tag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post4438801995781862649..comments2024-03-17T19:33:00.050+05:30Comments on न दैन्यं न पलायनम्: सर तो बिजी हैप्रवीण पाण्डेयhttp://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comBlogger64125tag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-24467180632207484422010-08-20T16:53:52.810+05:302010-08-20T16:53:52.810+05:30@ Ashish (Ashu)
आपकी मुस्कराहट कितना कुछ कह रही है...@ Ashish (Ashu)<br />आपकी मुस्कराहट कितना कुछ कह रही है।<br /><br />@ Smart Indian - स्मार्ट इंडियन<br />पर अइशा साब जी के साथ ही क्यों होता है?<br /><br />@ ALOK KHARE <br />रचना तो उस खिसियाहट को हल्का करने में लिखी गयी जो तब से मन में बिराजी थी।<br /><br />@ anoop joshi <br />काश, आपकी व्यस्तता सार्थक हो।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-66502791550255416992010-08-20T12:28:57.830+05:302010-08-20T12:28:57.830+05:30busy hai hum bhi,,,, isliye no comment...............busy hai hum bhi,,,, isliye no comment............anoop joshihttps://www.blogger.com/profile/14146375128512331870noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-53789857254058153312010-08-20T11:43:09.940+05:302010-08-20T11:43:09.940+05:30sir ji aap bakai Bg the is rachna me
shaandar , m...sir ji aap bakai Bg the is rachna me<br /><br />shaandar , maaj aa gaya<br /><br /><br />badhaiKhare Ahttps://www.blogger.com/profile/08834832296834095341noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-89847097321094825932010-08-20T06:55:55.660+05:302010-08-20T06:55:55.660+05:30अइशा होता है शाब जी!अइशा होता है शाब जी!Smart Indianhttps://www.blogger.com/profile/11400222466406727149noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-54233609527357057172010-08-20T06:34:45.443+05:302010-08-20T06:34:45.443+05:30acha huya ki mai late hu .....malum to ho gaya ki ...acha huya ki mai late hu .....malum to ho gaya ki bhabi ji ki nigah ab comments per hai....is liye kuch nahi bolunga....per abhi tak muskra raha hu...Ashish (Ashu)https://www.blogger.com/profile/17298075569233002510noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-43573364896650665332010-08-19T22:51:33.340+05:302010-08-19T22:51:33.340+05:30@ hem pandey
मैं तो अभी भी सारा दोष लाल बत्ती का ह...@ hem pandey<br />मैं तो अभी भी सारा दोष लाल बत्ती का ही मानता हूँ।<br /><br />@ दिगम्बर नासवा<br />सच कहा आपने। भगवान की कृपा थी कि चैनल वाले एक बन्धु घंटे भर बाद आये। हमारा घंटानाद होने से बच गये।<br /><br />@ rakesh ravi<br />किसी की मुस्कराहटों पे हो निसार,<br />जीना इसी का नाम है।<br /><br />@ अनामिका की सदायें ......<br />धुलाई पूरी हो चुकी है। अब सुझाव देने लायक कुछ बचा ही नहीं।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-84878519053101225162010-08-19T22:46:17.144+05:302010-08-19T22:46:17.144+05:30@ Sanjeet Tripathi
