tag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post2785181982261294104..comments2024-03-17T19:33:00.050+05:30Comments on न दैन्यं न पलायनम्: आपकी भी मूर्खता छटपटाती है?प्रवीण पाण्डेयhttp://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comBlogger65125tag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-24187340093836788912010-09-11T20:31:38.521+05:302010-09-11T20:31:38.521+05:30@ सिद्धार्थ शंकर त्रिपाठी
वैज्ञानिकों के घर में जा...@ सिद्धार्थ शंकर त्रिपाठी<br />वैज्ञानिकों के घर में जाने से यह गुण तो आपको मिलने से रहा।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-1823348011951918692010-09-07T00:14:47.380+05:302010-09-07T00:14:47.380+05:30ओह! इतनी जानदार पोस्ट मुझसे छूट गयी थी। वैज्ञानिको...ओह! इतनी जानदार पोस्ट मुझसे छूट गयी थी। वैज्ञानिकों के मुहल्ले में जाने का एक और नुकसान। जब यह रसधार बही होगी तब मैं रेलगाड़ी में बैठकर नखलौ के रास्ते पर रहा हूंगा।<br /><br />बौड़म बने रहने में इतना मजा है कि पूछिए मत। जो ज्यादा बुद्धिमान हैं उनका इनपर झुंझलाना और खम्बा नोचना खूब जमता है। :)सिद्धार्थ शंकर त्रिपाठीhttps://www.blogger.com/profile/04825484506335597800noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-58579541867164535042010-09-04T23:34:29.128+05:302010-09-04T23:34:29.128+05:30@ राम त्यागी
तब लगा कर आ जाइये, पता तो बहुतों को न...@ राम त्यागी<br />तब लगा कर आ जाइये, पता तो बहुतों को नहीं लगता। पता नहीं कितने डुबकी लगाये महाशयों को बरस लग गये पहचानने में।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-82416279412016143792010-09-01T07:07:15.891+05:302010-09-01T07:07:15.891+05:30कई डुबकियां लगाने का मन है पार्थ !!कई डुबकियां लगाने का मन है पार्थ !!राम त्यागीhttps://www.blogger.com/profile/05351604129972671967noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-74894750623594164382010-08-29T11:11:54.888+05:302010-08-29T11:11:54.888+05:30@ Sheelnidhi
बहुत धन्यवाद।
@ नीरज गोस्वामी
लगता ह...@ Sheelnidhi<br />बहुत धन्यवाद।<br /><br />@ नीरज गोस्वामी<br />लगता है विद्वता व आनन्द में कोई पुरानी दुश्मनी है।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-72150927041916056762010-08-29T11:09:57.988+05:302010-08-29T11:09:57.988+05:30@ रचना दीक्षित
कभी कभी हाथ में वह काम आया देखता हू...@ रचना दीक्षित<br />कभी कभी हाथ में वह काम आया देखता हूँ जो कि बहुत पहले ही हो जाना चाहिये था, तब लगता है कि पूर्ववर्ती इस मानसिकता से अभिभूत रहे होंगे।<br /><br />@ Rahul Singh<br />हम उन तीनों तरह की मूर्खताओं को स्वयं पर सिद्ध कर चुके हैं। यदि हमारी डायरी किसी के हाथ लग गयी तो उसका ब्लॉग हिट होना तो तय है, साथ ही मेरा भी हिटलिस्ट में आ जाना।<br /><br />@ महफूज़ अली<br />आपको क्या कभी कभी नहीं लगता है कि जहाँ पर बौद्धिकता की चासनी बह रही हो, वहाँ पर बुद्धू बने रहना ही उचित? <br /><br />@ काजल कुमार Kajal Kumar<br />स्वप्न में यह सब देखने का तो दण्ड नहीं मिलना चाहिये। जिस दिन यह स्वप्न देखा, बहुत अधिक कार्य किया।<br /><br />@ हरकीरत ' हीर'<br />मैंने कई बार यह होते देखा है। आप डाँट न खाये, इसके लिये बीच बीच में थोड़ा ज्ञान दे दिया कीजिये।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-87009933997226394712010-08-28T19:04:34.455+05:302010-08-28T19:04:34.455+05:30जो आनंद मूर्खता में है वो विद्वता में कहाँ...विद्व...