tag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post1823490808713930650..comments2024-03-17T19:33:00.050+05:30Comments on न दैन्यं न पलायनम्: ताकि सुरक्षित रहे आधी आबादीप्रवीण पाण्डेयhttp://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comBlogger62125tag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-25865469122972141242013-02-25T10:50:09.749+05:302013-02-25T10:50:09.749+05:30आपकी बात से पूर्णत: सहमत हूँ ... आपकी बात से पूर्णत: सहमत हूँ ... Pratibha Vermahttps://www.blogger.com/profile/09088661008620689973noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-82794834611622693232013-02-03T17:13:10.117+05:302013-02-03T17:13:10.117+05:30सधा हुवा लेख ... हर बिन्दु को बारीकी से उठता हुवा ...सधा हुवा लेख ... हर बिन्दु को बारीकी से उठता हुवा ... दिगम्बर नासवाhttps://www.blogger.com/profile/11793607017463281505noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-39604029854401881842013-02-02T00:22:38.439+05:302013-02-02T00:22:38.439+05:30महिलाओं के प्रति सम्मान और संवेदनशीलता की सीख परिव...महिलाओं के प्रति सम्मान और संवेदनशीलता की सीख परिवार के रिश्ते नातों से ही मिल सकती है| जिसे काफी हद तक सुधार लाया जा सकता है। सारगर्भित आलेख... Pallavi saxenahttps://www.blogger.com/profile/10807975062526815633noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-52716069767938169462013-02-01T21:29:45.547+05:302013-02-01T21:29:45.547+05:30अधिकारों और संबंधों का मुद्दा अलग है और बलात्कार ...अधिकारों और संबंधों का मुद्दा अलग है और बलात्कार का अलग<br />इन दोनों को जोड़ कर नहीं देखा जा सकता .....<br />हरकीरत ' हीर'https://www.blogger.com/profile/09462263786489609976noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-32849738430061664792013-02-01T20:56:52.659+05:302013-02-01T20:56:52.659+05:30मैं नहीं मानता कि खुलापन ही इन मामलों के बढ़ने के ...मैं नहीं मानता कि खुलापन ही इन मामलों के बढ़ने के कारण हैं. खुलापन बढ़ने के कारण से ही ऐसे मामले भी खुलकर सामने आने लगे हैं. वरना पहले तो लोक-लाज का भय दिखा कर ऐसे मामलों को दबा दिया जाता था.<br />इस दामिनी प्रकरण के बाद ही अचानक से गैंग रेप के केस की बाढ़ क्यों आई? लोग खुलकर इसके विरोध में आये, इसलिए. नहीं तो क्या पहले गैंग रेप नहीं होते थे क्या?PDhttps://www.blogger.com/profile/17633631138207427889noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-22106101660525463152013-02-01T17:45:48.763+05:302013-02-01T17:45:48.763+05:30स्कूल ,घर ,दफ्तर आज हर स्तर पर संस्कार के पल्लवन क...स्कूल ,घर ,दफ्तर आज हर स्तर पर संस्कार के पल्लवन की बात चलाना ,चलाते रहना जरूरी हो गया है .अलबत्ता संस्कार की शुरुआत घर से ही होती है .विमर्श बढ़िया चल रहा है .एक बात ज़रूर <br /><br />है <br /><br />जो कचोटती है मनको .आदमी (पुरुष )एक महिला को चाहे वह किसी भी उम्र की क्यों न हो ,जैसी भी वह है ,जो भी वह है ,जो कुछ भी वह पहने हुए है और जितना भी पहने हुए है ,उसे पचा नहीं पा <br /><br />रहा <br /><br />है .उसके निम्नान्गों से उच्चांगों की पैमाइश करता डोल रहा है .