tag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post2666260080276137675..comments2024-03-17T19:33:00.050+05:30Comments on न दैन्यं न पलायनम्: मन - स्वरूप, कार्य, अवस्थायेंप्रवीण पाण्डेयhttp://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comBlogger33125tag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-78078232567066311422013-08-25T23:51:17.122+05:302013-08-25T23:51:17.122+05:30तुरीय अवस्था - अंतिम लक्ष्य !तुरीय अवस्था - अंतिम लक्ष्य !Rahul Paliwalhttps://www.blogger.com/profile/10172932105201007746noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-22239142163296768042013-08-23T18:47:32.968+05:302013-08-23T18:47:32.968+05:30बहुत ही ज्ञानपूर्ण लेखन ,एक से बढकर एक ....बैक २ ब...बहुत ही ज्ञानपूर्ण लेखन ,एक से बढकर एक ....बैक २ बैक ....मांडूक्य उपनिषद की रोचक जानकारी शेयर करने के लिए ,आभार |विश्व का समस्त ज्ञान एक ओर ,हमारे वेद-उपनिषद एक ओर तो ऐसा लगेगा की सारा ज्ञान श्रोत वेद/उपनिषद ही हैं |Dr ajay yadavhttps://www.blogger.com/profile/17231136774360906876noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-55093768536422262322013-08-23T15:05:23.488+05:302013-08-23T15:05:23.488+05:30अच्छा होता, इनमें कहीं भगवान बुद्ध का भी जिक्र होत...अच्छा होता, इनमें कहीं भगवान बुद्ध का भी जिक्र होता। वे मन, मन की विभिन्न अवस्थाओं, सुख दुख आदि की गहराइयों में पहुंचे। उन्होंने उनके कारणों की खोज की और समूची मानवता को इस बंधन से मुक्त होने का रास्ता दिखाया।संतोष पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/06184746764857353641noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-345177118918171892013-08-23T08:39:46.755+05:302013-08-23T08:39:46.755+05:30एक शाश्वत सत्य---'' उद्गम और अंत सदा एक ही...एक शाश्वत सत्य---'' उद्गम और अंत सदा एक ही है '' . मन भी अपवाद नहीं है.Amrita Tanmayhttps://www.blogger.com/profile/06785912345168519887noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-75283593030187895212013-08-22T20:41:44.265+05:302013-08-22T20:41:44.265+05:30दुरूह विषय की सरल व्याख्या ,फिर भी समझ पाना सरल नह...दुरूह विषय की सरल व्याख्या ,फिर भी समझ पाना सरल नहीं । <br />लगता है जैसे ईश्वर ने प्रत्येक मनुष्य के मन में एक 'इंटरप्रेटर' स्थापित कर रखा है जो उस व्यक्ति के मन की भाषा को उस व्यक्ति द्वारा प्रयुक्त भाषा में तत्काल ही परिवर्तित कर देता है । amit kumar srivastavahttps://www.blogger.com/profile/10782338665454125720noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-72413146406688436042013-08-22T18:34:26.092+05:302013-08-22T18:34:26.092+05:30निश्चित रुप से हम एक स्थूल भाषा रच कर उसमें अपने अ...