जो आनंद मूर्खता में है वो विद्वता में कहाँ...विद्वता से जितनी दूर रहेंगे आनंद उतने ही आपके पास आएगा...<br />नीरजनीरज गोस्वामीhttps://www.blogger.com/profile/07783169049273015154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-44197830047728200192010-08-28T16:13:15.110+05:302010-08-28T16:13:15.110+05:30Its Really nice.Its Really nice.Sheelnidhihttps://www.blogger.com/profile/06945178321518776605noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-55295116846760602652010-08-27T22:07:27.689+05:302010-08-27T22:07:27.689+05:30जब तक पूछा न जाये, स्वतःस्फूर्त प्रश्नों के उत्तर ...जब तक पूछा न जाये, स्वतःस्फूर्त प्रश्नों के उत्तर न दें। पूछने पर भी, समझने का समुचित प्रयास करते हुये से तब तक प्रतीत होते रहिये जब तक प्रश्नकर्ता स्वयं ही उत्तर न दे बैठे।<br /><br />जी प्रवीण जी मैं तो ऐसा ही करती हूँ जितना पूछा जाये उतना ही जवाब ...हाँ.या न में .....<br /><br />हा...हा...हा...पर कई बार डांट खानी पड़ती है इस स्वभाव से ......!!हरकीरत ' हीर'https://www.blogger.com/profile/09462263786489609976noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-59680135517009971952010-08-27T22:02:50.882+05:302010-08-27T22:02:50.882+05:30ऐसे ऐसे सूत्र देंगे तो नौकरशाहों को तो दुश्मन बना ...ऐसे ऐसे सूत्र देंगे तो नौकरशाहों को तो दुश्मन बना लेने में सफल हो ही जाएंगे आप (निश्चय ही) :-)Kajal Kumar's Cartoons काजल कुमार के कार्टूनhttps://www.blogger.com/profile/12838561353574058176noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-74366669441282096662010-08-27T20:27:27.119+05:302010-08-27T20:27:27.119+05:30ग़ज़ब की पोस्ट....सच में कभी कभी मुर्खता भी छटपटात...ग़ज़ब की पोस्ट....सच में कभी कभी मुर्खता भी छटपटाती है....<br /><br /><br />I am in haste.... now.... that's why.... just acknowledging ....डॉ. महफूज़ अली (Dr. Mahfooz Ali)https://www.blogger.com/profile/13152343302016007973noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-48674962968526336052010-08-27T19:44:23.169+05:302010-08-27T19:44:23.169+05:30तटस्थ और ईमानदार अभिव्यक्ति, ऐसा लग रहा था मानों...तटस्थ और ईमानदार अभिव्यक्ति, ऐसा लग रहा था मानों कोई निजी डायरी अनायास हाथ लग गई है. पोस्ट जैसा महत्वपूर्ण और पोस्ट से अधिक रोचक टिप्पणियों पर टिप्पणी, बधाई.<br />कहा जाता है आदमी सिर्फ तीन जगह मूर्ख साबित होता है- पत्नी के सामने, संतान के सामने और आईने के सामने. इसके अतिरिक्त भी कहीं मूर्खता उपलब्ध हो जाए, तब तो परमहंसी मुबारक.Rahul Singhhttps://www.blogger.com/profile/16364670995288781667noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-37403831198132034652010-08-27T17:58:32.238+05:302010-08-27T17:58:32.238+05:30बने रहो पगला,
काम करेगा अगला।
अच्छा लगा छ: सूत्...बने रहो पगला, <br /><br />काम करेगा अगला। <br />अच्छा लगा छ: सूत्रीय कार्यक्रम बहुत अच्छी प्रस्तुति।रचना दीक्षितhttps://www.blogger.com/profile/10298077073448653913noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-26847633700299775812010-08-27T14:35:17.934+05:302010-08-27T14:35:17.934+05:30@ Ratan Singh Shekhawat
बताईये, यह ज्ञान कब से बिख...@ Ratan Singh Shekhawat<br />बताईये, यह ज्ञान कब से बिखरा पड़ा है, हमें अब समझ में आया। <br /><br />@ बेचैन आत्मा<br />कई लोग चला रहे हैं पहले से यह यह पद्धति। ज्ञान-प्राप्ति के बाद उनकी विद्वता को प्रणाम किया जा सकता है। पहले तो क्रोध ही आता था।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-50022283682198622502010-08-27T12:27:14.942+05:302010-08-27T12:27:14.942+05:30@ rajiv