अब आप ही बतायें कि दोष किसको दू...@ Sanjeet Tripathi<br />अब आप ही बतायें कि दोष किसको दूँ। स्वयं को, लड़की को, द्वारपाल को। चलिये, उस लाल बत्ती को दो सप्ताह का सश्रम कारावास दे दिया।<br /><br />@ 'अदा' <br />हमारी रुलाई,<br />आपके काव्य की अँगड़ाई।<br />बात सच है पर, <br />मन क्यों करुण हुआ, <br />कन्या के स्वर पर। <br /><br />अब और नहीं।<br />रुक्ष हृदय कर लेते हैं। <br /><br />न हो पायेगा, <br />निष्ठुर हृदय न जी पायेगा, <br />इतिहास कहेगा,<br />एक था निष्ठुर। <br /><br />@ अभिषेक ओझा<br />हारा सारा कोड डिकोड हो छितरा गया है। अब दरवाजे स्वयं ही खुले रहेंगे।<br /><br />@ हास्यफुहार<br />आपको हँसी आ गयी, चलिये हमारी पीड़ा सफल हुयी।<br /><br />@ राम त्यागी<br />हटाते हटाते सप्ताह में तीन घंटे ले आये हैं। वाणिज्य, भारतीय रेल और सरकार, तीनों के कारण इससे अधिक समय लालबत्ती को मिल ही नहीं पाता है।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-16526424061074000992010-08-19T22:29:58.067+05:302010-08-19T22:29:58.067+05:30@ राज भाटिय़ा
द्वारपाल जी की वाणी का गाम्भीर्य बढ़...@ राज भाटिय़ा<br />द्वारपाल जी की वाणी का गाम्भीर्य बढ़ ही गया होगा, कम होने का तो प्रश्न ही नहीं उठता। हमने अपना नियम तोड़ा, हो सकता है यह उन्हे और गम्भीर कर गया हो।<br /><br />@ honesty project democracy<br />द्वारपाल भी कर्तव्यनिष्ठ थे और मैं भी व्यस्तता का बहाना नहीं बना रहा था। प्रायः आगन्तुकों को यह शिकायत नहीं रहती है। <br /><br />@ मनोज कुमार<br />बहुत धन्यवाद।<br /><br />@ Manoj K<br />हो सकता है जो भी बताया, उपयोगी हो। अब तो मैं भी कितना कुछ भूल गया इस घटना के बाद।<br /><br />@ शोभना चौरे<br />छाछ। वह क्या होता है भला। अब न दूध से रिश्ता, अब न छाछ से नाता।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-33601884758150243812010-08-19T22:21:17.059+05:302010-08-19T22:21:17.059+05:30@ Mohan
यह परिस्थिति, भगवान करे, किसी को On Demand...@ Mohan<br />यह परिस्थिति, भगवान करे, किसी को On Demand न मिले। मुस्कराने का लाभ तो अभी उठा लीजिये।<br /><br />@ महेन्द्र मिश्र <br />हमें भी अब अपने द्वारपाल की अहमियत समझ में आने लगी है।<br /><br />@ PD<br />बहुत रोचक प्रकरण है आपका पर हमारे द्वारपाल जी बड़े ही सैद्धान्तिक हैं। बात ऊँची थी, हम समझ न पाये।<br /><br />@ रंजना<br />उनके लिये तो बदला न था पर हमें हमारा आदेश बदलने का फल मिल गया।<br /><br />@ Pooja<br />खिसियाहट से उत्पन्न मुस्कराहट तो बहुत देर तक हमारे चेहरे पर बिराजी रही।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-47468876533273683082010-08-19T22:10:06.181+05:302010-08-19T22:10:06.181+05:30@ abhi
आपका आनन्द देख कर अब थोड़ा ठीक लगना प्रारम्...@ abhi<br />आपका आनन्द देख कर अब थोड़ा ठीक लगना प्रारम्भ हुआ।<br /><br />@ Bhavesh (भावेश )<br />अब और अधिक रोचक नहीं बनाना है स्वयं को।<br /><br />@ सत्यप्रकाश पाण्डेय<br />सच में कितना अहम रोल है कि अहम ही धो डाला।<br /><br />@ इलाहाबादी अडडा<br />सामने तो वही है, हम तो दरवाजे के पीछे बैठे हैं।<br /><br />@ पी.सी.गोदियाल<br />हम जैसे बहुत अधिकारियों की द्वारपाली कर लेने के बाद वह अब किसी को नहीं छोड़ने वाले।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-89030985776255119292010-08-19T22:04:41.974+05:302010-08-19T22:04:41.974+05:30@ Mithilesh dubey