निश्चित रुप से हम एक स्थूल भाषा रच कर उसमें अपने अस्तित्व की सूक्ष्मता ठूँसने के प्रयास को बौद्धिक उपलब्धि का उन्नतशिखर माने बैठे हैं और हमारे पूर्वज न केवल तुरीय आदि अवस्थाओं को अनुभव कर सके, वरन उसे सूत्रों के रूप में हमे व्यवस्थित रूप से समझा भी गये।........................... सकल सृष्टि से अपने संबंधों का अनुभव कराता अत्यन्त गूढ़ एवं विचारणीय आलेख। Harihar (विकेश कुमार बडोला) https://www.blogger.com/profile/02638624508885690777noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-58047531722882648462013-08-22T18:28:22.780+05:302013-08-22T18:28:22.780+05:30कोशिश जारी है और आगे भी जारी रहेगी... कोशिश जारी है और आगे भी जारी रहेगी... Pallavi saxenahttps://www.blogger.com/profile/10807975062526815633noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-29458888785315549442013-08-22T18:08:05.808+05:302013-08-22T18:08:05.808+05:30गहन सूत्रों का अध्ययन कर हम सभी के लिए आसान कर रहे...गहन सूत्रों का अध्ययन कर हम सभी के लिए आसान कर रहे हैं आप ...!!सारगर्भित आलेख ।Anupama Tripathihttps://www.blogger.com/profile/06478292826729436760noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-19341646459869312692013-08-22T13:09:38.135+05:302013-08-22T13:09:38.135+05:30बहुत बढ़िया वर्णन, मन, बुद्धि और देह का ! मैंने भी...बहुत बढ़िया वर्णन, मन, बुद्धि और देह का ! मैंने भी अभी कुछ दिन पहले एक लेख लिखा था, स्वर्ग कामना और …. उसमे शुरुआती पैराग्राफों में वर्णित कुछ बातों को विस्तार मिल गया आपके इस आलेख से ! पी.सी.गोदियाल "परचेत"https://www.blogger.com/profile/15753852775337097760noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-89528666534418324322013-08-22T09:10:15.252+05:302013-08-22T09:10:15.252+05:30मन को अ -मन कर दिया इस पोस्ट ने मन आनंदमय हो गया...मन को अ -मन कर दिया इस पोस्ट ने मन आनंदमय हो गया। शुक्रिया आपके प्रेरक सारतत्व संसिक्त टिप्पणियों का। virendra sharmahttps://www.blogger.com/profile/02192395730821008281noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-67379189973175449572013-08-22T08:26:44.602+05:302013-08-22T08:26:44.602+05:30मन से मन को राह होती है , जैसे बिना बोले माँ और उ...मन से मन को राह होती है , जैसे बिना बोले माँ और उसके नवजात बच्चे के बीच बातें होती हैं !वाणी गीतhttps://www.blogger.com/profile/01846470925557893834noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-55463006542808108822013-08-22T07:41:44.322+05:302013-08-22T07:41:44.322+05:30बढ़िया चिंतन ..
आपके जरिये अब उपनिषद भी पढने को मि...बढ़िया चिंतन ..<br />आपके जरिये अब उपनिषद भी पढने को मिले ! समझ कितना आयेंगे पता नहीं :)Satish Saxena https://www.blogger.com/profile/03993727586056700899noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-49312076915945416182013-08-22T07:18:05.319+05:302013-08-22T07:18:05.319+05:30ऊधौ मन न भये दस बीस ऊधौ मन न भये दस बीस www.navincchaturvedi.blogspot.comhttps://www.blogger.com/profile/07881796115131060758noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-68317024488916086572013-08-22T01:20:11.449+05:302013-08-22T01:20:11.449+05:30मन की भाषा का तो पता नहीं, लेकिन भाषा के बिना शायद...मन की भाषा का तो पता नहीं, लेकिन भाषा के बिना शायद मन को भी व्यक्त करने में बड़ी दिक्कत होती होगी. बहरहाल यह शृंखला बहुत अच्छी बन पड़ी है.भारतीय नागरिक - Indian Citizenhttps://www.blogger.com/profile/07029593617561774841noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-12450333043343998342013-08-21T22:13:43.521+05:302013-08-21T22:13:43.521+05:30---सुन्दर विवेचना ...
