tag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post1743541240174072599..comments2024-03-17T19:33:00.050+05:30Comments on न दैन्यं न पलायनम्: अपरिग्रह - जन्मों काप्रवीण पाण्डेयhttp://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comBlogger27125tag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-25480816821273929022013-12-10T11:07:37.691+05:302013-12-10T11:07:37.691+05:30वर्तमान को वर्तमान में न जीने के इस व्यवहार के कार...वर्तमान को वर्तमान में न जीने के इस व्यवहार के कारण हम जन्मों का बोझ उठाये फिरते रहते हैं, अतृप्त, अपूर्ण, उलझे।<br /><br />काश वर्तमान में जीना सीख लें । संगीता स्वरुप ( गीत )https://www.blogger.com/profile/18232011429396479154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-35956436032851542182013-11-27T01:07:20.182+05:302013-11-27T01:07:20.182+05:30Vartmaan nahi jiya to jeeye hii kahan....kyonki ha...Vartmaan nahi jiya to jeeye hii kahan....kyonki hamesha vartmaan hii rehta hai..bhoot beet chuka hota hai aur bahvishya vartamaan baanne ke liye tatpar rahta hai.. achah lekh.Gopal Mishrahttp://www.achhikhabar.comnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-2347058954166713462013-11-26T21:10:29.293+05:302013-11-26T21:10:29.293+05:30मैं शकुंतला शर्मा जी से सहमत हूँ !
(नवम्बर 18 से न...मैं शकुंतला शर्मा जी से सहमत हूँ !<br />(नवम्बर 18 से नागपुर प्रवास में था , अत: ब्लॉग पर पहुँच नहीं पाया ! कोशिश करूँगा अब अधिक से अधिक ब्लॉग पर पहुंचूं और काव्य-सुधा का पान करूँ | )<br />नई पोस्ट <a href="http://kpk-vichar.blogspot.in/2013/11/blog-post_25.html#links" rel="nofollow"> तुम</a><br />Kalipad Prasadhttps://www.blogger.com/profile/07595947461741532625noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-31489605728357992822013-11-26T12:59:15.853+05:302013-11-26T12:59:15.853+05:30बहुत सुन्दर.... सुंदर, ज्ञानपूर्ण प्रस्तुति.. आभार...बहुत सुन्दर.... सुंदर, ज्ञानपूर्ण प्रस्तुति.. आभार..Maheshwari kanerihttps://www.blogger.com/profile/07497968987033633340noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-54806543471350837662013-11-26T11:50:35.955+05:302013-11-26T11:50:35.955+05:30जीवन तो वर्तमान के लिेये ही नियत है भूत तो दर्पण औ...जीवन तो वर्तमान के लिेये ही नियत है भूत तो दर्पण और भविष्य गति के लिये होता है।गिरधारी खंकरियालhttps://www.blogger.com/profile/07381956923897436315noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-50701462518574950342013-11-25T21:38:26.052+05:302013-11-25T21:38:26.052+05:30Bilkul sahi...we should live our present to the fu...Bilkul sahi...we should live our present to the fullestSEPOhttps://www.blogger.com/profile/18165767356704947895noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-49157116396354583442013-11-25T18:18:07.230+05:302013-11-25T18:18:07.230+05:30पहले वर्तमान को पूरा जी लें ...
