tag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post2905656129288289488..comments2024-03-17T19:33:00.050+05:30Comments on न दैन्यं न पलायनम्: प्रश्न और उत्तरप्रवीण पाण्डेयhttp://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comBlogger65125tag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-67402414517357696252010-11-17T14:04:21.567+05:302010-11-17T14:04:21.567+05:30@ Manish
आँख कान खुला रखने वालों को सदैव ही समाज श...@ Manish<br />आँख कान खुला रखने वालों को सदैव ही समाज शंका की दृष्टि से देखता रहा है, आपका दोष नहीं है। आप अपने उत्तर ढूढ़ लीजिये, लोग तब आपके पास जा पहुँचेंगे, अपने अपने ढूढ़ने के लिये।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-61909289936223677612010-11-12T19:48:32.199+05:302010-11-12T19:48:32.199+05:30"ईश्वर भी एक कुशल परीक्षक है, छोटे प्रश्नों म..."ईश्वर भी एक कुशल परीक्षक है, छोटे प्रश्नों में बड़े उत्तर छिपा कर आत्मजनों को अभिभूत करता रहता है। यहाँ भी बस एक ही आवश्यकता है, आँख, कान खुले रखने की। प्रश्नों में ही जीवन के उत्तर देख लेने की कला विचारकों को मार्ग दिखाती रही है, सदियों से। हमें भी यह तथ्य तब समझ में आ पाता है जब हम अंकजनित, धनजनित और मानजनित चतुराई से ऊपर उठकर विचार करना प्रारम्भ कर देते हैं। इसे ईश्वर की दया न कहें तो और क्या कहें?"<br /><br />ये एहसास हमें भी होता है. प्रश्नों के उत्तर खोजने में निकले रहते हैं. दोस्तों को लगता है कि खोपड़ी का कोई पेंच ढीला रह गया है.. :PManishhttps://www.blogger.com/profile/01119933481214029375noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-2662934489239303552010-11-10T09:37:20.250+05:302010-11-10T09:37:20.250+05:30@ महफूज़ अली
हम तो आपकी चिन्ता में वजन खो रहे थे, ...@ महफूज़ अली<br />हम तो आपकी चिन्ता में वजन खो रहे थे, आप और मजबूत हो उभरे हैं। भगवान आप पर रक्षा-कवच चढ़ाये रखे।<br /><br />@ Mrs. Asha Joglekar<br />आपने जो मूल प्रश्न उठाया है, वह इतना गहरा है कि एक बार उसमें उतरने के बाद बाहर आना कठिन हो जाता है। बहुत कुछ सोचने को विवश करते हैं प्रश्न।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-66028642555146093022010-11-10T02:06:03.408+05:302010-11-10T02:06:03.408+05:30Prashn aur uttar yahee hai jeewan. Ek prashn ka ut...Prashn aur uttar yahee hai jeewan. Ek prashn ka uttar dhoondo to doosara hajir. har koee apani satah par apne prasno ka uttar dhoond hee leta hai. par sabse bada prashn ki hamara yahan aane ka prayojan kdya hai anuttarit hee rah jata hai. aapke lekh ne dekhiye kitanee uthal uthal macha dee.Asha Joglekarhttps://www.blogger.com/profile/05351082141819705264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-72308762127250480552010-11-10T00:12:33.708+05:302010-11-10T00:12:33.708+05:30कैसे हैं आप? अभी तो आपकी छूटी हुई सारी पोस्टें पढन...कैसे हैं आप? अभी तो आपकी छूटी हुई सारी पोस्टें पढनी हैं.... इत्मीनान से पढ़ता हूँ.... डिस्चार्ज हो कर...डॉ. महफूज़ अली (Dr. Mahfooz Ali)https://www.blogger.com/profile/13152343302016007973noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-43137619226074956042010-11-09T21:09:10.942+05:302010-11-09T21:09:10.942+05:30@ shikha varshney
