tag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post3846260423220823190..comments2024-03-17T19:33:00.050+05:30Comments on न दैन्यं न पलायनम्: फ्रस्टियाओ नहीं मूराप्रवीण पाण्डेयhttp://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comBlogger55125tag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-29545399243459976592012-09-25T23:45:48.878+05:302012-09-25T23:45:48.878+05:30कुछ दिनों से वाकई फ्रस्टियाने पर यह गीत रिपीट ट्रै...कुछ दिनों से वाकई फ्रस्टियाने पर यह गीत रिपीट ट्रैक पर बजना आरम्भ हो जा रहा है. पोस्ट आज ही पढ़ पढ़ पाया.<br />वैसे कभी फोनिया भी लीजिए, हमारा तो हेलो ट्यून भी यही है अभी.PDhttps://www.blogger.com/profile/17633631138207427889noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-33365399210583572402012-09-22T02:20:18.114+05:302012-09-22T02:20:18.114+05:30जिस फिल्म ने आपको लिखने पर बाध्य कर दिया, उसने खास...जिस फिल्म ने आपको लिखने पर बाध्य कर दिया, उसने खास होने की पहली सीढ़ी तो पार कर ही ली. विश्लेषण पढ़कर लगता है लम्बे समय बाद यह फिल्म देखनी ही पड़ेगी.Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-13767239724478178202012-09-22T02:19:28.046+05:302012-09-22T02:19:28.046+05:30जिस फिल्म ने आपको लिखने पर बाध्य कर दिया, उसने खास...जिस फिल्म ने आपको लिखने पर बाध्य कर दिया, उसने खास होने की पहली सीढ़ी तो पार कर ही ली. विश्लेषण पढ़कर लगता है लम्बे समय बाद यह फिल्म देखनी ही पड़ेगी.Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-62876706591093367012012-09-18T23:53:22.132+05:302012-09-18T23:53:22.132+05:30फ्रस्टयाने पर आपका लेखन सुपरबा है जी.फ्रस्टयाने पर आपका लेखन सुपरबा है जी.Rakesh Kumarhttps://www.blogger.com/profile/03472849635889430725noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-83376339624398975622012-09-18T14:47:07.597+05:302012-09-18T14:47:07.597+05:30फ्रस्टयाने का लाज़वाब और गहन विश्लेषण...फ्रस्टयाने का लाज़वाब और गहन विश्लेषण...Kailash Sharmahttps://www.blogger.com/profile/12461785093868952476noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-63417374414650831072012-09-18T11:29:54.188+05:302012-09-18T11:29:54.188+05:30movie dekhi thi pahli bhi dusri bhi par ye frustiy...movie dekhi thi pahli bhi dusri bhi par ye frustiyao nahi moora ka aapne jo gajab ka saar nikala hai maja aa gaya.wese gana sach me accha hai...aur aapke is vishleshan ne use aur accha bana diya kanu.....https://www.blogger.com/profile/16556686104218337506noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-20885331340473204662012-09-18T09:39:09.092+05:302012-09-18T09:39:09.092+05:30आलेख पाठ के मध्य न जाने कितनी बातें आयीं ध्यान में...<br />आलेख पाठ के मध्य न जाने कितनी बातें आयीं ध्यान में...पर अब जो समाप्त किया तो साथ एक ही शब्द रह गया कहने को - "बेजोड़"...सचमुच बेजोड़...<br /><br /><br />यह वाक्य तो मन पर दीर्घ काल के लिए अंकित हो गया -<br /><br />"जहाँ जीवन बुलबुले सा हो जाता है, वहाँ सुख को तुरन्त ही भोग लेने की मानसिकता विकसित हो जाती है, वहाँ समाज का दीर्घकालिक स्वरूप क्षयमान होने लगता है। "रंजनाhttps://www.blogger.com/profile/01215091193936901460noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-27692636068555042432012-09-17T20:06:43.618+05:302012-09-17T20:06:43.618+05:30बढ़िया है :)बढ़िया है :)Avinash Chandrahttps://www.blogger.com/profile/01556980533767425818noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-89396011830859905482012-09-17T19:53:50.063+05:302012-09-17T19:53:50.063+05:30यदि अंग्रेजों ने हमें अंग्रेजियत सिखायी तो हमने भी...यदि अंग्रेजों ने हमें अंग्रेजियत सिखायी तो हमने भी अंग्रेजी शब्दों को अल्हड़ देशीपना सिखा दिया है। इन्ग्लिश्वा को हिन्ग्लिश्वा बना दिया है .