मूर्ख होना मूर्खता हो सकता है, मूर्ख दिखना...@ rajiv<br />मूर्ख होना मूर्खता हो सकता है, मूर्ख दिखना तो विद्वता है।<br /><br />@ hem pandey<br />बहुत ही गहरी बात है आपकी।<br /><br />@ neelima sukhija arora<br />लिखने की हिम्मत तो आ गयी, अपनाने में कठिनाई हो जायेगी।<br /><br />@ KK Yadava<br />बहुत धन्यवाद।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-68995442874454056282010-08-27T11:27:45.553+05:302010-08-27T11:27:45.553+05:30@ शेफाली पाण्डे
आप बड़ी भाग्यशाली हैं। हम तो मूढ़स...@ शेफाली पाण्डे<br />आप बड़ी भाग्यशाली हैं। हम तो मूढ़सम हैं, सुनकर भी नहीं सीख पा रहे हैं।<br /><br />@ Divya<br />स्वयं को मूर्ख मान लेने से कोई अपेक्षा ही नहीं रह जाती है किसी को। मुस्कराने का आनन्द तब ही है जब सामने वाला समझ न पाये।<br /><br />@ राज भाटिय़ा<br />गलती कर के ज्ञान आया, ज्ञान से कष्ट हुआ, कष्ट से वैराग्य हुआ, अब सामने वाला कहता है तो कहता रहे कि गलती कर रहे हो।<br /><br />@ डॉ महेश सिन्हा<br />यही निर्लिप्तता तो अध्यात्म की पहली सीढ़ी है।<br /><br />@ Readers Cafe<br />आप तो अभी से अमल में लाना प्रारम्भ कर दिये हैं।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-38386248287926249512010-08-27T09:44:06.332+05:302010-08-27T09:44:06.332+05:30@ अजित वडनेरकर
आपका मत आ गया, अब तो विश्वास हो गय...@ अजित वडनेरकर <br />आपका मत आ गया, अब तो विश्वास हो गया कि मूर्खता एक क्षमता है।<br /><br />@ नरेश सिह राठौड़<br />सच में, ग्रहणीय और संग्रहणीय।<br /><br />@ पी.सी.गोदियाल<br />जब मैं लिख रहा था तो एक ऐसे ही व्यक्तित्व का चेहरा मेरे सामने घूम रहा था।<br /><br />@ मो सम कौन ? <br />सार्वजनिक रूप से लिख देने से पालन करने का दबाव बना रहेगा जीवन भर।<br /><br />@ Shah Nawaz<br />बहुत धन्यवाद।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-87306580745800815212010-08-27T09:36:01.606+05:302010-08-27T09:36:01.606+05:30@ सत्यप्रकाश पाण्डेय
बहुत धन्यवाद।
@ Himanshu Moh...@ सत्यप्रकाश पाण्डेय<br />बहुत धन्यवाद।<br /><br />@ Himanshu Mohan<br />हमको तो तत्वज्ञान समझने में दिमाग का फिचकुर निकलता सा प्रतीत होता है।<br /><br />@ rashmi ravija<br />जिसके सामने इनका उपयोग हो, उसे पता न चले।<br /><br />@ shikha varshney <br />बहुत धन्यवाद।<br /><br />@ शोभना चौरे <br />यदि विद्वान भी इस जाने लगे तो मूर्खता तो विद्यता की पराकाष्ठा हुयी।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-79635089632767045302010-08-27T09:22:34.276+05:302010-08-27T09:22:34.276+05:30@ संगीता स्वरुप ( गीत )
पर तब हम अपने लेख को कैसे...@ संगीता स्वरुप ( गीत ) <br />पर तब हम अपने लेख को कैसे जी पायेंगे।<br /><br />@ हास्यफुहार<br />सच है कि क्यों बताया जाये कि यह क्षमता है कि विकलांगता? चलिये सबको हँसाया जाये।<br /><br />@ Mithilesh dubey <br />बहुत धन्यवाद।<br /><br />@ P.N. Subramanian <br />मूर्खता के ऊपर अलग अध्याय लिखे जायें तब।<br /><br />@ रंजना<br />सच में, औरों को फायदा उठाते देख बड़ी कोफ्त होती है।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-9801991321824225832010-08-27T09:07:23.661+05:302010-08-27T09:07:23.661+05:30@ सतीश सक्सेना