धन्यवाद आपका दिलासा देने का।
@ ...@ Mithilesh dubey<br />धन्यवाद आपका दिलासा देने का।<br /><br />@ JHAROKHA <br />हो सकता है यही कारण रहा हो कि अगले आगन्तुक ने तुरन्त ही बता दिया। यदि बाद में पता चलता तो यह विश्वास भी हो जाता कि चार चाँद लग चुके हैं।<br /><br />@ नरेश सिह राठौड़ <br />भाभी जी को उसी दिन बता दिया था। अब उनका सारा ध्यान टिप्पणियों में है।<br /><br />@ shikha varshney<br />शुक्र है कि बच गये, नहीं तो ब्रह्माण्ड भी कम पड़ता मुँह छिपाने के लिये। <br /><br />@ rashmi ravija <br />चलिये जितने बन गये हैं, ठीक है। औरों को तो हमारे द्वारपाल जी ही नहीं बनाने देंगे।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-43420195818381801902010-08-19T21:55:35.228+05:302010-08-19T21:55:35.228+05:30@ महफूज़ अली
धुलाई भारतीय शैली में, लिखाई यूरोपियन...@ महफूज़ अली<br />धुलाई भारतीय शैली में, लिखाई यूरोपियन में। आहतमना के उद्गार निकल गये, यही क्या कम उपकार है लेखनी का, हम पर।<br /><br />@ संगीता स्वरुप ( गीत )<br />अब तो अमावस आते आते ही चाँद चमकना कम करेंगे।<br /><br />@ Pankaj Upadhyay (पंकज उपाध्याय)<br />ऑफ़िस जाने का मूड बना गयी ये पोस्ट...<br /><br />किसलिये, अपने द्वारपाल से मिलने या....<br /><br />@ P.N. Subramanian<br />अब लगता है कि सारा किया धरा तो लाल बत्ती का ही है।<br /><br />@ P.N. Subramanian<br />घर आकर स्वयं ही बता दिये। कोई और रहस्य उद्घाटित करता तो चाँद ही रह पाती।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-4083581308589186212010-08-19T21:46:58.050+05:302010-08-19T21:46:58.050+05:30@ मो सम कौन ?
पोस्टवत कार्य तो कर दिया है, संभवतः...@ मो सम कौन ? <br />पोस्टवत कार्य तो कर दिया है, संभवतः पोस्टें भी ऐसी झन्नाटेदार लिख डालें।<br /><br />@ Arvind Mishra<br />आपका विश्लेषण, लगता है सत्य के सर्वाधिक निकट है। कर्तव्यनिष्ठ प्रवृत्ति के मनुष्यों की जिद भी बड़ी सैद्धान्तिक होती है। उनका ही प्रताप है कि विघ्न हमारे पास नहीं फटक पाते हैं। कईयों की व्यग्रता उनका गुरुत्व देख कर ही उतर जाती है।<br /><br />@ सतीश सक्सेना<br />यदि इतना सोच सकते तो यह होता क्यों? यदि होता नहीं तो आपको पता कैसे चलता? लगता है डू लूप में समा गये हैं।<br /><br />@ सम्वेदना के स्वर <br />कुछ उत्तर न कभी बदले हैं, न कभी बदलेंगे। हम स्थिरमना हैं।<br /><br />@ ajit gupta<br />अगले आगन्तुक ने तुरन्त ही हमारी भूल बता दी थी।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-37200826085189144832010-08-19T21:29:45.709+05:302010-08-19T21:29:45.709+05:30@ सतीश पंचम