स्कूल कालिज और यूनिवर्सिटी भी इस बीमारी से मुक्त नहीं हैं .अभी कल ही एमएस यूनिवर्सिटी ,गुजरात के दीक्षांत समारोह के <br /><br />मौके <br /><br />पर आयजित एक कार्यक्रम में एक छात्रा को मिनी स्कर्ट में पश्चिमी नृत्य नहीं करने दिया गया .उसे जींस पहने के आने के लिए कहा गया तभी अनुमति मिली जब वह जींस पहनके आई . .एक <br /><br />महिला कोलिज में (आदर्श <br /><br />कोलिज <br /><br />भिवानी )इतर भी ऐसे महाविद्यालय हैं जहां जींस टॉप पहन के आना वर्जित है .इस सबसे क्या सिद्ध होता है .औरत की देह का समाज अतिक्रमण नहीं कर पा रहा है .उसका चेहरा ,आत्म, अपने पे <br /><br />भरोसा ,आत्मविश्वास नहीं देख पा रहा है . <br /><br /><br />परिधान का चलन बचपन से शुरू होता है .माँ क्या पैरहन चुनती है बेटी के लिए ,बेटी वही पहनती है। स्कर्ट की ऊंचाई तो आजकल स्कूल भी तय कर रहें हैं कई कोंवेंट स्कूल हैं जहां स्कर्ट घुटनों के <br /><br />नीचे होने पर सजा मिलती है .यह सब क्या है ?क्यों है ?व्यापक कैनवास से जुड़ा है सवाल .अस्मिता और सम्मान से जुड़ा है महिला के .क़ानून की पालना से भी .इसकी शुरुआत भी घर से होनी <br /><br />चाहिए .<br /><br />आप शराब पीके गाड़ी चलातें हैं .घर में गाली गलौंच करते हैं .आपका बच्चा क्या सीखेगा .?<br /><br />अनाटॉमी औरत की अलग है लेकिन भाई वह भी होमोसेपियन है .आपकी ही ज़मात है .जैसे मोर ,मोरनी ,मुर्गा मुर्गी ,की देहयष्टि अलग है वैसे ही औरत मर्द की भी है .इसे बदला नहीं जा सकता <br /><br />.अनाटमी के आधार पर आप कैसे भेदभाव कर सकते हैं ?<br /><br />कुछ शाश्वत मूल्य हैं :देह बल में अपने से कमज़ोर की रक्षा करना .महिलाओं को आदर देना .संकट में उनकी रक्षा करना .एक छोटा बच्चा भी बीस साल पहले अपनी किशोर बहन के साथ उसकी <br /><br />ऊंगली पकड बाहर आता था ,तो युवती को अकेला नहीं समझा जाता था .वह नन्ना अघोषित नैतिक पहरेदार होता था बहन का .<br /><br />इन्हीं मूल्यों की दरकार है आज भी .और शाश्वत मूल्यों का हमारे पैरहन से कोई ताल्लुक नहीं है .लिबास तो बदला करते हैं बदलें हैं प्रागेतिहासिक काल से अब तक यह होता आया है आगे भी होगा <br /><br />लेकिन कुछ मूल्य सार्वकालिक सार्वत्रिक होते हैं इनकी अनुपालना होनी ही चाहिए हर स्तर पर .virendra sharmahttps://www.blogger.com/profile/02192395730821008281noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-74858628766593089712013-02-01T16:35:43.504+05:302013-02-01T16:35:43.504+05:30आपकी बात से पूर्णत: सहमत हूँ ... सार्थकता लिये सशक...आपकी बात से पूर्णत: सहमत हूँ ... सार्थकता लिये सशक्त आलेख<br /><br />आभारसदाhttps://www.blogger.com/profile/10937633163616873911noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-39368242841769221432013-02-01T15:59:23.655+05:302013-02-01T15:59:23.655+05:30 जीवन एकान्त या घर्षण में नहीं जिया जा सकता है, एक... जीवन एकान्त या घर्षण में नहीं जिया जा सकता है, एक राह निकलनी ही होती है, सबके चलने के लिये। एकरंगी आदर्श की तुलना में बहुरंगी यथार्थ ही सबको भाता है, वही समाज की भी राह होती है...<br />बहुत सार्थक आलेख ....संस्कार तो परिवार से ही मिलते हैं .....