यदि प्रकृति प्रश्न न खड़े करे तो...@ shikha varshney<br />यदि प्रकृति प्रश्न न खड़े करे तो हम कुछ सीख ही नहीं सकते हैं, छोटे मोटे कष्टों को भी परीक्षा की भाँति लेना चाहिये।<br /><br />@ रचना दीक्षित<br />जो प्रश्न में जितना अधिक उतरता है, ज्ञान उसको उतना ही मिलता है। परीक्षा के अतिरिक्त भी प्रश्नों की श्रंखला है जीवन में।<br /><br />@ राम त्यागी <br />सुन्दर दृष्टान्त, खरा या बिखरा।<br /><br />@ Anand Rathore<br />बड़ा स्वाभाविक प्रश्न पूछ दिया है आपने।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-66310937929627812222010-11-09T21:03:56.417+05:302010-11-09T21:03:56.417+05:30@ JHAROKHA
जीवन में अब तक परीक्षायें देते रहने से ...@ JHAROKHA<br />जीवन में अब तक परीक्षायें देते रहने से उन पर कुछ कह पाने का साहस जुटा लिया है।<br /><br />@ विनोद शुक्ल-अनामिका प्रकाशन<br />जीवन के प्रश्न बहुत कठिन है, समझ में नहीं आता है कहाँ से उत्तर देना प्रारम्भ करें।<br /><br />@ सतीश सक्सेना<br />प्रश्न बड़े गूढ़ अर्थ लेकर आते हैं जीवन में और बहुत कुछ देकर जाते हैं जब हल हो जाते हैं। प्रश्नों का यही स्वरूप आकर्षित करता है।<br /><br />@ Arvind Mishra<br />आँख कान खुला रख कर तो जीवन में यही लगता है कि जग बिना हमारी जानकारी के नहीं चल रहा है।<br /><br />@ दिगम्बर नासवा <br />प्रश्नों में उत्तर छिपा कर देने की समुन्नत कला केवल ईश्वर को ही आती है।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-44237726141478373422010-11-09T03:00:57.770+05:302010-11-09T03:00:57.770+05:30ye sochta hoon main , ki kya sochta hoon main..wo ...ye sochta hoon main , ki kya sochta hoon main..wo baat kya hai aksar jo sochta hoon main... <br /><br />jiska javab chahiye wo kya sawal hai?Anand Rathorehttps://www.blogger.com/profile/14768779067635315825noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-23932930551660021782010-11-08T23:01:43.271+05:302010-11-08T23:01:43.271+05:30प्रवीण जी , सही कहा कितने इशारे हैं हर प्रश्न में ...प्रवीण जी , सही कहा कितने इशारे हैं हर प्रश्न में और ये प्रश्नों की ही माया है जिस पर कोई खरा तो कोई बिखरा !राम त्यागीhttps://www.blogger.com/profile/05351604129972671967noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-5408916260691699932010-11-08T18:18:35.223+05:302010-11-08T18:18:35.223+05:30प्रवीण जी आपकी दार्शनिकता, प्रश्न व प्रशन पत्रों म...प्रवीण जी आपकी दार्शनिकता, प्रश्न व प्रशन पत्रों में उलझ गयी हूँ. इस प्रश्नपत्रों वाले विभाग से सालों जुड़ी रही हूँ सो इतना जानती हूँ की प्रशन पत्र तो एक ही होता है पर प्रश्न उसमे अति साधारण, साधारण और बुद्धिमान हर तरह के विद्यार्थी के लिए होता है निर्धारित हमें करना होता है की हम किस श्रेणी में आते हैं पर प्रभु के प्रश्न पत्र में प्रश्न भी उसके और निर्धारित भी वही करता है की हम किस श्रेणी में आते हैंरचना दीक्षितhttps://www.blogger.com/profile/10298077073448653913noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-36250922099874484462010-11-08T14:55:13.395+05:302010-11-08T14:55:13.395+05:30बहुत सारे प्रश्न खड़े कर दिए .प्रकृति प्रश्न खड़े ...बहुत सारे प्रश्न खड़े कर दिए .प्रकृति प्रश्न खड़े ही न करे तो जीवन के उत्तर ही नहीं मिलेंगे..<br />गहन चिंतन.विचारणीय आलेख.shikha varshneyhttps://www.blogger.com/profile/07611846269234719146noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-78384246761382887012010-11-08T13:38:45.306+05:302010-11-08T13:38:45.306+05:30सच कहा .. इश्वर ... प्रकृति ... ये तो सबसे बड़े पर...सच कहा .. इश्वर ... प्रकृति ... ये तो सबसे बड़े परीक्षक हैं ... कदम कदम पर ऐसे प्रश्न जीवन में आते रहते हैं जिनका उत्तर उन्ही में छिपा होता है ... बहुत अच्छी पोस्ट है .... गहन दार्शनिक चिन्तन ....