tag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post2092600048622953696..comments2024-03-17T19:33:00.050+05:30Comments on न दैन्यं न पलायनम्: ओह रे ताल मिले नदी के जल मेंप्रवीण पाण्डेयhttp://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comBlogger91125tag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-58329687566938761862011-01-26T07:39:56.477+05:302011-01-26T07:39:56.477+05:30@ रेखा शुक्ला
और मुझे पूरा विश्वास है कि वहाँ की ...@ रेखा शुक्ला <br />और मुझे पूरा विश्वास है कि वहाँ की प्राकृतिक सुन्दरता आपका मन मोह लेगी।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-19906283721581684832011-01-26T06:24:49.659+05:302011-01-26T06:24:49.659+05:30प्रवीण जी नमस्कार!
आपने इतना अच्छा वर्णन किया है क...प्रवीण जी नमस्कार!<br />आपने इतना अच्छा वर्णन किया है कि हम इस झील को देखने अवश्य जायेंगे।<br />आपका स्वर बहुत मधुर है। <br />धन्यवाद।रेखा शुक्लाhttp://rekhashuklacom/hindinoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-4838159450926185732011-01-23T18:55:03.520+05:302011-01-23T18:55:03.520+05:30@ Rajendra Swarnkar : राजेन्द्र स्वर्णकार
बहुत धन...@ Rajendra Swarnkar : राजेन्द्र स्वर्णकार <br />बहुत धन्यवाद आपका, गीत गाते रहने से मन हल्का बना रहता है।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-39057058782804964922011-01-23T05:41:35.023+05:302011-01-23T05:41:35.023+05:30प्रिय प्रवीण जी
कई दिन पहले आपका गीत सुन कर ...<b><i>प्रिय प्रवीण जी </i></b> <br /><b> </b> कई दिन पहले आपका गीत सुन कर गया था … बधाई बकाया रह गई थी । <br /><b> </b> <br /><b>हार्दिक बधाई, शुभकामनाएं और मंगलकामनाएं स्वीकार करें!</b> <br /><br />…अभी पुनः सुनने के लिए हेड्फोन टटोल रहा हूं …<br /><br />- राजेन्द्र स्वर्णकारRajendra Swarnkar : राजेन्द्र स्वर्णकारhttps://www.blogger.com/profile/18171190884124808971noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-7078969724792816172011-01-22T07:56:47.412+05:302011-01-22T07:56:47.412+05:30@ Vivek Rastogi
इस बार झाँसी से निकलियेगा तो कदम व...@ Vivek Rastogi<br />इस बार झाँसी से निकलियेगा तो कदम वहाँ के लिये बढ़ा दीजियेगा। सूचित कर सकें तो व्यवस्था भी करा दी जायेगी।<br /><br />@ Smart Indian - स्मार्ट इंडियन<br />अब इस जानकारी को जीवन्त सत्य में बदल लें।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-385485203191636032011-01-22T03:36:47.927+05:302011-01-22T03:36:47.927+05:30बरुआ सागर की जानकारी के लिए धन्यवाद!बरुआ सागर की जानकारी के लिए धन्यवाद!Smart Indianhttps://www.blogger.com/profile/11400222466406727149noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-15961282273522169232011-01-21T22:40:35.209+05:302011-01-21T22:40:35.209+05:30सही कहा ऐसी बहुत सारी जगहें होती हैं जिन पर हम जीव...सही कहा ऐसी बहुत सारी जगहें होती हैं जिन पर हम जीवन भर गुजरते रहते हैं, पर आसपास की चीजों को पीछे छोड़ जाते हैं... हम भी कई बार निकले हैं झांसी से.. पर इसका तो पता भी नहीं था... अब पता चला है..<br /><br />बहुत ही दिनों बाद यह गाना सुना... वाह मजा आ गया..विवेक रस्तोगीhttps://www.blogger.com/profile/01077993505906607655noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-72642180662926290562011-01-21T22:33:18.595+05:302011-01-21T22:33:18.595+05:30@ राजीव थेपड़ा
