tag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post1596208896981914064..comments2024-03-17T19:33:00.050+05:30Comments on न दैन्यं न पलायनम्: नहीं दैन्यता और पलायनप्रवीण पाण्डेयhttp://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comBlogger62125tag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-1730640650772406592011-06-13T15:51:48.119+05:302011-06-13T15:51:48.119+05:30चर्चा मंच के साप्ताहिक काव्य मंच पर आपकी (कोई पुरा...चर्चा मंच के साप्ताहिक काव्य मंच पर आपकी (कोई पुरानी या नयी ) प्रस्तुति मंगलवार 14 - 06 - 2011<br />को ली गयी है ..नीचे दिए लिंक पर कृपया अपनी प्रतिक्रिया दे कर अपने सुझावों से अवगत कराएँ ...शुक्रिया ..<br /><br /><a href="http://charchamanch.blogspot.com/" rel="nofollow"> साप्ताहिक काव्य मंच- ५० ..चर्चामंच <br /></a>संगीता स्वरुप ( गीत )https://www.blogger.com/profile/18232011429396479154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-30631383580750190352011-04-14T19:03:07.126+05:302011-04-14T19:03:07.126+05:30Excellent Praveen . Loved it.Excellent Praveen . Loved it.बाबुषाhttps://www.blogger.com/profile/05226082344574670411noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-14479177199549132832010-07-28T14:10:09.970+05:302010-07-28T14:10:09.970+05:30@ अनामिका की सदायें ......
विषाद से बाहर निकल कर न...@ अनामिका की सदायें ......<br />विषाद से बाहर निकल कर निश्चय की स्थिति को शीघ्र पा लेना ही उचित। दैन्यता और पलायन अन्ततः दुख में डुबो डालती हैं।<br /><br />@ Pawan Kumar<br />अतिशय धन्यवाद। आपके अन्दर का अर्जुन जीवित है अभी।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-67770479348573198902010-07-28T00:53:22.009+05:302010-07-28T00:53:22.009+05:30bahut achi lagi aapki ye rachnabahut achi lagi aapki ye rachnaPawan Kumar Sharmahttps://www.blogger.com/profile/04738864595169202679noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-62696314759927439512010-07-27T21:20:37.266+05:302010-07-27T21:20:37.266+05:30सच कहा आपने ह्रदय का अनुनादित होना वाजिब है तो हम ...सच कहा आपने ह्रदय का अनुनादित होना वाजिब है तो हम सब के अंदर एक अर्जुन अवश्य जीवित है...जीवित क्या ...मुझे तो लगता है हम रोज-मर्रा की जिंदगी में एक अर्जुन की लड़ाई लड़ रहे हैं.<br /><br />बहुत सुंदर पोस्ट...आभार इस प्रस्तुति के लिए.अनामिका की सदायें ......https://www.blogger.com/profile/08628292381461467192noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-59116879439022386412010-07-27T18:44:33.596+05:302010-07-27T18:44:33.596+05:30Dnyandatt ji ke blog par tippani disable kar dee h...Dnyandatt ji ke blog par tippani disable kar dee hai kya ?Asha Joglekarhttps://www.blogger.com/profile/05351082141819705264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-69010903182930563532010-07-27T14:47:49.928+05:302010-07-27T14:47:49.928+05:30@ दिगम्बर नासवा
उस पुस्तक की आपके ब्लॉग पर प्रतीक्...@ दिगम्बर नासवा<br />उस पुस्तक की आपके ब्लॉग पर प्रतीक्षा रहेगी। <br /><br />@ काजल कुमार Kajal Kumar<br />यथासम्भव प्रयास रहा कि कठिन भावों के लिये भी भाषा सरल रहे। आगे से और सुगम रखने का प्रयास करूँगा।<br /> <br />@ मनीष कृष्ण<br />शीर्षक के लिये पोस्ट नहीं है वरन पोस्ट में समाहित भाव व्यक्त करने के लिये यह शीर्षक रखा है। उत्साहीजन का उत्साहवर्धन सीधा और गहरा प्रभाव डालता है।<br /><br />@ KK Yadava<br />आप जैसे साहित्यप्रेमी को अच्छी लगी, रचना धन्य हुयी।<br /><br />@ Akanksha~आकांक्षा<br />हर विषाद अपनी निष्पत्ति पाता है। जितना शीघ्र हो, उतना अच्छा अन्यथा जीवन के अन्य सुखों को खोखला करने लगता है।