बढ़िया आलेख.पहले वर्तमान को पूरा जी लें ... <br />बढ़िया आलेख.shikha varshneyhttps://www.blogger.com/profile/07611846269234719146noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-45854801437514495182013-11-25T08:32:03.179+05:302013-11-25T08:32:03.179+05:30Dekhiye Sanjay ne bhi meri baat kahi hai.. Padh ra...Dekhiye Sanjay ne bhi meri baat kahi hai.. Padh raha hoon par kuchh kahne ka option nahin..<br />Bahut achchhi shrinkhala hai yah.. Prasangik aur tathyapoorn!!चला बिहारी ब्लॉगर बननेhttps://www.blogger.com/profile/05849469885059634620noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-66243968574565801172013-11-24T20:46:01.118+05:302013-11-24T20:46:01.118+05:30Present.. how wide and deep it is..Present.. how wide and deep it is..Jyoti Mishrahttps://www.blogger.com/profile/01794675170127168298noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-89598705967995308772013-11-24T12:02:32.107+05:302013-11-24T12:02:32.107+05:30
सुन्दर है भावाभिव्यक्ति।
वर्तमान को जीना ही होत...<br />सुन्दर है भावाभिव्यक्ति। <br /><br />वर्तमान को जीना ही होता है, हम उससे भाग नहीं सकते हैं। वर्तमान का जो क्षण हमारे सामने उपस्थित है, उसे हमें पूर्ण करना है, उसका पालन करना है। ऐसा नहीं करने से वह हमारे ऊपर ऋण सा बना रहेगा, कल कभी न कभी हमें उसे जीना ही होगा, स्मृति के रूप में, समस्या के रूप में, विकृति के रूप में, और तब हम उस समय के वर्तमान को नहीं जी रहे होंगे। वर्तमान को वर्तमान में न जीने के इस व्यवहार के कारण हम जन्मों का बोझ उठाये फिरते रहते हैं, अतृप्त, अपूर्ण, उलझे।<br /><br />मेरे लिये यही सात जन्मों का सिद्धान्त है, यही कर्मफल का सिद्धान्त है, यही अपरिग्रह के सिद्धान्त की पूर्णता है, यही आनन्द और मुक्त भाव से जीने का सिद्ध मार्ग है। चलिये वर्तमान में ही जीते हैं, पूर्णता से जीते हैं।<br /><br />और इस कलियुगी वर्त्तमान का मूल मन्त्र है -हरे रामा ,हरे रामा ,रामा हरे हरे ,हरे कृष्णा हरे कृष्णा कृष्णा कृष्णा हरे हरे ,.... virendra sharmahttps://www.blogger.com/profile/02192395730821008281noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-26689017931899579532013-11-23T20:54:43.934+05:302013-11-23T20:54:43.934+05:30बहुत सुन्दर प्रस्तुति..
आपको सूचित करते हुए हर्ष ...बहुत सुन्दर प्रस्तुति.. <br />आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आप की इस प्रविष्टि की चर्चा रविवार, दिनांक :- 24/11/2013 को "हिंदी ब्लॉगर्स चौपाल {चर्चामंच}http://hindibloggerscaupala.blogspot.in/" चर्चा अंक - 50- पर लिंक की गयी है , ताकि अधिक से अधिक लोग आपकी रचना पढ़ सकें . कृपया पधारें, सादर .... <br />Niraj Palhttps://www.blogger.com/profile/12597019254637427883noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-1513904660976068652013-11-23T20:33:16.949+05:302013-11-23T20:33:16.949+05:30इस पोस्ट की चर्चा, रविवार, दिनांक :- 24/11/2013 को...इस पोस्ट की चर्चा, रविवार, दिनांक :- 24/11/2013 को "हिंदी ब्लॉगर्स चौपाल {चर्चामंच}" चर्चा अंक - 50 पर. <br />आप भी पधारें, सादर ....<br />Niraj Palhttps://www.blogger.com/profile/12597019254637427883noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-9083538319638944732013-11-23T20:06:16.893+05:302013-11-23T20:06:16.893+05:30बहुत दिन के बाद कमेंट ऑप्शन खुल पाया है, ये श्रृंख...बहुत दिन के बाद कमेंट ऑप्शन खुल पाया है, ये श्रृंखला बहुत पसंद आई है। पहली पोस्ट पढ़कर अपनी बुद्धि अनुसार दो तीन उदाहरण शेयर करने की सोची थी लेकिन कमेंट ही नहीं हो पा रहा था, फ़िर कभी। <br />सच में सहेजने लायक।संजय @ मो सम कौन...https://www.blogger.com/profile/14228941174553930859noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-19091144403567210622013-11-23T19:59:36.040+05:302013-11-23T19:59:36.040+05:30आलेख पढकर लगा जैसे हम किसी शाला में ज्ञान ले रहे ह...आलेख पढकर लगा जैसे हम किसी शाला में ज्ञान ले रहे हैं । बहुत ही गहन विचार । सात जन्मों का विश्लेषण बहुत ही सटीक है । यहाँ आकर सचमुच कुछ न कुछ समझने के लिये मिलता है ।गिरिजा कुलश्रेष्ठhttps://www.blogger.com/profile/07420982390025037638noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-76799444747183374092013-11-23T19:24:49.644+05:302013-11-23T19:24:49.644+05:30वर्तमान में जीने के लिए खुद को निर्मल जल सा बनाने ...