tag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post2155740885237393612..comments2024-03-17T19:33:00.050+05:30Comments on न दैन्यं न पलायनम्: मेरे लिये विद्यालयप्रवीण पाण्डेयhttp://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comBlogger47125tag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-33805548016018759782021-03-27T23:06:27.114+05:302021-03-27T23:06:27.114+05:30यादगार पल
महेन्द्र जैन
कोयंबटूर
9362093740यादगार पल<br />महेन्द्र जैन<br />कोयंबटूर<br />9362093740Mahendra Jainhttps://www.blogger.com/profile/11784239181167328838noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-59644211694256696422013-10-09T05:47:05.477+05:302013-10-09T05:47:05.477+05:30एक एक पल .... बिल्डिंग ब्लॉक्स। एक एक पल .... बिल्डिंग ब्लॉक्स। Abhishek Ojhahttps://www.blogger.com/profile/12513762898738044716noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-31656476514577016512013-10-01T09:30:27.189+05:302013-10-01T09:30:27.189+05:30Bahut kuch ghoom gaya saamne se.....Bahut kuch ghoom gaya saamne se.....Gopal Mishrahttp://www.achhikhabar.comnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-31298222053107937612013-09-30T16:38:07.989+05:302013-09-30T16:38:07.989+05:30मनोरम यादों का पुर्नमिलन!!!!!!!!!! बधाई स्वीकार क...मनोरम यादों का पुर्नमिलन!!!!!!!!!! बधाई स्वीकार कीजिये।गिरधारी खंकरियालhttps://www.blogger.com/profile/07381956923897436315noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-81948013271411272332013-09-30T14:14:52.912+05:302013-09-30T14:14:52.912+05:30आपकी अभिव्यक्ति मन को दूर खींच के ले जाती है ...
...आपकी अभिव्यक्ति मन को दूर खींच के ले जाती है ... <br />आज भी जब कभी अपने कालेज के सामने से गुज़रता हूं तो सभी कुछ याद आ जाता है ... दिगम्बर नासवाhttps://www.blogger.com/profile/11793607017463281505noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-85295789197836531942013-09-28T15:28:22.167+05:302013-09-28T15:28:22.167+05:30जन्म के समय हम शून्य होते है, मृत्यु के समय हम पुन...जन्म के समय हम शून्य होते है, मृत्यु के समय हम पुनः शून्य हो जाते हैं। बीच का कालखण्ड जिसे हम जीवन कहते हैं, एक आरोह और अवरोह का संमिश्रण है। आरोह मर्यादापूर्ण और अवरोह गरिमा युक्त। एक पीढ़ी दूसरे का स्थान लेती है और उसे आने वाली पीढ़ियों को सौंप देती है। अग्रजों का स्थान लेने में मर्यादा बनी रहे और अनुजों को स्थान देने में गरिमा। अग्रजों के अनुभवों से हम सीखते हैं, अनुजों को स्वयं से सीखने देते हैं। यही क्रम चलता रहता है, प्रकृति बढ़ती रहती है। <br /><br />वाह, कितना सारगर्भित, कितना अर्थपूर्ण और दिशाबोधक. <br />नमस्कार संतोष पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/06184746764857353641noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-12621420565015696632013-09-27T19:52:58.437+05:302013-09-27T19:52:58.437+05:30Emotional touch and beautification of nostalgia ! ...Emotional touch and beautification of nostalgia ! I got your Blog after a long time, in between it was lost for me. Really, I tried but could not find it. I am now happy to find it again.Hari Shanker Rarhihttps://www.blogger.com/profile/10186563651386956055noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-37309776016484545602013-09-27T17:10:18.640+05:302013-09-27T17:10:18.640+05:30सुन्दर.अच्छी रचना.रुचिकर प्रस्तुति .; हार्दिक साधु...सुन्दर.अच्छी रचना.रुचिकर प्रस्तुति .; हार्दिक साधुवाद एवं सद्भावनाएँ<br />कभी इधर भी पधारिये ,Madan Mohan Saxenahttps://www.blogger.com/profile/02335093546654008236noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-17864272599945736152013-09-27T09:30:47.280+05:302013-09-27T09:30:47.280+05:30सुन्दर भाव बोध की रचना।
