tag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post4730113180630843139..comments2024-03-17T19:33:00.050+05:30Comments on न दैन्यं न पलायनम्: क्यों दूँ दोष विधाता को?प्रवीण पाण्डेयhttp://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comBlogger65125tag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-17496788207277954702012-06-12T17:27:32.134+05:302012-06-12T17:27:32.134+05:30स्वीकार या समर्पण..सुन्दर रचना..स्वीकार या समर्पण..सुन्दर रचना..Amrita Tanmayhttps://www.blogger.com/profile/06785912345168519887noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-62463790872523481682012-06-10T13:20:26.226+05:302012-06-10T13:20:26.226+05:30ये तो इंसानी फिदरत है ..गहरे भाव लिए बहुत सुन्दर र...ये तो इंसानी फिदरत है ..गहरे भाव लिए बहुत सुन्दर रचना !Coralhttps://www.blogger.com/profile/18360367288330292186noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-78044175989305726762012-06-07T10:31:02.958+05:302012-06-07T10:31:02.958+05:30Bahut sunderBahut sunderनीलिमा सुखीजा अरोड़ाhttps://www.blogger.com/profile/14754898614595529685noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-25390113060002205152012-06-05T04:33:45.656+05:302012-06-05T04:33:45.656+05:30क्यूं दूं दोष विधाता को । पर अक्सर हम यही करते हैं...क्यूं दूं दोष विधाता को । पर अक्सर हम यही करते हैं किस्मत या ईश्वर को दोष देते हैं ।<br />गहरे भाव लिये कविता ।Asha Joglekarhttps://www.blogger.com/profile/05351082141819705264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-15568869937838301642012-06-05T00:46:44.398+05:302012-06-05T00:46:44.398+05:30गहन चिंतन, आत्मावलोकन का जीवन दर्शन.गहन चिंतन, आत्मावलोकन का जीवन दर्शन.संतोष पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/06184746764857353641noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-60229627508835344692012-06-04T23:51:16.180+05:302012-06-04T23:51:16.180+05:30पर अनुभव के सोपानों में जितना चढ़ता, बढ़ता हूँ,
अप...पर अनुभव के सोपानों में जितना चढ़ता, बढ़ता हूँ,<br />अपने मन से निष्कर्षों पर प्रतिपल प्रतिक्षण लड़ता हूँ,<br />यह द्वन्द ही व्यक्ति को आगे बढाता है .virendra sharmahttps://www.blogger.com/profile/02192395730821008281noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-25100575049340232412012-06-04T23:12:27.334+05:302012-06-04T23:12:27.334+05:30Why indeed! beautiful lines :)Why indeed! beautiful lines :)SEPOhttps://www.blogger.com/profile/18165767356704947895noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-11318628419749157622012-06-04T20:53:32.280+05:302012-06-04T20:53:32.280+05:30पर अनुभव के सोपानों में जितना चढ़ता, बढ़ता हूँ,
अप...पर अनुभव के सोपानों में जितना चढ़ता, बढ़ता हूँ,<br />अपने मन से निष्कर्षों पर प्रतिपल प्रतिक्षण लड़ता हूँ,<br /><br />...बहुत खूब....बहुत सशक्त अभिव्यक्ति....Kailash Sharmahttps://www.blogger.com/profile/12461785093868952476noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-44982024076476505362012-06-04T11:33:33.429+05:302012-06-04T11:33:33.429+05:30सच है। अपना कर्म-फल तो हमें ही भुगतना होगा।सच है। अपना कर्म-फल तो हमें ही भुगतना होगा।विष्णु बैरागीhttps://www.blogger.com/profile/07004437238267266555noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-1159974921620611142012-06-04T06:13:44.143+05:302012-06-04T06:13:44.143+05:30शुभ प्रभात,....
शानदार,
जानदार,
मानदार.....
