tag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post1930116025807133917..comments2024-03-17T19:33:00.050+05:30Comments on न दैन्यं न पलायनम्: मॉल और माइक्रोसॉफ्टप्रवीण पाण्डेयhttp://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comBlogger64125tag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-18654361320792948902010-08-19T23:02:46.703+05:302010-08-19T23:02:46.703+05:30@ अनूप शुक्ल
भगवान करे देश के अनुराग बने रहें।
@ ...@ अनूप शुक्ल<br />भगवान करे देश के अनुराग बने रहें।<br /><br />@ दिगम्बर नासवा <br />जीवन को तो अपना बचपन फिर भी याद आयेगा।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-60397948378027085202010-08-19T14:42:55.301+05:302010-08-19T14:42:55.301+05:30रोचक अंदाज़ में गहरी बात कह दी है आपने .. आज कितने...रोचक अंदाज़ में गहरी बात कह दी है आपने .. आज कितने ही अनुराग खो गये हैं आधुनिक युग में ... पर ये भी तो परिवर्तन का नियम ही है .... विज्ञान आगे बढ़ेगा तो पुराना तो छूट ही जायगा .... भावना प्रधान लेख है आपका .....दिगम्बर नासवाhttps://www.blogger.com/profile/11793607017463281505noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-69200894561970746012010-08-16T08:13:01.447+05:302010-08-16T08:13:01.447+05:30सुन्दर पोस्ट!
स्वरूप भले जाये लेकिन अनुराग जैसे ल...सुन्दर पोस्ट!<br /><br />स्वरूप भले जाये लेकिन अनुराग जैसे लोग हमेशा थे, हैं और रहेंगे।अनूप शुक्लhttp://hindini.com/fursatiyanoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-11344343301682230862010-08-16T08:10:30.507+05:302010-08-16T08:10:30.507+05:30सुन्दर पोस्ट!
स्वरूप भले जाये लेकिन अनुराग जैसे ल...सुन्दर पोस्ट!<br /><br />स्वरूप भले जाये लेकिन अनुराग जैसे लोग हमेशा थे, हैं और रहेंगे।अनूप शुक्लhttp://hindini.com/fursatiyanoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-88430437986924605802010-08-11T07:21:20.091+05:302010-08-11T07:21:20.091+05:30@ रंजना
इतने सुन्दर गेय ढंग से पहाड़े, सुभाषित आद...@ रंजना<br />इतने सुन्दर गेय ढंग से पहाड़े, सुभाषित आदि बालमन में उतारना निश्चय ही किसी उत्तम शिक्षा पद्धति की देन रही होगी। अब जब बच्चे जा जा कर पहाड़े याद करते हैं तो सुनकर हमें भारीपन लगने लगता है, उन कोमलमना बच्चों का क्या हाल होता होगा। थक हारकर बच्चे कैलकुलेटर उठा लेते हैं।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-79773708625782759642010-08-11T07:15:31.901+05:302010-08-11T07:15:31.901+05:30@ संजय भास्कर
बहुत धन्यवाद आपका संजय जी।
@ अभिषेक...@ संजय भास्कर<br />बहुत धन्यवाद आपका संजय जी।<br /><br />@ अभिषेक ओझा <br />बचपन में पिता जी ने 20 तक के पहाड़े रटवाये थे, अभी तक शब्दशः याद हैं।<br /><br />@ महेन्द्र मिश्र<br />विकास के लाभ के साथ होने वाली हानियों को न्यूनतम करने का प्रयास करें तो ही विकास सार्थक होगा।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-86249440764954208572010-08-10T16:30:51.588+05:302010-08-10T16:30:51.588+05:30सातवीं तक स्कूल में,फिर कुछ समय घर में पढ़ा ,माताजी...सातवीं तक स्कूल में,फिर कुछ समय घर में पढ़ा ,माताजी को ससुराल निपटा दिया गया था..पर आज भी हम भाई बहन जितनी देर में अंकों के सूत्र पकड़ते हैं,चार चार पांच पांच अंकों के जोड़ घटाव गुना भाग एक पल में हल कर माँ सामने धर देती हैं...और हमारे बच्चे...