मूर्खता हम सबका जन्मसिद्ध अधिकार है...@ सतीश सक्सेना<br />मूर्खता हम सबका जन्मसिद्ध अधिकार है और वह हम सबको पाकर रहना चाहिये। अरे, यह तो विद्यतापूर्ण वक्तव्य हो गया।<br /><br />@ Arvind Mishra<br />एक शब्द से हमारा सारा ज्ञान घोल दिया।<br /><br />@ Akshita (Pakhi)<br />बेटा, आप सदैव परिश्रम करते रहिये। यह सपने में देखा हमने।<br /><br />@ महेन्द्र मिश्र <br />इस प्रकार के सुख के ओवरडोज़ का कोई साइड इफेक्ट तो नहीं?<br /><br />@ Raviratlami<br />स्वयं ही निकल भागी मूर्खता का उपाय तो ढूढ़ना पड़ेगा।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-42830995952260934132010-08-27T08:46:57.908+05:302010-08-27T08:46:57.908+05:30@ वाणी गीत
आपको बधाई हो। हमारी तो विद्यता हार मान...@ वाणी गीत <br />आपको बधाई हो। हमारी तो विद्यता हार मानने को तैयार ही नहीं। बहुत समझाना पड़ रहा है।<br /><br />@ अनूप शुक्ल<br />बुद्धत्व-बुद्धूत्व<br />इस संसार में दुख है-बना रहे।<br />उस दुख का कारण है-वो भी बना रहे।<br />वह कारण तृष्णा है-हरे कृष्णा, हरे कृष्णा।<br />उस पर विजय पाना है-चलते हैं,अभी नहाना है।<br /><br />@ रंजन<br />कोई और मूर्ख बनाना चाहे तो कठिन है। स्वयं अपने आप को मूर्ख बना पाना और भी कठिन है।<br /><br />@ अभिषेक ओझा <br />ज्ञान दे रहे हैं कि ले रहे हैं?<br /><br />@ दिनेशराय द्विवेदी Dineshrai Dwivedi<br />जब जीवन में दोनो साथ साथ रहते हैं तो विलोम कैसे हुये? वही तो मेरा भी अनुभव है।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-32023998205703805272010-08-27T08:26:01.857+05:302010-08-27T08:26:01.857+05:30@ डॉ. मोनिका शर्मा
कई सीख तो आपको मिल गयी हैं। आप...@ डॉ. मोनिका शर्मा <br />कई सीख तो आपको मिल गयी हैं। आपको कुछ सुख-अनुभव हो तो हमें अवश्य बतायें।<br /><br />@ M VERMA<br />मूर्खता के सात्विक पहलू हैं ये 6 उपाय। अहिसात्मक मूर्खता, हिंसात्मक मूर्खता से कम घातक है।<br /><br />@ Smart Indian - स्मार्ट इंडियन<br />आपके तीनों उपाय भी गाँठ बाँध लिये। अधिक सोचना ही सब समस्याओं का ईधन है।<br /><br />@ Mrs. Asha Joglekar<br />तभी तो यह मत रखा था कि मूर्खता शब्द का अति अवमूल्यन हुआ है।<br /><br />@ Udan Tashtari<br />यदि स्वामी बना देंगे तो अपने सूत्रों का पालन करना कठिन हो जायेगा। अभी तो अपनी पूँछ पकड़ने के लिये नहीं दौड़ना है।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-92155728411757349722010-08-26T21:08:03.236+05:302010-08-26T21:08:03.236+05:30दफ्तर में इस नीति का पर्याप्त प्रचार-प्रसार होना च...दफ्तर में इस नीति का पर्याप्त प्रचार-प्रसार होना चाहिए. वैसे भी कलि काल में चाणक्य नीति के स्थान पर दूसरी विकसित नीति की खोज चल रही थी. <br />प्रवीण नीति..! नया भाग्योदय हुआ! मूर्खता की छटपटाहट कम हुई.<br />..आभार.देवेन्द्र पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/07466843806711544757noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-61415909434142691272010-08-26T19:32:53.535+05:302010-08-26T19:32:53.535+05:30आपकी पोस्ट पढ़कर जोधपुर की एक कपडा फेक्ट्री के मुन...आपकी पोस्ट पढ़कर जोधपुर की एक कपडा फेक्ट्री के मुनीम का डायलोक याद गया - " जै सुख चावै जीवड़ा ,तो मुरख बण कै जिव "Gyan Darpanhttps://www.blogger.com/profile/01835516927366814316noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-41092982466755714212010-08-26T17:41:38.545+05:302010-08-26T17:41:38.545+05:30मूर्खता पर सुन्दर आख्यान...बढ़िया है.मूर्खता पर सुन्दर आख्यान...बढ़िया है.KK Yadavhttps://www.blogger.com/profile/05702409969031147177noreply@blogger.com