एक बार साक्षात घूम आईये. आनन्द आये...@ राजीव थेपड़ा <br />एक बार साक्षात घूम आईये. आनन्द आयेगा।<br /><br />@ Patali-The-Village <br />ऐसी जगहों पर ही कवितायें फूटती हैं।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-26366810715936037832011-01-21T22:30:50.828+05:302011-01-21T22:30:50.828+05:30@ सुरेन्द्र सिंह " झंझट "
बहुत धन्यवाद आ...@ सुरेन्द्र सिंह " झंझट "<br />बहुत धन्यवाद आपका।<br /><br />@ G.N.SHAW<br />बहुत धन्यवाद आपका।<br /><br />@ बैसवारी<br />पर्यटन विभाग के प्रयास होते यह स्थान भी तर जाता। हमसे जो सम्भव है अनुभव बाँटना, वह बाँट लेते हैं।<br /><br />@ हरकीरत ' हीर'<br />अब अगली बार पूरा डूब कर गायेंगे।<br /><br />@ Amit Kumar<br />बहुत धन्यवाद आपका।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-50698963530311730192011-01-21T22:29:16.328+05:302011-01-21T22:29:16.328+05:30@ अरुण चन्द्र रॉय
बहुत धन्यवाद आपका। साहित्य संगीत...@ अरुण चन्द्र रॉय<br />बहुत धन्यवाद आपका। साहित्य संगीत कला और इतिहास आपस में गुँथे हुये हैं।<br /><br />@ प्रवीण शाह<br />पर आप सा पाठक भी तो चाहिये।<br /><br />@ satyendra<br />प्रकृति की कोमलता, न जाने कितनों को कवि बना देती है।<br /><br />@ SEPO<br />साक्षात में तो यह सौन्दर्य और बढ़ जायेगा।<br /><br />@ ज़ाकिर अली ‘रजनीश’<br />यही दम और बंधक-श्रोताओं के कारण गा लेते हैं।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-86282408251521986712011-01-21T22:28:52.431+05:302011-01-21T22:28:52.431+05:30@ santosh pandey
हमारा गाना न झील की तरह स्थिर होत...@ santosh pandey<br />हमारा गाना न झील की तरह स्थिर होता है और न गहरा ही। पहाड़ी नदी की तरह ही स्वर निकल पाते हैं।<br /><br />@ अनूप शुक्ल<br />गाने पर अधिकार है, अच्छे पर नहीं।<br /><br />@ ashish<br />बहुत धन्यवाद आपका।<br /><br />@ विष्णु बैरागी<br />अभी भी बंगलोर में हैं। कार्यवश जाना हुआ था, तब संदर्भ याद आ गये।<br /><br />@ देवेन्द्र पाण्डेय<br />अब हो आयें वहाँ पर और अनुभव करें उन शब्दों का उद्भव।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-1362478553465617462011-01-21T22:28:29.429+05:302011-01-21T22:28:29.429+05:30@ Sunil Kumar
बहुत धन्यवाद आपका।
@ Abhishek Ojha
...@ Sunil Kumar<br />बहुत धन्यवाद आपका।<br /><br />@ Abhishek Ojha<br />बहुत धन्यवाद आपका। गायन प्रयास लगा रहेगा, अब तो।<br /><br />@ G Vishwanath <br />आपकी पिछली दो धुनें सुनकर मुग्ध था, अब यह तीसरी मुग्धतम। जब गीत लिखा गया या गाया गया तब जन्म नहीं हुआ था मेरा, पर गीत सुनकर लगा कि मेरे लिये ही लिखा गया था यह गीत।<br /><br />@ cmpershad<br />धरती भले ही पथरीली थी पर झील तो शीतल निकली।<br /><br />@ शोभना चौरे<br />गीत बाद में भी सुन लीजियेगा। महत्व तो इस स्थान का है. यहाँ यह गीत उदय हुआ।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-31808514465012395202011-01-21T22:28:02.535+05:302011-01-21T22:28:02.535+05:30@ Kajal Kumar
झाँसी में गीष्म में आग बरसती है पर य...@ Kajal Kumar<br />झाँसी में गीष्म में आग बरसती है पर यहाँ पर आकर बहुत अच्छा लगता है। इतना सुन्दर गीत तो यहीं पर ही लिखा जा सकता है।<br /><br />@ राज भाटिय़ा<br />किस्मत होगी और शीघ्र होगी, आप बस अगली भारत यात्रा की तिथि बता दें।<br /><br />@ hempandey<br />झीलों की स्थिरता व गहराई आकर्षित करती हैं।<br /><br />@ Manoj K<br />आ जायेगें। अभी तो बंगलोर में हैं।<br /><br />@ shekhar suman<br />आ जायें, व्यवस्थायें हो जायेंगी।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-56621628088234691162011-01-21T22:27:40.868+05:302011-01-21T22:27:40.868+05:30@ क्रिएटिव मंच-Creative Manch