बिना केल्कूलेटर के एक कदम आगे नहीं बढ़ पाते..<br />माँ कहती हैं, हमने गा कर पचास तक के पहाड़े सीखे थे...आज के बच्चे टू टू जा फोर जैसे ही करते हैं,सारी विद्या "जा" हो जाती है..<br />बोतल (सोफ्ट ड्रिंक) तथा मॉल संस्कृति सदैव ही मुझे घातक लगी है...दिन ब दिन इसे सिद्ध होते देख रही हूँ...<br />आपके विचारों से शब्दशः सहमत हूँ...रंजनाhttps://www.blogger.com/profile/01215091193936901460noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-57101228615586940642010-08-07T15:21:45.012+05:302010-08-07T15:21:45.012+05:30विचारणीय पोस्ट मॉल संस्कृति पर बेहतरीन अभिव्यक्ति....विचारणीय पोस्ट मॉल संस्कृति पर बेहतरीन अभिव्यक्ति.......समयचक्रhttps://www.blogger.com/profile/05186719974225650425noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-91664474568127231912010-08-07T07:37:11.838+05:302010-08-07T07:37:11.838+05:30ना पच्चीस तक पहाडा ना जोड़ घटाव. अब तो कैलकुलेटर क...ना पच्चीस तक पहाडा ना जोड़ घटाव. अब तो कैलकुलेटर का सहारा ही दीखता है.Abhishek Ojhahttps://www.blogger.com/profile/12513762898738044716noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-57370748577363287902010-08-07T06:34:59.603+05:302010-08-07T06:34:59.603+05:30लेखनी का अंदाज अनोखा है पाण्डेय जीलेखनी का अंदाज अनोखा है पाण्डेय जीसंजय भास्कर https://www.blogger.com/profile/08195795661130888170noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-72263322382272472992010-08-06T20:51:36.845+05:302010-08-06T20:51:36.845+05:30@ Shiv
ऐसे कितने ही अनुराग व विजय छोटे छोटे प्रति...@ Shiv <br />ऐसे कितने ही अनुराग व विजय छोटे छोटे प्रतिष्ठानों से बड़ी बड़ी बातें सीख जाते हैं। शिक्षा पद्धति पूरी संस्कृति समेटने में विफल रखी गयी है।<br /><br />@ JHAROKHA<br />विकास की दिशा देख लगता नहीं है कि अनुराग वापस आयेगा।<br /><br />@ डॉ.राधिका उमडे़कर बुधकर <br />मॉल का सिद्धान्त बुरा न हो पर पूरा व्यापार केवल कुछ ही हाथों में सिमट जाना घातक है।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-64081368209603533702010-08-06T16:46:18.250+05:302010-08-06T16:46:18.250+05:30आज ही मॉल संस्कृति के इर्द गिर्द घूमता एक आलेख लिख...आज ही मॉल संस्कृति के इर्द गिर्द घूमता एक आलेख लिखा और अब आपकी पोस्ट पढ़ी ,मैं खुद भी मॉल संस्कृति की अतिवता से घबराई हुई हूँ ,मैं तो ४० सालो के बाद की देश की अर्थव्यवस्था की कल्पना भी नही कर सकती ,रोज़ के घोटाले ,बढती महंगाई और तिस पर ये मॉल संस्कृति ,पता नही क्या होने वाला हैं .आपने एक नया और अच्छा विषय उठाया .RADHIKAhttps://www.blogger.com/profile/00417975651003884913noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-48850219275560897752010-08-06T12:52:25.783+05:302010-08-06T12:52:25.783+05:30maol ke baare me aapki prastuti behad hi apna alag...maol ke baare me aapki prastuti behad hi apna alag sthan rakhti hai jo kuchh aapne likha vah shat -pratishat sahi hai.<br />ho sakta hai samay palta khaye aur aapka anuraag punah wapas aajaaaye.shubh-kamnaaon ke saath.<br /> poonamपूनम श्रीवास्तवhttps://www.blogger.com/profile/09864127183201263925noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-29606826957639020162010-08-06T11:14:01.696+05:302010-08-06T11:14:01.696+05:30बहुत शानदार पोस्ट!