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-54361721767907827362010-07-27T13:57:12.013+05:302010-07-27T13:57:12.013+05:30आज खड़ा निर्णय-क्षण, निर्मम अवसादों का पूर्ण दहन, ...आज खड़ा निर्णय-क्षण, निर्मम अवसादों का पूर्ण दहन, <br />नहीं दैन्यता और पलायन <br /><br />...Bahut khub !!Akanksha Yadavhttps://www.blogger.com/profile/10606407864354423112noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-11839317782703261532010-07-27T13:33:12.242+05:302010-07-27T13:33:12.242+05:30विलक्षण...अनुपम भावनाएं, सहज शब्द, बड़ी बात !!विलक्षण...अनुपम भावनाएं, सहज शब्द, बड़ी बात !!KK Yadavhttps://www.blogger.com/profile/05702409969031147177noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-82317707876540587462010-07-26T22:23:58.877+05:302010-07-26T22:23:58.877+05:30मनीष कृष्ण की ईमेल से
what a lovely expression Pr...मनीष कृष्ण की ईमेल से<br /><br />what a lovely expression Praveenam .<br />Now u've made the title more clear , more than ever before .प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-62358240085470837882010-07-26T22:09:25.166+05:302010-07-26T22:09:25.166+05:30बड़ी कड़ी हिन्दी है ये तो. सारे बल निकल गए. आभार.बड़ी कड़ी हिन्दी है ये तो. सारे बल निकल गए. आभार.Kajal Kumar's Cartoons काजल कुमार के कार्टूनhttps://www.blogger.com/profile/12838561353574058176noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-59830745738739827552010-07-26T18:50:51.714+05:302010-07-26T18:50:51.714+05:30भारत माता की लोरी ... इस पुस्तक को खोज नही पा रहा ...भारत माता की लोरी ... इस पुस्तक को खोज नही पा रहा हूँ .... करीब १०-२० वर्ष पहले पढ़ी थी और इस पर नाट्य प्रस्तुति भी की थी ..... जब कभी मिल सकेगी ज़रूर अपने ब्लॉग पर डालूँगा ...दिगम्बर नासवाhttps://www.blogger.com/profile/11793607017463281505noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-38815811467729136132010-07-26T15:31:59.023+05:302010-07-26T15:31:59.023+05:30@ संगीता स्वरुप ( गीत )
भहुत धन्यवाद इस सम्मान के ...@ संगीता स्वरुप ( गीत )<br />भहुत धन्यवाद इस सम्मान के लिये।<br /><br />@ Apanatva<br />आप जितनी बार यहाँ आयेंगी, निराश नहीं होंगी। आपकी अपेक्षा ही संबल बन गुणवत्ता बनाये रखेगी।<br /><br />@ बेचैन आत्मा<br />ब्लॉग प्रारम्भ करने के बाद उस कारण को बताना चाह रहा था जिस पर यह नामकरण हुये। विचार बँधे रहे और जब बहे तब कविता बन कर।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-64410447677783595152010-07-26T15:26:16.491+05:302010-07-26T15:26:16.491+05:30@ rakesh ravi
मुझे ब्लॉग जगत के माध्यम से इतना सुन...@ rakesh ravi<br />मुझे ब्लॉग जगत के माध्यम से इतना सुन्दर व भावपूर्ण लिखने वालों को पढ़ने का अवसर मिल रहा है, मैं इसके लिये कृतज्ञ हूँ। हृदयानुनादित भाव यदि आपको भी भाये तो मेरी कृतज्ञता और भी बढ़ जाती है, ब्लॉगजगत के प्रति।<br /><br />@ हमारीवाणी.कॉम <br />धन्यवाद संदेश के लिये।<br /><br />@ अरुणेश मिश्र<br />अतिशय धन्यवाद उत्साहवर्धन का।<br /><br />@ singhsdm<br />परिस्थितियाँ हमें दो विकल्प देती हैं, युद्धक्षेत्र में बने रहिये या पलायन कर जाईये। अर्जुन ने दिशा दी है, देश के अर्जुनों को।<br /><br />@ Avinash Chandra<br />मेरा भी बार बार सुनने और गुनने का मन करता है। इस वाक्य में इतनी शक्ति समाहित है कि हर भर उत्हास प्लावित होने लगता है।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-84593761830375066642010-07-26T14:08:20.028+05:302010-07-26T14:08:20.028+05:30ब्लॉग का नाम सार्थक करती हुँकार..!