बहुत धन्यवाद आपका। अ...@ क्रिएटिव मंच-Creative Manch<br />बहुत धन्यवाद आपका। अब एक बार घूम भी आयें।<br /><br />@ P.N. Subramanian<br />चित्र खटक मुझे भी रहा था। मैंने चित्र लिया था पर पता न जाने कहाँ गया, पोस्ट के लिये इण्टरनेट से देखना पड़ा। अब आपका चित्र लगा कर पोस्ट को पूर्णता मिल गयी है। बहुत धन्यवाद आपका।<br /><br />@ सम्वेदना के स्वर<br />पहली बार का आनन्द डिस्कवरी से कहीं अधिक है।<br /><br />@ महेन्द्र मिश्र<br />आप तो रात्रिभर की यात्रा से पहुँच सकते हैं वहाँ पर।<br /><br />@ dhiru singh {धीरू सिंह}<br />यह गीत इसलिये गाया कि मुझे बहुत ही अच्छा लगता है यह गीत।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-30456672502847741552011-01-21T22:27:19.781+05:302011-01-21T22:27:19.781+05:30@ मेरे भाव
तब घूम अवश्य आईये, एक बार।
@ दिगम्बर न...@ मेरे भाव<br />तब घूम अवश्य आईये, एक बार।<br /><br />@ दिगम्बर नासवा<br />भारत में इतनी सुन्दरता है, दुर्भाग्य ही कहेंगे कि ऐसे स्थान लोगों को ज्ञात ही नहीं हैं।<br /><br />@ Harman<br />बहुत धन्यवाद आपका।<br /><br />@ उपेन्द्र ' उपेन '<br />अधिक प्रयास नहीं करना पड़ेगा, बस एक दिन चाहिये झाँसी में।<br /><br />@ वन्दना <br />बहुत धन्यवाद आपका इस सम्मान के लिये।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-75266103764230899032011-01-21T22:26:58.536+05:302011-01-21T22:26:58.536+05:30@ रंजना
ग्वालियर, झाँसी, ओरछा, बरुआ सागर और खजुराह...@ रंजना<br />ग्वालियर, झाँसी, ओरछा, बरुआ सागर और खजुराहो, ये सब एक बार में ही देख सकते हैं।<br /><br />@ गिरधारी खंकरियाल<br />पर तन-गाड़ी वहाँ ले जाईये नहीं तो मन-गाड़ी मानेगी नहीं।<br /><br />@ honesty project democracy<br />बहुत धन्यवाद आपका।<br /><br />@ Avinash Chandra<br />कवि हृदय को वहाँ और भी आनन्द आता है। <br /><br />@ shikha varshney<br />जब हवा चलती है और झील काँपती है तो, बरबस आपका मुँह खुला का खुला रह जायेगा।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-20913037646010973842011-01-21T22:26:39.141+05:302011-01-21T22:26:39.141+05:30@ sada
बहुत धन्यवाद आपका।
@ rashmi ravija
शब्दों ...@ sada<br />बहुत धन्यवाद आपका।<br /><br />@ rashmi ravija<br />शब्दों में शीतल हवाओं की सिहरन कहाँ से लायेंगे।<br /><br />@ रचना दीक्षित<br />आप अपनी यादों पर भी पोस्ट लिख डालें।<br /><br />@ वन्दना<br />पहँच कर देखिये, कविता स्वयं ही बन जायेगी। मन को मनाने के लिये गाना पड़ता है।<br /><br />@ Sonal Rastogi<br />बहुत धन्यवाद आपका।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-39072894855770748072011-01-21T22:26:11.603+05:302011-01-21T22:26:11.603+05:30@ भारतीय नागरिक - Indian Citizen
हमारे इतिहासविद इ...@ भारतीय नागरिक - Indian Citizen<br />हमारे इतिहासविद इस पर और प्रकाश डाल सकते हैं।<br /><br />@ अन्तर सोहिल<br />आप योजना बनाईये, सारी व्यवस्थायें मैं करवा दूँगा।<br />धन्यवाद देकर आप और गीत गाने के लिये उकसा रहे हैं मुझे।<br /><br />@ रश्मि प्रभा...<br />प्राकृतिक परिवेश आपसे सुन्दर निकाल लेता है।<br /><br />@ पी.सी.गोदियाल "परचेत"<br />साक्षात घूमने का आनन्द अलग ही है।<br /><br />@ संजय भास्कर<br />बहुत धन्यवाद आपका। गीत तो अब गाते ही रहेंगे, प्रशंसा का मोल तो आपको चुकाना ही पड़ेगा।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-73260157947219013592011-01-21T22:25:47.082+05:302011-01-21T22:25:47.082+05:30@ सतीश सक्सेना