<br /> कुछ न पा पाने की अवस्था फ्रस्टियाने का मूल स्रोत है। पर ऐसा नहीं है कि फ्रस्टियाना पूरी तरह से वाह्य कारणों पर ही आधारित हो। निश्चय ही यह एक बड़ा कारक है, पर अपनी क्षमताओं और अपने अधिकार के बारे में हमारा आकलन भी उसके लिये उत्तरदायी है। अब बताईये, फैजल अगर वासेपुर से संतुष्ट रहते और धनबाद में हस्तक्षेप न करते तो फ्रस्टियाने की मात्रा कम की जा सकती थी। हम स्वयं को महारथी समझते हैं और जब भाग्य या घटनायें हमें पैदल कर देती हैं, तो हम फ्रस्टियाने लगते हैं। <br />समझते फिर भी अपने को हैं तीस -मार -खा .<br /><br />जहाँ जीवन बुलबुले सा हो जाता है, वहाँ सुख को तुरन्त ही भोग लेने की मानसिकता विकसित हो जाती है, वहाँ समाज का दीर्घकालिक स्वरूप क्षयमान होने लगता है। गैंग ऑफ वासेपुर बस वही कहानी चीख चीख कर बतला रहा है। कोयले से भी अधिक काली वहाँ की कहानी है <br />अवसाद के लक्षण भी आपने समझा दिए ,आत्म स्वरूप को भी समझा गए आप इसे आलेख में .बधाई .<br />कैग नहीं ये कागा है ,जिसके सिर पे बैठ गया ,वो अभागा है<br />http://kabirakhadabazarmein.blogspot.com/virendra sharmahttps://www.blogger.com/profile/02192395730821008281noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-54905474418445069802012-09-17T13:23:02.524+05:302012-09-17T13:23:02.524+05:30अभी तक सुना नहीं ...सुनकर देखते हैं.अभी तक सुना नहीं ...सुनकर देखते हैं.shikha varshneyhttps://www.blogger.com/profile/07611846269234719146noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-60714458018326492882012-09-17T11:55:16.943+05:302012-09-17T11:55:16.943+05:30ज़बर्दस्त आकलन ....ज़बर्दस्त आकलन ....Dr (Miss) Sharad Singhhttps://www.blogger.com/profile/00238358286364572931noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-63319121665854644552012-09-17T09:35:48.048+05:302012-09-17T09:35:48.048+05:30अब क्या फ्रस्टयायिंग और क्या नर्वसियायिंग मूरा , ज...अब क्या फ्रस्टयायिंग और क्या नर्वसियायिंग मूरा , जब चिड़िया चुंग गई खेत !पी.सी.गोदियाल "परचेत"https://www.blogger.com/profile/15753852775337097760noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-27713727023794576182012-09-17T07:37:58.532+05:302012-09-17T07:37:58.532+05:30abhi dekha nahi...magar ab dekhna hai jaldiabhi dekha nahi...magar ab dekhna hai jaldiUdan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-57052503876187245832012-09-16T21:02:06.505+05:302012-09-16T21:02:06.505+05:30Yeh gaana toh hume picture main khoob pasand aay a...Yeh gaana toh hume picture main khoob pasand aay atha :)SEPOhttps://www.blogger.com/profile/18165767356704947895noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-81841784309079956372012-09-16T17:05:02.812+05:302012-09-16T17:05:02.812+05:30अद्भुत विश्लेषण आपकी पखर सोच को हम सलाम करते हैं त...अद्भुत विश्लेषण आपकी पखर सोच को हम सलाम करते हैं तीर भी चला पर तीरंदाज़ की निपुणता ने इसका जरा भी भान न होने दिया की तीर किसने चलाया और कई निशानों पर निशाना लगा आये बहुत खूब सुन्दर पोस्ट |Minakshi Panthttps://www.blogger.com/profile/07088702730002373736noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-34593587213187538122012-09-16T10:26:22.732+05:302012-09-16T10:26:22.732+05:30यह गाना सुना नहीं तो फ्रस्टीआए भी नहीं। अच्छी आल...यह गाना सुना नहीं तो फ्रस्टीआए भी नहीं। अच्छी आलेख।अजित गुप्ता का कोनाhttps://www.blogger.com/profile/02729879703297154634noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-46756332724050629472012-09-16T09:36:29.483+05:302012-09-16T09:36:29.483+05:30इस गीत को सुन कर सरदार जी भी जोश में आ गए है.:) फु...