..आनंद आ गया पढ...ब्लॉग का नाम सार्थक करती हुँकार..!<br />..आनंद आ गया पढ़कर.देवेन्द्र पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/07466843806711544757noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-60677757564190992852010-07-26T13:05:48.357+05:302010-07-26T13:05:48.357+05:30pahlee vaar aana huaa blog par aur aate hee chakka...pahlee vaar aana huaa blog par aur aate hee chakka ........mythology ko le itnee sunder rachana..............<br />abhee tak satishjee ke bkog par comments hee padtee thee aapke.........<br />abhee samay hai soch baithee hoo ki aapke blog par to chapa daalna padegaa...........:) aur comments barsane padenge.........:)Apanatvahttps://www.blogger.com/profile/07788229863280826201noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-63449999255461431372010-07-26T11:58:24.894+05:302010-07-26T11:58:24.894+05:30मंगलवार 27 जुलाई को आपकी रचना ... चर्चा मंच के ...मंगलवार 27 जुलाई को आपकी रचना ... चर्चा मंच के साप्ताहिक काव्य मंच पर ली गयी है .कृपया वहाँ आ कर अपने सुझावों से अवगत कराएँ .... आभार <br /><br /> http://charchamanch.blogspot.com/संगीता स्वरुप ( गीत )https://www.blogger.com/profile/18232011429396479154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-57518276087520847912010-07-26T09:14:38.220+05:302010-07-26T09:14:38.220+05:30शब्द दूँ इतना सामर्थ्यवान नहीं पाता स्वयं को..अद्भ...शब्द दूँ इतना सामर्थ्यवान नहीं पाता स्वयं को..अद्भुत का जयघोष कर दूँ और बारबार पढूं, यही उचित हो...Avinash Chandrahttps://www.blogger.com/profile/01556980533767425818noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-5567329730223867202010-07-26T07:37:45.196+05:302010-07-26T07:37:45.196+05:30आइए, अर्जुन की तरह
उद्घोष करें :
‘‘न दैन्यं न पलाय...आइए, अर्जुन की तरह<br />उद्घोष करें :<br />‘‘न दैन्यं न पलायनम्।’’<br />सुबह सुबह जब नेट खोला और यह पंक्तिया पढ़ने को मिली तो लगा कि जैसे कोई मन्त्र मिल गया हो....बहुत खूब. क्या उद्घोष है...जीवन दर्शन है ये.Pawan Kumarhttps://www.blogger.com/profile/08513723264371221324noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-79816536960403079032010-07-25T23:13:15.844+05:302010-07-25T23:13:15.844+05:30प्रशंसनीय ।प्रशंसनीय ।अरुणेश मिश्रhttps://www.blogger.com/profile/14110290381536011014noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-45343174832906339712010-07-25T22:21:16.145+05:302010-07-25T22:21:16.145+05:30हमारीवाणी का लोगो अपने ब्लाग पर लगाकर अपनी पोस्ट ह...<b><a href="http://www.hamarivani.com/clickcode.php" rel="nofollow">हमारीवाणी का लोगो अपने ब्लाग पर लगाकर अपनी पोस्ट हमारीवाणी पर तुरंत प्रदर्शित करें</a></b> <br /><br />हमारीवाणी एक निश्चित समय के अंतराल पर ब्लाग की फीड के द्वारा पुरानी पोस्ट का नवीनीकरण तथा नई पोस्ट प्रदर्शित करता रहता है. परन्तु इस प्रक्रिया में कुछ समय लग सकता है. हमारीवाणी में आपका ब्लाग शामिल है तो आप स्वयं हमारीवाणी पर अपनी ब्लागपोस्ट तुरन्त प्रदर्शित कर सकते हैं.