प्रवीण...शुभ प्रभात,....<br />शानदार,<br />जानदार,<br />मानदार.....<br />प्रवीण पाण्डेय..<br />और उनकी ये रचना<br />सच मेंyashoda Agrawalhttps://www.blogger.com/profile/05666708970692248682noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-14823555165503962972012-06-04T05:17:28.542+05:302012-06-04T05:17:28.542+05:30सुन्दर प्रस्तुति...उम्दा!सुन्दर प्रस्तुति...उम्दा!Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-26741520157152118542012-06-04T00:55:55.862+05:302012-06-04T00:55:55.862+05:30अपना जीवन, लेखक बनकर लिखता हूँ निज गाथा को,
काँटे ...अपना जीवन, लेखक बनकर लिखता हूँ निज गाथा को,<br />काँटे पग में, पीड़ा अपनी, क्यों दूँ दोष विधाता को?<br /><br />नेता तो एक दूसरे को ही विधाता मान दोषारोपण कर लेतें हैं .एक निश्चित मुकाम हासिल किया है आपके अर्थ पूर्ण गीतों ने जिनमे जीवन की रागात्मकता भी है स्थितियों का विश्लेषण भी .मनो -विज्ञान भी .virendra sharmahttps://www.blogger.com/profile/02192395730821008281noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-37657009136300139182012-06-04T00:02:14.662+05:302012-06-04T00:02:14.662+05:30सबसे आसान जो होता है 'उसको' दोष देना ... औ...सबसे आसान जो होता है 'उसको' दोष देना ... और 'वो' बुरा भी नहीं मानता !<br /><br /><br /><a href="http://bulletinofblog.blogspot.in/2012/06/blog-post_03.html" rel="nofollow">इस पोस्ट के लिए आपका बहुत बहुत आभार - आपकी पोस्ट को शामिल किया गया है 'ब्लॉग बुलेटिन' पर - पधारें - और डालें एक नज़र - कहीं छुट्टियाँ ... छुट्टी न कर दें ... ज़रा गौर करें - ब्लॉग बुलेटिन </a>शिवम् मिश्राhttps://www.blogger.com/profile/07241309587790633372noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-63942534629160648652012-06-03T19:53:46.480+05:302012-06-03T19:53:46.480+05:30मानव का परिश्रम और उसका प्रयत्न,जिसके आगे थक हार ज...मानव का परिश्रम और उसका प्रयत्न,जिसके आगे थक हार जाता है,उसको वह भगवान मान लेता है। उसे ही जगद्नियंता मानकर अपना भाग्यविधाता मान लेता है,तो दोष किसे देगा। परछाईं<br />www.parchhayin.blogspot.comशशि कान्त त्रिगुणhttps://www.blogger.com/profile/10358362063460974308noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-77808180988625272042012-06-03T19:49:17.783+05:302012-06-03T19:49:17.783+05:30मानव का परिश्रम और उसका प्रयत्न,जिसके आगे थक हार ज...मानव का परिश्रम और उसका प्रयत्न,जिसके आगे थक हार जाता है,उसको वह भगवान मान लेता है। उसे ही जगद्नियंता मानकर अपना भाग्यविधाता मान लेता है,तो दोष किसे देगा।शशि कान्त त्रिगुणhttps://www.blogger.com/profile/10358362063460974308noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-77152924197118213532012-06-03T19:39:31.883+05:302012-06-03T19:39:31.883+05:30वाह...सुन्दर भावपूर्ण प्रस्तुति...बहुत बहुत बधाई.....वाह...सुन्दर भावपूर्ण प्रस्तुति...बहुत बहुत बधाई...प्रसन्नवदन चतुर्वेदी 'अनघ' https://www.blogger.com/profile/03784076664306549913noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-5637289589364853622012-06-03T17:05:39.244+05:302012-06-03T17:05:39.244+05:30सर जी ..निर्णय तो स्वयं करने पड़ते है ...विधाता तो ...सर जी ..निर्णय तो स्वयं करने पड़ते है ...विधाता तो सिर्फ आशा है !G.N.SHAWhttps://www.blogger.com/profile/03835040561016332975noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-51521708371172525942012-06-03T15:31:37.801+05:302012-06-03T15:31:37.801+05:30क्या करें मानव प्रवर्ती ही ऐसी है कि हमे हमेशा से ...क्या करें मानव प्रवर्ती ही ऐसी है कि हमे हमेशा से अपना घड़ा दूसरे के सर फोड़ने कि आदत जो पड़ी है खासकर ईश्वर के सर... सार्थक रचनाPallavi saxenahttps://www.blogger.com/profile/10807975062526815633noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-39705699864098557622012-06-03T15:23:18.277+05:302012-06-03T15:23:18.277+05:30अपना जीवन, लेखक बनकर लिखता हूँ निज गाथा को,
