tag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post385209535419993675..comments2024-03-17T19:33:00.050+05:30Comments on न दैन्यं न पलायनम्: एक समन्दर या दसियों घटप्रवीण पाण्डेयhttp://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comBlogger40125tag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-42906146776280303812012-08-26T03:01:50.814+05:302012-08-26T03:01:50.814+05:30न ढलने वाले शरीर, न व्यस्त रहने के लिये कोई कर्म, ...न ढलने वाले शरीर, न व्यस्त रहने के लिये कोई कर्म, न संबंधों में बद्ध जीवन, भोग में विविधता और नित नवीनता, पर फिर भी क्या वांछित प्रसन्नता मिल पाती है, इस सोच के पोषकों को। <br />निश्चित काफी एकरस होगा ऐसा जीवन और जीवन भी क्या कहें मृत्यु नही तो फिर जीवन कैसा ।<br /><br />इससे तो अच्छा है यह नश्वर जीवन ।Asha Joglekarhttps://www.blogger.com/profile/05351082141819705264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-47965233866360875532012-08-20T23:59:05.125+05:302012-08-20T23:59:05.125+05:30वंदना जी आपसे पूरी तरह सहमत हूँ.वंदना जी आपसे पूरी तरह सहमत हूँ.संतोष पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/06184746764857353641noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-85255823594737434572012-08-20T23:56:55.698+05:302012-08-20T23:56:55.698+05:30क्या गज़ब का प्रश्न उठाया है, चिर नूतन और आदिम भी....क्या गज़ब का प्रश्न उठाया है, चिर नूतन और आदिम भी. प्रेम से ज्यादा रहस्यमय, अबूझ, अज्ञात और क्या हो सकता है. मानव मन को जितना इसने उलझाया है, उतना किसी ने नहीं. भाई मैं तो बाबा कबीर के साथ हूँ- या में दो न समाय.संतोष पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/06184746764857353641noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-53638689904880496872012-08-19T07:08:01.549+05:302012-08-19T07:08:01.549+05:30मुझे लगता है की आपने अब तक उर्वशी पे 8-9 पोस्ट तो ...मुझे लगता है की आपने अब तक उर्वशी पे 8-9 पोस्ट तो लिख ही दिए होंगे :) :) <br />Anyway I am loving it!!! :)abhihttps://www.blogger.com/profile/12954157755191063152noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-5278310793784405882012-08-18T16:05:26.632+05:302012-08-18T16:05:26.632+05:30आपका यह प्रयास बेहद सराहनीय है ... आभार इस उत्कृष...आपका यह प्रयास बेहद सराहनीय है ... आभार इस उत्कृष्ट प्रस्तुति के लिए सदाhttps://www.blogger.com/profile/10937633163616873911noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-23483693389838880682012-08-17T14:27:21.310+05:302012-08-17T14:27:21.310+05:30बुद्धिजीवी विविधता की तलाश में रहता है। जहाँ चिर य...बुद्धिजीवी विविधता की तलाश में रहता है। जहाँ चिर यौवन है वहाँ यौन के विविध स्वाद ही उसे आनंदित करते होंगे जहाँ मृत्यु निश्चित है वहाँ चिंतन भविष्य की चिंता है। प्रेम इसी भविष्य की चिंता से पगा एकनिष्ठता(प्रेम) का दंभ भरता सा प्रतीत होता है। रहस्य यही सही लगता है।:)देवेन्द्र पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/07466843806711544757noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-80208618182732595722012-08-17T14:22:34.020+05:302012-08-17T14:22:34.020+05:30बहुत सारगर्भित चिंतन...बहुत सारगर्भित चिंतन...Kailash Sharmahttps://www.blogger.com/profile/12461785093868952476noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-33938204473593834142012-08-16T23:07:50.881+05:302012-08-16T23:07:50.881+05:30दस के बाद बस या प्रेम करने के दस बहाने ;) ?
नही.....दस के बाद बस या प्रेम करने के दस बहाने ;) ?<br /><br />नही... ये दिल माँगे मोर...<br /><br />दिनकर को ले के 'चारण कवि' की जो धारणा थी, टूटती नज़र आ रही है प्रवीण जी. धन्यवाद आपका.<br /><br />सादर<br /><br />ललित Lalithttps://www.blogger.com/profile/07381473297376142200noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-19797062764588793552012-08-16T18:44:20.826+05:302012-08-16T18:44:20.826+05:30दिनकर की महिमा को विस्तारित करने में सराहनीय योगदा...दिनकर की महिमा को विस्तारित करने में सराहनीय योगदान..Amrita Tanmayhttps://www.blogger.com/profile/06785912345168519887noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-34186003117448234442012-08-16T17:27:32.604+05:302012-08-16T17:27:32.604+05:30आपकी 'उर्वशी'से सम्बंधित श्रृंखला अच्छी रह...आपकी 'उर्वशी'से सम्बंधित श्रृंखला अच्छी रही...<br /> दिनकर की उर्वशी को नए आयाम दिए हैं आपके लेखन ने...डा. गायत्री गुप्ता 'गुंजन'https://www.blogger.com/profile/04502207807795556896noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-62635996083340489612012-08-16T15:40:00.642+05:302012-08-16T15:40:00.642+05:30सम्भवत: प्रेम में बंधन खुद बंधन न लग कर एक आधार जै...सम्भवत: प्रेम में बंधन खुद बंधन न लग कर एक आधार जैसा हो जाता है ......निवेदिता श्रीवास्तवhttps://www.blogger.com/profile/17624652603897289696noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-74231432597395460712012-08-16T13:04:50.987+05:302012-08-16T13:04:50.987+05:30श्रम से लिखा लेख.