हम भी न समझे, द्वारपाल भी न समझे, पर ज...@ सतीश पंचम<br />हम भी न समझे, द्वारपाल भी न समझे, पर जो लोग समझे उससे हमारी समझ भी चकरा गयी।<br /><br />@ Sunil Kumar <br />अब यदि वह स्वयं याद न दिलायें तो संभवतः न पहचान पाऊँ। परिस्थितिजन्य प्रकरण था इसलिये लिखा भी, व्यक्तिजन्य होता तो न लिख पाता।<br /><br />@ Ratan Singh Shekhawat <br />रेल पर तो उधार नहीं है अब तक। पर आपने लालबत्ती के इस उपयोग के बारे में बताकर चिन्ता में डाल दिया।<br /><br />@ बेचैन आत्मा <br />चौकीदार को मैंने कभी कुछ भी नहीं कहा। बड़े कर्तव्यनिष्ठ हैं। हो सकता है, हमने अपना नियम तोड़ा, इसलिये ही रूठ गये हों।<br /><br />@ हरकीरत ' हीर' <br />मुझे जब अगले आगन्तुक न् यह बात बताई तो मैं न मुस्करा पा रहा था, न क्रोध कर पा रहा था। घर आकर श्रीमती जी को बताई तो उन्हे भी बहुत हँसी आयी। दिन हमारा ही बिजी था।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-5697506351819060822010-08-19T21:16:54.169+05:302010-08-19T21:16:54.169+05:30@ Udan Tashtari
अधिक चाँद न लगेंगे अब, थोड़ा सतर्क...@ Udan Tashtari<br />अधिक चाँद न लगेंगे अब, थोड़ा सतर्क हो गये हैं।<br /><br />@ वाणी गीत<br />हमारे द्वारपाल जी बड़े कर्तव्यनिष्ठ हैं। उन्होने तो सत्य ही बोला अन्जाने में, बिना किसी विद्वेष के, पर लगा बड़े ही गहरे हमें। लालबत्ती जलते ही उनके अन्दर रेल सम्हालने के गुण प्रविष्ट हो जाते हैं, उनका कोई दोष नहीं।<br /><br />@ दिनेशराय द्विवेदी Dineshrai Dwivedi<br />परिस्थितिजन्य प्रकरण यह रूप ले लेते हैं बहुधा।<br /><br />@ निशांत मिश्र - Nishant Mishra <br />हम तो उनकी कर्तव्यनिष्ठा के शिकार हो गये।<br /><br />@ अनूप शुक्ल <br />काम भी है, धाम भी है पर अब बिजी होने की हिम्मत न पड़े इन सन्दर्भों में।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-54823353271671139932010-08-19T21:00:42.053+05:302010-08-19T21:00:42.053+05:30आप की रचना 20 अगस्त, शुक्रवार के चर्चा मंच के लिए ...आप की रचना 20 अगस्त, शुक्रवार के चर्चा मंच के लिए ली जा रही है, कृप्या नीचे दिए लिंक पर आ कर अपने सुझाव देकर हमें प्रोत्साहित करें.<br />http://charchamanch.blogspot.com <br /><br />आभार <br /><br />अनामिकाअनामिका की सदायें ......https://www.blogger.com/profile/08628292381461467192noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-30739794468354248512010-08-19T17:14:45.985+05:302010-08-19T17:14:45.985+05:30aapki post padhee hai, aur ab tak chehre par ek mu...aapki post padhee hai, aur ab tak chehre par ek muskurahat bani hai.<br />dhnyavaad.Raravihttps://www.blogger.com/profile/06067833078018520969noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-52958616710684216982010-08-19T14:07:27.316+05:302010-08-19T14:07:27.316+05:30सर तो अबी बहोत बिजी है। अन्दर एक मैडम भी है।"...सर तो अबी बहोत बिजी है। अन्दर एक मैडम भी है।" ...<br /><br /><br />अच्छा हुवा किसी चेनल वालों को पता नही चला ... नही तो २ दिन तक खबर सुर्ख़ियों में रहती .... <br />वैसे हर बात के सकारात्मक और नकारात्मक पहलू होते हैं ... अच्छा लेख ...दिगम्बर नासवाhttps://www.blogger.com/profile/11793607017463281505noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-25070837773454090582010-08-19T13:02:21.701+05:302010-08-19T13:02:21.701+05:30आपकी शैली और लालबत्ती पर आपके विचार - लालबत्ती की...