हम चाहे जितना मशीनीकरण के पक्ष...बहुत शानदार पोस्ट!<br /><br />हम चाहे जितना मशीनीकरण के पक्ष में कह लें परन्तु यह सच है कि अनुराग की कमी होती जायेगी. जैसे आपका अनुराग था वैसे ही मेरा एक मित्र था, विजय. कलकत्ते में ही. मैनेजमेंट के सिद्धांत अपने पिता जी की परचून की दूकान पर होने वाले कार्य-कलापों से मिला देता था. विजय को मिस करता हूँ. आज आपकी पोस्ट पढ़कर एक बार फिर से उसकी याद आ गई.Shivhttps://www.blogger.com/profile/05417015864879214280noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-83036545641655065382010-08-05T22:19:20.784+05:302010-08-05T22:19:20.784+05:30@ Akshita (Pakhi)
बहुत अच्छे पाखी।
@ शिवम् मिश्रा...@ Akshita (Pakhi)<br />बहुत अच्छे पाखी।<br /><br />@ शिवम् मिश्रा <br />बहुत धन्यवाद आपका।<br /><br />@ भुवनेश शर्मा<br />राम त्यागी जी का अवलोकन इस पोस्ट का तार्किक निष्कर्ष है।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-68710234339864089332010-08-05T18:29:04.095+05:302010-08-05T18:29:04.095+05:30आपकी पोस्ट और त्यागीजी की प्रतिक्रिया के बहाने ब...आपकी पोस्ट और त्यागीजी की प्रतिक्रिया के बहाने बढि़या चर्चा हो गई....त्यागीजी के हम भी मुरीद हैं...उन्हीं के बहाने आपको पढ़ना शुरू कियेbhuvnesh sharmahttps://www.blogger.com/profile/01870958874140680020noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-45154955941142358912010-08-05T15:20:21.063+05:302010-08-05T15:20:21.063+05:30एक बेहद उम्दा पोस्ट के लिए आपको बहुत बहुत बधाइयाँ ...एक बेहद उम्दा पोस्ट के लिए आपको बहुत बहुत बधाइयाँ और शुभकामनाएं !<br /><a href="http://blog4varta.blogspot.com/2010/08/4_05.html" rel="nofollow">आपकी पोस्ट की चर्चा ब्लाग4वार्ता पर है यहां भी आएं !</a>शिवम् मिश्राhttps://www.blogger.com/profile/07241309587790633372noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-91461456120428387372010-08-05T13:36:44.402+05:302010-08-05T13:36:44.402+05:30आपको भी मेन्टल मैथ सीखनी चाहिये पाखी बिटिया।
...j...आपको भी मेन्टल मैथ सीखनी चाहिये पाखी बिटिया।<br /><br />...jarur sikhungi uncle ji..Akshitaa (Pakhi)https://www.blogger.com/profile/06040970399010747427noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-73637724621665894962010-08-05T10:01:42.639+05:302010-08-05T10:01:42.639+05:30@ देव कुमार झा