और पति-पत्नी के आपसी रिश्तों की झलक बच्चों मे होती ही है ...!!Anupama Tripathihttps://www.blogger.com/profile/06478292826729436760noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-71470780009326274892013-02-01T14:07:37.881+05:302013-02-01T14:07:37.881+05:30परिवार का विशुद्ध आचरण ही समाज को अपराध मुक्त करने...परिवार का विशुद्ध आचरण ही समाज को अपराध मुक्त करने में सहायक हो सकता है। गिरधारी खंकरियालhttps://www.blogger.com/profile/07381956923897436315noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-88034831075855139522013-02-01T10:46:57.025+05:302013-02-01T10:46:57.025+05:30निश्चय ही कुछ न कुछ तो मानसिकता का प्रभाव है जो मा...निश्चय ही कुछ न कुछ तो मानसिकता का प्रभाव है जो माता की इच्छा से तुरन्त वन चले वाले राम के देश के पुरुषों को हो गया है। मर्यादित आचरण तो दूर की बात, आपराधिक व्यवहार हावी होता जा रहा है। कहीं न कहीं तो आधार बनाना होगा, कहीं न कहीं तो आश्रय पाना होगा इस भटकाव को। निश्चय ही परिवार के संबंध प्रारम्भ हो सकते हैं इस बदलाव के।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-83291266823319065612013-02-01T07:10:27.117+05:302013-02-01T07:10:27.117+05:30सटीक आलेख एवं टिप्पणीविमर्श!!सटीक आलेख एवं टिप्पणीविमर्श!!Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-1126330561289755662013-02-01T00:27:16.820+05:302013-02-01T00:27:16.820+05:30प्रवीण जी आपकी बात से पूर्णत: सहमत हूँ की बच्चों म...प्रवीण जी आपकी बात से पूर्णत: सहमत हूँ की बच्चों में स्त्री के प्रति सम्मान या असम्मान का भाव प्रस्फुटित करने में पारिवारिक वातावरण का बहुत बड़ा हाथ है ! आप ही के आलेख को आधार मान कर चंद सवाल करना चाहती हूँ आपसे ! जिस परिवार में पति अपनी पत्नी को समुचित सम्मान नहीं देता उस घर के बेटे भी अपनी माँ को सम्मान नहीं देते यही कहा ना आपने ? <br />दोष किसका है ? पति का या बेटों का या फिर अपमान के दंश झेलती उस स्त्री का ? यहाँ भी दोष उस परुष का है जो अपनी पत्नी को घर में सही स्थान और सम्मान नहीं देता ! बेटों की भूल को कुछ समय तक के लिए माफ़ किया जा सकता है जब तक वे मानसिक रूप से परिपक्व नहीं हैं लेकिन बड़े होने पर भी वे सही गलत का अंतर नहीं समझ पाते यह बात गले के नीचे नहीं उतरती !<br />शत्रु पक्ष के सैनिकों की आतातायी एवं आक्रामक वृत्तियों से अपने सतीत्व की रक्षा करने के उद्देश्य से ही मेवाड़ की स्त्रियों ने युद्ध के उपरान्त विधवा हो जाने पर जौहर करने की प्रथा को अपनाया था ! यहाँ भी स्त्रियों के इस तरह आत्मदाह करने के पीछे पुरुष का ही चेहरा सामने आता है ! <br />बच्चियों को गर्भ में मार देने की मानसिकता के पीछे भी महिला के भयाक्रांत मन में निष्ठुर समाज की खराब रवायतों का खौफ ही ज़िम्मेदार होता है जिससे डर कर वह उस कन्या को जन्म देना नहीं चाहती जो संसार की सबसे खूबसूरत नियामत है ! और यह समाज पुरुषप्रधान है इस बात से तो आप भी इनकार नहीं करेंगे ! <br />आवश्यकता इस बात की है कि पुरुष स्त्रियों के प्रति अपनी भोगवादी सोच को बदलें ! न्याय व्यवस्था में भी व्यापक सुधार एवं संशोधन होने चाहिए ! ऐसे जघन्य अपराधों के लिए सज़ा त्वरित और इतनी कठोर होनी चाहिए कि लोगों में भय का संचार हो और वे सपने में भी ऐसा कुछ करने से बचें ! <br />सकारात्मकता की और प्रेरित करता आपका आलेख अच्छा लगा जिसने सही चिंतन को एक दिशा दी ! आभार आपका ! <br /> Sadhana Vaidhttps://www.blogger.com/profile/09242428126153386601noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-91892799019949200612013-02-01T00:00:48.698+05:302013-02-01T00:00:48.698+05:30वंशानुक्रम,जिसमें पारिवारिक संस्कार भी आते हैं, और...