आपकी शैली और लालबत्ती पर आपके विचार - लालबत्ती की मजबूरी और लालबत्ती की ऐंठ पसंद आये. लेकिन साहब के साथ एक मैडम के होने की बात ने टिप्पणीकारों को इतना प्रभावित किया और उनका मनोरंजन किया, क्या यह चिंताजनक नहीं ?hem pandeyhttps://www.blogger.com/profile/08880733877178535586noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-67609529239171460172010-08-19T07:48:11.110+05:302010-08-19T07:48:11.110+05:30अब क्या कहें ....पहले सर ने फूल देखे फिर लाल बत्ती...अब क्या कहें ....पहले सर ने फूल देखे फिर लाल बत्ती में व्यस्त ...<br />पहल क्यों नहीं करते खुद से इसे हटाने की ...खुद ही मत उपयोग करें ...खैर पर उपदेश कुशल बहुतेरे वाली बात कर रहा हूँ मैं भी<br /><br />कुल मिलाकर आपका सस्मरण रोचक और इमानदारी से भरा लगा ...जारी रहे ये ईमानदार प्रयास जनाब !!राम त्यागीhttps://www.blogger.com/profile/05351604129972671967noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-3848818342225218772010-08-19T07:04:14.822+05:302010-08-19T07:04:14.822+05:30.साहब तो बहुत बिजी हैं
जय हो।.साहब तो बहुत बिजी हैं<br />जय हो।हास्यफुहारhttps://www.blogger.com/profile/14559166253764445534noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-77087892889093265412010-08-19T06:32:45.738+05:302010-08-19T06:32:45.738+05:30कोई कोड वर्ड हो तो बता दीजिए. कभी बंगलोर आना हुआ त...कोई कोड वर्ड हो तो बता दीजिए. कभी बंगलोर आना हुआ तो इंतज़ार तो नहीं करेंगे हम. भले अंदर आप किसी मैडम के साथ ही बीजी क्यों न हों :)Abhishek Ojhahttps://www.blogger.com/profile/12513762898738044716noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-83388642829090220212010-08-19T03:45:12.225+05:302010-08-19T03:45:12.225+05:30हो हो हो ...
कृपानिधान,
द्वारपालों ने जम कर किया आ...हो हो हो ...<br />कृपानिधान,<br />द्वारपालों ने जम कर किया आपका कल्याण ...<br />जब आपने दिया उनको वरदान<br />कि बंद रखें वो आपकी दूकान<br />फिर कन्या स्वर में क्यों दिया ध्यान :):)<br />उनके impression का तो जी <br />हो गया न...!!<br />ऊ का कहते हैं ....लुटिया डूबान ...!!<br />हा हा हा ...<br />बहुत बढ़िया ...<br />हाँ नहीं तो..!स्वप्न मञ्जूषा https://www.blogger.com/profile/06279925931800412557noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-11074992559326685832010-08-19T00:37:50.763+05:302010-08-19T00:37:50.763+05:30post ki shuruaat aur aage padhte hue lagaa ki gamb...post ki shuruaat aur aage padhte hue lagaa ki gambhitram muddaa hai lekin ant tak aate aate chehre par muskaan aa gai, halanki dono ho koN hamare samaye ke sahi soochak hain.....Sanjeet Tripathihttps://www.blogger.com/profile/18362995980060168287noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-68124763441767646962010-08-18T23:28:12.866+05:302010-08-18T23:28:12.866+05:30बढ़िया रहा संस्मरण |आगे शायद" दूध का जला छाछ ...बढ़िया रहा संस्मरण |आगे शायद" दूध का जला छाछ को भी फूंक फूंक कर पीता है "इस मुहावरे को प्रयोग में लाना पड़े ?शोभना चौरेhttps://www.blogger.com/profile/03043712108344046108noreply@blogger.com