दिगम्बर नासवाhttps://www.blogger.com/profile/11793607017463281505noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-40025220115882414732010-11-08T13:01:37.846+05:302010-11-08T13:01:37.846+05:30दार्शनिकता का पुट सम्पुट लिए यह आलेख तो कुछ उस अपठ...दार्शनिकता का पुट सम्पुट लिए यह आलेख तो कुछ उस अपठित सरीखा लग रहा है जिसे परीक्षाओं में हम बिना तैयारी के ही हल करने में अपने ज्ञान और विज्ञान की सारी समझ ही झोंक देते थे और हर आँख कान ठीक वाला यही समझता था की अपठित गद्यांश को उससे बेहतर न तो किसी ने समझा है और न ही हल किया है ....<br />आज इस लेख से उसी अपठित की स्मृति ताजा हो आयी ! :)Arvind Mishrahttps://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-76445409219155109372010-11-08T12:01:49.013+05:302010-11-08T12:01:49.013+05:30"प्रश्न अखरते हैं, डराते हैं, विचलित कर जाते ..."प्रश्न अखरते हैं, डराते हैं, विचलित कर जाते हैं, चाहे बच्चों के हों या सच्चों के। उनका प्रतीक चिन्ह भी डरावना, फन फैलाये सर्प की तरह"<br />प्रश्न पर एक बेहतरीन पोस्ट लिख डाली और शुरू से अंत तक रुचिकर ....कमाल है प्रवीण भाई !<br />हार्दिक शुभकामनायें !Satish Saxena https://www.blogger.com/profile/03993727586056700899noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-67755906730611074922010-11-08T09:06:12.230+05:302010-11-08T09:06:12.230+05:30बडे ही जटिल और गूढ प्रश्न छिपा रखें हैं जीवन ने अप...बडे ही जटिल और गूढ प्रश्न छिपा रखें हैं जीवन ने अपने में। और बडा ही जटिल, गूढ और दार्शनिक प्रश्न छिपा है आपके मन में भी। <br />क्या मन को, जीवन को और जीवन पथ को, समझ पाना इतना सहज है?विनोद शुक्ल-अनामिका प्रकाशनhttps://www.blogger.com/profile/18173585318852399276noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-66621537505293208522010-11-07T21:09:35.827+05:302010-11-07T21:09:35.827+05:30ज्ञान का स्वरूप सदा ही परीक्षाओं में तिरोहित होता ...ज्ञान का स्वरूप सदा ही परीक्षाओं में तिरोहित होता रहा। जीवन भी परीक्षाओं से भरा रहता है, कोई नियत पाठ्यक्रम नहीं, किस दिशा से आयेगी ज्ञात नहीं, अग्नि परीक्षा, अस्तित्व झुलसाती, तिक्त निर्णयों की बेला, श्रंखलायें सतत प्रश्नपूरित परीक्षाओं की। परीक्षाओं का उद्देश्य हमें परखने के लिये, हमें नीचा दिखाने के लिये, हमें सिखाने के लिये या मानसिक व्यग्रता व उत्तेजना उभारने के लिये<br />bilkul yatharth-purn vichaar<br /> poonam ।पूनम श्रीवास्तवhttps://www.blogger.com/profile/09864127183201263925noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-84680357238819885852010-11-07T21:05:58.448+05:302010-11-07T21:05:58.448+05:30praveen ji is umra me aapki itani gahari darshnikt...praveen ji is umra me aapki itani gahari darshnikta purt baaten,waqai aapke lekhan ko aaj is pawan parv ki badhai dete huye salaam karti hun.<br />shubh-kamnaao sahit----<br /> poonamपूनम श्रीवास्तवhttps://www.blogger.com/profile/09864127183201263925noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-57085571727817945772010-11-07T20:23:48.276+05:302010-11-07T20:23:48.276+05:30@ नरेश सिह राठौड़
उत्तर जब कठिन हो जाते हैं, हम प...@ नरेश सिह राठौड़ <br />उत्तर जब कठिन हो जाते हैं, हम प्रश्नों के संग जीना प्ररम्भ कर देते हैं। <br /><br />@ ashish<br />प्रश्नों की बौछारे तो हर जीवन में आती हैं, अप्रत्याशित।<br /><br />@ अनुपमा पाठक<br />ईश्वर से नाराज़गी तभी रहती है जब हम उत्तर निर्धारित कर उससे उसका प्रश्न पूछने लगते हैं।<br /><br />@ अशोक बजाज <br />प्रश्नोत्तर में कटता जीवन हमारा।<br /><br />@ Dorothy<br />जीवन की गूढ़तम पर्तों में प्रश्न और उत्तर का द्वन्द नहीं है, सब एक ही अस्तित्व धरे हैं वहाँ पर।