tag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post4281731842942405830..comments2024-03-17T19:33:00.050+05:30Comments on न दैन्यं न पलायनम्: क्योंप्रवीण पाण्डेयhttp://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comBlogger14125tag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-2637186488956421052016-02-02T16:14:22.167+05:302016-02-02T16:14:22.167+05:30ये कहाँ है ज्ञात रसिकों को ?ये कहाँ है ज्ञात रसिकों को ?Amrita Tanmayhttps://www.blogger.com/profile/06785912345168519887noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-16631335182480919672015-12-07T02:07:26.847+05:302015-12-07T02:07:26.847+05:30जो है सो है। विचलित होना स्वाभाविक है एक निर्मल मन...जो है सो है। विचलित होना स्वाभाविक है एक निर्मल मन का।Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/04067023239580129905noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-20219409385271863342015-12-05T14:45:19.091+05:302015-12-05T14:45:19.091+05:30वर्तमान परिदृश्य में मन का सटीक चित्रण। साधुवाद......वर्तमान परिदृश्य में मन का सटीक चित्रण। साधुवाद....Irfanhttps://www.blogger.com/profile/11283265898941302925noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-67210271100095925142015-12-01T18:22:04.001+05:302015-12-01T18:22:04.001+05:30बहुत सुन्दर...बहुत सुन्दर...कविता रावत https://www.blogger.com/profile/17910538120058683581noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-91247484654272642062015-12-01T12:12:36.605+05:302015-12-01T12:12:36.605+05:30 (और अब क्यों काम का,
उन्माद मन को भा रहा है)
काम ... (और अब क्यों काम का,<br />उन्माद मन को भा रहा है)<br />काम का उन्माद तो भटकायेगा ही, किन्तु कर्म का सरल बनायेगा।गिरधारी खंकरियालhttps://www.blogger.com/profile/07381956923897436315noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-79574807163610871692015-12-01T03:56:29.020+05:302015-12-01T03:56:29.020+05:30बङे दिनों के बाद अापकी रचना पढ़ी।सुंदर कविता मगर अ...बङे दिनों के बाद अापकी रचना पढ़ी।सुंदर कविता मगर अापके गद्य का इंतजार रहेगा। Raravihttps://www.blogger.com/profile/06067833078018520969noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-56271070893293954862015-11-30T21:41:12.028+05:302015-11-30T21:41:12.028+05:30 और अब क्यों काम का,
उन्माद मन को भा रहा है ।
कौन ... और अब क्यों काम का,<br />उन्माद मन को भा रहा है ।<br />कौन है, क्यों जीवनी को,<br />राह से भटका रहा है ।।४।...............यह उद्वेलन अपेक्षित है। बहुत सुन्दर। <br />Harihar (विकेश कुमार बडोला) https://www.blogger.com/profile/02638624508885690777noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-89447132297060737502015-11-30T17:52:01.436+05:302015-11-30T17:52:01.436+05:30बहुत अच्छे...बहुत अच्छे...वन्दना अवस्थी दुबेhttps://www.blogger.com/profile/13048830323802336861noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-71998614925519840562015-11-30T12:36:21.551+05:302015-11-30T12:36:21.551+05:30आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगवार (01-...आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगवार (01-12-2015) को <a href="http://charchamanch.blogspot.in/" rel="nofollow"> "वाणी का संधान" (चर्चा अंक-2177) </a> पर भी होगी।<br />--<br />सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।<br />--<br />चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।<br />जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।<br />हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।<br />सादर...!<br />डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' <br />डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'https://www.blogger.com/profile/09313147050002054907noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-24083598790281524852015-11-30T06:12:57.795+05:302015-11-30T06:12:57.795+05:30जय मां हाटेशवरी....
आप ने लिखा...
कुठ लोगों ने ही ...जय मां हाटेशवरी....<br />आप ने लिखा...<br />कुठ लोगों ने ही पढ़ा...<br />हमारा प्रयास है कि इसे सभी पढ़े...<br />इस लिये आप की ये खूबसूरत रचना....<br />दिनांक 01/12/2015 को रचना के महत्वपूर्ण अंश के साथ....<br /><a href="http://www.halchalwith5links.blogspot.com" rel="nofollow">पांच लिंकों का आनंद</a><br />पर लिंक की जा रही है... <br />इस हलचल में आप भी सादर आमंत्रित हैं...<br />टिप्पणियों के माध्यम से आप के सुझावों का स्वागत है....<br />हार्दिक शुभकामनाओं के साथ...<br /><a href="http://www.kuldeepkikavita.blogspot.com" rel="nofollow">कुलदीप ठाकुर</a>...<br /><br />kuldeep thakurhttps://www.blogger.com/profile/11644120586184800153noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-78094018389437629682015-11-30T05:54:31.772+05:302015-11-30T05:54:31.772+05:30कुछ ऐसी ही जरूरत है आज के समय में...कम शब्दों का इ...कुछ ऐसी ही जरूरत है आज के समय में...कम शब्दों का इस्तेमाल, लेकिन बात गहरी...जब कि होता उलट है. हंगामा है बहुत सा लेकिन किसी बात का कोई सिरा नहीं होता.Puja Upadhyayhttps://www.blogger.com/profile/15506987275954323855noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-67226820385390618682015-11-29T18:12:37.335+05:302015-11-29T18:12:37.335+05:30दोष प्रस्तुत हैं क्यों कि
स्वार्थ ही जीवन बना
स...दोष प्रस्तुत हैं क्यों कि <br />स्वार्थ ही जीवन बना<br />स्व को सत्ता न मिले तो<br />रोष ही मन में ठना । <br /><br />आज के परिपेक्ष्य में सटीक रचना । संगीता स्वरुप ( गीत )https://www.blogger.com/profile/18232011429396479154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-44339487907561478942015-11-29T14:24:16.294+05:302015-11-29T14:24:16.294+05:30Anupam bhav liye utkrisht lekhan....Anupam bhav liye utkrisht lekhan....सदाhttps://www.blogger.com/profile/10937633163616873911noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-50671197885112729752015-11-29T14:23:48.252+05:302015-11-29T14:23:48.252+05:30यही तो दुर्भाग्य है कि प्रदूषित भावना
तीक्ष्ण होकर...यही तो दुर्भाग्य है कि प्रदूषित भावना<br />तीक्ष्ण होकर उभरती है<br />लाख करलूं कोशिश मन में दबी पीड़ा <br />रह रह कर उभरती है<br />ज्यों ही भरने को आते हैं मन के घाव<br />एक अनजानी ईर्ष्या की सुई<br />न जाने कहाँ से उसमें जहर भरती हैishwar khandeliyahttps://www.blogger.com/profile/01408727603986293583noreply@blogger.com