काँटे ...अपना जीवन, लेखक बनकर लिखता हूँ निज गाथा को,<br />काँटे पग में, पीड़ा अपनी, क्यों दूँ दोष विधाता को? ...<br /><br />वाह ... गेयता लिए ... बहुत ही मधुर गीत ... विधाता तो स्वयं पथ संचालक है उसको दोष देना ठीक नहीं ...दिगम्बर नासवाhttps://www.blogger.com/profile/11793607017463281505noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-35212782802549550622012-06-03T15:01:28.270+05:302012-06-03T15:01:28.270+05:30आप के ब्लोग का मैं नियमित पाठक हूँ । आपके लिखे हुए...आप के ब्लोग का मैं नियमित पाठक हूँ । आपके लिखे हुए लेख ऐसे प्रतीत होते हैं जैसे मेरे ही मन की बातों को ही सबके सामने रख दी गई हो । हालांकि तकनीकी विषयों पर लिखे लेख आपके ज्ञान की सिद्धहस्तता को स्वयं ही बयान करते हैं । वैसे तो मैं अनेकों ब्लोग्ग का नियमित पाठक हूं लेकिन जबसे आप के ब्लोग के बारे में जानकारी हुई है निश्चित रुप से आप के लेखों का इन्तजार रहता है । मैं एक साधारण सा इन्सान हूं जो अपने काम के साथ-साथ इस तरह के शगल में भी शेष बचे समय को बिता कर अपने मन को अद्यतन किये रखने की खुशफहमी पाले रखता हूं । <br />खैर आज तक मैं आप के ब्लोग पर टिप्प्णी नहीं कर पाने के बारे में केवल यह कह सकता हूं कि मैं इस काबिल नहीं था कि लिख पाता । अभी कुछ दिन पहले ही मुझे ऑफ लाइन होकर लिखने का तकनीकी ज्ञान मिला है जिसका मैं आज आप के समक्ष प्रदर्शन कर रहा हूं । मेरी बातों से पता नहीं आप को कैसा लगेगा परन्तु आप के लिखे लेख मन को बहुत भाते हैं । इसे आप अपने तकनीकी ज्ञान और भावनाओं से सदानीरा नदी की तरह सबके मन की प्यास व क्षुधा को शांत करते रहें यही मेरे मन की कामना है ।banakatamishrahttps://www.blogger.com/profile/12793268581847762104noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-35525250560875094022012-06-03T14:06:45.941+05:302012-06-03T14:06:45.941+05:30कल 04/06/2012 को आपकी यह पोस्ट http://nayi-purani...<i><b> कल 04/06/2012 को आपकी यह पोस्ट <a href="http://nayi-purani-halchal.blogspot.in" rel="nofollow"> http://nayi-purani-halchal.blogspot.in </a> पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .<br />धन्यवाद! </b></i>Yashwant R. B. Mathurhttps://www.blogger.com/profile/06997216769306922306noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-62398804029813274432012-06-03T12:28:05.809+05:302012-06-03T12:28:05.809+05:30अपनी करनी का दोष विधाता पर क्यूँ थोपा जाए आपका सोच...अपनी करनी का दोष विधाता पर क्यूँ थोपा जाए आपका सोच बिलकुल सही है |बहुत सार्थक कविता |<br />आशाAsha Lata Saxenahttps://www.blogger.com/profile/16407569651427462917noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-71709482760114626232012-06-03T12:05:17.839+05:302012-06-03T12:05:17.839+05:30बहूत हि सुंदर सार्थक रचना...
बेहतरीन :-)बहूत हि सुंदर सार्थक रचना...<br />बेहतरीन :-)मेरा मन पंछी साhttps://www.blogger.com/profile/10176279210326491085noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-91452108851652936552012-06-03T08:18:20.653+05:302012-06-03T08:18:20.653+05:30क्यों दे दोष विधाता को,
गर इतना मन में ज्ञान है,
...क्यों दे दोष विधाता को, <br />गर इतना मन में ज्ञान है,<br />सब कुछ निर्भर स्वयं पर,<br />गर इतना खुद को भान है ,<br />निश्चित है अब लक्ष्य दूर नहीं,<br />और यही खुद का खुद से सम्मान है |amit kumar srivastavahttps://www.blogger.com/profile/10782338665454125720noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-63006611199813342762012-06-03T05:58:42.891+05:302012-06-03T05:58:42.891+05:30In the time of hardships its always easy to blame ...In the time of hardships its always easy to blame someone else n God is the easiest target.. <br />superbly written..Jyoti Mishrahttps://www.blogger.com/profile/01794675170127168298noreply@blogger.com