बहुत अच्छा शब्द उठाया है आपने। बौद्...@ देव कुमार झा<br />बहुत अच्छा शब्द उठाया है आपने। बौद्धिक हानि की कीमत हमें चुकानी पड़ रही है इस विकास के लिये।<br />कहाँ पहुँचायेगा यह विकास, किसी को भान नहीं है।<br /><br />@ वाणी गीत<br />मॉल बने रहें पर अनुराग मिल जायें।<br /><br />@ Akanksha Yadav<br />सामाजिक परिवेश तभी तक उपस्थित रहेंगे जब तक चेतना बनी रहेगी इस बारे में। शिक्षा व्यवस्था तो इन मानकों से पल्ला झाड़ चुकी है।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-55986728398341470972010-08-05T09:51:29.928+05:302010-08-05T09:51:29.928+05:30अनुराग तो अभी भी हैं, बस परिवेश की जरुरत है...अनुराग तो अभी भी हैं, बस परिवेश की जरुरत है...हिंदी साहित्य संसार : Hindi Literature Worldhttps://www.blogger.com/profile/03921573071803133325noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-38928754751083019052010-08-05T09:44:38.036+05:302010-08-05T09:44:38.036+05:30@ प्रवीण शाह
आपके तीनों अवलोकन शिरोधार्य।
1. निश्च...@ प्रवीण शाह<br />आपके तीनों अवलोकन शिरोधार्य।<br />1. निश्चय ही मानसिक गणना कर लेना योग्यता का एक मात्र पैमाना नहीं है और इससे परे भी कई अनुराग हैं विश्व में । <br />2. निश्चय ही दुकान में न बैठकर भी मानसिक गणनायें तेज रह सकती हैं।<br />3. निश्चय ही अनुरागों का मॉल के काउण्टरों में कोई काम नहीं।<br /><br />अनुराग का भविष्य तो माइक्रोसॉफ्ट था और आईआईटी के बाद वह वहीं पर ही है। जो कारक उसके जीवन में सहायक हुये, निश्चय ही वही सम्पूर्ण कारक नहीं होंगे पर उन कारकों का मानसिक क्षमताओं को परिष्कृत करने में योगदान नकारा नहीं जा सकेगा। । मॉल अन्य जीवनत कारकों को कैसे प्रभावित कर रहा होगा, उसकी एक बानगी भर थी यह पोस्ट।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-39503278025278677442010-08-05T09:30:09.172+05:302010-08-05T09:30:09.172+05:30@ महफूज़ अली
पिछली चार साप्ताहिक मॉल यात्राओं से म...@ महफूज़ अली<br />पिछली चार साप्ताहिक मॉल यात्राओं से मैं वहाँ की प्रक्रियाओं और प्रक्रिया सम्हाले युवाओं को बड़े ध्यान से निहार रहा हूँ। एक बार तो मॉल खुलने के साथ ही पहुँच गया था और देर तक यही देखता रहा कि बिके हुये सामान की आपूर्ति कैसे की जाती है?<br />एक यन्त्रवत सा लगा। सबको ज्ञात कि क्या करना है। काम न करने वालों की आदत से निपटने के लिये कैमरे। केवल ग्राहक ही दिखे जो थोड़ा बहुत मुस्करा लेते थे बीच बीच में।<br />इस संदर्भ में और अर्थव्यवस्था के ऊपर इसके प्रभावों के बारे में आपका पेपर पढ़ना एक अनुभव होगा मेरे लिये। मैं उत्सुकता से प्रतीक्षा कर रहा हूँ।<br />यही विचारों का अनूठापन है कि वहाँ मुझे अनुराग को याद कर लेने के कारण दिख गये। सहसा ऐसा हो गया। यदि प्रयास कर ऐसी चेष्टा करता तो कभी नहीं कर पाता।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-21510923121276809302010-08-05T09:14:10.953+05:302010-08-05T09:14:10.953+05:30@ Pooja