<br /><br />इसके लिये आपको नीचे दिए गए लिंक पर जा कर दिया गया कोड अपने ब्लॉग पर लगाना होगा. इसके उपरांत आपके ब्लॉग पर हमारीवाणी का लोगो दिखाई देने लगेगा, जैसे ही आप लोगो पर चटका (click) लगाएंगे, वैसे ही आपके ब्लॉग की फीड हमारीवाणी पर अपडेट हो जाएगी.<br /><br /> <br /><b><a href="http://www.hamarivani.com/clickcode.php" rel="nofollow">कोड के लिए यंहा क्लिक करे</a></b>हमारीवाणीhttps://www.blogger.com/profile/02677178735599301399noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-53152694016149079752010-07-25T21:34:10.785+05:302010-07-25T21:34:10.785+05:30आपकी कविता बहुत अच्छी लगी। आप जैसा व्यक्ति हिंदी ब...आपकी कविता बहुत अच्छी लगी। आप जैसा व्यक्ति हिंदी ब्लॉग जगत का सदस्य है ऐसा सोच कर गौरवांन्वित महसूस करता हूँ।<br />धन्यवाद।<br />आशीष जी ने जो अटल जी की कविता पोस्ट की है वह भी बहुत सुंदर लगी।<br />धन्यवाद।<br />राकेशRaravihttps://www.blogger.com/profile/06067833078018520969noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-31083664014080818502010-07-25T19:27:38.185+05:302010-07-25T19:27:38.185+05:30@ नरेश सिह राठौड़
युद्ध के समय का उद्घोष तो जोशीला...@ नरेश सिह राठौड़<br />युद्ध के समय का उद्घोष तो जोशीला ही होगा। अर्जुन तो महान वीर था।<br /><br />@ संजय भास्कर<br />बहुत बहुत धन्यवाद<br /><br />@ दिगम्बर नासवा<br />यदि भारत माता की लॉरी कविता उपलब्ध हो तो हमें भी लाभान्वित करें। उत्साहवर्धन के लिये आभार।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-59252868921854380202010-07-25T19:22:37.343+05:302010-07-25T19:22:37.343+05:30@ रंजन
बहुत बहुत धन्यवाद।
@ महफूज़ अली
आपने इतना ...@ रंजन<br />बहुत बहुत धन्यवाद।<br /><br />@ महफूज़ अली<br />आपने इतना उत्साह भर दिया है कि पाँव जमीन पर नहीं पड़ रहे हैं।<br /><br />@ अमिताभ मीत<br />अतिशय धन्यवाद।<br /><br />@ arun c roy<br />विषाद और निश्चय का क्रम हर मनुष्य के साथ होता है। अर्जुन का यह वाक्य बोलना प्रासंगिक है।<br /><br />@ महेन्द्र मिश्र<br />गुरु पर्व पर आपको भी बहुत शुभकामनायें।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6890512683366084987.post-39124242499847269482010-07-25T18:55:48.816+05:302010-07-25T18:55:48.816+05:30मैने मन के पट नहीं कभी औरों के सम्मुख खोले हैं,
सम...मैने मन के पट नहीं कभी औरों के सम्मुख खोले हैं,<br />सम्बन्धों को अपनाया है और वचन यथोचित बोले हैं,<br />पर सदैव शतरंजी चालों को समझा, उदरस्थ किया,<br />और सभाओं की सम्मलित विद्वत-भाषा से त्यक्त जिया,<br />आज खड़ा निर्णय-क्षण, निर्मम अवसादों का पूर्ण दहन, <br />नहीं दैन्यता और पलायन ।<br /><br />आपकी रचना पढ़ कर मिझे बचपन में पड़ी एक कविता ... भारत माता की लॉरी .... याद आ गयी ....<br />बहुत ही लाजवाब ... अप्रतिम रचना है .... मेरे द्वारा पढ़ी हुई सर्वश्रेष्ट रचना है आज की ये .... बहुत बहुत बधाई इस साक्षात रचना के लिए ...दिगम्बर नासवाhttps://www.blogger.com/profile/11793607017463281505noreply@blogger.com