वंशानुक्रम,जिसमें पारिवारिक संस्कार भी आते हैं, और वातावरण दोनों के प्रभाव व्यक्ति पर आते हैं .इसके सिवा संगत का असर भी.इन सब पर शुरू से ध्यान देना ही उचित है.<br />है लेकिन अपराधी को दंड देना भी बहुत आवश्यक है <br />प्रतिभा सक्सेनाhttps://www.blogger.com/profile/12407536342735912225noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-66798271049489394722013-01-31T23:50:44.283+05:302013-01-31T23:50:44.283+05:30जीवन मूल्य बदल रहे हैं, बहुत कुछ बदल गया है और बहु...जीवन मूल्य बदल रहे हैं, बहुत कुछ बदल गया है और बहुत कुछ अभी बदलेगा।संजय @ मो सम कौन...https://www.blogger.com/profile/14228941174553930859noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-13267175608844241932013-01-31T22:50:44.832+05:302013-01-31T22:50:44.832+05:30बहुत बढ़िया आलेख...बधाई हो आपकोबहुत बढ़िया आलेख...बधाई हो आपकोरश्मि शर्माhttps://www.blogger.com/profile/04434992559047189301noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-86449296752167747342013-01-31T19:18:47.122+05:302013-01-31T19:18:47.122+05:30बहुत सारगर्भित आलेख...अगर हम परिवार में माँ, पत्नी...बहुत सारगर्भित आलेख...अगर हम परिवार में माँ, पत्नी, बेटी और सभी स्त्रियों का सम्मान का भाव पैदा कर सकें तो यह नारी जाति के प्रति हिंसा को दूर करने में एक महत्वपूर्ण कदम होगा.Kailash Sharmahttps://www.blogger.com/profile/12461785093868952476noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-91811357851878664792013-01-31T18:12:49.384+05:302013-01-31T18:12:49.384+05:30सबकुछ आदमी की सोच पर निर्भर करता है ...
बहुत बढ़िय...सबकुछ आदमी की सोच पर निर्भर करता है ...<br />बहुत बढ़िया सारगर्भित आलेख ...<br />आभार...कविता रावत https://www.blogger.com/profile/17910538120058683581noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-31162693183685034592013-01-31T17:28:50.306+05:302013-01-31T17:28:50.306+05:30जब तक दाम्पत्य-जीवन को सुकृत नहीं किया जाएगा तब तक...जब तक दाम्पत्य-जीवन को सुकृत नहीं किया जाएगा तब तक महिलाओं का भविष्य असुरक्षित है .Amrita Tanmayhttps://www.blogger.com/profile/06785912345168519887noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-31681786577281002282013-01-31T15:26:04.611+05:302013-01-31T15:26:04.611+05:30महिला सम्मान और सुरक्षा आज का ज्वलंत प्रश्न है, ए...महिला सम्मान और सुरक्षा आज का ज्वलंत प्रश्न है, एक सटीक आलेख के लिये बहुत आभार.<br /><br />रामरामताऊ रामपुरियाhttps://www.blogger.com/profile/12308265397988399067noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-59759882857544349362013-01-31T14:23:58.683+05:302013-01-31T14:23:58.683+05:30रचना जी का एक पक्ष है जो संस्कार के पल्लवन से ताल्...