-01T23:19:35.790+05:302010-07-01T23:19:35.790+05:30really nice,
vivj2000.blogspot.comreally nice,<br /><a href="http://vivj2000.blogspot.com" rel="nofollow">vivj2000.blogspot.com</a>Vivek Jainhttps://www.blogger.com/profile/06451362299284545765noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-55431242954319039002010-07-01T22:03:35.620+05:302010-07-01T22:03:35.620+05:30@ Smart Indian - स्मार्ट इंडियन
नौकरी प्रारम्भ करन...@ Smart Indian - स्मार्ट इंडियन<br />नौकरी प्रारम्भ करने के दिन का तो अनुभव तो है रिटायर होने का नहीं । पर सोच सकता हूँ कि कैसा लगता होगा । <br /><br />@ सतीश पंचम<br />माँ की ममता निसन्देह अपने बच्चों की देखभाल से कहीं बढ़कर है । जो बन्धन होता है वह न दिखते हुये भी बहुत गहरा होता है । वह भावना तो अब भी रह रह कर हृदय को भावुक करती रहती है । <br /><br />@ rashmi ravija<br />अब तो वह नाटक देखना ही पड़ेगा । हजार चौरासी की माँ पढ़ी है । मंचन ने कितना रुलाया होगा, कल्पना कर सकता हूँ । <br /><br />@ शोभना चौरे<br />ऐसी माँ को मेरा भी प्रणाम । घर को सम्हाल के रखने की शक्ति और समझ ऐसी देवियों में ही है ।<br /><br />@ ज़ाकिर अली ‘रजनीश’<br />माँ शब्द में तो पूरा प्यार सिमटा हुआ है ।<br /><br />@ हिमान्शु मोहन<br />तब उपजती है ऐसी भावभीनी अभिव्यक्ति - जो कहा - बेटे ने, उससे ज़्यादा वो देखिए जो नहीं कहा - माँ ने।<br />अब क्या कहें ? शब्द स्तब्ध हैं ।<br /><br />@ manoj<br />बहुत धन्यवाद ।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-71240526332640601722010-07-01T21:25:52.688+05:302010-07-01T21:25:52.688+05:30प्रवीण जी, मां-बाप तो साक्षात भगवान के स्वरूप हैं....प्रवीण जी, मां-बाप तो साक्षात भगवान के स्वरूप हैं... मैं समझ सकता हूं... अपने मां-बाप से छ: सौ किमी दूर जा रहा हूं.. पन्द्रह दिन में एक बार आया करूंगा... आंख नम है.. ईश्वर आपकी माता जी को स्वस्थ और दीर्घायु बनाये...भारतीय नागरिक - Indian Citizenhttps://www.blogger.com/profile/07029593617561774841noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-21497007948517594432010-07-01T17:30:07.730+05:302010-07-01T17:30:07.730+05:30well expressed praveenwell expressed praveenmanojnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-86471043781583237532010-07-01T16:24:58.257+05:302010-07-01T16:24:58.257+05:30इतना कह पाने के लिए बधाई,
माँ को प्रणाम और चरणस्पर...इतना कह पाने के लिए बधाई,<br />माँ को प्रणाम और चरणस्पर्श।<br />मैं अपनी कह आया बज़ पर, क्या यहाँ दोहराऊँ?<br />चलो दुहराते हैं -<br />"जब हृदय अनिर्णय में हो - कि आँखों और क़लम में से किस रास्ते से ज़्यादा आसान है बह निकलना, <br />जब माँ की ममता और माँ का पुरुषार्थ - सन्नद्ध हों परस्पर श्रेष्ठता सिद्ध करने में, <br />जब इस योग्य हो पाए संतान कि समझ पाए - <br />कि बुज़ुर्ग अपने लिए नहीं चाहते कुछ।<br />यही चाहते हैं कि संतानें उनका दिया सहेजे हुए - <br />आगे दें संतानों को; <br />तब उपजती है ऐसी भावभीनी अभिव्यक्ति - जो कहा - बेटे ने, उससे ज़्यादा वो देखिए जो नहीं कहा - माँ ने। <br />प्रणाम! शत-शत मातृ-शक्ति को, माटी को, माँ को; और प्रवीण - आपकी माताजी को। <br />हमारा भी नमन - उस जिजीविषा को!"Himanshu Mohanhttps://www.blogger.com/profile/16662169298950506955noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-739711227034537062010-07-01T14:55:50.500+05:302010-07-01T14:55:50.500+05:30आपकी भावनाएँ मन को छू गयीं, चलिए अब माँ के साथ आप ...आपकी भावनाएँ मन को छू गयीं, चलिए अब माँ के साथ आप ढेर सारा समय बिता सकेंगे।<br />---------<br /><a href="http://sb.samwaad.com/" rel="nofollow">किसने कहा पढ़े-लिखे ज़्यादा समझदार होते हैं? </a>Dr. Zakir Ali Rajnishhttps://www.blogger.com/profile/03629318327237916782noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-25288531527686609862010-07-01T13:18:28.174+05:302010-07-01T13:18:28.174+05:30प्रवीण जी