---सत्य ही मन के बारे में द...---सुन्दर विवेचना ...<br /><br />---सत्य ही मन के बारे में दोनों संदर्भित ग्रन्थों में सम्पूर्ण सत्य व तथ्य को स्पष्ट कर दिया गया है जहां तक अभी आधुनिक विग्यान/मनोविज्ञान नहीं पहुँच पाया है ...<br />" मन कहता उनके मिलने पर,<br /> हम ये कहेंगे वो ये कहेंगे ,<br />पर सामने जब वो आते हैं,<br /> जाने क्या होजाता हमको, <br />ना हम कुछ भी कह पाते हैं,<br /> ना वो ही कुछ कह पाते हैं |<br />डा श्याम गुप्तhttps://www.blogger.com/profile/03850306803493942684noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-4647281152749818942013-08-21T19:26:12.348+05:302013-08-21T19:26:12.348+05:30 समझने का प्रयास कर रहे हैं ! समझने का प्रयास कर रहे हैं ! Arvind Mishrahttps://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-43211049968373952522013-08-21T16:09:01.788+05:302013-08-21T16:09:01.788+05:30प्रवीण जी , आपको पढता तो बहुत हूँ , बस समय की कमी ...प्रवीण जी , आपको पढता तो बहुत हूँ , बस समय की कमी की वजह से कभी कभी कमेंट नहीं कर पाता हूँ. [ माफ़ जरुर करे ] <br />आपकी आजा की पोस्ट ने बहुत कुछ सोचने पर मजबूर कर दिया है ... कभी इसी आधार पर एक कविता तो जरुर लिखूंगा . <br /><br />आभार आपका <br /><br /><br />दिल से बधाई स्वीकार करे. <br /><br />विजय कुमार <br />मेरे कहानी का ब्लॉग है : storiesbyvijay.blogspot.com<br /><br />मेरी कविताओ का ब्लॉग है : poemsofvijay.blogspot.com vijay kumar sappattihttps://www.blogger.com/profile/06924893340980797554noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-20527358304075336582013-08-21T16:05:38.309+05:302013-08-21T16:05:38.309+05:30 सुंदर विवेचन सुंदर विवेचनअरुण चन्द्र रॉयhttps://www.blogger.com/profile/01508172003645967041noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-34105748359701887592013-08-21T15:01:11.290+05:302013-08-21T15:01:11.290+05:30बहुत सुन्दरबहुत सुन्दरRamesh pandeyhttps://www.blogger.com/profile/02901909737492341929noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-81120144274236658342013-08-21T11:55:56.434+05:302013-08-21T11:55:56.434+05:30मन को किसी माध्यम की आवश्यकता नही पडती, बाबा फ़रीद...मन को किसी माध्यम की आवश्यकता नही पडती, बाबा फ़रीद और कबीर की मौन मुलाकात भी अपने आप में एक उदाहरण है, बहुत ही उपयोगी श्रंखला, बहुत शुभकामनाएं.<br /><br />रामारम. ताऊ रामपुरियाhttps://www.blogger.com/profile/12308265397988399067noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-35851313427758595292013-08-21T11:00:52.644+05:302013-08-21T11:00:52.644+05:30गहन शोध से लाभान्वित ।गहन शोध से लाभान्वित ।गिरधारी खंकरियालhttps://www.blogger.com/profile/07381956923897436315noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-67622409250023802102013-08-21T10:54:23.036+05:302013-08-21T10:54:23.036+05:30गहन चिंतन कर किया गया विश्लेषण .... आभार । गहन चिंतन कर किया गया विश्लेषण .... आभार । संगीता स्वरुप ( गीत )https://www.blogger.com/profile/18232011429396479154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-73530326222698628312013-08-21T10:49:44.389+05:302013-08-21T10:49:44.389+05:30एक बार महर्षि अरविन्द से मिलने के लिये रवीन्द्र ना... एक बार महर्षि अरविन्द से मिलने के लिये रवीन्द्र नाथ ठाकुर उनके घर पहुँचे । लगभग एक घन्टे तक दोनों बैठे रहे । किसी ने एक शब्द का उच्चारण भी नहीं किया दोनों मौन रहे । उसके बाद रवीन्द्र नाथ ने कहा -" आप के साथ बैठकर बहुत मज़ा आया, अब चलता हूँ " और वे चले गए । निष्कर्ष यह निकलता है कि ऐसा कोई भी विचार या भाव नहीं है जिसे मौन से सम्प्रेषित न किया जा सके । शकुन्तला शर्माhttps://www.blogger.com/profile/12432773005239217068noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-88223875933712997662013-08-21T10:41:58.714+05:302013-08-21T10:41:58.714+05:30सार्थक गहन ज्ञानपूर्ण रोचक विश्लेषण व लेख श्रृंखला...सार्थक गहन ज्ञानपूर्ण रोचक विश्लेषण व लेख श्रृंखला ।<br /><br /><b>RECENT POST </b><a href="http://dheerendra11.blogspot.in/2013/08/blog-post_18.html#links" rel="nofollow">: सुलझाया नही जाता.</a>धीरेन्द्र सिंह भदौरिया https://www.blogger.com/profile/09047336871751054497noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-21323008693059946792013-08-21T10:18:52.620+05:302013-08-21T10:18:52.620+05:30ओह, बहुत सुंदर।
सुंदर और सार्थक विश्लेषणओह, बहुत सुंदर। <br />सुंदर और सार्थक विश्लेषणमहेन्द्र श्रीवास्तवhttps://www.blogger.com/profile/09549481835805681387noreply@blogger.com