रचना जी का एक पक्ष है जो संस्कार के पल्लवन से ताल्लुक नहीं रखता .उनका सीधा सवाल है संबंधों से इतर महिला का अपना क्या वजूद है .प्रवीण जी अर्जित संस्कार की बात करते हैं जिसकी प्रथम <br /><br />पाठशाला परिवार ही है यद्यपि आखिरी नहीं है .<br /><br />आज बाहरी प्रभाव ज्यादा वजन लिए आ रहे हैं .बच्चे स्वतंत्र इकाई रूप बड़े होने लगें हैं किसी आया के हाथों ,किसी क्रेच में या आवासीय स्कूल में .संस्कार कौन सी पाठशाला में सिखाया जाता है ?<br /><br />किसी को मालूम हो तो कृपया बतलाएं .यहाँ तो हर स्तर पर बच्चे को काबिल .अव्वल ,इम्तिहानी लाल बनाने की कवायद है .virendra sharmahttps://www.blogger.com/profile/02192395730821008281noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-14383637415212713902013-01-31T13:56:18.800+05:302013-01-31T13:56:18.800+05:30"जिस घर में स्त्री (उसमे माँ बहन बेटी पत्नी आ... "जिस घर में स्त्री (उसमे माँ बहन बेटी पत्नी आती हैं )का सम्मान न हो तो भला बच्चा क्या सीखेगा बाहर की स्त्री का क्या सम्मान करेगा ,--यही मर्म है परन्तु...<br /><br />यह आवश्यक नहीं बहुत से परिवारों में ..स्त्री का समुचित मान होते हुए भी बच्चे गलत राह पर गए हैं... परिवार के साथ-साथ वातावरण का प्रभाव बहुत आवश्यक होता है...शठ सुधरहिं सत-संगति पाई..... सभी जगह ..असत-संगति का बोल बाला है जिसके दोषी...स्त्री-पुरुष दोनों ही हैं...... <br />---- पारिवारिक-सामाजिक परिस्थितियों के साथ ..अति-भौतिकता, अनीश्वर-वादिता, अहं,धनबल,सत्ताबल-मद के साथ सरलता से उपलब्धता भी एक विशेष कारण हैं ...यही कारण है.<br />--- मानव-मात्र को एक समान समझना ही उपाय है..<br />'समानी अकूती समामस्तु वो मनो ...." shyam guptahttps://www.blogger.com/profile/11911265893162938566noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-48666089571736721202013-01-31T13:52:00.421+05:302013-01-31T13:52:00.421+05:30हूँ...हूँ... shyam guptahttps://www.blogger.com/profile/11911265893162938566noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-32363425144389097202013-01-31T13:51:14.472+05:302013-01-31T13:51:14.472+05:30आवश्यक नहीं बहुत से परिवारों में ..स्त्री का समुचि...आवश्यक नहीं बहुत से परिवारों में ..स्त्री का समुचित माँ होते हुए भी बच्चे गलत राह पर गए हैं... परिवार के साथ साथ वातावरण का प्रभाव बहुत आवश्यक होता है...शठ सुधरहिं सत-संगति पाई..... सभी जगह ..असत-संगती का बोल बाला है '' shyam guptahttps://www.blogger.com/profile/11911265893162938566noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-34486449905508974562013-01-31T13:47:41.483+05:302013-01-31T13:47:41.483+05:30हाँ संगीता जी सही कहा....परन्तु कल्पना को साकार बन...हाँ संगीता जी सही कहा....परन्तु कल्पना को साकार बनाने का प्रयास तो किया ही जा सकता है... shyam guptahttps://www.blogger.com/profile/11911265893162938566noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-19745208620805375942013-01-31T13:44:56.432+05:302013-01-31T13:44:56.432+05:30सही कहा अजित जी...सहमत --सही कहा अजित जी...सहमत -- shyam guptahttps://www.blogger.com/profile/11911265893162938566noreply@blogger.com