पहली बार सुनकर ही इस गीत के प्यार म...@ सतीश सक्सेना<br />पहली बार सुनकर ही इस गीत के प्यार में पड़ गये थे।<br /><br />@ ajit gupta<br />एक बार तो उस परिवेश को देखना बनता है।<br /><br />@ संगीता स्वरुप ( गीत )<br />बहुत धन्यवाद आपका।<br /><br />@ डॉ॰ मोनिका शर्मा<br />जब तक मैंने नहीं देखा था, कल्पना नहीं की थी कि इतना मनभावन होगा।<br /><br />@ सुशील बाकलीवाल<br />बहुत धन्यवाद आपका।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-13639451212988096052011-01-21T22:25:25.076+05:302011-01-21T22:25:25.076+05:30@ सोमेश सक्सेना
प्राचीन स्थापत्य और प्रकृति में हम...@ सोमेश सक्सेना<br />प्राचीन स्थापत्य और प्रकृति में हमेशा एक सम्मोहन होता है। सच कहा आपने, स्थापत्य के माध्यम से उस समय की जीवन शैली और विचार-शैली समझ में आती है।<br /><br />@ Arvind Mishra<br />उस समय तो यह ताल अपने पूर्ण सौन्दर्य में होगा। वहाँ बैठकर आनन्द आ जाता है, हवा के झोकों से। हर दिल जो प्यार करेगा, वह गाना गायेगा। हाँ, झील के किनारे ही बैठकर गायेंगे, अन्दर नहीं उतरेंगे। वैसे गहराई कितनी है?<br /><br />@ निशांत मिश्र - Nishant Mishra<br />आपके दोनों पड़ावों के मध्य में ही है, यह स्थान। कभी झाँसी में उतरकर जा सकते हैं वहाँ। सुन्दर स्थान देखकर स्वर निकल ही आते हैं।<br /><br />@ प्रतिभा सक्सेना<br />बहुत धन्यवाद आपका। तीनों उपस्थित अवश्य हैं फिर भी बहुत कुछ रह गया है।<br /><br />@ संगीता पुरी<br />स्थान पर जायेंगी तो उतना ही आनन्द आयेगा।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-22716622060221520132011-01-21T22:25:04.028+05:302011-01-21T22:25:04.028+05:30@ Rahul Singh
जरई के मठ का चित्र लिया था पर मिला न...@ Rahul Singh<br />जरई के मठ का चित्र लिया था पर मिला नहीं, पोस्ट पर सुब्रमण्यमजी द्वारा प्रदत्त चित्र लगा दिया है। यह स्थापत्य खजुराहो के मंदिरों के पहले का है। ओरछा का तो विस्तृत इतिहास है।<br /><br />@ संजय @ मो सम कौन ?<br />हाँ, लगभग एक वर्ष पहले के चित्र हैं पर कुछ दिन पहले किसी कार्यवश झाँसी जाने से संदर्भ याद आ गये। इस वर्ष भी पानी बरसा है, ताल में पानी होना चाहिये।<br /><br />@ डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक"<br />बहुत धन्यवाद, स्थान का महत्व आपके शब्दों और स्वरों में प्राण भर देता है।<br /><br />@ मनोज कुमार<br />बस वहाँ बैठे रहने का मन करता है।<br /><br />@ Ratan Singh Shekhawat<br />घूमने से आनन्द और बढ़ जायेगा।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-46341719522946422252011-01-21T21:59:05.155+05:302011-01-21T21:59:05.155+05:30रोचक और मनोहर वर्णन|रोचक और मनोहर वर्णन|Patali-The-Villagehttps://www.blogger.com/profile/08855726404095683355noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-50597675063738989322011-01-21T17:00:58.536+05:302011-01-21T17:00:58.536+05:30vibhor ho gayaa hun main yahaan aakar .....sach me...vibhor ho gayaa hun main yahaan aakar .....sach men aayaa hotaa to naa jaane kyaa hotaa....राजीव थेपड़ा ( भूतनाथ )https://www.blogger.com/profile/07142399482899589367noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-61855293278852320172011-01-21T12:11:18.487+05:302011-01-21T12:11:18.487+05:30बहुत सुन्दर पोस्ट...अच्छा लगा यहाँ आकर.बहुत सुन्दर पोस्ट...अच्छा लगा यहाँ आकर.Amit Kumar Yadavhttps://www.blogger.com/profile/13738311398018201654noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-13608493276174186802011-01-20T21:13:56.468+05:302011-01-20T21:13:56.468+05:30ओये होए. ....
प्रवीन जी मेरा पसंदीदा गीत .....
गया...ओये होए. ....<br />प्रवीन जी मेरा पसंदीदा गीत .....<br />गया मगर डूब कर नहीं .....<br />फिर भी पहला प्रयास और बहुत उम्दा .....हरकीरत ' हीर'https://www.blogger.com/profile/09462263786489609976noreply@blogger.com