इस गीत को सुन कर सरदार जी भी जोश में आ गए है.:) फुल्ली फाईटवा के मूड में. :)हिर्सवा गए हैं जी ,वो संसद में बैठीं हुश हुश करें हैं ,हडकाए हैं ,ये हड़क जाएँ हैं ......ऐसे नहीं जायेंगे ओनरवा संग जायेंगे ,virendra sharmahttps://www.blogger.com/profile/02192395730821008281noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-7514742914661547012012-09-16T08:10:15.200+05:302012-09-16T08:10:15.200+05:30सुन्दर रचना . सुन्दर रचना . ASHOK BAJAJhttps://www.blogger.com/profile/07094278820522966788noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-53816599746769295652012-09-16T06:51:32.599+05:302012-09-16T06:51:32.599+05:30बहुत ही शानदार विश्लेषण उम्दा पोस्ट |बहुत ही शानदार विश्लेषण उम्दा पोस्ट |जयकृष्ण राय तुषारhttps://www.blogger.com/profile/09427474313259230433noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-10162964458244385682012-09-16T06:38:13.231+05:302012-09-16T06:38:13.231+05:30वाह,अच्छे-खासे गरुये शब्द को हलकाने का प्रयोग भी ब...वाह,अच्छे-खासे गरुये शब्द को हलकाने का प्रयोग भी बढ़िया रहा !प्रतिभा सक्सेनाhttps://www.blogger.com/profile/12407536342735912225noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-9315754593640332492012-09-16T00:56:37.288+05:302012-09-16T00:56:37.288+05:30अब हमारे तो सारे फ़ेवुरिट गाने इसी फ़िलिम के हैं.....अब हमारे तो सारे फ़ेवुरिट गाने इसी फ़िलिम के हैं... यहाँ तक कि हमारे बेटेलाल गाते हैं ... कुछ खाते नहीं हैं हमारे पिया.. सूखके छुआरा हो गये हैं हमारे पिया :)<br /><br />फ़िल्म के गाने में विविधता, प्रयोग और मौलिकता के कारण 'गुलाल' के बाद किसी फ़िल्म के गाने बेहद पसंद आये।विवेक रस्तोगीhttps://www.blogger.com/profile/01077993505906607655noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-9506489931297439842012-09-15T23:45:20.042+05:302012-09-15T23:45:20.042+05:30Have to listen to this song. You made it more beau...Have to listen to this song. You made it more beautiful with your post though...:)Saru Singhalhttps://www.blogger.com/profile/12860642404643756746noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-45470821325967238862012-09-15T23:32:34.140+05:302012-09-15T23:32:34.140+05:30अल्पकालिक मानसिकता फ्रस्टियाने का प्रमुख कारण है, ...अल्पकालिक मानसिकता फ्रस्टियाने का प्रमुख कारण है, और अल्पकालिक घटनाओं को दीर्घकालिक परिप्रेक्ष्य में रख देना उसका निदान है। जब भी यह स्थिति आती है तब लक्षण चीख चीख कर अपनी उपस्थिति बताते हैं। अर्जुन भी इसी में लपट गये थे, शरीर से पसीना आना, मुख सूख जाना, हाथों में कम्पन होना, गीता के प्रथम अध्याय में सारे लक्षण ढंग से वर्णित हैं<br /><br />:):) गाना तो मैंने यह पहली बार ही सुना .... बहुत सटीक विश्लेषण फ्रस्टियाने का । संगीता स्वरुप ( गीत )https://www.blogger.com/profile/18232011429396479154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-61209743409421273452012-09-15T22:13:52.843+05:302012-09-15T22:13:52.843+05:30फ्रस्टियाने का इतना अच्छा विश्लेषण और नहीं मिलेगा....फ्रस्टियाने का इतना अच्छा विश्लेषण और नहीं मिलेगा..... वैसे ये गाना मुझे भी बहुत पसंद है......वन्दना महतो ! (Bandana Mahto)https://www.blogger.com/profile/16009745507164533185noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-83142253987990114102012-09-15T22:05:07.296+05:302012-09-15T22:05:07.296+05:30 हम स्वयं को महारथी समझते हैं और जब भाग्य या घटनाय... हम स्वयं को महारथी समझते हैं और जब भाग्य या घटनायें हमें पैदल कर देती हैं, तो हम फ्रस्टियाने लगते हैं।<br />ऩ तो फिल्म देखी है ना ही गाना सुना है पर अब तो सुनना पडेगा । आपकी पोस्ट इसके लिये उद्युक्त कर रही है ।Asha Joglekarhttps://www.blogger.com/profile/05351082141819705264noreply@blogger.com