वर्तमान में जीने के लिए खुद को निर्मल जल सा बनाने की जरूरत है जो जब जिस चीज़ में मिले वैसा ही हो जाये जिस पात्र में रखो उसका रूप बन जाये...मगर अफसोस की हर कोई ऐसा कर नहीं पता और जन्मो का बोझ ढोये जी जा रहें हैं सभी ... Pallavi saxenahttps://www.blogger.com/profile/10807975062526815633noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-54088585745539199942013-11-23T18:49:54.407+05:302013-11-23T18:49:54.407+05:30सही है, विशुद्ध वर्तमान में जीना ही वास्तविक जीवन ...सही है, विशुद्ध वर्तमान में जीना ही वास्तविक जीवन परिग्रह है ।सुंदर, ज्ञानपूर्ण लेख। देवेंद्रhttps://www.blogger.com/profile/13104592240962901742noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-31942366430748699462013-11-23T18:43:18.660+05:302013-11-23T18:43:18.660+05:30बड़ा कठिन काम बता दिया आपने...सारगर्भित लेख...बड़ा कठिन काम बता दिया आपने...सारगर्भित लेख...Vaanbhatthttps://www.blogger.com/profile/12696036905764868427noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-71172302610581944502013-11-23T17:58:08.331+05:302013-11-23T17:58:08.331+05:30saadhuvaad ke siwaay kyaa kahooNsaadhuvaad ke siwaay kyaa kahooNwww.navincchaturvedi.blogspot.comhttps://www.blogger.com/profile/07881796115131060758noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-4130094710043005192013-11-23T17:27:41.427+05:302013-11-23T17:27:41.427+05:30 भूत और भविष्य पर चिन्तन आवश्यक है, भूत से सीखने क... भूत और भविष्य पर चिन्तन आवश्यक है, भूत से सीखने के लिये, भविष्य गढ़ने के लिये, पर वर्तमान को तज कर नहीं और न ही आवश्यकता से अधिक।<br />सत्या एवं सार्थक ....किन्तु यही नादानी हम बरबस करते रहते हैं और सुलझे जीवन को उलझते रहते हैं .....सारगर्भित आलेख ....!!Anupama Tripathihttps://www.blogger.com/profile/06478292826729436760noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-14076683594075115092013-11-23T17:22:34.288+05:302013-11-23T17:22:34.288+05:30कितना अच्छा होता, अगर सात जन्म वाले सत्य के साथ जन...कितना अच्छा होता, अगर सात जन्म वाले सत्य के साथ जन्मों का क्रम जानने का विधान भी हो सकता! तब पता चल सकता था किस ये हमारा कौन सा जन्म है, और अभी कितने जन्म झेलना है :) :) बढिया पोस्ट.वन्दना अवस्थी दुबेhttps://www.blogger.com/profile/13048830323802336861noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-42413268496401969082013-11-23T15:05:10.770+05:302013-11-23T15:05:10.770+05:30वर्तमान है तभी तो हम हैं। इस अभिप्राय से देखें तो ...वर्तमान है तभी तो हम हैं। इस अभिप्राय से देखें तो इसमें ही जीना 'जीवन' है, पर दुर्भाग्य से दीन-दुनिया भूत, बीते समय और भावी योजनाओं के बीच में ही झूल रही है। Harihar (विकेश कुमार बडोला) https://www.blogger.com/profile/02638624508885690777noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-31319744728329195972013-11-23T15:02:28.333+05:302013-11-23T15:02:28.333+05:30हर पल जिओ जिंदगी ऐसे, जैसे यही आखिरी पल है। अपरिग...हर पल जिओ जिंदगी ऐसे, जैसे यही आखिरी पल है। अपरिग्रह श्रृंखला की सुन्दर पूर्णाहुति। संतोष पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/06184746764857353641noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-17377270517221126612013-11-23T11:43:06.298+05:302013-11-23T11:43:06.298+05:30सब कुछ समझते हुए भी जाने क्यों हम भूत और भविष्य मे...सब कुछ समझते हुए भी जाने क्यों हम भूत और भविष्य में ही उलझे रहते हैं ..... सार्थक और अनुकरणीय विचार डॉ. मोनिका शर्मा https://www.blogger.com/profile/02358462052477907071noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-1586665638370663912013-11-23T11:10:16.336+05:302013-11-23T11:10:16.336+05:30वर्तमान में जीना आ जाये तो फ़िर कुछ पीडा ही नही बची...वर्तमान में जीना आ जाये तो फ़िर कुछ पीडा ही नही बची, सारा खेल यही तो है. बहुत ही सार्थक आलेख.<br /><br />रामराम.ताऊ रामपुरियाhttps://www.blogger.com/profile/12308265397988399067noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-23592964492117228382013-11-23T09:03:15.671+05:302013-11-23T09:03:15.671+05:30चलिये वर्तमान में ही जीते हैं, पूर्णता से जीते हैं...चलिये वर्तमान में ही जीते हैं, पूर्णता से जीते हैं। <br />सही है यही सार है travel ufohttps://www.blogger.com/profile/15497528924349586702noreply@blogger.com