यह मुझे हमेशा लगता रहा है कि कैलकुलेटर का ...@ Pooja<br />यह मुझे हमेशा लगता रहा है कि कैलकुलेटर का उपयोग विद्यार्थी की गणितीय क्षमताओं को कम कर देता है। आज आप से यह जान कर उस धारणा को बल मिला है। गणितीय क्षमताओं का योगदान आधुनिक विज्ञान के विकास में कितना है इस पर तो किसी को संशय न होना चाहिये। यही कारण है कि एशियाई अभिवावक पुरानी विधियों को अभी तक नहीं छोड़ पा रहे हैं।<br />कस्बे में उगी सब्जी मॉल की तुलना में अधिक सस्ती होगी पर ब्रॉकली खाने का मन करे तो मॉल ही जाना पड़ेगा। अब हम यह निर्धारित करें हमारे व्यंजन अन्तर्राष्ट्रीय हों या स्थानीय।<br />क्यों न हम मॉल में प्रयुक्त आधुनिक वितरण प्रणाली के लाभ स्थानीय दुकानदारों तक पहुँचा दें।<br />किसी नयी और अच्छी बात को स्थानीय परिवेश में कैसे ढालना है इसका निर्धारण पहले ही करना होगा।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-13877516867866500102010-08-05T08:53:30.665+05:302010-08-05T08:53:30.665+05:30@ rashmi ravija
यदि हम अपनी संस्कृति के सुदृढ़ पक्...@ rashmi ravija<br />यदि हम अपनी संस्कृति के सुदृढ़ पक्षों को धीरे धीरे ढीला छोड़ते जायेंगे तो अपने पूर्वजों के द्वारा किये गये अथक प्रयासों का अनादर करेंगे।<br /><br />@ dhiru singh {धीरू सिंह}<br />देश की शिक्षा पद्धति इस दयनीय स्थिति का भार उठाये पतनोन्मुखी है। <br /><br />@ निशांत मिश्र - Nishant Mishra<br />इस तरह की अविश्वसनीय गणना करने की क्षमता हमें हमारी संस्कृतियों की देन है। उन्हे न केवल सहेज कर हम रखें वरन अपना मजबूत पक्ष भी बनायें।<br /><br />@ शोभना चौरे<br />नकल में भी अकल न लगा कर स्वयं का हास्यास्पद बनाते आये हैं हम लोग। विकास के मॉडलों को समाज के अनुसार ढालना पड़ेगा।<br /><br />@ shikha varshney<br />जहाँ मैं सोच रहा था कि अनुराग होंगे प वहाँ नहीं मिले।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-74225100902741121492010-08-05T08:12:02.184+05:302010-08-05T08:12:02.184+05:30@ राम त्यागी
इस पोस्ट व टिप्पणियों में मुख्यतः तीन...@ राम त्यागी<br />इस पोस्ट व टिप्पणियों में मुख्यतः तीन विषय उभर कर आये हैं।<br />विकास, शिक्षा व्यवस्था व संस्कृति।<br />संतुलन आवश्यक होता है इन तीनों क्षेत्रों में, नहीं तो व्यवस्था भड़भड़ाकर गिरने लगती है और हम उसमें कुछ न कुछ जुगत लगाकर चलाते रहते हैं।<br />देश का दुर्भाग्य है कि इन तीनों में कोई साम्य नहीं। यदि इस समय कोई चीज देश की दिशा निर्धारित कर रही है तो वह है विशुद्ध राजनीति।<br />संस्कृति के सुदृढ़ पक्षों को धर्मनिरपेक्षता के नाम पर शिक्षा व्यवस्था से दूर रखा गया। समाज जो संस्कृति का दूसरा वाहक है, वह सब छोड़ विकास को दोनों हाथों से हथियाना चाहता है। और विकास भी ऐसा है जो समाज में इतना तनाव पैदा कर देगा एक दिन कि समाज को सहेज कर रख पाना असम्भव सा हो जायेगा।<br />इस असाम्य की स्थिति की पीड़ा ही विभिन्न अलग सी लगती हुयी टिप्पणियों में व्यक्त है।<br />उपाय अभी भी है। क्षमताये, एक नहीं, सौ अनुराग उत्पन्न करने की हैं इस देश में।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.com