आंखे सजल हो आई इस पोस्ट पर |पोस्ट पढ़ते...प्रवीण जी<br />आंखे सजल हो आई इस पोस्ट पर |पोस्ट पढ़ते पढ़ते मेरे आँखों के सामने वे साडी माये याद आ गई जिन्होंने उस दौर में ऐसे ही संघर्ष कर अपने बच्चो के साथ ही अपने परिवार (ननदों ,देवरों )को भी शिक्षित बनाकर अपने पावो पर खड़ा किया है |अभी अभी मै गावं में देखकर आई एक दादी ने अपने पोते को padhne के लिए अपनी पेंशन का पूरा पैसा दे दिया |<br />माताजी को बहुत प्रणाम |जो अपने जीवन में इतनी सक्रीय रही हो निशित ही उन्होंने आगे के लिए अच्छा ही सोचा होगा |शोभना चौरेhttps://www.blogger.com/profile/03043712108344046108noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-11982194368214594382010-07-01T12:09:13.490+05:302010-07-01T12:09:13.490+05:30आज इस भावुक पोस्ट पर टिप्पणियाँ देखने आई थीं, सबके...आज इस भावुक पोस्ट पर टिप्पणियाँ देखने आई थीं, सबके मर्म को गहरे तक छू गयी है यह पोस्ट.<br /> टिप्पणियां देख एक मराठी नाटक याद आ गया, जिसकी मेरे मराठी फ्रेंड्स ने बहुत तारीफ़ की है, "माँ रिटायर होती है". भक्ति बर्वे के शानदार अभिनय में इसके कई सफल मंचन हो चुके हैं.<br /><br />इसके हिंदी रूपांतरण में जया बच्चन ने अभिनय किया है. पर इसका मंचन सिर्फ अमेरिका,यूरोप में ही हुआ है. वैसे मुंबई में मंचन होने के बावजूद भी शायद ही देख पाती. एक बार "हज़ार चौरासी की माँ" का मंचन हुआ था तो टिकट पूछने पर पता चला,सात हज़ार से तीन हज़ार तक टिकट की कीमत थी. यानि अगर तीन हज़ार खर्च करने की सोच भी ली तो सबसे पिछली सीट पर बैठ कर देखना पड़ेगा. किसी मराठी फ्रेंड के साथ, मराठी नाटक ही देखने की सोचती हूँrashmi ravijahttps://www.blogger.com/profile/04858127136023935113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-31881615225188144102010-07-01T10:29:47.933+05:302010-07-01T10:29:47.933+05:30इस भावुक पोस्ट को कल ही पढ़ लिया था लेकिन टिप्पणी ...इस भावुक पोस्ट को कल ही पढ़ लिया था लेकिन टिप्पणी अब जाकर कर पा रहा हूँ। <br /><br /> माँ के प्रति अपनी भावनाओं का आपने जिस तरह इजहार किया है वह पढ़कर मुझे लगा कि हम सभी की माँएं इसी तरह से अपने बच्चों के प्रति समर्पित और कर्मठ होती है....आपने जिक्र किया कि मां पैदल ही जाती थी ....चिढाने पर बहाना स्वास्थय का बनाती थीं....कितनी तो यादें दिला दीं आपने मेरी अम्मा के बारे में भी मुझे....इन यादों में जो गहरा स्नेह है वह आपकी पोस्ट में बखूबी झलक रहा है। <br /><br /> बहुत भावुक पोस्ट।सतीश पंचमhttps://www.blogger.com/profile/03801837503329198421noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-43688076743550078822010-07-01T09:09:47.621+05:302010-07-01T09:09:47.621+05:30मर्मस्पर्शी पोस्ट. माँ को प्रणाम और शुभकामनाएं! रि...मर्मस्पर्शी पोस्ट. माँ को प्रणाम और शुभकामनाएं! रिटायरमेंट सचमुच एक विशेष दिन है: एक नए जीवन का आरम्भ, नौकरी के पहले दिन से कहीं अलग.Smart Indianhttps://www.blogger.com/profile/11400222466406727149noreply@blogger.com