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-3334975605078552282010-11-07T20:11:41.410+05:302010-11-07T20:11:41.410+05:30इन्ही के इर्द गिर्द तो जीवन का समस्त कार्य व्यापार...इन्ही के इर्द गिर्द तो जीवन का समस्त कार्य व्यापार केन्द्रित है. जीवन में दोनों के अंतर्संबंधों को दर्शाता एक विचारोत्तेजक आलेख. आभार. <br />सादर,<br />डोरोथी.Dorothyhttps://www.blogger.com/profile/03405807532345500228noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-12241893438689315662010-11-07T17:24:38.421+05:302010-11-07T17:24:38.421+05:30एक सवाल मैं करूँ, एक सवाल तुम करो
हर सवाल का सवाल ...एक सवाल मैं करूँ, एक सवाल तुम करो<br />हर सवाल का सवाल ही जवाब हो…ASHOK BAJAJhttps://www.blogger.com/profile/07094278820522966788noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-58031414448551764552010-11-07T16:58:55.983+05:302010-11-07T16:58:55.983+05:30"ईश्वर भी एक कुशल परीक्षक है, छोटे प्रश्नों म..."ईश्वर भी एक कुशल परीक्षक है, छोटे प्रश्नों में बड़े उत्तर छिपा कर आत्मजनों को अभिभूत करता रहता है।"<br />sutra vakya si saarthak pankti!<br />vicharsheel aalekh!!!<br />enlightening!!!!अनुपमा पाठकhttps://www.blogger.com/profile/09963916203008376590noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-26411917219920277972010-11-07T14:34:58.860+05:302010-11-07T14:34:58.860+05:30प्रश्नों के बौछार और उत्तर दिये जाने के बाद मै पहु...प्रश्नों के बौछार और उत्तर दिये जाने के बाद मै पहुच पाया. सुन्दर चिंतन .ashishhttps://www.blogger.com/profile/07286648819875953296noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-59878424131757962802010-11-07T13:40:44.471+05:302010-11-07T13:40:44.471+05:30जिसने सभी प्रशनो के उत्तर खोज लिये वो ही सबसे बड़ा ...जिसने सभी प्रशनो के उत्तर खोज लिये वो ही सबसे बड़ा ज्ञानी है |naresh singhhttps://www.blogger.com/profile/16460492291809743569noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-39066103914472632122010-11-07T12:30:05.986+05:302010-11-07T12:30:05.986+05:30@ वन्दना
बहुत धन्यवाद आपका।
@ क्षितिजा ....
प्रश्...@ वन्दना<br />बहुत धन्यवाद आपका।<br /><br />@ क्षितिजा ....<br />प्रश्नों में उलझ जाने का नाम तो जीवन नहीं हो सकता है। प्रश्नों को सहेज कर रख लेने की कला सीखनी होगी हम सबको, उत्तर अनवरत आते रहेंगे, नये प्रश्नों के रूप में।<br /><br />@ Smart Indian - स्मार्ट इंडियन<br />यही अन्तर तो निर्णायकों से नायकों को अलग करता है।<br /><br />@ डॉ॰ मोनिका शर्मा <br />यदि निश्चित पाठ्यक्रम नहीं तो जितना भी सीखा जाये, सानन्द सीखा जाये।<br /><br />@ संतोष त्रिवेदी ♣ SANTOSH TRIVEDI <br />फन फैलाये सर्पों के सम्मुख जो सहज रहता है, शान्ति वहीं निवास करती है।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-21445719016373954662010-11-07T12:19:07.455+05:302010-11-07T12:19:07.455+05:30@ ZEAL
अधिक प्रश्न होने से उत्तर मिलने की प्रायिक...@ ZEAL <br />अधिक प्रश्न होने से उत्तर मिलने की प्रायिकता भी बढ़ जाती है।<br /><br />@ केवल राम<br />आपने बड़ी दार्शनिक बात कही है। मृत्यु हमारे जीवन का उत्तर है औऱ मृत्यु का उत्तर है यह जीवन। दोनों ही प्रश्न हैं और दोनों ही उत्तर।<br /><br />@ Manoj K<br />अवलोकन प्रश्न लेकर आता है और उत्तर लेकर भी। पता नहीं उस समय हम किस रूप में लेते हैं उसे।<br /><br />@ cmpershad<br />प्रश्न और उत्तर का भ्रम मिटा, दोनों को ही ज्ञान का आकार मान लें हम।<br /><br />@ मनोज कुमार<br />बहुत धन्यवाद आपका।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.com