जिनको कल तक अंधा देखा, ...सुन्दर भाव बोध की रचना। <br /><br /><br />जिनको कल तक अंधा देखा, जिनको कल तक नंगा देखा,<br />आज उन्हीं की स्तुति गा लो, उनके हाथों झण्डा देखा,<br /><br />सहृदयता संजय भास्कर सी हो। दूसरे की प्रशंशा करना लिखना योग है। ईश्वरीय गुण है। सहज निरभिमानी ,जिज्ञासु ही दूसरे के गुणों का गायन कर सकता है। शुक्रिया प्रवीण जी की यह रचना पढ़वाने का। सामिजिक स्थितियों से प्रसूत चिंतन उनकी रचनाओं में रिसता है ललित निबन्ध सा ,प्रबंध सा।आप भाव बोध के कवि हैं तो प्रबंधन के गुरु प्रहलाद और अद्यतन प्रोद्योगिकी के सुपर एपिल भी हैं। <br /><br />संग्रहनीय लेखन बड़ी शख्सियत -- प्रवीण पाण्डेय जी :))<br />संजय भास्कर <br />शब्दों की मुस्कुराहट virendra sharmahttps://www.blogger.com/profile/02192395730821008281noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-5611013429261749232013-09-27T08:25:30.197+05:302013-09-27T08:25:30.197+05:30सुन्दर भाव बोध की रचना।
जिनको कल तक अंधा देखा, ...सुन्दर भाव बोध की रचना। <br /><br /><br />जिनको कल तक अंधा देखा, जिनको कल तक नंगा देखा,<br />आज उन्हीं की स्तुति गा लो, उनके हाथों झण्डा देखा,<br /><br />सहृदयता संजय भास्कर सी हो। दूसरे की प्रशंशा करना लिखना योग है। ईश्वरीय गुण है। सहज निरभिमानी ,जिज्ञासु ही दूसरे के गुणों का गायन कर सकता है। शुक्रिया प्रवीण जी की यह रचना पढ़वाने का। सामिजिक स्थितियों से प्रसूत चिंतन उनकी रचनाओं में रिसता है ललित निबन्ध सा ,प्रबंध सा। व्यक्तित्व भी निरभिमानी है। virendra sharmahttps://www.blogger.com/profile/02192395730821008281noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-82385652477603455602013-09-27T00:34:04.292+05:302013-09-27T00:34:04.292+05:3025 वर्ष बाद विद्यालय जाना और मित्रों से मिलना निश्...25 वर्ष बाद विद्यालय जाना और मित्रों से मिलना निश्चय ही आनंद की अनुभूति दे रहा होगा .... और इन उद्गारों के साथ जीवन का दर्शन जो आपने दिया है निश्चय ही विचारणीय है संगीता स्वरुप ( गीत )https://www.blogger.com/profile/18232011429396479154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-66548889999307126602013-09-26T13:46:36.105+05:302013-09-26T13:46:36.105+05:30बहुत सुन्दर प्रस्तुति.. आपको सूचित करते हुए हर्ष ... बहुत सुन्दर प्रस्तुति.. आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी पोस्ट हिंदी ब्लॉग समूह में सामिल की गयी और आप की इस प्रविष्टि की चर्चा कल - <a href="http://hindiblogsamuh.blogspot.in/" rel="nofollow">शुक्रवार - 27/09/2013</a> को <br /><a href="http://hindiblogsamuh.blogspot.in/" rel="nofollow">विवेकानंद जी का शिकागो संभाषण: भारत का वैश्विक परिचय - हिंदी ब्लॉग समूह चर्चा-अंकः24 </a> पर लिंक की गयी है , ताकि अधिक से अधिक लोग आपकी रचना पढ़ सकें . कृपया पधारें, सादर .... Darshan jangra <br />Darshan jangrahttps://www.blogger.com/profile/09680060236733028168noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-1716014423831519062013-09-26T13:32:30.144+05:302013-09-26T13:32:30.144+05:30प्रणाम आपको, आपकी लेखनी को, आपकी उज्जवल स्मृतियों ...प्रणाम आपको, आपकी लेखनी को, आपकी उज्जवल स्मृतियों को....!<br />अनुपमा पाठकhttps://www.blogger.com/profile/09963916203008376590noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-57826063609666909802013-09-26T12:21:01.140+05:302013-09-26T12:21:01.140+05:30कहते हैं न, स्मृतियाँ कभी पुरानी नहीं होतीं..... कहते हैं न, स्मृतियाँ कभी पुरानी नहीं होतीं..... Shekhar Sumanhttps://www.blogger.com/profile/02651758973102120332noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-39677137640461359072013-09-26T10:40:09.993+05:302013-09-26T10:40:09.993+05:30आदरणीय पाण्डे सर नमस्कार ,
आपके इस अनुभव की प्रत्य...आदरणीय पाण्डे सर नमस्कार ,<br />आपके इस अनुभव की प्रत्येक पंक्ति ने फिर से बचपन याद दिला दिया। आपको इस प्यारे से अनुभव के लिए अनेकोनेक बधाई।Durga prasad mathurhttps://www.blogger.com/profile/04358955077871185842noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-86704654467838961862013-09-26T08:46:42.334+05:302013-09-26T08:46:42.334+05:30भावभीना उद्बोधन !भावभीना उद्बोधन !Anitahttps://www.blogger.com/profile/17316927028690066581noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-13765278054671322972013-09-25T22:39:17.184+05:302013-09-25T22:39:17.184+05:30सुन्दर प्रस्तुति।