बेहद रोचक.श्रम से लिखा लेख.<br />बेहद रोचक.Creative Manchhttps://www.blogger.com/profile/06744589000725201971noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-74987460661078455252012-08-16T12:47:16.255+05:302012-08-16T12:47:16.255+05:30जब प्रेम का स्रोत शरीर से हट हृदयारूढ़ हो जाये तो ...जब प्रेम का स्रोत शरीर से हट हृदयारूढ़ हो जाये तो सुख की मात्रा प्रतिपल द्विगुणित होती रहती है।जीवन का यही सार है यही वास्तविक प्रेम है बाकी सब वासना के खेल हैं <br />सच्चा प्रेम तो एक घट में ही समाया रहता है वैसे सब तरह के लोग हैं इस मर्त्य लोक में भी जिनको समुन्द्र में भी तृप्ति नहीं मिलती,बहुत बढ़िया आलेख नीर क्षीर को प्रथक करता बहुत बधाई | Rajesh Kumarihttps://www.blogger.com/profile/04052797854888522201noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-33840506174407368702012-08-16T12:21:45.662+05:302012-08-16T12:21:45.662+05:30स्वतंत्र दिवस की शुभकामनाये !स्वतंत्र दिवस की शुभकामनाये !Coralhttps://www.blogger.com/profile/18360367288330292186noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-55541492730908194952012-08-16T07:18:04.147+05:302012-08-16T07:18:04.147+05:30मोहबंधन के रंग अनेक………मोहबंधन के रंग अनेक………सुज्ञhttps://www.blogger.com/profile/04048005064130736717noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-55574268208545832642012-08-16T01:06:45.853+05:302012-08-16T01:06:45.853+05:30Love and society have a strange inter-connection. ...Love and society have a strange inter-connection. We can't justify it on one side. It is profound and sometimes even those who are involved can't justify.<br />Thought Provoking!Saru Singhalhttps://www.blogger.com/profile/12860642404643756746noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-70162444542020318572012-08-15T23:16:52.109+05:302012-08-15T23:16:52.109+05:30अलग अलग धरातल पर खड़ी हैं सुकन्या और चित्रलेखा, तभ...अलग अलग धरातल पर खड़ी हैं सुकन्या और चित्रलेखा, तभी यह संवाद संभव हुआ| जोरदार सीरीज रही ये और ये पोस्ट सभी पोस्ट्स पर भारी लगी मुझे|संजय @ मो सम कौन...https://www.blogger.com/profile/14228941174553930859noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-90626351809418915532012-08-15T23:07:24.412+05:302012-08-15T23:07:24.412+05:30बहुत ही उम्दा आलेख है..बहुत ही उम्दा आलेख है..rashmi ravijahttps://www.blogger.com/profile/04858127136023935113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-61020812168692509722012-08-15T22:22:43.056+05:302012-08-15T22:22:43.056+05:30बहुत अधिक ज्ञान प्रेम को प्रवाहित नहीं होने देता |...बहुत अधिक ज्ञान प्रेम को प्रवाहित नहीं होने देता | मूढ़ व्यक्ति अधिक प्रेमी होता है क्योंकि उसमे स्वार्थ और अपेक्षाएं अत्यंत अल्प या न के बराबर होती है और ज्ञानी व्यक्ति सर्वाधिक स्वार्थी होता है ,वह चाहे स्त्री हो या पुरुष, और जहां स्वार्थ होता है वहां प्रेम का स्रोत अनवरत नहीं हो सकता |amit kumar srivastavahttps://www.blogger.com/profile/10782338665454125720noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-47494913103969577392012-08-15T22:11:59.315+05:302012-08-15T22:11:59.315+05:30बहुत सुन्दर और सार गर्भित पोस्ट है प्रवीण जी. ऐसे ...बहुत सुन्दर और सार गर्भित पोस्ट है प्रवीण जी. ऐसे ये सवाल तो शाश्वत है. विवाह में तालमेल की कमी ही सही, घाट-घाट के पानी से बेहतर समंदर ही है...वन्दना अवस्थी दुबेhttps://www.blogger.com/profile/13048830323802336861noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-77164981746034954762012-08-15T17:34:46.804+05:302012-08-15T17:34:46.804+05:30Gyanvardhak....Happy Independence Day Praveen JiGyanvardhak....Happy Independence Day Praveen JiGopal Mishrahttp://www.achhikhabar.comnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-41689669833886649722012-08-15T15:36:26.746+05:302012-08-15T15:36:26.746+05:30प्रेम की निस्छलता सीमा बद्ध ही रहती है तभी साम...प्रेम की निस्छलता सीमा बद्ध ही रहती है तभी सामाजिक तानाबाना जीवित रहता है . हाँ दस के बाद बस नहीं श्रृखला जारी रखियेगा गिरधारी खंकरियालhttps://www.blogger.com/profile/07381956923897436315noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-61078717188054165912012-08-15T13:59:31.433+05:302012-08-15T13:59:31.433+05:30ज़वान आगे बढ़ो ! :)
स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनायें...ज़वान आगे बढ़ो ! :)<br />स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनायें . डॉ टी एस दरालhttps://www.blogger.com/profile/16674553361981740487noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-84306674491665076532012-08-15T13:00:21.360+05:302012-08-15T13:00:21.360+05:30बेहतर समीक्षात्मक प्रस्तुति बेहतर समीक्षात्मक प्रस्तुति alka mishrahttps://www.blogger.com/profile/01380768461514952856noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-47640009413381350822012-08-15T12:57:14.837+05:302012-08-15T12:57:14.837+05:30गहन अर्थ समेटे प्रस्तुति……………स्वतंत्रता दिवस की हा...गहन अर्थ समेटे प्रस्तुति……………स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं !vandana guptahttps://www.blogger.com/profile/00019337362157598975noreply@blogger.com