हम भी अपने बीते हुए दिन याद कये।...सुन्दर प्रस्तुति।<br />हम भी अपने बीते हुए दिन याद कये।<br />1997 में, हम (BITS-Pilani के 1967-72 Batch) पच्चीस साल बाद मिले थे और मैं भी उसमे शामिल हुआ था।<br />हाल ही में ४० साल बाद, २०१२ में फ़िरसे पुनर्मिलन समारोह का आयोजन हुआ था पर हम किसी कारण शामिल नहीं हो सके थे।<br />क्या पता, शायद ५० साल बाद एक और मौका मिलेगा और आशा है कि हम तब तक जीवित रहेंगे!<br /><br />शुभकामनाएं<br />जी विश्वनाथ<br />(आजकल फ़िर कैलिफ़ोर्निया में स्थित। नाती अब एक साल का हो गया है)<br /><br />G Vishwanathhttps://www.blogger.com/profile/13678760877531272232noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-1900984731023470002013-09-25T21:30:17.481+05:302013-09-25T21:30:17.481+05:30जब तक यह बच्चा आपके साथ है आप जवान रहेंगे . . . जब तक यह बच्चा आपके साथ है आप जवान रहेंगे . . . Satish Saxena https://www.blogger.com/profile/03993727586056700899noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-52711026898919027512013-09-25T21:04:51.674+05:302013-09-25T21:04:51.674+05:30कितना अच्छा लगता है न!! :)कितना अच्छा लगता है न!! :)Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-24658278985654100982013-09-25T20:34:28.409+05:302013-09-25T20:34:28.409+05:30आपकी यह प्रस्तुति 26-09-2013 के चर्चा मंच पर प्र...आपकी यह प्रस्तुति 26-09-2013 के <a href="http://charchamanch.blogspot.in" rel="nofollow"> चर्चा मंच </a> पर प्रस्तुत की गई है<br />कृपया पधारें<br />धन्यवाददिलबागसिंह विर्कhttps://www.blogger.com/profile/11756513024249884803noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-15922588887788711152013-09-25T20:24:43.931+05:302013-09-25T20:24:43.931+05:30स्मृतियों की सारगर्भित प्रस्तुति,,,शुभकामनाए !
नई...स्मृतियों की सारगर्भित प्रस्तुति,,,शुभकामनाए !<br /><br /><b>नई रचना </b><a href="http://dheerendra11.blogspot.in/2013/09/blog-post_24.html#links" rel="nofollow">: सुधि नहि आवत.( विरह गीत )</a>धीरेन्द्र सिंह भदौरिया https://www.blogger.com/profile/09047336871751054497noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-28068188653400143022013-09-25T20:10:41.768+05:302013-09-25T20:10:41.768+05:30उल्लासित उद्गार .. प्रत्येक व्यक्ति में एक छोटा बछ...उल्लासित उद्गार .. प्रत्येक व्यक्ति में एक छोटा बछा हमेशा जिन्दा होता है ... बहुत दार्शनिक भाव..Neeraj Neerhttps://www.blogger.com/profile/00038388358370500681noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-54826570191409719412013-09-25T19:33:07.998+05:302013-09-25T19:33:07.998+05:30स्मृतियों के कोलाज स्मृतियों के कोलाज Arvind Mishrahttps://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-63416656411221579572013-09-25T18:50:40.449+05:302013-09-25T18:50:40.449+05:30शून्य से शून्य की इस यात्रा में समाजापयोगी तत्व...शून्य से शून्य की इस यात्रा में समाजापयोगी तत्वों को बिखरा कर, अपने आरोह को गरिमामयी और अवरोह को मर्यादित कर हमें सतत् बढ़ते ही जाना है कर्तव्य पथ पर। अपने विद्यालय, गुरुजनों और बचपन के प्रति जो कृतज्ञता, कह सकता हूँ कि दार्शनिक और व्यावहारिक कृतज्ञता आपने महसूस की उसके पीछे विद्यालय और गुरुओं का श्रम स्पष्ट दीखता है। आपकी इस खुशी में मैं भी आपके साथ हूँ। शुभकामनाओं सहित, विकुबHarihar (विकेश कुमार बडोला) https://www.blogger.com/profile/02638624508885690777noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-54171496707681451422013-09-25T16:16:08.740+05:302013-09-25T16:16:08.740+05:30अपने विद्यालय की ऐसी अद्भुत झांकी आपके उद्गारों से...अपने विद्यालय की ऐसी अद्भुत झांकी आपके उद्गारों से महसूस करके आनंद आ गया भैया.. जैसा मोहन भैया ने कहा कि आचार्य श्री ओमशंकर जी वाकई आपके ये उदगार सुनकर गर्वान्वित हो रहे होंगे.. ये हनुमान जी का आशीर्वाद ही है कि मुझे ऐसे विद्यालय और आप जैसे अग्रजों के सानिध्य में पढने का अवसर मिला..<br />अभिनन्दन....Akhilhttps://www.blogger.com/profile/16959274282344081982noreply@blogger.com